SCO का अफगान मामले पर शिखर सम्मेलन, जानें तालिबान और अफगानिस्तान को लेकर PM मोदी ने क्या कहा

17 सितंबर की शाम को एससीओ संगठन और सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन के सदस्य देशों का अफगान मामला शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

17 सितंबर की शाम को एससीओ संगठन और सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन के सदस्य देशों का अफगान मामला शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने वीडियो के रूप में सम्मेलन में हिस्सा लिया। मौके पर शी ने जोर दिया कि एससीओ और सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन के सदस्य देश सभी अफगानिस्तान के पड़ोसी देश हैं। सब साझे भाग्य वाला एक समुदाय है और सुरक्षा का साझा समुदाय भी है। शी ने कहा कि एक देश का मामला उस देश के लोगों द्वारा निर्णय ले सकता है, जबकि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में मामला लोगों द्वारा विचार विमर्श करने के बाद तय किया जा सकता है। हमें अफगान प्रभुसत्ता, स्वतंत्रता और प्रादेशिक अखंडता की पूर्व शर्त में अफगानिस्तानियों द्वारा अफगानिस्तान का शासन करने के बुनियादी सिद्धांत का कार्यान्वयन करना चाहिए।

शी चिनफिंग ने अफगान सवाल पर तीन सुझाव पेश किए। एक, अफगानिस्तान की सत्ता का शांतिपूर्ण स्थानांतरण किया जाए। दूसरा, अफगानिस्तान से संपर्क और संवाद करें। तीसरा, अफगानिस्तानी लोगों को मानवतावादी और महामारी रोधी सहायता दें।

पीएम मोदी ने कहा कि इस संदर्भ में हमें चार विषयों पर ध्यान देना होगा। पहला मुद्दा यह है कि अफगानिस्तान में सत्ता-परिवर्तन समावेशी नहीं है, और बिना बातचीत के हुआ है। इससे नई व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं। महिलाओं तथा अल्पसंख्यकों सहित अफगान समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, यह आवश्यक है कि नई व्यवस्था की मान्यता पर फैसला वैश्विक समुदाय सोच-समझ कर और सामूहिक तरह से ले।

इस मुद्दे पर भारत संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका का समर्थन करता है। दूसरा विषय यह है कि, अगर अफगानिस्तान में अस्थिरता और कट्टरवाद बना रहेगा, तो इससे पूरे विश्व में आतंकवादी और चरमपंथी विचारधाराओं को बढ़ावा मिलेगा। अन्य उग्रवादी समूहों को हिंसा के माध्यम से सत्ता पाने का प्रोत्साहन भी मिल सकता है। हम सभी देश पहले भी आतंकवाद से पीड़ित रहे हैं। हमें मिल कर सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान की धरती का उपयोग किसी भी देश में आतंकवाद फैलाने के लिए न हो।


पीएम मोदी ने कहा कि SCO के सदस्य देशों को इस विषय पर सख्त और साझा मानदंड विकसित करने चाहिए। आगे चल कर ये मानदंड वैश्विक आतंक विरोधी सहयोग के लिए भी एक उदाहरण बन सकते हैं। ये मानदंड आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस के सिद्धांत पर आधारित होने चाहिए। इनमें सीमा पार आतंकवाद और टेरर फंडिंग जैसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए एक कोड ऑफ कंडक्ट होना चाहिए और इनके प्रवर्तन की प्रणाली भी होनी चाहिए।

पीएम मोदी ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम से जुड़े तीसरे विषय पर कहा कि इससे ड्रग्स, अवैध हथियारों और मानव तस्करी का अनियंत्रित प्रवाह बढ़ सकता है। बड़ी मात्रा में उन्नत हथियार अफगानिस्तान में रह गए हैं। इनके कारण पूरे क्षेत्र में अस्थिरता का खतरा बना रहेगा। इन प्रवाह को मॉनिटर करने और जानकारी साझाकरण बढ़ाने के लिए SCO का RATS तंत्र सकारात्मक भूमिका निभा सकता है। इस महीने से भारत इस संस्था की काउंसिल की अध्यक्षता कर रहा है। इस विषय पर हमने व्यावहारिक सहयोग के प्रस्ताव विकसित किये हैं। चौथा विषय अफगानिस्तान में गंभीर मानवीय संकट का है।

वित्तीय और व्यापार प्रवाह में रुकावट के कारण अफगान जनता की आर्थिक विवशता बढ़ती जा रही है। साथ में COVID की चुनौती भी उनके लिए यातना का कारण है। विकास और मानवीय सहायता के लिए भारत बहुत वर्षों से अफगानिस्तान का विश्वस्त साझेदार रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर शिक्षा, सेहत और क्षमता निर्माण तक हर क्षेत्र में, और अफगानिस्तान के हर भाग में, हमने अपना योगदान दिया है।

पीएम मोदी ने कहा कि आज भी हम अपने अफगान मित्रों तक खाद्य सामग्री, दवाइयां आदि पहुंचाने के लिए इच्छुक हैं। हम सभी को मिल कर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान तक मानवीय सहायता निर्बाद्ध तरीके से पहुंच सके। अफगान और भारतीय लोगों के बीच सदियों से एक विशेष संबंध रहा है। अफगान समाज की सहायता के लिए हर क्षेत्रीय या वैश्विक पहल को भारत का पूर्ण सहयोग रहेगा।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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