दुनिया को सीरिया में लोगों की दुर्दशा को नहीं भूलना चाहिए, यूएन ने लोगों से की अपील

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यूएनएचसीआर के प्रवक्ता बोरिस चेशिरकोव ने मंगलवार को एक प्रेस वार्ता में कहा, "इस संकट के शुरू होने के 11 साल बाद, सीरिया दुनिया का सबसे बड़ा विस्थापन संकट बना हुआ है। 1.3 करोड़ से ज्यादा लोग देश छोड़कर भाग गए हैं या विस्थापित हो गए हैं।"

फोटो: IANS
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आईएएनएस

संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (यूएनएचसीआर) ने देश में 12 साल से चले आ रहे युद्ध से विस्थापित हुए सीरियाई लोगों की दुर्दशा को न भुलाने की वैश्विक अपील जारी की। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, यूएनएचसीआर के प्रवक्ता बोरिस चेशिरकोव ने कहा, "इस संकट के शुरू होने के 11 साल बाद, सीरिया दुनिया का सबसे बड़ा विस्थापन संकट बना हुआ है। 1.3 करोड़ से ज्यादा लोग देश छोड़कर भाग गए हैं या विस्थापित हो गए हैं।"

चेशिरकोव ने कहा कि सीरिया की सीमा से लगे या उसके करीब के देशों ने 56 लाख से ज्यादा सीरियाई शरणार्थियों की मेजबानी की है। ये देश अब खासकर कोरोना महामारी के विनाशकारी सामाजिक-आर्थिक प्रभाव के कारण बढ़े हुए वित्तीय दबाव में हैं।

चेशिरकोव ने चेतावनी दी, "आज, इस क्षेत्र में अधिकांश सीरियाई शरणार्थी गरीबी में रहते हैं। उनमें से सबसे कमजोर लोगों के लिए संभावनाएं गंभीर हैं।"

उन्होंने कहा, लेबनान में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है, जहां 90 प्रतिशत से ज्यादा सीरियाई अत्यधिक गरीबी में रहते हैं।

सीरिया के अंदर 69 लाख से ज्यादा लोग अभी तक विस्थापित हैं और देश में 1.46 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है।

चेशिरकोव ने कहा कि 2021 में देश के सभी घरों में से 3 चौथाई ने कहा कि वे अपनी सबसे बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते।

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