चीन पर टैरिफ को लेकर ट्रंप का यू-टर्न, बिजिंग पहल करे तो शुल्क पर बात करने का दिया संकेत

ट्रंप ने कहा कि चीन की इकोनॉमी इस वक्त संकट में है। वहां फैक्ट्रियों में कामकाज बुरी हालत में है। एक्सपोर्ट के ऑर्डर गिर गए हैं। इससे पहले ट्रंप ने अमेरिकी सामान बेचने वाले सभी देशों पर 10% टैरिफ लगाया था, लेकिन चीन पर टैरिफ बढ़ाते-बढ़ाते 145% तक कर दिया था।

चीन पर टैरिफ को लेकर ट्रंप का यू-टर्न, बिजिंग पहल करे तो शुल्क पर बात करने का दिया संकेत
चीन पर टैरिफ को लेकर ट्रंप का यू-टर्न, बिजिंग पहल करे तो शुल्क पर बात करने का दिया संकेत
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नवजीवन डेस्क

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर टैरिफ को लेकर यू-टर्न लेने का संकेत दिया है। ट्रंप ने इशारा दिया है कि वे चीन पर लगाए गए टैरिफ को कम कर सकते हैं। उन्होंने ये माना कि मौजूदा टैरिफ दरें इतनी ज्यादा हैं कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं ने एक-दूसरे के साथ व्यापार करना ही बंद कर दिया है। ट्रंप ने एनबीसी के एक शो में कहा कि किसी भी समय मैं चीन पर टैक्स घटा दूंगा, क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया तो उनके साथ व्यापार करना मुमकिन नहीं होगा और वे व्यापार करना चाहते हैं।

ट्रंप ने कहा कि चीन की इकोनॉमी इस वक्त मुश्किल में है। वहां फैक्ट्रियों में कामकाज 2023 के बाद से सबसे बुरी हालत में है। एक्सपोर्ट के ऑर्डर भी काफी गिर गए हैं। इससे पहले अपनी अमेरिका फर्स्ट नीति के तहत ट्रंप ने अमेरिका में सामान बेचने वाले सभी देशों पर 10% टैरिफ लगाया था, लेकिन चीन पर टैरिफ बढ़ाते-बढ़ाते 145% तक कर दिया था। बदले में चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी सामानों पर 125% तक टैरिफ लगा दिया था।

ट्रंप नहीं करेंगे बातचीत की शुरुआत

हालांकि, इस इंटरव्यू में ट्रंप ने माना कि चीन पर टैरिफ का असर पड़ा है, वहां फैक्ट्रियां बंद हो रही हैं और बेरोजगारी काफी बढ़ गई है, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि बातचीत शुरू करने के लिए वो पहल नहीं करेंगे। जब एंकर ने पूछा कि क्या आप चीन से बातचीत शुरू करने के लिए टैरिफ हटाने वाले हैं? इस पर ट्रंप ने जवाब दिया, मैं ऐसा क्यों करूं? ट्रंप ने ये भी कहा कि बीजिंग की तरफ से हाल में कुछ अच्छे संकेत मिले हैं, लेकिन उन्होंने दोहराया कि अमेरिका और चीन के बीच कोई भी डील तभी होगी जब वो बराबरी की होगी।

चीन ने भी बातचीत के दिए संकेत

ट्रंप के ताजा बयान से पहले चीन ने भी शुक्रवार को पहली बार संकेत दिए कि वो अमेरिका के साथ बातचीत के लिए तैयार है और वो अमेरिका के साथ ट्रेड डील की संभावना तलाश रहा है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका की ट्रेड बातचीत की पेशकश पर चीन विचार कर रहा है, लेकिन बातचीत तभी शुरू होगी जब ट्रंप एकतरफा तौर पर लगाए गए टैरिफ को खत्म करेंगे।


टैरिफ वॉर से अमेरिका-चीन दोनों को नुकसान

अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर ने वित्तीय बाजारों को हिलाकर रख दिया है और इससे मैन्युफैक्चरिंग के साथ-साथ कपड़े और खिलौनों जैसी सस्ती चीजों की कीमतें बढ़ने का खतरा है, जिन पर कई अमेरिकी निर्भर रहते हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की फैक्ट्रियों में कामकाज 2023 के बाद से सबसे बुरी हालत में हैं। एक्सपोर्ट के ऑर्डर भी काफी गिर गए हैं। ये गिरावट दिसंबर 2022 के बाद से सबसे ज्यादा है। इससे पहले ऐसा अप्रैल 2022 में हुआ था जब शंघाई पूरी तरह लॉकडाउन में चला गया था।

चीन ने बोइंग से विमानों की डिलीवरी लेने से मना किया

पिछले महीने चीन ने अपनी एयरलाइन कंपनियों को अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग से नए विमानों की डिलीवरी नहीं लेने के आदेश दिए थे। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने अमेरिका में बनने वाले विमान के पार्ट्स और डिवाइसेस की खरीद रोकने का आदेश भी दिया है। चीन ने यह आदेश अमेरिका के 145% टैरिफ लगाने के जवाब में जारी किया था। बोइंग एक अमेरिकी कंपनी है, जो एयरप्लेन, रॉकेट, सैटेलाइट, टेलीकम्युनिकेशन इक्विपमेंट और मिसाइल बनाती है। कई देशों की एयरलाइंस कंपनियां बोइंग के बनाए प्लेन का इस्तेमाल करती हैं। बोइंग अमेरिका की सबसे बड़ी एक्सपोर्टर कंपनी है और यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी डिफेंस डील करने वाली कंपनी भी है।


चीन ने कीमती मेटल्स की आपूर्ति भी रोकी

चीन ने अमेरिका से इस ट्रेड वॉर के बीच 7 कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के निर्यात पर भी रोक लगा दी है। चीन ने कार, ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक असेंबल करने के लिए जरूरी मैग्नेट यानी चुंबकों के शिपमेंट भी चीनी बंदरगाहों पर रोक दिए हैं। ये मटेरियल ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और एयरोस्पेस बिजनेस के लिए जरूरी हैं। इस फैसले से दुनिया भर में मोटरव्हीकल, एयरक्राफ्ट, सेमीकंडक्टर और हथियार बनाने वाली कंपनियों पर असर पड़ा है। चीन ने 4 अप्रैल को इन 7 कीमती धातुओं के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। आदेश के मुताबिक ये कीमती धातुएं और उनसे बने खास चुंबक सिर्फ स्पेशल परमिट के साथ ही चीन से बाहर भेजे जा सकते हैं।

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