तालिबान की मदद कर बुरा फंसा पाकिस्तान! आतंकी संगठन की जीत में उसकी भूमिका की होगी गहरी जांच, लग सकता है प्रतिबंध

रिपब्लिकन सीनेटरों ने अमेरिकी सीनेट में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें अफगानिस्तान में तालिबान की जीत और अशरफ गनी के नेतृत्व वाले शासन को खदेड़ने में मदद करने वालों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर 'गहरी जांच' की मांग की गई है।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

रिपब्लिकन सीनेटरों ने अमेरिकी सीनेट में एक विधेयक पेश किया है, जिसमें अफगानिस्तान में तालिबान की जीत और अशरफ गनी के नेतृत्व वाले शासन को खदेड़ने में मदद करने वालों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर 'गहरी जांच' की मांग की गई है। जियो टीवी ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि विधेयक (बिल) 2001 और 2020 के बीच तालिबान के लिए पाकिस्तान सरकार सहित राष्ट्र और गैर-राष्ट्र एक्टर्स द्वारा समर्थन, अभयारण्य स्थान, वित्तीय सहायता, खुफिया सहायता, रसद और चिकित्सा सहायता, प्रशिक्षण, उपकरण, सामरिक, परिचालन या रणनीतिक दिशा आदि के प्रावधान का मूल्यांकन चाहता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'अफगानिस्तान काउंटर टेररिज्म, ओवरसाइट, एंड एकाउंटेबिलिटी एक्ट' एक टास्क फोर्स की स्थापना करना चाहता है, जो अमेरिकी नागरिकों, कानूनी स्थायी निवासियों और अफगानिस्तान से विशेष अप्रवासी वीजा धारकों की निरंतर निकासी पर ध्यान केंद्रित करेगा।"

22 अमेरिकी रिपब्लिकन सीनेटरों द्वारा पेश किया गया, बिल अफगान वापसी से संबंधित मुद्दों से निपटने का प्रयास करने के लिए है, जैसे कि आतंकवाद विरोधी रणनीति और देश में कथित मानवाधिकारों के हनन के लिए तालिबान को मंजूरी देना।


इसके साथ ही इस बिल में विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के परामर्श से, उपयुक्त कांग्रेस समितियों को तालिबान को सहायता प्रदान करने वाली संस्थाओं पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात भी कही गई है।

प्रस्तावित विधेयक में विदेश मंत्री से मांग की गई है कि उनकी निगरानी में रक्षा मंत्री और नेशनल इंटेलिजेंस सब साथ मिलकर इस पर विस्तृत रिपोर्ट दें। इसके साथ ही यह भी मांग की गई है कि यह रिपोर्ट संबंधित समितियों के पास तक "इस विधेयक के कानून बनने के कम से कम 180 दिनों तक और अधिकतम एक साल के अंदर तक पहुंच जानी चाहिए।"

इसमें वो पहली रिपोर्ट शामिल करने के लिए कहा गया है जो कि पाकिस्तान सरकार समेत स्टेट और नॉन स्टेट एक्टर्स के समर्थन का आंकलन करे, जिसने 2001 से 2020 के बीच तालिबान को समर्थन दिया है।

आईएएनएस के इनपुट के साथ

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