बीजिंग की चेतावनियों के बावजूद ताइवान पहुंची US स्पीकर नैंसी पेलोसी, नाराज चीन ने सैन्‍य अभ्‍यास का किया ऐलान

पेलोसी बाइडेन और कमला हैरिस के बाद अमेरिकी सरकार में तीसरे सर्वोच्च रैंकिंग अधिकारी हैं। नैंसी के ताइवान दौरे को चीन ने अमेरिका की उकसाने वाली कार्रवाई बताया और कहा, इस दौरे ने चीन-अमेरिका रिश्ते को गंभीर नुकसान पहुंचाया है।

फोटो: @SpeakerPelosi
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नवजीवन डेस्क

अमेरिका की हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी चीन की कड़ी चेतावनियों के बावजूद मंगलवार को ताइवान पहुंच गईं, जिससे वह 25 वर्षों में द्वीप का दौरा करने वाली सर्वोच्च अमेरिकी अधिकारी बन गईं। समाचार एजेंसी डीपीए ने बताया, "पेलोसी की अमेरिकी वायु सेना संचालित बोइंग सी-40सी मंगलवार को ताइपे के सोंगशान हवाई अड्डे पर उतरी, जो उनके पांच देशों के एशिया दौरे के तीसरे और सबसे विवादास्पद चरण की शुरूआत है।"

उधर, यात्रा से बीजिंग काफी नाराज हो गया है, जो स्व-शासित द्वीप को एक अलग क्षेत्र के रूप में देखता है। आपको बता दें, पेलोसी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बाद अमेरिकी सरकार में तीसरे सर्वोच्च रैंकिंग अधिकारी हैं। नैंसी पेलोसी और कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने ताइवान पहुंचने पर एक बयान जारी किया।

बयान में क्या कहा गया है?

  • बयान में कहा गया कि हमारे कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल की ताइवान यात्रा ताइवान के जीवंत लोकतंत्र का समर्थन करने के लिए अमेरिका की अटूट प्रतिबद्धता का सम्मान करती है।

  • "हमारी यात्रा सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान सहित भारत-प्रशांत की हमारी व्यापक यात्रा का हिस्सा है- आपसी सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी और लोकतांत्रिक शासन पर केंद्रित है।

  • ताइवान नेतृत्व के साथ हमारी चर्चा हमारे साथी के लिए हमारे समर्थन की पुष्टि और एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को आगे बढ़ाने सहित हमारे साझा हितों को बढ़ावा देने पर करने पर केंद्रित होगी।"

  • बयान में आगे कहा गया है कि "ताइवान के 23 मिलियन लोगों के साथ अमेरिका की एकजुटता आज पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि दुनिया निरंकुशता और लोकतंत्र के बीच एक विकल्प का सामना कर रही है।"

नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर क्या बोला चीन?

उधर, चीन ने इसे अमेरिका की उकसाने वाली कार्रवाई बताया है। चीन विदेश मंत्री ने कहा, इस दौरे ने चीन और अमेरिका के रिश्ते को गंभीर नुकसान पहुंचाया है। पेलोसी के ताइवान पहुंचने से चीन ने मिसाइल टेस्‍ट और सैन्‍य अभ्‍यास का ऐलान किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "संयुक्त राज्य अमेरिका... 'वन चाइना' सिद्धांत को लगातार विकृत, अस्पष्ट और खोखला कर रहा है।" बयान में कहा गया है कि, "ये चालें आग से खेलने जैसी बेहद खतरनाक हैं। जो आग से खेलेंगे वे नष्ट हो जाएंगे।

  • चीन का कहना है कि इस यात्रा का चीन-अमेरिका के राजनीतिक संबंधों पर गहरा असर पड़ा है और यह चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का गंभीर उल्‍लंघन है। यह ताइवान जलडमररूमध्‍य (Taiwan Strait) में शांति और स्थिरता को कमजोर करता है और "ताइवान स्‍वतंत्रता" के लिए अलगाववादी ताकतों को गलत संदेश भेजता है। जहां तक चीन की बात है, वह इसका पुरजोर विरोध करता है और कड़ी निंदा करता है। हमने अमेरिका के समक्ष इसको लेकर कड़ा विरोध जताया है।

  • चीन का कहना है कि उसे (चीन को) नियंत्रित करने के लिए अमेरिका, ताइवान का इस्‍तेमाल करने का प्रयास कर रहा है। यह "एक चीन" के सिद्धांत को विकृत करता है, ताइवान के साथ आधिकारिक आदान-प्रदान को बढ़ाता है और "ताइवान की स्‍वतंत्रता" के लिए अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देता है।

  • बीजिंग की ओर से कहा गया है, "चीन और अमेरिका दो प्रमुख देश हैं। इनके लिए एक-दूसरे के बाद पेश आने का सही तरीका आपसी सम्‍मान, शांतिपूर्ण सह-अस्तित्‍व, कोई टकराव नहीं और आपसी सहयोग में निहित है। ताइवान, पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है और किसी अन्‍य देश को इस पर जज की तरह पेश आने का अधिकार नहीं है। हम, अमेरिका से "ताइवान कार्ड" खेलने से बाज आने और चीन को रोकने के लिए ताइवान को इस्‍तेमाल नहीं करने का आग्रह करता है।

पेलोसी की उड़ान से पहले चीनी लड़ाकू विमानों ने भरी थी उड़ान

चीनी राज्य टेलीविजन ने बताया कि चीनी एसयू-35 लड़ाकू विमानों ने पेलोसी की उड़ान से पहले संकीर्ण ताइवान जलडमरूमध्य में उड़ान भरी, जो द्वीप को मुख्य भूमि से अलग करता है। गौरतलब है कि बीजिंग ने संयुक्त राज्य अमेरिका को चेतावनी दी थी कि अगर पेलोसी ने दौरा किया तो बहुत गंभीर स्थिति और परिणाम होंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने सोमवार को बीजिंग में प्रेस को बताया कि इस तरह की यात्रा चीन के आंतरिक मामलों में स्पष्ट हस्तक्षेप होगी चीनी पक्ष सभी घटनाओं के लिए व्यापक रूप से तैयार है।

IANS
IANS

चीन और ताइवान की जंग किस बात पर है?

1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी। तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी। चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है। दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई। उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी।

1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया। हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए। उसी साल चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा।

चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा। वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है। उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है।ताइवान चीन के दक्षिण पूर्व तट से करीब 100 मील दूर एक आइसलैंड है। चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते। अभी दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं।

(IANS के इनपुट के साथ)

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