पाकिस्तान में होगी इमरान की वापसी! उपचुनाव में सबको चौंकाया, 8 में से 6 सीट पर किया कब्जा

विश्लेषकों का मानना है कि जनता के बीच इमरान खान की अत्यधिक लोकप्रियता और सरकार के खिलाफ समग्र अभियान ने सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल पार्टियों को बैकफुट पर धकेल दिया है।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने नेशनल असेंबली के उपचुनाव में आठ सीटों में से छह पर जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया है। छह नेशनल असेंबली सीटों पर इमरान खान की जीत ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के लिए निश्चित रूप से खतरे की घंटी बजा दी है, क्योंकि उपचुनाव को इमरान और गठबंधन सरकार के बीच सीधी राजनीतिक लड़ाई के रूप में देखा जा रहा था।

हालांकि, उपचुनाव में इमरान खान की पार्टी कराची में हार गई। पीटीआई उम्मीदवार मेहर बानो कुरैशी मुल्तान में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अली मूसा गिलानी से उपचुनाव हार गईं। कराची में इमरान की हार का दावा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के हकीम बलूच ने भी किया था।

वहीं इमरान खान की पीटीआई ने खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांत के मर्दन, चारसद्दा और पेशावर, पंजाब प्रांत के फैसलाबाद और ननकाना साहिब और सिंध प्रांत के कोरंगी जिले में जीत हासिल की है। उनकी पार्टी ने पंजाब प्रांतीय विधानसभा के उपचुनाव में भी से कम से कम दो सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि सत्ताधारी पार्टी पीएमएल-एन को सिर्फ एक सीट मिली।


इमरान खान के सत्ताविरोधी अभियान को पूरे पाकिस्तान में फैलाने के प्रयासों के निश्चित रूप से बेहतर परिणाम सामने आए हैं और इससे उनका यह दावा पुख्ता हुआ है कि वह इस समय देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। कई लोगों ने कहा कि इमरान कम से कम 13 राजनीतिक दलों के गठबंधन के खिलाफ अकेले सेनानी थे। गठबंधन के उम्मीदवार लगभग सभी निर्वाचन क्षेत्रों में हारने के बाद शर्मिदा हैं।

पीटीआई ने कहा है कि इमरान खान नेशनल असेंबली के सदस्य के तौर पर शपथ नहीं लेंगे और एमएनए के रूप में संसद भी नहीं जाएंगे। उनकी जीत ने इस दावे की पुष्टि की है कि इस समय गठबंधन सरकार संसद में समग्र रूप से पाकिस्तानी राष्ट्र का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।

इमरान खान ने देश में आम चुनाव की घोषणा जल्द करने की मांग बार-बार की है। हालांकि, मौजूदा गठबंधन सरकार ने खान की मांग पूरी करने से इनकार कर दिया है। खान को अविश्वास मत के जरिए प्रधानमंत्री पद से हटाया गया था। विश्लेषकों का मानना है कि जनता के बीच खान की अत्यधिक लोकप्रियता और सरकार के खिलाफ समग्र अभियान ने सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल पार्टियों को बैकफुट पर धकेल दिया है।

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