दुनियाः अमेरिका के 22 प्रांतों ने ट्रंप के इस आदेश के खिलाफ केस किया और नेपाल में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई हुई मंहगी

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के कुछ ही घंटों के भीतर व्हाइट हाउस की वेबसाइट से स्पेनिश-भाषा के पेज को हटा दिया गया है। संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी भाग का बड़ा हिस्सा भयंकर 'शीतकालीन तूफान' का सामना कर रहा है।

अमेरिका के 22 प्रांतों ने ट्रंप के इस आदेश के खिलाफ केस किया और नेपाल में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई हुई मंहगी
अमेरिका के 22 प्रांतों ने ट्रंप के इस आदेश के खिलाफ केस किया और नेपाल में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई हुई मंहगी
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नवजीवन डेस्क

अमेरिका के 22 प्रांतों ने ट्रंप के इस आदेश के खिलाफ केस किया

अमेरिका के 22 प्रांतों के अटॉर्नी जनरल (शीर्ष विधि अधिकारी) ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस शासकीय आदेश के खिलाफ मंगलवार को मुकदमा दायर किया जिसके तहत देश में जन्म लेने पर किसी भी व्यक्ति को स्वत: नागरिकता मिल जाने के सौ साल पुराने आव्रजन नियम को खत्म करने के लिए कदम उठाया गया है। इस नियम के तहत यदि किसी व्यक्ति का जन्म अमेरिका में हुआ है तो जन्म के आधार पर उसे अमेरिकी नागरिकता मिल जाती थी, भले ही उनके माता-पिता किसी और देश के हों।

सोमवार को जारी ट्रंप का लगभग 700 शब्दों का कार्यकारी आदेश, राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान उनके द्वारा किये गये वादे को पूरा करना है। लेकिन यह निश्चित नहीं है कि ट्रंप का यह कदम सफल होगा या नहीं, क्योंकि राष्ट्रपति की आव्रजन नीतियों और नागरिकता के संवैधानिक अधिकार पर कानूनी लड़ाई लंबी चलने वाली है।

डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरल और प्रवासियों के अधिकार के पैरोकारों का कहना है कि जन्मजात नागरिकता को लेकर स्थापित कानून है और यद्यपि राष्ट्रपतियों के पास व्यापक अधिकार होते हैं, लेकिन वे राजा नहीं होते। न्यूजर्सी के अटॉर्नी जनरल मैट प्लैटकिन ने कहा कि राष्ट्रपति अपने आदेश के जरिए इस व्यवस्था को समाप्त नहीं कर सकते। वहीं व्हाइट हाउस (राष्ट्रपति निवास एवं कार्यालय) ने कहा कि वह अदालत में प्रांतों का सामना करने के लिए तैयार है और ये मुकदमे ‘वामपंथियों के प्रतिरोध से ज्यादा कुछ नहीं’ है।

नेपाल ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए परमिट शुल्क बढ़ाया

नेपाल सरकार ने माउंट एवरेस्ट या माउंट कोमोलांगमा पर चढ़ाई के परमिट शुल्क बढ़ा दिया है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। विदेशियों के लिए चढ़ाई शुल्क 11,000 डॉलर से बढ़ाकर 15,000 डॉलर कर दिया गया, जो 36 प्रतिशत की वृद्धि है। संस्कृति, पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक अफसर माधव अधिकारी ने कहा, "नई दर 1 सितंबर, 2025 से प्रभावी होगी।" उन्होंने सिन्हुआ को बताया, "इस वसंत में माउंट कोमोलंगमा पर चढ़ने की इच्छा रखने वालों को बढ़ी हुई फीस नहीं देनी होगी।"

इस बीच, नेपाल और चीन के बीच स्थित दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने की योजना बनाने वालों को पतझड़ के मौसम में 5,500 डॉलर की जगह 7,500 डॉलर का भुगतान करना होगा। सर्दियों और मानसून के मौसम के लिए शुल्क 2,750 डॉलर से बढ़कर 3,750 डॉलर हो गया है। नेपाली पर्वतारोहियों के लिए, शुल्क 75,000 नेपाली रुपये (लगभग 545 डॉलर) से दोगुना होकर 150,000 रुपये (लगभग 1,090 डॉलर) हो गया है। नेपाल ने आखिरी बार 1 जनवरी 2015 को पर्वतारोहण परमिट शुल्क में संशोधन किया था।

माउंट एवरेस्ट, जिसे स्थानीय रूप से सागरमाथा या कोमोलंगमा के नाम से जाना जाता है, समुद्र तल से ऊपर पृथ्वी का सबसे ऊंचा पर्वत है। इसकी ऊंचाई (बर्फ की ऊंचाई) 8,848.86 मीटर है, जिसे हाल ही में चीनी और नेपाली अधिकारियों द्वारा 2020 में स्थापित किया गया था। माउंट एवरेस्ट कई पर्वतारोहियों को आकर्षित करता है, जिनमें अत्यधिक अनुभवी पर्वतारोही भी शामिल हैं। इसके दो मुख्य चढ़ाई मार्ग हैं, एक नेपाल में दक्षिण-पूर्व से शिखर तक पहुंचता है (जिसे 'स्टैंडर्ड रूट' के रूप में जाना जाता है) और दूसरा तिब्बत में उत्तर से। स्टैंडर्ड रूट पर चढ़ाई की कोई बड़ी तकनीकी चुनौती नहीं है हालांकि एवरेस्ट में ऊंचाई से होने वाली बीमारी, मौसम और हवा के साथ-साथ हिमस्खलन और खुंबू हिमपात जैसे खतरे भी मौजूद है।


व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर स्पेनिश भाषा का पेज बंद

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण के कुछ ही घंटों के भीतर, नए प्रशासन ने आधिकारिक व्हाइट हाउस वेबसाइट के स्पेनिश-भाषा के पेज को हटा दिया। इस साइट के स्पेनिश पेज पर जाने पर यूजर्स को 'एरर 404' मैसेज मिलता है। इसमें एक 'गो होम' बटन भी शामिल था जो यूजर को ट्रंप के पहले कार्यकाल और अभियान के दौरान के वीडियो मोंटाज वाले पेज पर ले जाता था। बाद में बटन को 'गो टू होम पेज' में अपडेट किया गया जो यूजर को व्हाइट हाउस के होमपेज पर ले जाता है। व्हाइट हाउस के स्पेनिश एक्स अकाउंट को भी बंद कर दिया गया है।

इस बीच, श्रम, न्याय और कृषि विभाग जैसी अन्य सरकारी एजेंसियों के स्पेनिश संस्करण मंगलवार को यूजर्स के लिए उपलब्ध रहे। अमेरिका स्पेनिश भाषा बोलने वाला हिस्पेनिक समुदाय इससे निराश है। मीडिया रिपोट्स के मुताबिक हिस्पैनिक ग्रुप्स और अन्य लोगों ने अचानक हुए बदलाव पर भ्रम व्यक्त किया और प्रशासन द्वारा लैटिनो समुदाय के साथ संवाद बनाए रखने के प्रयासों की कमी पर निराशा जाहिर की। ऐसा माना जाता है कि हिस्पैनिक समुदाय ने इस बार चुनाव में ट्रंप को बड़े स्तर पर समर्थन दिया है।

अमेरिका में अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू, चार बांग्लादेशी गिरफ्तार

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बनने के बाद से स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों ने सोमवार को अवैध अप्रवासियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू कर दी। इसी सिलसिले में अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) ने न्यूयॉर्क में चार बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया। बांग्लादेश के प्रमुख दैनिक प्रोथोम एलो ने बुधवार को बताया कि चारों बांग्लादेशियों को न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन बरो के फुल्टन इलाके से आईसीई ने गिरफ्तार किया।

रिपोर्ट के मुताबिक ट्रंप के शपथ लेने और आव्रजन से संबंधित कार्यकारी आदेशों की एक श्रृंखला पारित करने के बाद से अवैध अप्रवासी 'डर' में जी रहे हैं। अखबार ने बताया कि 'यह देखा गया है कि बंगाली बहुल इलाकों में सड़कें और रेस्तरां, जहां पहले लोगों की बड़ी भीड़ हुआ करती थी, अब लगभग पूरी तरह से खाली हैं। सुरक्षा व्यवस्था पहले से ही मजबूत कर दी गई है।'

रिपोर्ट में न्यूयॉर्क में अप्रवासियों के साथ काम करने वाली कानून प्रवर्तन अधिकारी खदीजा मुंतहा रुबा के हवाले से कहा गया कि बिना दस्तावेज वाले बांग्लादेशियों को उस समय गिरफ्तार किया गया जब वे इलाके में 'घूम रहे थे।' मुंतहा ने बांग्लादेशियों को सतर्क रहने की सलाह दी और कहा कि अगर किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी के सदस्य उनसे पूछताछ करते हैं तो उन्हें सहयोग करना चाहिए। उन्हें किसी और के वर्क परमिट के साथ काम करना बंद कर देना चाहिए। इस मुश्किल समय में उन्हें अनावश्यक पुलिस या अन्य विवादों, परेशानियों में नहीं पड़ना चाहिए।


'शीतकालीन तूफान' की चपेट में अमेरिका का दक्षिणी हिस्सा

संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी भाग का बड़ा हिस्सा 'शीतकालीन तूफान' का सामना कर रहा है। इसमें टेक्सास, लुइसियाना और फ्लोरिडा शामिल हैं। इस तूफान में भारी बर्फबारी, ओले और बर्फीली हवाएं चल रही हैं। ऐसे में यहां यातायात के लिहाज से खतरनाक हालात बन गए हैं। तूफान से 235 मिलियन लोग प्रभावित हुए हैं। वहीं यूएस नेशनल वेदर सर्विस (एनडब्ल्यूएस) ने इसे "हाल में आने वाला सबसे भीषण तूफान" बताया है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पहली बार एनडब्ल्यूएस ने दक्षिणी लुइसियाना और पूर्वी टेक्सास के कुछ हिस्सों के लिए बर्फ़ीले तूफ़ान की चेतावनी जारी की। यहां भारी बर्फबारी और तेज़ हवाओं के कारण व्हाइटआउट जैसी स्थिति बन गई। एनडब्ल्यूएस ने यात्रा करने से बचने की सलाह दी गई है।

मंगलवार को पूरे क्षेत्र में स्कूल, सरकारी दफ्तर, कई दुकानें और रेस्तरां बंद रहे। कई सड़कें बर्फ से ढकी हुई थीं। मंगलवार सुबह ठंडी हवाओं की वजह से खाड़ी तट पर तापमान कम हुआ और उत्तरी टेक्सास में तापमान में गिरावट दर्ज की गई। फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट फ्लाइटअवेयर के मुताबिक, मंगलवार को टेक्सास और लुइसियाना से आने वाली 2,100 से ज्यादा उड़ानें रद्द कर दी गईं। तूफान के कारण मिसिसिपी, अलबामा और फ्लोरिडा के कई हवाई अड्डों पर भी उड़ानें रद्द या रोकी गईं। टेक्सास और लुइसियाना में खाड़ी तट के प्रमुख रास्तों को विषम परिस्थितियों की वजह से मंगलवार को बंद कर दिया गया।

टेक्सास के सबसे बड़े शहर ह्यूस्टन में तीन से छह इंच तक बर्फबारी हुई। दक्षिणी लुइसियाना के कुछ हिस्सों में मंगलवार दोपहर तक आधे फुट से ज्यादा बर्फ गिर चुकी थी। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, लुइसियाना के रेने के उत्तर में एक जगह पर दोपहर से पहले 10.5 इंच बर्फ गिर चुकी थी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि मंगलवार सुबह टेक्सास के तट पर रेतीले समुद्र तट भी बर्फ से ढके हुए थे। लुइसियाना, जॉर्जिया, अलबामा, फ्लोरिडा और मिसिसिपी जैसे खाड़ी तट के राज्यों के गवर्नरों ने इस तूफान से निपटने के लिए आपातकाल की घोषणा की है।

ट्रंप के आदेश से 25,000 से अधिक अफगानियों का भविष्य अंधेरे में

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शरणार्थी कार्यक्रम को निलंबित करने का कार्यकारी आदेश जारी किया है। उनके इस कदम ने पाकिस्तान में रहने वाले हजारों अफगानों के भाग्य पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है। अमेरिकी शरणार्थी कार्यक्रम के तहत अफगानिस्तान से भागकर पाकिस्तान में रह रहे 25,000 से अधिक अफगान नागरिकों को अंततः अमेरिका में बसाया जाना था। ये वे लोग थे जो तालिबान शासित अफगानिस्तान से भागकर पाकिस्तान में आए थे और वर्षों से अमेरिका में पुनर्वास का इंतजार कर रहे थे। पाकिस्तान सरकार और बाइडेन प्रशासन के बीच हुए समझौते के अनुसार, दोनों देशों के बीच यह सहमति बनी थी कि 25,000 से अधिक अफगानों को बाद में अमेरिका में बसाया जाएगा। इनमें से अधिकांश ने अगस्त 2021 में तालिबान के काबुल की सत्ता पर कब्जे से पहले अमेरिकी सेना और उसके ठेकेदारों के साथ काम किया था इस्लामाबाद को शुरू में उम्मीद थी कि यह समझौता अफगान नागरिकों के देश में अस्थायी प्रवास के लिए होगा।

हालांकि, पिछले साढ़े तीन वर्षों से इस पर कोई प्रगति नहीं हुई है। वरिष्ठ रणनीतिक विश्लेषक कामरान यूसुफ ने कहा, "बाइडेन प्रशासन ने पाकिस्तान को आश्वासन दिया था कि विशेष अप्रवासी वीजा (एसआईवी) और अमेरिकी शरणार्थी प्रवेश कार्यक्रम (यूएसआरएपी) जैसी पहलों के माध्यम से अफगानों को फिर से बसाया जाएगा। लेकिन अब, ट्रम्प के कार्यकारी आदेश के बाद, पूरी प्रक्रिया बाधित हो गई है।" यह भी बताया गया है कि अमेरिकी सरकार ने अपने परिवारों के साथ अमेरिका में पुनर्वास के लिए कम से कम 1,660 अफगानों के वीजा निलंबित कर दिए गए। एक अधिकारी ने कहा, "यह ट्रंप के अमेरिकी शरणार्थी कार्यक्रम को निलंबित करने के आदेश के तुरंत बाद हो रहा है।" वाशिंगटन के इस फैसले ने अब पाकिस्तान में इन अफगान नागरिकों के भाग्य को खतरे में डाल दिया है।

सोसाइटी फॉर ह्यूमन राइट्स एंड प्रिजनर्स एड (एसएचएआरपी) के अध्यक्ष सैयद लियाकत बनोरी ने कहा, "इन दुर्भाग्यपूर्ण अफगानों को अब कई समस्याओं और गंभीर मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। वे पाकिस्तान में हैं, एक ऐसा देश जो अवैध अफगानों को उनके देश वापस भेज रहा है। अफगानिस्तान में, इन लोगों को गिरफ्तार किए जाने और मारे जाने का खतरा है क्योंकि अफगान तालिबान उन सभी लोगों के खिलाफ है जिन्होंने अगस्त 2021 से पहले अमेरिकी सेना के साथ काम किया था।" पाकिस्तान सरकार के सूत्रों ने भी नवीनतम घटनाक्रम पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। एक अधिकारी ने कहा, "हमें पता था कि राष्ट्रपति ट्रंप के कार्यभार संभालने के बाद यह शरणार्थी कार्यक्रम जांच के दायरे में आ सकता है, लेकिन नए प्रशासन ने जिस तरह से इस पर कार्रवाई की है, वह आश्चर्यजनक है।"

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