दुनियाः अफ्रीका में कई समस्याओं से जूझ रहे 5.1 करोड़ बच्चे और 7 तीव्रता के भूकंप से दहला कैलिफोर्निया
दक्षिणी लेबनान के एक सीमावर्ती गांव को निशाना बनाकर इजरायल ने हवाई हमले किए। जिसमें पांच लोग घायल हो गए। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अहमदिया अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यापारी की कथित तौर पर उनकी आस्था के कारण कुल्हाड़ी से हमला कर हत्या कर दी गई।

अफ्रीका में कई समस्याओं से जूझ रहे 5.1 करोड़ बच्चे
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में कई समस्याओं से जूझ रहे 5.1 करोड़ बच्चों की सहायता के लिए 1.2 अरब डॉलर की मदद मांगी है। ये बच्चे जलवायु, स्वास्थ्य आपात स्थिति, संघर्ष और आर्थिक प्रभावों समेत कई संकटों का सामना कर रहे हैं। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, यूनिसेफ ने कहा कि यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 60 लाख बढ़ गया है, जो मानवीय स्थिति के और बिगड़ने का संकेत देता है।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने एक बयान में कहा, "यह धनराशि उसे क्षेत्र में वंचित बच्चों और समुदायों की जरूरत के लिए है, जहां 6.3 लाख से अधिक लोग स्वास्थ्य आपात स्थितियों से प्रभावित हैं। यूनिसेफ की क्षेत्रीय निदेशक एटलेवा काडिली ने कहा, "पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में लाखों बच्चे असाधारण चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, हम आशा के साथ कार्रवाई और निवेश को प्राथमिकता देकर बच्चों को अवसर देने की दिशा में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
यूनिसेफ ने कहा, "सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों में बढ़ोतरी दर्ज की गई। बढ़ती जनसंख्या के साथ इस क्षेत्र में संक्रामक रोगों की समस्या बढ़ी है, जिसमें एमपॉक्स, मारबर्ग, हैजा, मलेरिया, खसरा और पोलियो जैसी बीमारियां हैं। यूनिसेफ ने कहा कि क्षेत्र में हर तीसरा बच्चा भोजन की कमी का सामना कर रहा है और 2.8 करोड़ बच्चे घटते खाद्य उत्पादन और बढ़ते कुपोषण के दुष्चक्र में फंसे हैं। संयुक्त राष्ट्र एजेंसी के अनुसार, पूरे क्षेत्र में नामांकन दरों में सुधार के बावजूद, शिक्षा तक बच्चों की पहुंच बहुत खराब है, लगभग 4.7 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र के बच्चे वैश्विक शिक्षा संकट का हिस्सा हैं और 10 वर्ष की आयु तक के 90 फीसदी बच्चे साधारण पाठ भी नहीं पढ़ पाते। यूनिसेफ ने कहा, "बाढ़ और सूखे जैसे जलवायु प्रभावों के साथ-साथ पड़ोसी देशों में बढ़ते संघर्ष के कारण समस्याओं में वृद्धि दर्ज की गई है। अप्रैल 2023 से 10 अक्टूबर 2024 तक 4,15,000 बच्चों समेत 8,26,000 से अधिक लोग युद्ध ग्रस्त इलाकों से भागकर सूडान आए हैं।"
7 तीव्रता के भूकंप के तेज झटकों से दहला कैलिफोर्निया
उत्तरी कैलिफोर्निया के कुछ हिस्सों में 7.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिसके बाद अस्थायी रूप से सुनामी की चेतावनी जारी करनी पड़ी। उत्तरी कैलिफोर्निया और सैन फ्रांसिस्को खाड़ी के कुछ तटीय क्षेत्रों को खाली भी कराना पड़ा। युनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (यूएसजीएस) के मुताबिक नॉर्दर्न कैलिफोर्निया के तटीय क्षेत्र में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.0 दर्ज की गई। भूकंप के यह झटके स्थानीय समय के अनुसार गुरुवार की सुबह 10.44 बजे महसूस किए गए हैं। शुरुआत में इसकी तीव्रता 6.6 बताई गई लेकिन बाद में इसे अपग्रेड कर 7.0 बताया गया।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, भूकंप का केंद्र 0.6 किलोमीटर की गहराई पर था। ये उत्तरी कैलिफोर्निया के हम्बोल्ट काउंटी के 1,000 से अधिक की आबादी वाले शहर फर्नडेल से लगभग 100 किमी उत्तर-पश्चिम में के एक तटीय क्षेत्र में आया। भूकंप आने के कुछ ही मिनटों बाद यूएस नेशनल वेदर सर्विस (एनडब्ल्यूएस) द्वारा कैलिफोर्निया के 5.3 मिलियन लोगों के लिए सुनामी की चेतावनी जारी की गई। इसे लेकर येलो अलर्ट जारी किया गया जो मामूली नुकसान को लेकर सतर्क करता है। हालांकि बाद में इसे वापस भी ले लिया गया।
भूकंप के झटकों का असर सैन फ्रांसिस्को तक भी पहुंचा। जिसकी वजह से (सैन फ्रांसिस्को बे एरिया) सैन फ्रांसिस्को और ऑकलैंड को जोड़ने वाली पानी के नीचे की सुरंग के माध्यम से गुजरने वाली सभी पारागमन सेवाओं को अस्थायी रूप से रोक दिया गया। इसके अतिरिक्त, नॉर्दन कैलिफोर्निया के निवासियों ने बताया कि उन्होंने भूकंप के तेज झटके महसूस किए। बारह से ज्यादा बार झटके महसूस किए गए। फिलहाल किसी के हताहत होने या किसी प्रकार के नुकसान की खबर नहीं आई है।
लेबनान के गांव पर इजरायल ने बरसाए बम, 5 लोग घायल
दक्षिणी लेबनान के एक सीमावर्ती गांव को निशाना बनाकर इजरायल ने हवाई हमले किए। जिसमें पांच लोग घायल हो गए। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की। लेबनान की समाचार वेबसाइट एलनाश्रा ने गुरुवार शाम को बताया, इजरायली सेना ने ऐतरौन गांव में कई घरों पर बम गिराए, जिससे वे तबाह हो गए। इस बीच, इजरायली सैन्य वाहन दक्षिणी शहर ऐन अरब के केंद्र की ओर बढ़े और फिर वाटा खियाम क्षेत्र की ओर जाने वाली सड़क पर तैनात हो गए।
सिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, इसमें यह भी कहा गया कि इजरायली सैनिकों ने कफर किला गांव के बाहर ताल नहास क्षेत्र से सीमावर्ती गांव वजानी की ओर जाने वाली सड़क को बुलडोजर से गिरा दिया। इसके साथ ही कफर किला और वजानी के बीच अन्य क्षेत्रों की ओर जाने वाली तथाकथित "एयरपोर्ट रोड" को भी ध्वस्त कर दिया। लेबनान की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी ने बताया कि बेरूत और उसके दक्षिणी उपनगरों के ऊपर कम ऊंचाई पर एक इजरायली ड्रोन उड़ता हुआ देखा गया।
बता दें कि अमेरिका और फ्रांस द्वारा मध्यस्थता किया गया युद्ध विराम 27 नवंबर को प्रभावी हुआ। इसका उद्देश्य इजरायल और लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह के बीच लगभग 14 महीने से चल रही लड़ाई को रोकना था। समझौते के तहत, दोनों पक्ष 60 दिनों के लिए शत्रुता समाप्त करने पर सहमत हुए, जिसमें इजरायल धीरे-धीरे दक्षिणी लेबनान से अपनी सेना वापस ले लेगा और हिजबुल्लाह लिटानी नदी के उत्तर में पीछे हट जाएगा। युद्ध विराम के बावजूद, तनाव कम नहीं हुआ है। दोनों पक्ष अपनी बात पर अड़े हैं और युद्धविराम उल्लंघन का आरोप एक दूसरे पर लगाते रहते हैं। इससे समझौते के टिके रहने की संभावनाएं कम होती जा रही हैं।
पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के एक व्यापारी की हत्या
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अहमदिया अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यापारी की कथित तौर पर उनकी आस्था के कारण कुल्हाड़ी से हमला कर हत्या कर दी गई। पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। पुलिस के अनुसार 40 वर्षीय तैय्यब अहमद लाहौर से लगभग 275 किलोमीटर दूर रावलपिंडी शहर में अपने भाई की दुकान पर मौजूद थे, जब एक अज्ञात व्यक्ति ने उन पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि अहमद को अस्पताल ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गई। पुलिस ने शुरुआती जांच में कहा कि ऐसा लगता है कि अहमद की हत्या उसकी आस्था के कारण की गई है। अहमद के भाई ताहिर कमर के अनुसार कुछ दिन पहले धार्मिक चरमपंथियों के एक समूह ने उनकी दुकान पर पत्थर फेंककर हमला किया था और अहमदिया होने के कारण उन्हें यह जगह छोड़ने की चेतावनी दी थी।
चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार मिला
चिली की पूर्व राष्ट्रपति और मानवाधिकारों की वैश्विक पैरोकार मिशेल बाचेलेत को शांति, निरस्त्रीकरण (हथियारों को कम करने) और विकास के लिए 2024 का 'इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है। यह घोषणा भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और विदेश सचिव शिवशंकर मेनन की अध्यक्षता वाली एक अंतर्राष्ट्रीय जूरी द्वारा की गई। बयान में कहा गया, "2024 के लिए शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए 'इंदिरा गांधी पुरस्कार' महामहिम मिशेल बाचेलेत को दिया जाता है। वे दुनिया भर की महिलाओं और पुरुषों के लिए कठिन परिस्थितियों में शांति, लैंगिक समानता, मानवाधिकार, लोकतंत्र और विकास के लिए लगातार प्रयास करने और चिली के साथ भारत के संबंधों में उनके योगदान के लिए एक उदाहरण और प्रेरणा हैं।"
वेरोनिका मिशेल बाचेलेत जेरिया को शांति, असमानता के खिलाफ लड़ने और मानवाधिकारों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। अपने शानदार करियर में, उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है। इसमें यूएन महिला की संस्थापक निदेशक, मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त और चिली की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में दो कार्यकाल शामिल है। उन्होंने लगातार लैंगिक असमानता और हाशिए पर पड़े समुदायों के अधिकारों की वकालत की है, जिससे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अमिट छाप छोड़ी है।
29 सितंबर, 1951 को चिली के सैंटियागो प्रांत के ला सिस्टर्ना में पैदा होने वाली बाचेलेत को जनरल ऑगस्टो पिनोशे की तानाशाही के दौरान महत्वपूर्ण व्यक्तिगत और राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 1973 में अपनी गिरफ्तारी, कारावास और यातना के बाद उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और बाद में जर्मनी में निर्वासित जीवन बिताया था। बिना किसी बाधा के, वह चिली के राजनीतिक परिवर्तन में योगदान देने के लिए वापस लौट आईं और 2006 और फिर 2014 में राष्ट्रपति चुनी गईं। राष्ट्रपति पद पर रहते हुए, बाचेलेत ने शिक्षा और कर संबंधी सुधार किए । उनके कार्यकाल में भारत और चिली के बीच एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर भी हुए, जिससे द्विपक्षीय संबंध बढ़े।
राष्ट्रपति पद से परे, मिशेल बाचेलेत ने 2010 से 2013 तक यूएन महिला की पहली निदेशक के रूप में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व किया। बाद में, 2018 से 2022 तक मानवाधिकारों के लिए यूएन उच्चायुक्त के रूप में, उन्होंने फिलिस्तीन और अन्य संघर्ष क्षेत्रों में मानवाधिकारों के हनन सहित महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों को मुखर रूप से संबोधित किया। एलजीबीटीक्यू अधिकारों, लोकतंत्र और प्रगतिशील मूल्यों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता ने उन्हें दुनिया भर में एक प्रेरणादायक शख्सियत बना दिया है। आलोचनाओं का सामना करने के बावजूद, वह शांति और न्याय के लिए लड़ती रही हैं। बता दें कि 'इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार' लैंगिक समानता, लोकतंत्र और विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ भारत-चिली संबंधों को मजबूत करने में बाचेलेत के असाधारण योगदान को मान्यता देता है।
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