दुनियाः कैमरून की फिर कमान संभालेंगे 92 साल के पॉल बिया और इजरायल को गाजा में तुर्की सेना मंजूर नहीं

इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड्स क्षेत्र में भारतीय मूल की 20 वर्षीय एक युवती से सप्ताहांत में उसकी ‘नस्ल’ के कारण बलात्कार किया गया। स्थानीय समुदायों का कहना है कि पीड़िता पंजाबी भाषी है।

कैमरून की फिर कमान संभालेंगे 92 साल के पॉल बिया और इजरायल को गाजा में तुर्की सेना मंजूर नहीं
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नवजीवन डेस्क

कैमरून की फिर कमान संभालेंगे 92 साल के पॉल बिया

कैमरून की जनता ने देश की कमान 92 साल के पॉल बिया को सौंप दी है। राष्ट्रपति चुनाव के बाद दो हफ्तों की उथल-पुथल चर्चा में रही। बिया ने 53.66 फीसदी वोट हासिल किए, जबकि उनके विरोधी ने जीत का दावा किया था। इस जीत के साथ एक और ताज पॉल बिया के माथे पर सजा है। वे दुनिया के सबसे उम्रदराज राष्ट्राध्यक्ष बन गए हैं। जनता ने आठवीं बार उन पर भरोसा जताया है। इसके साथ ही स्थानीय मीडिया का दावा है कि वे लगभग 100 साल की उम्र तक पद पर बने रह सकते हैं। कैमरून न्यूज एजेंसी के अनुसार, देश की संवैधानिक परिषद ने बताया कि बिया को 53.66 फीसदी वोट मिले, जबकि उनके पूर्व सहयोगी और अब विरोधी इस्सा चिरोमा बकारी को 35.19 फीसदी वोट मिले।

92 साल के बिया ने 1982 में पद संभाला था और तब से उन्होंने सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखी है। उन्होंने 2008 में राष्ट्रपति पद की समय सीमा खत्म कर दी थी और बड़े अंतर से दोबारा चुनाव जीता था। बिया 1960 में फ्रांस से आजादी के बाद कैमरून का नेतृत्व करने वाले दूसरे राष्ट्राध्यक्ष हैं। उन्होंने सख्ती से शासन किया है, सभी राजनीतिक और सशस्त्र विरोध को दबाया है, और सामाजिक उथल-पुथल, आर्थिक असमानता और अलगाववादी हिंसा के बावजूद सत्ता पर अपनी पकड़ बनाए रखी है।

बिया के विरोधी चिरोमा ने 12 अक्टूबर को हुए चुनाव के दो दिन बाद ही जीत का दावा किया था। उन्होंने एक आंकड़ा पेश किया था जिसमें दिखाया गया था कि उन्हें 54.8 फीसदी जबकि बिया को 31.3 फीसदी वोट मिले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर संवैधानिक परिषद "गलत और तोड़-मरोड़कर पेश किए गए नतीजे" घोषित करती है तो विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे। सत्तारूढ़ कैमरून पीपल्स डेमोक्रेटिक मूवमेंट ने उनके दावों को खारिज कर दिया और उनसे आधिकारिक नतीजों का इंतजार करने को कहा था।

चुनाव के मद्देनजर, पिछले कुछ हफ्तों से कैमरून में तनाव का माहौल था। रविवार को आर्थिक राजधानी डुआला में सुरक्षा बलों और विपक्षी दल के समर्थकों के बीच हुई झड़पों में चार लोग मारे गए थे। राजधानी याउंडे के साथ-साथ कैमरून के अन्य हिस्सों जैसे बाफौसम और डुआला, जो देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में से हैं, वहां भी विरोध प्रदर्शन हुए। सप्ताहांत में सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में, चिरोमा ने दावा किया कि सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उनके घर में घुसने की कोशिश की थी।

इजरायल को गाजा में तुर्की सेना मंजूर नहीं

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बाद इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने भी स्पष्ट किया है कि वे 20 सूत्रीय शांति योजना के तहत गाजा में 'किसी भी देश की सेना' को बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें तुर्की की सेना मंजूर नहीं है। हंगरी के बुडापेस्ट में अपने समकक्ष पीटर सिज्जार्टो से मुलाकात के बाद उन्होंने ये बातें कहीं। विदेश मंत्री गिदोन सार ने कहा कि इजरायल, फिलिस्तीनी इलाके में युद्ध को हमेशा के लिए खत्म करने के अमेरिकी प्लान के तहत गाजा में तुर्की की सेना की मौजूदगी को मंजूर नहीं करेगा। सार ने कहा, "जो देश सेना भेजना चाहते हैं या तैयार हैं, उन्हें कम से कम इजरायल के प्रति निष्पक्ष होना चाहिए।"

कभी तुर्की और इजरायल के रिश्ते बहुत अच्छे हुआ करते थे, लेकिन अब ये काफी तल्ख हैं। तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने इजरायल के गाजा पर किए हवाई और जमीनी हमलों की कड़ी आलोचना की थी और उसके कामों की तुलना नाजियों से करते हुए देश पर नरसंहार का आरोप लगाया था। एर्दोगन हमास आतंकी समूह के खुले समर्थक रहे हैं। सार ने पीटर सिज्जार्टो के सामने कहा, "एर्दोगन के नेतृत्व में तुर्की ने इजरायल के खिलाफ दुश्मनों सरीखा व्यवहार किया है। न केवल बयानों में तल्खी झलकी है, बल्कि डिप्लोमैटिक और आर्थिक स्तर पर भी रवैया नकारात्मक ही रहा है, इसलिए यह सही नहीं है कि हम उनकी सेना को गाजा पट्टी में घुसने दें। हम इससे सहमत नहीं हैं और हमने यह बात अपने अमेरिकी दोस्तों से भी कह दी है।" इ

ससे पहले इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी कहा था कि इजरायल यह तय करेगा कि ट्रंप की शांति योजना के तहत गाजा में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय बलों में किन देशों के सैनिकों को अनुमति दी जाएगी। नेतन्याहू ने अपनी कैबिनेट को बताया था कि अपनी सुरक्षा के प्रति हम खुद जिम्मेदार हैं। यह इजरायल तय करेगा कि कौन से अंतरराष्ट्रीय बल हमारे लिए अस्वीकार्य हैं।


ब्रिटेन में भारतीय मूल की युवती से ‘नस्ल’ के कारण रेप

इंग्लैंड के वेस्ट मिडलैंड्स क्षेत्र में भारतीय मूल की 20 वर्षीय एक युवती से सप्ताहांत में उसकी ‘नस्ल’ के कारण बलात्कार किया गया। स्थानीय समुदायों का कहना है कि पीड़िता पंजाबी भाषी है। पुलिस ने बताया कि शनिवार शाम हुई घटना के बाद आरोपी की तलाश के लिए अभियान शुरू किया गया था और सोमवार सुबह बलात्कार के संदेह में 32 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। ‘वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस’ के अनुसार उसे शनिवार शाम वॉलसॉल के पार्क हॉल क्षेत्र में सड़क पर एक युवती के संकट में होने की सूचना मिली।मामले की जांच का नेतृत्व कर रहे ‘डिटेक्टिव सुपरिंटेंडेंट’ रोनन टायरर ने क्षेत्र के पेरी बार इलाके में हुई गिरफ्तारी को महत्वपूर्ण बताया। टायरर ने कहा, ‘‘हमारी जांच में आज प्रगति हुई और हमेशा की तरह हमारी प्राथमिकता वह युवती है जिस पर यह हमला हुआ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पीड़िता को आज सुबह ही जानकारी दे दी गई है और उन्हें विशेष रूप से प्रशिक्षित अधिकारियों से पूरा सहयोग मिलता रहेगा।’’

पुलिस ने रविवार को संदिग्ध की सीसीटीवी फुटेज जारी करते हुए लोगों से अपराध के संबंध में जानकारी देने की अपील की थी। पुलिस इस अपराध को ‘‘नस्ली हमला’’ मानकर इसकी जांच कर रही है। पुलिस के अनुसार, हमलावर की उम्र लगभग 30 वर्ष है, वह श्वेत पुरुष है, छोटे बाल रखता है और हमले के वक्त काले कपड़ों में था। टायरर ने कहा, ‘‘यह युवती पर एक बेहद भयावह हमला था। हमारी टीम साक्ष्य एकत्र कर रही हैं और आरोपी की पहचान करने पर काम कर रही हैं।’’

स्थानीय समुदायों का कहना है कि पीड़िता पंजाबी भाषी है। यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब कुछ सप्ताह पहले पास के ओल्डबरी क्षेत्र में एक ब्रिटिश सिख महिला से भी उसकी ‘नस्ल’ के कारण बलात्कार किए जाने की घटना सामने आयी थी। डीएस टायरर ने कहा कि फिलहाल दोनों मामलों को आपस में जोड़ा नहीं गया है। वॉलसॉल पुलिस के ‘चीफ सुपरिंटेंडेंट’ फिल डॉल्बी ने कहा कि समुदाय में भय और चिंता की भावना है इसलिए इलाके में पुलिस की उपस्थिति बढ़ाई जाएगी। ‘सिख फेडरेशन यूके’ ने बताया कि वॉलसॉल की पीड़िता पंजाबी महिला है और आरोपी ने उसके घर का दरवाजा तोड़कर वारदात को अंजाम दिया।

दो साल बाद दक्षिणी इजरायल से हटेगा आपातकाल

इजरायल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने 27 अक्टूबर 2025 को एक अहम ऐलान किया है। दो साल बाद, यानी 7 अक्टूबर 2023 के हमास के हमले के बाद पहली बार, दक्षिणी इजरायल में लगाए गए विशेष आपातकाल को समाप्त करने का फैसला लिया गया है। यह कदम इजरायली डिफेंस फोर्सेस की सिफारिश पर उठाया गया है। इस “स्पेशल सिचुएशन” की वजह से सेना की होम फ्रंट कमांड को लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाने और इलाकों को बंद करने की इजाजत मिली थी। इसे 7 अक्टूबर की सुबह पूरे देश में घोषित किया गया था, लेकिन तब से यह सिर्फ दक्षिण में ही लागू था। यह आदेश कल खत्म हो जाएगा, और दो साल से ज्यादा समय में पहली बार इजरायल में कोई सक्रिय “स्पेशल सिचुएशन” नहीं होगी।

काट्ज ने एक बयान में कहा, “मैंने आईडीएफ की सिफारिश को मानने और 7 अक्टूबर के बाद पहली बार होम फ्रंट में स्पेशल सिचुएशन को हटाने का फैसला किया है।” उन्होंने कहा कि “यह फैसला देश के दक्षिण में नई सुरक्षा स्थिति को दिखाता है, जो पिछले दो सालों में हमास के खिलाफ हमारी बहादुर सेना के पक्के और ताकतवर कामों की वजह से हासिल हुई है।”

ये फैसला ऐसे वक्त किया गया है जब गाजा शांति योजना का पहला चरण पूरा हो गया है। अमेरिका की पहल पर हुए युद्धविराम के बावजूद भी इजरायली सेना ने शनिवार-रविवार की रात युद्धविराम तोड़ते हुए गाजा पट्टी के मध्य भाग में ड्रोन हमला कर एक व्यक्ति को मार गिराया। इजरायली सेना ने इसे टारगेट किलिंग बताया। कहा कि इसमें इस्लामिक जिहाद ग्रुप के प्रमुख कमांडर को मारा गया जो इजरायली सेना पर हमले की योजना में शामिल था। हमास के बाद आईजेजी दूसरा प्रमुख सशस्त्र संगठन है। इस बीच बंधक शवों को लेकर फिर गाजा को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया गया है। वो अब तक 15 शव लौटा चुका है अभी 13 का कुछ पता नहीं चला है। इस बीच मिस्र के साथ मिलकर भारी मशीनों से शवों को खोजने का काम जारी है।


बांग्लादेश में दो यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच हिंसक झड़प, 50 स्टूडेंट घायल

बांग्लादेश में यूनुस की अंतरिम सरकार में अराजकता का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। सोमवार तड़के ढाका के अशुलिया क्षेत्र में डैफोडिल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और सिटी यूनिवर्सिटी के छात्रों के बीच हिंसक झड़प हो गई। इस हिंसक झड़प में कम से कम 50 छात्र घायल हो गए। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार दोनों पक्षों के बीच बार-बार हुए हमलों, तोड़फोड़ और आगजनी से भारी नुकसान हुआ है। इस हिंसक झड़प का सबसे ज्यादा खामियाजा सिटी यूनिवर्सिटी को भुगतना पड़ा है। छात्रों ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों पर अशांति के दौरान सहायता प्रदान करने में विफल रहने का आरोप लगाया।

चश्मदीदों के हवाले से बांग्लादेशी दैनिक ढाका ट्रिब्यून ने बताया कि रविवार शाम को तनाव तब शुरू हुआ, जब सिटी यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने अपनी मोटरसाइकिल से थूका और डैफोडिल यूनिवर्सिटी के छात्र से टकरा गया। इसी को लेकर दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों के बीच बहस बढ़ गई। इस घटना के बाद स्थानीय हथियारों और ईंटों से लैस सिटी यूनिवर्सिटी के लगभग 40-50 छात्रों ने डैफोडिल यूनिवर्सिटी के छात्रों के आवास पर हमला कर दिया और तोड़फोड़ की। हमले के वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर प्रसारित हुए तो डैफोडिल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के एक हजार से ज्यादा छात्र इकट्ठा हुए और सिटी यूनिवर्सिटी की ओर मार्च शुरू कर दिया।

सोमवार तड़के डैफोडिल यूनिवर्सिटी के छात्रों ने सिटी यूनिवर्सिटी परिसर में धावा बोल दिया, छात्रों को अंदर बंद कर दिया और संपत्ति में तोड़फोड़ शुरू कर दी। उन्होंने प्रशासनिक भवन से कंप्यूटर और अन्य कीमती सामान लूट लिया। तीन बसों और एक निजी कार में आग लगा दी, और पांच अन्य वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया। इस दौरान देसी बम का भी इस्तेमाल किया गया। इस झड़प में दोनों पक्षों के 50 से ज्यादा छात्र घायल हो गए। सिटी यूनिवर्सिटी के एक छात्र के अनुसार, सोमवार सुबह तक परिसर के कई हिस्सों में आग लगी थी। दोनों विश्वविद्यालयों के छात्र एक-दूसरे का पीछा करते रहे।