दुनियाः बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार ने इस्तीफा दिया और रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने का आह्वान
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने सैन्य सेवा के शीर्ष अधिकारियों को हटा दिया है। उन्हें लगता है कि वे इस काम के लिए ‘योग्य’ नहीं थे। ब्रिटेन ने कांगो संकट में भूमिका के लिए रवांडा को दी जाने वाली सहायता रोकने और राजनयिक प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी है।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार ने इस्तीफा दिया
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सूचना सलाहकार और छात्र आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक नाहिद इस्लाम ने मंगलवार को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने जुलाई में हुए विद्रोह में शामिल कार्यकर्ताओं द्वारा एक नयी राजनीतिक पार्टी शुरू करने से पहले यह कदम उठाया है। इस्लाम ने मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस को अपना त्यागपत्र सौंपने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा, “देश में मौजूदा स्थिति को देखते हुए एक नई राजनीतिक ताकत का उदय आवश्यक है। मैंने जनांदोलन को मजबूत करने के लिए सड़कों पर बने रहने के वास्ते सलाहकार परिषद से इस्तीफा दे दिया है।”
शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार को उखाड़ फेंकने वाले जुलाई विद्रोह के प्रमुख समन्वयकों में से एक, नाहिद ने कहा कि सरकार में बने रहने की तुलना में सड़क पर उनकी भूमिका अधिक महत्वपूर्ण प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि वह लोकतांत्रिक परिवर्तन के लिए लोगों की आकांक्षाओं के लिए काम करना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने सलाहकार के पद से इस्तीफा दे दिया। वह प्रभावी रूप से सूचना एवं प्रसारण तथा डाक एवं दूरसंचार के दो विभागों वाले मंत्री थे। पिछले साल पांच अगस्त को छात्र आंदोलन ने बड़े पैमाने पर विद्रोह का नेतृत्व किया था, जिसने लंबे समय से प्रधानमंत्री रही शेख हसीना की सरकार को गिरा दिया था। तीन दिन बाद, यूनुस ने अंतरिम सरकार की कमान संभाली। इस्लाम आंदोलन के तीन प्रतिनिधियों में से एक थे, जिन्हें सलाहकार परिषद में शामिल किया गया था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने का आह्वान
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अमेरिका द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव को स्वीकार किया, जिसमें संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने तथा रूस और यूक्रेन के बीच स्थायी शांति का आग्रह किया गया, जबकि दुनिया ने संकट के पूर्ण रूप से बढ़ने की तीसरी वर्षगांठ मनाई। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्ताव के पक्ष में 10 वोट पड़े, जबकि इसके विरुद्ध कोई वोट नहीं पड़ा, तथा फ्रांस, ब्रिटेन, डेनमार्क, ग्रीस और स्लोवेनिया सहित पांच लोगों ने मतदान में भाग नहीं लिया। दस्तावेज में दोहराया गया कि संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उद्देश्य, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में व्यक्त किया गया है, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना तथा विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना है।
प्रस्ताव में संघर्ष को शीघ्र समाप्त करने की अपील की गई है लेकिन रूस को दोषी ठहराए बिना युद्ध में हुई जानमाल की हानि पर शोक व्यक्त किया गया। संयुक्त राष्ट्र में कार्यवाहक अमेरिकी राजदूत डोरोथी शिया ने परिषद को बताया कि यह प्रस्ताव 'शांति समझौता' नहीं है, बल्कि 'शांति का मार्ग' है। संयुक्त राष्ट्र की राजनीतिक और शांति निर्माण मामलों की अवर महासचिव रोज़मेरी डिकार्लो ने सुरक्षा परिषद की बैठक के दौरान कहा, "यूक्रेन में शांति के लिए यह सही समय है", साथ ही उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यूक्रेन में शांति "न्यायसंगत, टिकाऊ और व्यापक" होनी चाहिए।
इससे पहले दिन में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अमेरिकी मसौदे को अस्वीकार कर दिया और यूक्रेन और यूरोपीय सहयोगियों द्वारा प्रस्तुत एक प्रस्ताव पारित किया, जो यूक्रेन की संप्रभुता, स्वतंत्रता, एकता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करता है और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप न्यायसंगत, स्थायी और व्यापक शांति का आह्वान करता है। यूएनजीए ने अमेरिकी प्रस्ताव को भी पारित किया, लेकिन केवल तभी जब इसमें यूक्रेन का समर्थन करने वाली भाषा को शामिल करने के लिए संशोधन किया गया, जिसके कारण अमेरिका ने मतदान में भाग नहीं लिया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत बाध्यकारी हैं।
अमेरिकी रक्षा मंत्री हेगसेथ ने शीर्ष सैन्य अधिकारियों को हटाया
अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने सोमवार को कहा कि उन्होंने सैन्य सेवा के लिए शीर्ष अधिकारियों को हटा दिया है क्योंकि उन्हें लगता है कि वे इस काम के लिए ‘‘योग्य’’ नहीं थे।सऊदी अरब के रक्षा मंत्री के साथ एक बैठक से पहले हेगसेथ ने उस सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया जिसमें उनसे पूछा गया था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अगले संयुक्त प्रमुख अध्यक्ष के रूप में एक सेवानिवृत्त जनरल का चयन क्यों किया, जबकि वह इस कार्य के लिए कानूनी योग्यता को पूरा नहीं करते हैं।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को अचानक चेयरमैन, वायु सेना जनरल सीक्यू ब्राउन जूनियर को निकाल दिया और इसके बाद हेगसेथ ने नौसेना संचालन की प्रमुख नेवी एडमिरल लिसा फ्रैंचेटी, वायु सेना के उपाध्यक्ष एयरफोर्स जनरल जेम्स स्लिफ को पद से हटा लिया। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए न्यायाधीश महाधिवक्ता (जेएजी) की नौकरियों के लिए ‘‘नामांकन का अनुरोध’’ किया है।
उन्होंने वकीलों के नाम नहीं बताए। नेवी जेएजी, वाइस एडमिरल क्रिस्टोफर फ्रेंच लगभग दो महीने पहले सेवानिवृत्त हुए थे और उनके स्थान पर उपयुक्त व्यक्ति की तलाश पहले से ही की जा रही थी। आर्मी जेएजी, लेफ्टिनेंट जनरल जोसेफ बी. बर्जर तृतीय और एयर फोर्स जेएजी लेफ्टिनेंट जनरल चार्ल्स प्लमर को सेवा से हटा दिया गया है। हालांकि इन निष्कासनों के लिए कोई विशिष्ट कारण नहीं बताया गया है।
वैज्ञानिकों ने मंगल पर तीन अरब साल पुराने समुद्र तट की खोज की
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के ‘मैरिनर-9’ अंतरिक्ष यान से 1970 के दशक में हासिल तस्वीरों ने मंगल पर पानी से बनी सतहों की मौजूदगी का खुलासा किया था। इसी के साथ वैज्ञानिकों के लिए लंबे समय से अबूझ पहेली रही यह गुत्थी सुलझ गई थी कि लाल ग्रह पर कभी पानी मौजूद था या नहीं। तब से इस बात के कई प्रमाण मिले हैं कि मंगल पर एक दौर में पानी की अहम भूमिका हुआ करती थी। उदाहरण के लिए, मंगल ग्रह के उल्कापिंडों के अध्ययन में वहां 4.5 अरब साल पहले पानी की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। पिछले कुछ वर्षों में लाल ग्रह पर बने ‘इंपैक्ट क्रेटर’ (किसी क्षुद्रग्रह या उल्कापिंड के किसी ग्रह या चंद्रमा जैसी विशाल ठोस वस्तु की सतह से टकराने पर बनने वाला गड्ढा) भी वहां सतह के नीचे बर्फ की मौजूदगी के संकेत देते हैं।
आज के समय में मंगल को लेकर सबसे ज्यादा कौतुहल का विषय यह है कि लाल ग्रह पर पानी कब आया, यह कितनी मात्रा में उपलब्ध था और वहां कितने समय तक रहा। वैज्ञानिक इस बात का पता लगाने की कोशिशों में भी जुटे हैं कि क्या लाल ग्रह पर कभी महासागर हुआ करते थे? ‘पीएनएएस’ पत्रिका में मंगलवार को छपे एक नये अध्ययन में ऐसे कुछ सवालों के जवाब देने की कोशिश की गई है। गुआंगझाउ विश्वविद्यालय के जियानहुई ली के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन में चीनी और अमेरिकी शोधकर्ताओं की एक टीम ने चीन के राष्ट्रीय अंतरिक्ष प्रशासन के मंगल यान ‘झुरोंग’ से मिले डेटा का विश्लेषण किया।
कांगो संकट को लेकर सवालों के घेरे में रवांडा, ब्रिटेन का किगाली के खिलाफ बड़ा कदम
ब्रिटेन ने मंगलवार को कहा कि वह रवांडा को दी जाने वाली कुछ द्विपक्षीय सहायता रोक देगा और पड़ोसी कांगो के संकट में किगाली की भूमिका के कारण उस पर अन्य राजनयिक प्रतिबंध लगाएगा। रवांडा पर इस समय वैश्विक दबाव है। उस पर आरोप है कि वह एम23 समूह का समर्थन करता है, जिसने जनवरी से ही गोमा और बुकावु शहरों सहित पूर्वी कांगो के बड़े हिस्से और बहुमूल्य खनिज भंडारों पर कब्जा कर लिया है। किगाली ने इस एम23 समूह को समर्थन देने से इनकार किया है, लेकिन कहा कि उसके अपने सैनिक कांगो स्थित शत्रुतापूर्ण समूहों के खिलाफ आत्मरक्षा में कार्रवाई कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटिश सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि जब तक शत्रुता समाप्त करने में महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हो जाती और कांगो क्षेत्र से सभी रवांडा रक्षा बलों की वापसी नहीं हो जाती, तब तक ब्रिटेन कार्रवाई करता रहेगा। ब्रिटेन कार्रवाई के तहत - रवांडा सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में उच्च स्तरीय उपस्थिति को समाप्त करना, रवांडा के साथ व्यापार संवर्धन गतिविधि को सीमित करना; रवांडा सरकार को प्रत्यक्ष द्विपक्षीय वित्तीय सहायता को रोकना, सबसे गरीब और सबसे कमजोर लोगों की मदद को छोड़कर।
बयान में कहा गया कि ब्रिटेन संभावित नए प्रतिबंधों पर साझेदारों के साथ समन्वय करेगा, रवांडा को भविष्य में दी जाने वाली रक्षा प्रशिक्षण सहायता को निलंबित करेगा और रवांडा रक्षा बल के लिए निर्यात लाइसेंस की समीक्षा करेगा। ब्रिटेन सरकार के प्रवक्ता ने कहा, "रवांडा की सुरक्षा संबंधी चिंताएं हो सकती हैं, लेकिन इनका सैन्य तरीके से समाधान करना अस्वीकार्य है। इस संघर्ष का केवल राजनीतिक समाधान ही हो सकता है।" प्रवक्ता ने कहा, "हम डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (डीआरसी) को समावेशी वार्ता के हिस्से के रूप में एम23 के साथ जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। हम अपनी नीति की समीक्षा करते रहेंगे।"
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia