दुनियाः इजरायली डेलिगेशन गाजा समझौते पर वार्ता के लिए दोहा जाएगा और अमेरिकी मदद रूकने से यूक्रेन में संकट

स्वीडन में आज एक वयस्क शिक्षा केंद्र में पांच लोगों को गोली मार दी गई। स्वीडिश मीडिया के अनुसार, हमलावर ने भी खुदकुशी कर ली। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के हालात पर चर्चा के लिए दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीकी देशों के नेता तंजानिया में शिखर सम्मेलन में जुटेंगे।

इजरायली डेलिगेशन गाजा समझौते पर वार्ता के लिए दोहा जाएगा और अमेरिकी मदद रूकने से यूक्रेन में संकट
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नवजीवन डेस्क

गाजा समझौते पर बात के लिए दोहा जाएगा इजरायली डेलिगेशन

इजरायल गाजा युद्धविराम समझौते के अगले चरण पर बातचीत के लिए कतर में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने की तैयारी कर रहा है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने मंगलवार को एक बयान में जानकारी दी। बयान में कहा गया, "इजरायल इस सप्ताह के अंत में दोहा के लिए कार्यकारी प्रतिनिधिमंडल रवाना करने की तैयारी कर रहा है, ताकि समझौते के निरंतर कार्यान्वयन से संबंधित तकनीकी विवरणों पर चर्चा की जा सके।" अगले सप्ताह सुरक्षा मंत्रिमंडल की बैठक होने की उम्मीद है, जिसमें समझौते के दूसरे चरण के बारे में इजरायल की समग्र स्थिति पर चर्चा की जाएगी।

यह घोषणा वाशिंगटन में नेतन्याहू की अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्य पूर्व में विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के साथ हुई बैठकों के बाद की गई। नेतन्याहू मंगलवार को ट्रंप से भी मुलाकात करने वाले हैं। इजरायली पीएम के कार्यालय ने कहा कि चर्चाएं गाजा में युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों और नाजुक संघर्ष विराम पर केंद्रित होंगी। गाजा समझौते में 42 दिनों का शुरुआती चरण शामिल है, जिसके दौरान कुल 33 बंधकों और इजरायली जेलों में बंद सैकड़ों फिलिस्तीनियों को रिहा किया जाना है। दूसरे चरण को लागू करने पर बातचीत युद्ध विराम के 16वें दिन सोमवार को शुरू होनी थी। हालांकि, नेतन्याहू ने शनिवार को कहा कि वह वाशिंगटन में विटकॉफ और वाल्ट्ज से मिलने के बाद ही दोहा में वार्ता दल भेजेंगे।

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर युद्ध विराम समझौते के पहले चरण के बाद गाजा में लड़ाई फिर से शुरू करने का भारी राजनीतिक दबाव है। इजरायल सरकार की धुर दक्षिणपंथी मंत्री ने नेतन्याहू को हमास के साथ बंधकों की रिहाई और युद्ध विराम समझौते के दूसरे चरण को जारी रखने के खिलाफ चेतावनी दी है। बस्तियों और राष्ट्रीय परियोजनाओं की मंत्री ओरिट स्ट्रोक ने कहा कि 'अगर नेतन्याहू इस विनाशकारी दिशा में जाने का फैसला करते हैं' तो उनकी पार्टी 'यह सुनिश्चित करेगी कि सरकार का अस्तित्व बना रहे।' इससे पहले स्ट्रोक की धार्मिक जायोनिज्म पार्टी के नेता, वित्त मंत्री बेजेल स्मोट्रिच ने धमकी दी थी कि अगर इजरायल युद्ध विराम समझौते के मौजूदा 42-दिवसीय पहले चरण के अंत में हमास से लड़ाई फिर से शुरू नहीं करता है, तो वह गठबंधन छोड़ देंगे।

अमेरिकी मदद रूकने से यूक्रेन में मुसीबतें खड़ी हुईं

यूक्रेन के पाव्लोग्राड में एक कन्सर्ट हॉल लोगों से भरा हुआ है और यहां मंच पर चारपाई रखी हुई हैं। रूस के साथ यूक्रेन के लगभग तीन साल से चल रहे युद्ध के कारण बेघर हो चुके स्थानीय लोगों की सिसकियां हॉल में संगीत की जगह सुनाई दे रही हैं। रूसी सेना ने हाल में इलाके के कस्बों और गांवों को अपने शिकंजे में ले लिया है। पाव्लोग्राड कन्सर्ट हॉल को ऐसे स्थानीय नागरिकों के लिए एक अस्थायी केंद्र के रूप में तब्दील कर गया है, जहां लगातार रूसी बमबारी से बचकर भाग रहे लोग शरण ले रहे हैं। कटरीना ओद्राहा (83) ने कहा, ‘‘यहां सब अच्छा है। यहां खाना, गर्मी और नहाने-धोने की जगह है।’’ कटरीना वह भी दौर देख चुकी हैं जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उनके गांव पर नाज़ी जर्मन का कब्जा था।

लेकिन यह शरणस्थल अब खतरे में पड़ सकता है। इस आश्रय गृह को चलाने में प्रति माह 7,000 अमेरिकी डॉलर का खर्च आता है और इसका 60 प्रतिशत खर्च यूक्रेन की मदद के लिए भेजे गए अमेरिकी फंड से पूरा किया जा रहा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह अन्य देशों को अमेरिका द्वारा प्रदान की जाने वाली मानवीय सहायता को 90 दिनों के लिए स्थगित करने का जो निर्णय लिया था उसका असर कई देशों में महसूस किया गया। इस निर्णय से प्रभावित स्थानों में पूर्वी यूक्रेन में अग्रिम मोर्चे से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह शरणस्थली भी शामिल है।

ट्रंप के इस फैसले से हजारों अमेरिकी वित्तपोषित मानवीय, विकास और सुरक्षा कार्यक्रम तत्काल रूक गये। दुनिया भर में इसके परिणाम महसूस किये जा रहे हैं। परमार्थ संगठन ‘रिलीफ कोऑर्डिनेशन सेंटर’ द्वारा संचालित यहां इस ट्रांजिट सेंटर के समन्वयक इलिया नोविकोव ने कहा, ‘‘यह खबर अचानक और अप्रत्याशित थी। इस समय, हमें नहीं पता कि भविष्य में क्या होगा।’’


स्वीडन में एक वयस्क शिक्षा केंद्र में 5 लोगों को गोली मारी गई

स्वीडन में मंगलवार को एक वयस्क शिक्षा केंद्र में पांच लोगों को गोली मार दी गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। स्वीडिश समाचार एजेंसी ‘टीटी’ ने खबर दी कि हमलावर ने खुदकुशी कर ली। हालांकि, उसने इस खबर के सिलसिले में अपने स्रोत का खुलासा नहीं किया। पुलिस ने तत्काल इस खबर की पुष्टि नहीं की है, लेकिन वह प्रेसवार्ता करने वाली है। जिस वयस्क शिक्षा केंद्र में यह हमला हुआ, वह स्टॉकहोम से करीब 200 किलोमीटर दूर ऑरेब्रो शहर में है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि जिन पांच लोगों को गोली लगी, उनमें पुलिस हमलावर को भी गिन रही है या नहीं।

यह भी तत्काल साफ नहीं है कि जो लोग घायल हुए हैं, उनके घाव कितने गंभीर हैं। पुलिस ने कहा कि इस हिंसा में किसी अधिकारी को गोली नहीं लगी। घटनास्थल के वीडियो में मौके पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी और आपात वाहन नजर आ रहे हैं। इस घटनास्थल के समीप के भवनों में विद्यार्थी रहते हैं। गोलीबारी के बाद इस शिक्षा केंद्र के अन्य हिस्सों से लोगों को निकाल लिया गया। न्याय मंत्री गुन्नार स्ट्रॉमर ने बताया, ‘‘ऑरेब्रो में हिंसा की खबरें बहुत गंभीर हैं। पुलिस मौके पर है और अभियान तेजी से चल रहा है। सरकार पुलिस के साथ निकट संपर्क में है और घटनाक्रम पर करीब से नज़र रख रही है।’’

कांगो संकट पर तंजानिया में जुटेंगे अफ्रीकी देशों के नेता

दक्षिणी और पूर्वी अफ्रीकी देशों के नेताओं ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) के हालात पर चर्चा के लिए दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में शामिल होने का फैसला किया है। केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुटो ने सोमवार को यह जानकारी दी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, रुटो ने कहा कि पूर्वी डीआरसी में संघर्ष पर चर्चा के लिए दक्षिणी अफ्रीकी विकास समुदाय (एसएडीसी) और पूर्वी अफ्रीकी समुदाय (ईएसी) का संयुक्त शिखर सम्मेलन शुक्रवार और शनिवार को तंजानिया के दार एस सलाम में आयोजित किया जाएगा।

केन्या की राजधानी नैरोबी में जारी एक बयान में रुटो ने कहा, "राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन (तंजानिया) ने पूर्वी डीआरसी की स्थिति पर विचार-विमर्श करने के लिए शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने पर सहमति व्यक्त की है।" रूटो के अनुसार, डीआरसी के राष्ट्रपति फेलिक्स त्सेसीकेडी और रवांडा के राष्ट्रपति पॉल कागमे ने शिखर सम्मेलन में भाग लेने की पुष्टि की है। इससे पहले शुक्रवार को मंत्रिस्तरीय बैठक होगी। शनिवार को राष्ट्राध्यक्षों की बैठक होगी। जिन अन्य नेताओं ने भागीदारी की पुष्टि की है, उनमें दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी और सोमालिया के राष्ट्रपति हसन शेख मोहम्मद शामिल हैं।

29 जनवरी को ईएसी के राष्ट्राध्यक्षों ने पूर्वी डीआरसी में संघर्ष में शामिल सभी पक्षों से शत्रुता समाप्त करने और तत्काल बिना शर्त युद्धविराम की अपील की थी ताकि विस्थापित लोगों तक मानवीय मदद पहुंच सके। ईएसी के सदस्य देशों में बुरुंडी, केन्या, रवांडा, सोमालिया, दक्षिण सूडान, कांगो शामिल हैं। यह एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इस संगठन का उद्देश्य क्षेत्र में आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक एकता को बढ़ावा देना है। एसएडीसी नेताओं ने की ओर से 31 जनवरी को पूर्वी डीआरसी में शांति और सुरक्षा बहाल करने के लिए सभी पक्षों के बीच बातचीत का रास्ता अपनाने की अपील की गई। जिम्बाब्वे की राजधानी हरारे में आयोजित एसएडीसी राष्ट्राध्यक्ष और शिखर सम्मेलन के अंत में जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि संगठन ने चिंता व्यक्त की है कि हाल के हमलों से डीआरसी में सुरक्षा और मानवीय स्थित खराब हो रही है।


तुर्की पुलिस ने 46 आईएस संदिग्धों को हिरासत में लिया

तुर्की पुलिस ने मंगलवार को चार प्रांतों में एक अभियान के दौरान इस्लामिक स्टेट (आईएस) से कथित संबंधों के चलते 46 संदिग्धों को हिरासत में लिया। राज्य संचालित अनादोलु एजेंसी ने कहा कि यह ऑपरेशन इस्तांबुल के मुख्य लोक अभियोजक कार्यालय द्वारा की गई जांच का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य आईएस के वित्तीय नेटवर्क को नष्ट करना था। जांच में, अभियोजकों ने निर्धारित किया कि संदिग्धों ने संघर्ष क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों के साथ मिलकर 'संगठनात्मक गतिविधियों' में भाग लिया था। अधिकारियों ने अब तक 46 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है और एक व्यक्ति का पता लगाने के लिए प्रयास जारी रखे हुए हैं।

तुर्की लगातार आईएस के खिलाफ अभियान चला रहा है। देश के आंतरिक मंत्री अली येरलिकाया ने 28 जनवरी को कहा कि पिछले सप्ताह में इस्लामिक स्टेट (आईएस) के 100 संदिग्ध सदस्यों को हिरासत में लिया गया। मंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा कि 'गुर्ज-41' और 'गुर्ज-42' नामक अभियान राजधानी अंकारा और तुर्की के सबसे अधिक आबादी वाले शहर इस्तांबुल सहित 24 प्रांतों में चलाए गए। मंत्री ने कहा कि अधिकारियों ने पाया कि संदिग्ध संगठन के भीतर गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे। ग्रुप को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे थे और सोशल मीडिया पर आतंकवादी संगठन के लिए प्रचार कर रहे थे।

सिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक येर्लिकाया ने कहा कि पुलिस ने छापेमारी के दौरान संगठनात्मक दस्तावेज और डिजिटल सामग्री जब्त की। तुर्की ने 2013 में आईएस को आतंकवादी संगठन घोषित किया था और देश में हुए कई घातक हमलों के लिए इसे जिम्मेदार ठहराया था। अंकारा ने इसके सदस्यों और गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए देश और विदेश में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए हैं।

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