दुनियाः बिम्सटेक में हो सकती है मोदी और यूनुस की मुलाकात और नेतन्याहू ने गाजा युद्धविराम खत्म करने की दी धमकी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को फ्रांस की अपनी दो दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद अमेरिका के लिए रवाना हो गए। दिसंबर 2024 में बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद से अब तक 2,70,000 से अधिक सीरियाई शरणार्थी अपने देश लौट चुके हैं।

बिम्सटेक में हो सकती है मोदी और यूनुस की मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस की बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में मुलाकात की संभावना जताई जा रही है। यह सम्मेलन 2 से 4 अप्रैल तक थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित होगा। हालांकि अभी तक इस बैठक को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन बांग्लादेश के अधिकारियों का मानना है कि दोनों नेता इस मंच का इस्तेमाल द्विपक्षीय वार्ता के लिए कर सकते हैं।
बिम्सटेक एक क्षेत्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 1997 में हुई थी। पहले इसे बीआईएसटी-ईसी कहा जाता था, जिसमें बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल थे। बाद में म्यांमार, भूटान और नेपाल के भी सदस्य बनने से इसका नाम बदलकर बिम्सटेक कर दिया गया। यह संगठन दक्षिण एशियाई और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच सहयोग बढ़ाने का काम करता है। सार्क के निष्क्रिय होने के बाद भारत ने इस संगठन को अधिक महत्व देना शुरू किया, जिससे यह क्षेत्रीय सहयोग का एक प्रमुख मंच बन गया। इस शिखर सम्मेलन के दौरान बांग्लादेश बिम्सटेक का अगला अध्यक्ष बनेगा।
बांग्लादेश और भारत के बीच संबंध हाल के महीनों में तनावपूर्ण रहे हैं। 5 अगस्त को हुए तख्तापलट में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाया गया, जिसके बाद उन्होंने भारत में शरण ली। इस घटना के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में गिरावट आई है। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के आने के बाद से हिंसा और अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाएं भी सामने आई हैं, जिससे भारत ने चिंता जताई है। ऐसे में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन को दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने का एक मौका माना जा रहा है। अगर मोदी और यूनुस की मुलाकात होती है, तो इससे कूटनीतिक मतभेद कम करने और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। हालांकि, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार लोकतंत्र बहाली और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाती है।
नेतन्याहू ने गाजा युद्धविराम खत्म करने की दी धमकी
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि अगर शनिवार तक गाजा में पकड़े गए इजरायली बंधकों को वापस नहीं किया गया, तो हमास के साथ युद्धविराम खत्म कर दिया जाएगा और इजरायल गाजा में फिर से "भीषण लड़ाई" शुरू करेगा। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वीडियो बयान में बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार को कहा कि दोपहर में हुई चार घंटे की बैठक में उनके कैबिनेट मंत्रियों ने इस फैसले को मंजूरी दे दी।
उन्होंने कहा, "अगर हमास शनिवार दोपहर तक हमारे बंधकों को वापस नहीं करता है, तो युद्ध विराम समाप्त हो जाएगा और आईडीएफ (इज़राइल रक्षा बल) हमास के निर्णायक रूप से पराजित होने तक लड़ाई फिर से शुरू करेगा।" प्रधानमंत्री ने कहा कि इजरायल के सभी कैबिनेट मंत्रियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा अधिग्रहण योजना और उनके युद्ध विराम अल्टीमेटम का स्वागत किया।
नेतन्याहू की यह टिप्पणी हमास की घोषणा के एक दिन बाद आई है कि शनिवार को बंधकों को सौंपे जाने का कार्यक्रम अगली सूचना तक स्थगित कर दिया जाएगा। सोमवार को हमास की सशस्त्र शाखा, अल-क़सम ब्रिगेड के प्रवक्ता अबू ओबैदा ने एक बयान में कहा कि पिछले तीन हफ्तों के दौरान उनके नेतृत्व ने युद्ध विराम समझौते की शर्तों का पालन करने में इजरायल की विफलताओं पर नज़र रखी थी। ओबेदा ने कहा, अगली सूचना तक बंधकों को सौंपने को स्थगित कर दिया जाएगा। जब तक इजरायल समझौते का पालन सुनिश्चित नहीं करता है और मुआवजा नहीं दे देता है।
फ्रांस यात्रा संपन्न कर अमेरिका के लिए रवाना हुए पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को फ्रांस की अपनी दो दिवसीय यात्रा पूरी करने के बाद अमेरिका के लिए रवाना हो गए जहां वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। फ्रांस में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक्शन समिट’ की सह-अध्यक्षता की। मैक्रों के साथ उन्होंने द्विपक्षीय चर्चा भी की। अमेरिका में, प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। जनवरी में ट्रंप के अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद मोदी ट्रंप से मिलने वाले चौथे विदेशी नेता होंगे।
असद के हटने के बाद 2,70,000 सीरियाई शरणार्थी लौटे स्वदेश
दिसंबर 2024 में बशर अल-असद की सरकार के पतन के बाद से अब तक 2,70,000 से अधिक सीरियाई शरणार्थी अपने देश लौट चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचआरसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी भी लाखों सीरियाई विदेश में हैं, लेकिन आने वाले महीनों में और अधिक लोगों के लौटने की उम्मीद है। सीरिया में यूएनएचआरसी मिशन के उप प्रतिनिधि असीर मदाईन ने कहा कि 8 दिसंबर को जब असद सरकार पतन हुआ, तब से शरणार्थियों की वापसी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि सीरिया में बुनियादी सेवाओं में सुधार होता है, तो यह संख्या और बढ़ सकती है।
यूएनएचआरसी के एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, विदेशों में रह रहे 27 प्रतिशत सीरियाई शरणार्थियों ने अगले साल के भीतर अपने देश लौटने की इच्छा जताई है। पिछले साल यह संख्या केवल 1 प्रतिशत थी, जिससे साफ होता है कि अब अधिक लोग अपने घर वापस आने के लिए तैयार हैं। मदाईन ने कहा कि यह बदलाव सीरियाई नागरिकों के आत्मविश्वास में वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि, लौटने वाले शरणार्थियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे बड़ी समस्याओं में रहने के लिए घरों की कमी, बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता और रोजगार के सीमित अवसर शामिल हैं। कई लोगों के पास वापस लौटने पर सिर छिपाने के लिए कोई जगह नहीं है, और उन्हें अस्थायी शिविरों में रहना पड़ रहा है।
इसके अलावा, मानवीय संगठनों के लिए इन शरणार्थियों की जरुरतों को पूरा करना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण उन्हें बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में कठिनाई हो रही है। मदाईन ने कहा कि यह जरूरी है कि लौटने वाले शरणार्थियों को सम्मानजनक जीवन जीने की स्थितियां दी जाएं। सीरियाई शरणार्थियों के पड़ोसी देशों में स्थित शिविरों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। मदाईन ने कहा कि इन शिविरों को तभी बंद किया जाएगा जब सीरिया में स्थायी रूप से स्थिति में सुधार होगा। फिलहाल किसी भी पड़ोसी देश ने शरणार्थियों को जबरन वापस भेजने की योजना नहीं बनाई है, बल्कि वे चाहते हैं कि यह प्रक्रिया धीरे-धीरे और सुरक्षित रूप से हो।
संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक, सीरिया में एक दशक से अधिक समय तक चले युद्ध के कारण 13 मिलियन से अधिक लोग अपने घरों से विस्थापित हुए हैं। यूएनएचआरसी अधिकारियों का मानना है कि सुरक्षित और स्थायी वापसी के लिए बुनियादी ढांचे, आर्थिक सुधार और कानूनी सुरक्षा में दीर्घकालिक निवेश की आवश्यकता होगी।
रूस ने 2021 से कैद अमेरिकी शिक्षक को रिहा किया
रूस ने अपने देश में गिरफ्तार किए गए अमेरिकी शिक्षक मार्क फोजेल को रिहा कर दिया है।व्हाइट हाउस (अमेरिकी राष्ट्रपति का आधिकारिक आवास और कार्यालय) ने फोजेल की रिहाई को एक कूटनीतिक सफलता करार दिया है, जिससे यूक्रेन में युद्ध की समाप्ति के लिए बातचीत को आगे बढ़ाया जा सकेगा।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने पेंसिल्वेनिया के शिक्षक फोजेल को लेकर रूसी हवाई अड्डे से उड़ान भरी। फोजेल के बुधवार सुबह तक अपने परिवार से मिलने की उम्मीद है। उन्हें प्रतिबंधित मादक पदार्थ रखने के आरोप में अगस्त 2021 में गिरफ्तार किया गया था और 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
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