दुनिया की खबरें: चीन में तबाही के बाद लाओस पर मंडराया 'काजिकी' का खतरा और पाक में बारिश से 788 लोगों की मौत
प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, हैनान प्रांत में तूफान से लगभग 1,02,500 लोग प्रभावित हुए। सोमवार सुबह तक तूफान से किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली।

चीन में इस साल का 13वां काजिकी तूफान ने रविवार रात दक्षिण चीन के हैनान प्रांत में दस्तक दी। इस दौरान तूफान से एक लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित हुई।
सोमवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के अनुसार, टाइफून काजिकी रिसॉर्ट के लिए मशहूर सान्या शहर से होते हुए लेडोंग ली के तटीय इलाकों से गुजरा और इसके बाद वियतनाम के मध्य और उत्तरी तटीय क्षेत्रों की ओर बढ़ गया।
प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक, हैनान प्रांत में तूफान से लगभग 1,02,500 लोग प्रभावित हुए। सोमवार सुबह 9 बजे तक तूफान से किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, टाइफून ने सान्या, लेडोंग, लिंगशुई और वानिंग सहित शहरों और काउंटी में सड़कों, वाटर सप्लाई सिस्टम, बिजली और संचार सुविधाओं को नुकसान पहुंचाया। कुछ इलाकों में तूफान से पेड़ उखड़ गए और कहीं बाढ़ आ गई।
सेना, सशस्त्र पुलिस और अग्निशमन दल के 10,000 से ज्यादा कर्मियों को प्रभावित क्षेत्रों में भेजा गया है। साथ ही बाढ़ नियंत्रण, आपदा राहत और सड़क मार्ग को साफ करने के लिए 7,70,000 से ज्यादा इमरजेंसी सप्लाई आवंटित की गई हैं। पूरे प्रांत में सार्वजनिक परिवहन धीरे-धीरे फिर से शुरू हो रहा है। सान्या फीनिक्स अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ानें फिर से शुरू कर दी गई हैं।
इस बीच, काजिकी के मद्देनजर लाओस के लोगों को तैयार रहने की अपील की गई है। काजिकी के प्रभाव से देशभर में तेज हवाओं के साथ भारी बारिश का अनुमान जताया गया है।
पाकिस्तान में सोने के खनन के दौरान खरबों का घोटाला, एनएबी का बड़ा खुलासा
पाकिस्तान की भ्रष्टाचार निरोधक निकाय राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में सोने के खनन के दौरान हुई गंभीर अनियमितताओं का खुलासा किया है। एनएबी ने सिंधु और काबुल नदियों के किनारे प्रांत में गोल्ड ब्लॉकों की नीलामी के लिए निर्धारित न्यूनतम मूल्य पर गहरी चिंता जताई है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक एनएबी ने कहा है कि इन अनियमितताओं के कारण प्रांत को खरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है।
राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) ने प्रांतीय सरकार के आधिकारिक दस्तावेज पर प्रकाश डालते हुए खुलासा किया कि पट्टाधारक खुलेआम उप-पट्टे दे रहे हैं और प्रति उत्खननकर्ता प्रति सप्ताह 5,00,000 से 7,00,000 पाकिस्तानी रुपए वसूल रहे हैं।
एनएबी का कहना है कि इससे उनकी साप्ताहिक कमाई 75 करोड़ रुपए से एक अरब रुपए के बीच होने का अनुमान है, जबकि प्रांतीय सरकार को इसका केवल एक मामूली हिस्सा मिलता है।
खैबर पख्तूनख्वा (केपी) के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने जियो न्यूज को बताया कि उनकी सरकार ने सोने के ब्लॉकों की नीलामी ऊंची कीमतों पर की। उन्होंने दावा किया कि जहां पहले एक ब्लॉक की नीलामी कीमत 650 मिलियन (65 करोड़) रुपए थी, वहीं उनकी सरकार ने न्यूनतम कीमत बढ़ाकर 1.10 बिलियन कर दी और 10 वर्षों के लिए चार ब्लॉक लगभग 4.6 बिलियन (अरब) में बेच दिए।
उन्होंने दावा किया कि पिछले 20 वर्षों में ऐसी कोई नीलामी नहीं हुई, जिससे लोगों को अवैध रूप से सोना निकालने की अनुमति मिली हो। उपलब्ध दस्तावेज से पता चलता है कि 7 अगस्त को एनएबी मुख्यालय में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई थी। बैठक में मुख्य सचिव केपी और खनिज सचिव समेत कई शीर्ष प्रांतीय अधिकारी मौजूद रहे।
स्पेन में अगस्त में पड़ी सबसे ज्यादा गर्मी, इस साल 1,149 लोगों की मौत
स्पेन की राष्ट्रीय मौसम एजेंसी ने कहा है कि इस साल अगस्त में अब तक की सबसे तेज गर्मी पड़ी है। चाहे बात तापमान की हो या उसके प्रभाव की।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआती आंकड़ों से पता चला है कि 3 से 18 अगस्त के बीच स्पेन में औसत तापमान सामान्य से 4.6 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। इसने जुलाई 2022 का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया, जब तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस ऊपर था।
एईएमईटी ने बताया कि 8 से 17 अगस्त तक के दिन 1950 के बाद से अब तक के सबसे लगातार गर्म 10 दिन रहे। वहीं, अगस्त के पहले 20 दिन 1961 के बाद से इस अवधि के दौरान सबसे ज्यादा गर्म रहे। खासकर 11, 16 और 17 अगस्त, ये तीनों दिन 1941 के बाद से स्पेन के 10 सबसे गर्म दिनों में शामिल हैं।
1975 से तापमान का रिकॉर्ड रखे जाने के बाद से अब तक स्पेन में 77 बार हीटवेव आ चुकी हैं। इनमें से 6 बार ऐसा हुआ जब तापमान औसतन 4 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बढ़ गया। खास बात यह है कि इनमें से 5 हीटवेव 2019 के बाद आई हैं, जो दिखाता है कि अब गर्मी की लहरें पहले से ज्यादा लंबी और तेज हो रही हैं।
सरकार की दैनिक मृत्यु निगरानी प्रणाली के मुताबिक, इस साल भीषण गर्मी की वजह से 1,149 लोगों की मौत हुई है।
इसके अलावा, यह भीषण गर्मी स्पेन में जंगल में लगी आग के रूप की वजह से यह अब तक का सबसे गंभीर महीना रहा है। यूरोपीय वन अग्नि सूचना प्रणाली के आंकड़ों के अनुसार, अब तक 406,100 हेक्टेयर जमीन जल चुकी है, जो सिंगापुर के आकार से लगभग 5.5 गुना ज्यादा है।
इस आग में अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है और 30,000 से ज़्यादा लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े। हालांकि ज्यादातर लोग अब लौट चुके हैं, लेकिन रविवार तक कई इलाकों में आग अब भी जल रही थी।
22 अगस्त को, विश्व स्वास्थ्य संगठन और विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने दुनिया भर के कामकाजी लोगों को बढ़ती गर्मी से होने वाले स्वास्थ्य खतरों से बचाने के लिए वैश्विक स्तर पर कार्रवाई की अपील की।
पाकिस्तान में मूसलाधार बारिश से मरने वालों की संख्या 788 हुई
पाकिस्तान में 26 जून से जारी लगातार मानसूनी बारिश के कारण कम से कम 788 लोगों की जान चली गई है, जबकि 1,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। स्थानीय मीडिया ने सोमवार को यह जानकारी दी।
पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक डॉन ने बताया कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, मरने वालों में 200 बच्चे, 117 महिलाएं और 471 पुरुष शामिल हैं।
पंजाब में 165 मौतें दर्ज की गईं, खैबर पख्तूनख्वा में सबसे अधिक 469 मौतें हुईं, इसके बाद सिंध में 51, बलूचिस्तान में 24, पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में 45, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 23 और इस्लामाबाद में आठ मौतें हुईं।
एनडीएमए के आंकड़ों के अनुसार घायलों में 279 बच्चे, 493 पुरुष और 246 महिलाएं शामिल हैं। पंजाब में सबसे अधिक 584 लोग घायल हुए, जबकि खैबर पख्तूनख्वा में 285, सिंध में 71, पाकिस्तान के कब्जे वाले गिलगित-बाल्टिस्तान में 42, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 28, बलूचिस्तान में पांच और इस्लामाबाद में तीन लोग घायल हुए।
प्राधिकरण ने बताया कि समन्वित आपदा प्रतिक्रिया के तहत देश भर में 512 अभियानों में कुल 25,644 लोगों को बचाया गया है।
सप्ताह के अंत में हुई ताजा घटनाओं ने संकट को और बढ़ा दिया है। खैबर पख्तूनख्वा में कई जिलों में हुई मूसलाधार बारिश के बाद कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई और 52 अन्य घायल हो गए।
सिर्फ डेरा इस्माइल खान में ही तेज हवाओं और भारी बारिश के कारण सात लोगों की जान चली गई। बचाव अधिकारियों ने जियो न्यूज को बताया कि मूसलाधार बारिश के कारण पेड़ उखड़ गए, बिजली के तार टूट गए और कई इलाके अंधेरे में डूब गए। कई इलाकों में छत गिरने से कई लोगों की जान चली गई और दर्जनों लोग घायल हो गए।
देश भर के शहरी केंद्र भी बाढ़ के प्रभाव से जूझ रहे हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, लाहौर में गुलबर्ग, लक्ष्मी चौक, जेल रोड और आसपास के इलाकों की सड़कें जलमग्न हो गईं और बाढ़ का पानी घरों और दुकानों में घुस गया।
पाकिस्तान के एक प्रमुख दैनिक समाचार रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामाबाद और रावलपिंडी में भारा काहू में नदियां उफान पर थीं, जिससे वाहन फंस गए। वहीं, गुजरांवाला, गुजरात, झेलम और चिनियट में भारी बारिश के कारण बिजली के खंभे गिर गए और फीडर ट्रिप हो गए, जिससे बिजली आपूर्ति ठप हो गई।
खामेनेई ने वाशिंगटन के साथ सीधी बातचीत को किया खारिज, कहा- ईरान झुकेगा नहीं
ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने कहा कि अमेरिका इसलिए ईरान का विरोध करता है क्योंकि वह चाहता है कि ईरान उसकी बात माने। उन्होंने इस मांग को अपमानजनक बताया और कहा कि ईरान कभी झुकेगा नहीं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने आधिकारिक समाचार एजेंसी इरना के हवाले से बताया कि तेहरान में रविवार को दिए भाषण में खामनेई ने साफ कहा कि अमेरिका से सीधी बातचीत की कोई जरूरत नहीं है। उनके अनुसार 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से अमेरिका की शत्रुता लगातार बनी हुई है।
उन्होंने 13 जून को ईरान पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका से जुड़े समूह अगले दिन एक यूरोपीय राजधानी में "इस्लामी गणराज्य के बाद" व्यवस्था पर चर्चा करने के लिए मिले थे, यहां तक कि राजशाही का सुझाव भी दिया गया। खामेनेई के अनुसार, ईरानी जनता और संस्थाओं की मजबूती ने इन कोशिशों को नाकाम कर दिया।
खामेनेई ने जून में इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों का भी जिक्र किया। उनका कहना था कि इन हमलों का मकसद ईरान को अस्थिर करना था, लेकिन ईरान ने इसका जवाब दिया।
खामेनेई ने घरेलू एकता और राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के लिए समर्थन का आग्रह किया और चेतावनी दी कि ईरान के विरोधी अब घरेलू स्तर पर विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने गाजा में इजरायल की कार्रवाई की निंदा की, पश्चिमी देशों से उसकी मदद रोकने की अपील की और यमन के हूती समूह द्वारा इजरायल के खिलाफ किए गए कदमों को जायज बताया।
ज्ञात हो कि, 1979 की इस्लामी क्रांति और उसके परिणामस्वरूप अमेरिकी दूतावास में हुए बंधक संकट के बाद तेहरान और वाशिंगटन के बीच संबंध टूट गए थे। तब से, वाशिंगटन ने तेहरान पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें से सबसे हालिया प्रतिबंध उसके परमाणु कार्यक्रम के कारण लगाए गए हैं।