दुनिया की खबरें: बांग्लादेश में अशांति के बीच अमेरिका ने जारी की एडवाइजरी और कनाडा में भारतीय छात्रा की मौत
अमेरिका की ट्रैवल एडवाइजरी में नागरिकों से सांप्रदायिक हिंसा, अपराध, आतंकवाद, अपहरण और अन्य सुरक्षा जोखिमों के कारण खगराचारी, रंगमती और बंदरबन हिल ट्रैक्ट्स जिलों की यात्रा न करने का आग्रह किया गया।

अमेरिका ने अपने नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बांग्लादेश की यात्रा के लिए फिर से परामर्श (एडवाइजरी) जारी किया है। इसमें कहा गया कि अशांति, अपराध और आतंकवाद के कारण बांग्लादेश की यात्रा पर पुनर्विचार करें।
अमेरिका की ट्रैवल एडवाइजरी में नागरिकों से सांप्रदायिक हिंसा, अपराध, आतंकवाद, अपहरण और अन्य सुरक्षा जोखिमों के कारण खगराचारी, रंगमती और बंदरबन हिल ट्रैक्ट्स जिलों (सामूहिक रूप से चटगांव हिल ट्रैक्ट्स के रूप में जाना जाता है) की यात्रा न करने का आग्रह किया गया।
एडवाइजरी में कहा गया, "क्षेत्र में अपहरण की घटनाएं हुई हैं, जिनमें घरेलू या पारिवारिक विवादों से प्रेरित किडनैपिंग और धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले अपहरण होते रहे हैं। अलगाववादी संगठन और राजनीतिक हिंसा भी इस क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों के लिए अतिरिक्त खतरा पैदा करती हैं, आईईडी विस्फोट और सक्रिय गोलीबारी की घटनाएं भी हुई हैं।"
इसमें आगे कहा गया कि अगर आप इन इलाकों की यात्रा करने की योजना बनाते हैं, तो आपको बांग्लादेश सरकार के गृह मंत्रालय के सार्वजनिक सुरक्षा कार्यालय से पूर्व अनुमति लेनी होगी।
जोखिमों के कारण, बांग्लादेश में काम करने वाले अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों को इस क्षेत्र की यात्रा करने से प्रतिबंधित किया गया है।
एडवाइजरी के मुताबिक, बांग्लादेश में काम करने वाले अमेरिका के सरकारी कर्मचारियों को जोखिम के कारण ढाका के राजनयिक क्षेत्र के बाहर गैर-जरूरी यात्रा करने से प्रतिबंधित किया गया है।
इसके अलावा, बांग्लादेश में काम करने वाले अमेरिकी सरकारी कर्मचारियों को ढाका से बाहर यात्रा करने के लिए विशेष अनुमति लेनी होगी।
परामर्श में कहा गया कि इन यात्रा प्रतिबंधों, बुनियादी ढांचे की कमी और मेजबान सरकार के आपातकालीन प्रतिक्रिया संसाधनों की कमी के कारण अमेरिकी सरकार के पास बांग्लादेश में, [विशेष रूप से ढाका के बाहर], अमेरिकी नागरिकों को आपातकालीन सेवाएं प्रदान करने की क्षमता सीमित हो सकती है।
अमेरिकी नागरिकों से प्रदर्शनों और राजनीतिक सभाओं से बचने की अपील करते हुए, परामर्श में कहा गया कि शांतिपूर्ण इरादे से किए गए प्रदर्शन टकराव और हिंसा में बदल सकते हैं।
परामर्श में कहा गया, "यात्रियों को भीड़भाड़ वाले इलाकों में जेबकतरी जैसे छोटे-मोटे अपराधों के प्रति सचेत रहना चाहिए। इसके अलावा, बांग्लादेश के प्रमुख शहरों में लूटपाट, चोरी, हमले और अवैध ड्रग तस्करी सबसे ज्यादा आपराधिक गतिविधियों में से एक हैं।"
बांग्लादेश में हिंदू नेता की हत्या : भारत ने की निंदा, कहा - अपनी जिम्मेदारी निभाए यूनुस सरकार
भारत ने शनिवार को बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के एक प्रमुख नेता भाबेश चंद्र रॉय के अपहरण और क्रूर हत्या की निंदा की। विदेश मंत्रालय ने इसे देश की अंतरिम सरकार के तहत अल्पसंख्यकों के 'व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न' का हिस्सा बताया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह घटना बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ लक्षित हिंसा की खतरनाक ट्रेंड को दर्शाती है।
जायसवाल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "हमने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक नेता भाबेश चंद्र रॉय के अपहरण और क्रूर हत्या को व्यथित रूप से देखा। यह हत्या अंतरिम सरकार के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न का अनुसरण करती है, जबकि पिछली ऐसी घटनाओं के अपराधी बेखौफ घूम रहे हैं।"
प्रवक्ता ने कहा, "हम इस घटना की निंदा करते हैं और एक बार फिर अंतरिम सरकार को याद दिलाते हैं कि वह बिना कोई बहाना बनाए या भेदभाव किए, हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की अपनी जिम्मेदारी निभाए।"
बांग्लादेश पूजा उडजापान परिषद की बिराल इकाई के उपाध्यक्ष रॉय को गुरुवार शाम दिनाजपुर जिले में उनके घर से अगवा कर लिया गया।
पुलिस और परिवार के अनुसार, उन्हें शाम करीब 4:30 बजे एक फोन आया, जिसके बाद चार अज्ञात लोग मोटरसाइकिल पर आए और उन्हें जबरन नाराबारी गांव ले गए।
कथित तौर पर रॉय पर हमला किया गया और वे बेहोश पाए गए। उन्हें दिनाजपुर के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
भारत में विपक्षी नेताओं ने भी पड़ोसी देश में हुई इस घटना की निंदा की।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। उन्होंने कहा, "अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों पर भी हमले जारी हैं। हाल ही में बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के बारे में बहुत ही निंदनीय और निराशाजनक टिप्पणी की। बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, मानवाधिकारों का उल्लंघन, 1971 के मुक्ति संग्राम की यादों को मिटाने की कोशिश, भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों को कमजोर करने का प्रयास है। 1971 से लेकर आज तक भारत ने हमेशा बांग्लादेश के सभी लोगों के लिए शांति और समृद्धि की कामना की है। यही उपमहाद्वीप के सर्वोत्तम हित में है।"
ईरान ने की यमन के तेल बंदरगाह पर अमेरिकी हवाई हमलों की कड़ी निंदा
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माईल बाघेई ने यमन के तेल बंदरगाह रास ईसा पर अमेरिका के घातक हवाई हमलों की कड़ी निंदा की है।
बाघेई ने गुरुवार को यमन के बंदरगाह पर अमेरिकी हवाई हमलों के जवाब में यह टिप्पणी की, जिसमें कम से कम 80 लोग मारे गए।
बाघेई ने कहा कि हमला एक अपराध है और संयुक्त राष्ट्र चार्टर एवं अंतर्राष्ट्रीय कानून के मूल सिद्धांतों और नियमों का घोर उल्लंघन है।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि यमन के खिलाफ अमेरिकी "आक्रामकता" कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में "इजरायल के कब्जे और नरसंहार के लिए उसके पूर्ण समर्थन" के साथ जुड़ी हुई है, और इससे क्षेत्र में असुरक्षा बढ़ेगी और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को खतरा होगा।
यमन के ईंधन बंदरगाह रास ईसा पर अमेरिकी हवाई हमलों में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई। वहीं 150 अन्य लोग घायल हुए। यह जानकारी हूती संचालित स्वास्थ्य अधिकारियों ने शनिवार को दी।
हमले गुरुवार रात को हुए। इनमें बंदरगाह और आयातित ईंधन के भंडारण के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कई टैंकों को निशाना बनाया गया।
समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, हमले में मारे गए और घायलों में बंदरगाह के कर्मचारी हैं, जिनमें पांच पैरामेडिक्स भी शामिल हैं।
रास ईसा बंदरगाह यमन के लाल सागर के पास होदेदाह शहर के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। यह हूती ग्रुप के कब्जे वाले क्षेत्रों में ईंधन के आयात का मुख्य स्रोत है।
2014 के अंत में सरकार के खिलाफ गृह युद्ध शुरू करने वाले हूती विद्रोहियों का उत्तरी यमन के बड़े हिस्सों पर नियंत्रण है।
मार्च के मध्य में वाशिंगटन ने हूती ठिकानों पर हमले फिर से शुरू किए थे।
रिपोर्ट के अनुसार, दो अभियानों के दौरान ईंधन बंदरगाह पर 14 से अधिक हवाई हमले किए गए। इससे आयातित ईंधन को संग्रहीत करने वाले टैंक नष्ट हो गए और बड़े पैमाने पर आग लग गई। रिपोर्ट में कहा गया कि आग को कुछ ही घंटों में बुझा दिया गया।
कनाडा में भारतीय छात्रा की मौत, परिजनों ने की शव को स्वदेश वापस लाने की मांग
कनाडा के हैमिल्टन में भारतीय छात्रा की मौत पर शनिवार को परिजनों का बयान सामने आया है। परिजनों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारी बेटी दो साल पहले पढ़ाई के लिए कनाडा गई थी।
परिजनों ने अपने बयान में कहा कि दो गुटों के बीच झगड़े के दौरान गोलीबारी हुई और अचानक हमारी लड़की को गोली लग गई, जिससे उसकी मौत हो गई। परिजनों ने केंद्र सरकार से लड़की के शव को स्वदेश वापस लाने की मांग की है।
टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने भी छात्रा की मौत की पुष्टि की है। महावाणिज्य दूतावास ने इस संबंध में अपने सोशल मीडिया 'एक्स' हैंडल पर पोस्ट किया है।
इस पोस्ट में कहा गया है कि हैमिल्टन में भारतीय छात्रा हरसिमरत रंधावा की मौत से हम बहुत दुखी हैं। स्थानीय पुलिस के अनुसार, वह एक निर्दोष लड़की थी, जो गोलीबारी की घटना के दौरान गोली लगने से मर गई। वर्तमान में हत्या की जांच चल रही है। हम उसके परिवार के साथ संपर्क में हैं और सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रहे हैं। इस कठिन समय में हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं।
बता दें कि कनाडा के हैमिल्टन में भारतीय छात्रा की गोली लगने से मौत हो गई। पुलिस ने खुद इसकी पुष्टि की है। मृतक छात्रा की पहचान पंजाब के तरनतारन जिले की हरसिमरत रंधावा के रूप में हुई है। छात्रा मोहॉक कॉलेज में पढ़ती थी। पुलिस के अनुसार, घटना के वक्त छात्रा बस का इंतजार कर रही थी। जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, तो छात्रा घायल अवस्था में पड़ी हुई थी। इसके बाद उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने बताया था कि घटनास्थल के वीडियो का रिव्यू करने के बाद यह पता चला है कि एक अज्ञात शख्स काले रंग की मर्सिडीज से लोगों पर फायरिंग करता नजर आ रहा है।
मोहॉक कॉलेज ने इस संबंध में बयान जारी किया और कहा कि दुख की इस घड़ी में हमारी संवेदना छात्रा के परिजनों के साथ है। हम अपनी तरफ से छात्रा के परिजनों को हर संभव मदद देने के लिए तैयार हैं।
अमेरिका : भारतीय छात्रा को कार ने रौंदा, इलाज के लिए क्राउड फंडिंग से जुटाए गए पैसे, नहीं बच सकी जान
भारतीय छात्रा वांगवोलु दीप्ति की टेक्सास के डेंटन शहर में एक हिट-एंड-रन घटना में मौत हो गई। दीप्ति की मास्टर डिग्री कुछ ही हफ्तों में पूरी होने वाली थी।
23 वर्षीय दीप्ति आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले की रहने वाली थी। वह 2023 में गुंटूर के नरसारावपेट इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका गई थी। वह नॉर्थ टेक्सास विश्वविद्यालय में कंप्यूटर और सूचना विज्ञान में एमएस की पढ़ाई कर रही थी।
दुर्घटना 12 अप्रैल की सुबह हुई, जब दीप्ति और उसकी दोस्त स्निग्धा, सड़क पर चल रही थीं। एक तेज रफ्तार सेडान ने दोनों छात्राओं को कुचल दिया और फरार हो गई। दुर्घटना में दीप्ति के सिर में गंभीर चोटें आईं, जबकि स्निग्धा भी घायल हो गई।
स्निग्धा आंध्र प्रदेश के मेडिकोंडुरु की रहने वाली हैं।
आपातकालीन सेवा के कर्मियों ने दोनों को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया, जहां दीप्ति को गहन देखभाल में रखा गया।
रिपोर्ट के मुताबिक दीप्ति के इलाज के लिए एक क्राउडफंडिंग कैंपेन के जरिए लगभग 80,000 डॉलर जुटाए गए। हालांकि उसकी जान नहीं बचाई जा सकी। 15 अप्रैल को दीप्ति ने दम तोड़ दिया। स्निग्धा का अभी इलाज चल रहा है।
डेंटन पुलिस विभाग ने जांच शुरू कर दी है और वाहन का पता लगाने में जनता की सहायता के लिए अपील जारी की है।
इस समाचार से टूट गए दीप्ति के परिवार ने 10 अप्रैल को उसके साथ हुई अपनी आखिरी बातचीत को याद किया। उसने अपने माता-पिता को मई में होने वाले अपने दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था।
दीप्ति के पिता हनुमंत राव, एक छोटे व्यापारी हैं, और मां रमादेवी, जो एक गृहिणी हैं। उन्होंने विदेश में बेटी की शिक्षा के लिए अपने खेत का एक हिस्सा बेच दिया।
रूस-यूक्रेन वार्ता अहम स्तर पर, कोई युद्ध समाप्त करने के प्रयास में समर्थन नहीं कर रहा: ट्रंप
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता अब ऐेसे स्तर पर पहुंच चुकी है, जिसमें कुछ निष्कर्ष निकलना चाहिए, लेकिन दोनों में से कोई भी देश उनके (ट्रंप) युद्ध समाप्त कराने के प्रयासों का समर्थन नहीं कर रहा है।
ट्रंप ने यह टिप्पणी ऐसे समय में की है जब विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने शुक्रवार को चेतावनी देते हुए कहा था कि आने वाले दिनों में अगर रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता में कोई प्रगति नहीं हुई तो अमेरिका दोनों देशों के बीच शांति समझौता कराने के प्रयासों को छोड़कर आगे बढ़ सकता है क्योंकि कई महीने तक प्रयास करने के बावजूद अब तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है।
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर किसी कारण से दोनों में से कोई एक पक्ष इसे बहुत कठिन बना देता है तो हम कह देंगे कि आप मूर्ख हैं और फिर हम इसे छोड़ देंगे।’’
यह पूछे जाने पर कि क्या रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन वार्ता में देरी कर रहे हैं तो इसके जवाब में ट्रंप ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि ऐसा नहीं है।’’
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