दुनिया की खबरें: बांग्लादेश के संसद परिसर में प्रदर्शनकारियों को हल्ला बोल और सरकार के शटडाउन पर ट्रंप का उदासीन रुख
बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी सुबह संसद भवन के मुख्य द्वार पर चढ़कर परिसर में कथित तौर पर घुस गए और फिर मंच के सामने इकट्ठा हो गए।

बांग्लादेश पुलिस ने संसद के पास एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए शुक्रवार को आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठीचार्ज किया और तेज आवाज करने वाले ग्रेनेड का इस्तेमाल किया। प्रदर्शनकारियों के वहां से जाने से इनकार करने पर यह कार्रवाई की गई।
जुलाई चार्टर नामक संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर करने को लेकर अनिश्चितता के बीच, प्रदर्शनकारी संसद के पास एकत्र हुए थे।
‘बीडीन्यूज24 डॉट कॉम’ की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई चार्टर पर हस्ताक्षर समारोह के लिए बनाये गए मंच के सामने सैकड़ों प्रदर्शनकारी एकत्र हुए थे, जो अगस्त 2024 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने वाले प्रदर्शनों के दौरान घायल हुए लोगों के लिए कानूनी सुरक्षा और पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारी सुबह संसद भवन के मुख्य द्वार पर चढ़कर परिसर में कथित तौर पर घुस गए और फिर मंच के सामने इकट्ठा हो गए।
समाचार पोर्टल के अनुसार, जब सुरक्षा बलों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो प्रदर्शनकारी अतिथियों के लिए आरक्षित कुर्सियों पर बैठ गए और नारे लगाने लगे। प्रदर्शनकारियों ने कम से कम दो पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ की, संसद भवन के सामने बने अस्थायी स्वागत कक्ष, अस्थायी नियंत्रण कक्ष और फर्नीचर में आग लगा दी।
पुलिस ने उन्हें वहां से खदेड़ने के लिए बल प्रयोग किया। अधिकारियों ने उन्हें संसद परिसर से बाहर खदेड़ दिया, कई प्रदर्शनकारियों की डंडे से पिटाई की गई तथा उन पर आंसू गैस और तेज आवाज करने वाले ग्रेनेड दागे।
अंतरिम सरकार द्वारा गठित आयोग और राजनीतिक दलों के बीच लंबी बातचीत के बाद जुलाई चार्टर का मसौदा तैयार किया गया था।
सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस की प्रमुख सहयोगी, नेशनल सिटीजन पार्टी (एनसीपी) ने कहा है कि वह इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करेगी।
यूनुस के आशीर्वाद से फरवरी में गठित छात्र-नेतृत्व वाले इस संगठन के मुख्य समन्वयक हसनत अब्दुल्ला ने बृहस्पतिवार देर रात एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, ‘‘नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) जुलाई चार्टर पर हस्ताक्षर नहीं करेगी।’’
सरकार के शटडाउन पर ट्रंप का उदासीन रुख, कांग्रेस में गतिरोध जारी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सरकार के ‘शटडाउन’ (सरकारी वित्तपोषण रुकने से कामकाज ठप होना) को समाप्त करने के लिए समझौते की कोशिशों में कोई खास तत्परता नहीं दिखा रहे, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी का कहना है कि जब तक वह सीधे हस्तक्षेप नहीं करेंगे तब तक कोई समाधान संभव नहीं है।
तीन हफ्ते से स्थिति ज्यों की त्यों है। कांग्रेस ठप है और सीनेट में भी कोई प्रगति नहीं हो रही। सदन में एक महीने से कोई सत्र आयोजित नहीं हुआ है और सांसद कोई प्रगति न होने से हताश होकर बृहस्पतिवार को वाशिंगटन से निकल गए।
रिपब्लिकन नेता तब तक बातचीत से इनकार कर रहे हैं जब तक अल्पकालिक वित्त पोषण विधेयक पारित नहीं होता, जबकि डेमोक्रेट स्वास्थ्य बीमा सब्सिडी पर आश्वासन चाहते हैं।
ट्रंप फिलहाल किनारे रहते हुए अन्य मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं, जैसे इजराइल-हमास संघर्षविराम और रूस-यूक्रेन युद्ध।
इस बीच, उनके प्रशासन ने असामान्य तरीके से शटडाउन से निपटने की योजना बनायी है, जिसमें सैनिकों को वेतन देना जारी रखा गया है जबकि अन्य सरकारी कर्मचारियों की छंटनी की गई है। इन कदमों को लेकर अदालत में कानूनी चुनौतियां भी दी गई हैं।
डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर और हकीम जेफ्रीज ने कहा कि रिपब्लिकन गंभीरता से बातचीत नहीं कर रहे, जबकि बर्नी सैंडर्स और एलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज ने ट्रंप से सीधे दखल की मांग की है।
बहरहाल, रिपब्लिकन नेतृत्व नहीं चाहता कि ट्रंप हस्तक्षेप करें, ताकि डेमोक्रेट भविष्य में इसे उदाहरण न बना लें। ट्रंप ने भी यही रुख अपनाया है और संकेत दिए हैं कि फिलहाल वह व्यक्तिगत रूप से कोई पहल नहीं करेंगे।
पाकिस्तानी सेना अपने ही 'भस्मासुर' से असहमत, रिपोर्ट में खुलासा
पाकिस्तानी सेना, जो कभी देश की वैचारिक सीमाओं की रक्षक थी, अब उन्हीं कट्टरपंथी इस्लामी समूहों के साथ संघर्ष कर रही है, जिन्हें उसने बढ़ावा देकर 'भस्मासुर' बनने में मदद की थी। शुक्रवार को सामने आई एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की रणनीति में आंतरिक विरोधाभास स्पष्ट हैं, जहां सेना के जनरल पश्चिम को संयम का उपदेश देते हैं और उग्रवाद पर अंकुश लगाने का वादा करते हैं, वहीं दूसरी ओर वे अपने देश में लोकतांत्रिक विरोध को दबाने के लिए धार्मिक राष्ट्रवाद का इस्तेमाल करते हैं।
'ग्रीक सिटी टाइम्स' की एक रिपोर्ट में बताया गया, "तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) और अन्य इस्लामी समूहों के हाल में किए गए हिंसक विरोध प्रदर्शनों से पता चलता है कि देश अपने पश्चिम-प्रेमी शासकों और धार्मिक रूप से प्रेरित सड़क आंदोलनों के बीच कितना गहराई से बंट गया है। फील्ड मार्शल असीम मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तान का सैन्य प्रतिष्ठान, वाशिंगटन के साथ संबंधों को फिर से सुधारने और इजरायल-गाजा शांति प्रक्रिया का चुपचाप समर्थन करने की कोशिश में अपने ही वैचारिक सहयोगियों, दक्षिणपंथी इस्लामी गुटों को विश्वास में लेने में विफल रहा है। इसका परिणाम घातक अशांति, सामूहिक गिरफ्तारियां और सड़कों पर खुला विद्रोह है।"
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "सबसे हालिया विरोध प्रदर्शन सितंबर के अंत और अक्टूबर 2025 की शुरुआत में भड़के, जब टीएलपी कार्यकर्ताओं की लाहौर, कराची और रावलपिंडी में पुलिस के साथ झड़प हुई। यह खबर सामने आई कि इस्लामाबाद ने इजरायल-गाजा स्थिति को सामान्य बनाने के उद्देश्य से पश्चिम समर्थित वार्ता का चुपचाप समर्थन करने पर सहमति जताई है।"
रिपोर्ट में जोर देते हुए कहा गया है कि हजारों टीएलपी समर्थक पाकिस्तान भर के शहरों में सड़कों पर उतर आए, सेना के खिलाफ नारे लगाए और जनरलों पर "डॉलर के लिए इस्लाम को बेचने" का आरोप लगाया।
रिपोर्ट के अनुसार, विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस, रबर की गोलियों और फायरिंग तक का सहारा लिया। मानवाधिकार समूहों और स्थानीय मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि कई लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए, जिनमें युवा टीएलपी कार्यकर्ता भी शामिल थे।
रिपोर्ट में कहा गया है, "इस गुस्से की जड़ यह धारणा है कि पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान ने स्वार्थ के लिए अपनी वैचारिक प्रतिबद्धताओं को त्याग दिया है। वही सेना जो कभी धार्मिक मुद्दों पर समर्थन जुटाने के लिए टीएलपी और अन्य बरेलवी या देवबंदी संगठनों जैसे इस्लामी आंदोलनों का इस्तेमाल करती थी, अब जब वे उसकी नीतिगत दिशा को चुनौती देते हैं, तो उन्हें दुश्मन मान लेती है।"
पुतिन से बैठक से पहले डोनाल्ड ट्रंप का बयान, रूस से तेल खरीदने पर टैरिफ वाले विधेयक को रोकने की अपील
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जल्द रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि, इस मुलाकात से पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को सुधारने का संकेत दिया है। उन्होंने कहा कि वह रिपब्लिकन नेताओं से मॉस्को से तेल खरीदने वाले देशों पर कठोर दंड लगाने वाले विधेयक पर रोक लगाने का अनुरोध कर रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "सीनेट में रिपब्लिकन नेता जॉन थुन की ओर से प्रस्तावित 500 प्रतिशत दंडात्मक टैरिफ वाले विधेयक के लिए यह सही समय नहीं है।" उन्होंने पत्रकारों से कहा, "मैं उनसे (जॉन थुन) और सदन के अध्यक्ष माइक जॉनसन से बात करूंगा और उन्हें इस बारे में बताऊंगा। हम सही निर्णय लेंगे, क्योंकि उन्हें यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए पुतिन के साथ उनके राजनयिक संबंधों के बारे में पता नहीं था।"
अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात करने के बाद यह बयान दिया। हालांकि, इससे पहले रिपब्लिकन नेता जॉन थुन ने कहा था कि रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने वाले विधेयक पर आगे बढ़ने का समय आ गया है। बता दें कि यह राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ से कई गुना ज्यादा है।
जॉन थुन ने बताया कि यह प्रस्तावित कानून सीनेटर लिंडसे ग्राहम के साथ मिलकर तैयार किया गया और इसे दोनों पार्टियों का समर्थन प्राप्त है। लिंडसे ग्राहम के अनुसार, 84 सीनेटर और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स के 100 सदस्य इस बिल के पक्ष में हैं।
प्रस्तावित विधेयक राष्ट्रपति ट्रंप को इसके कार्यान्वयन पर विवेकाधिकार देता है, लेकिन इसे सभी देशों पर समान रूप से लागू किया जाना था।
अगर ऐसा किया जाता, तो इसका वाशिंगटन की कूटनीति पर गंभीर प्रभाव पड़ता क्योंकि चीन और तुर्की की तरह यूरोपीय संघ भी रूस से ऊर्जा आयात करता है। यहां तक कि अमेरिका का खुद का रूस के साथ 5.2 अरब डॉलर का व्यापार था, जिसमें 2.4 अरब डॉलर का घाटा शामिल है
फिलीपींस ने दक्षिणी मनीला में आए भूकंप की तीव्रता 6.2 से घटाकर 6 की
फिलीपींस के दक्षिणी हिस्से में आए भूकंप की तीव्रता को घटा दिया गया है। फिलीपींस इंस्टीट्यूट ऑफ वोल्कानोलॉजी एंड सीस्मोलॉजी ने बताया कि 13 अक्टूबर को सुरिगाओ डेल नॉर्टे प्रांत में आए ऑफशोर भूकंप की तीव्रता अब 6.2 से घटाकर 6.0 कर दी गई है।
रिपोर्ट में संस्थान ने कहा कि यह झटका सुबह 7:03 बजे (स्थानीय समय) पर 28 किलोमीटर की गहराई में आया, जिसका केंद्र मिंडानाओ क्षेत्र के जनरल लूना नगरपालिका से लगभग 13 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में था। संस्थान ने कहा कि यह टेक्टोनिक भूकंप बाद में कई झटके पैदा कर सकता है और इससे महत्वपूर्ण नुकसान हो सकता है।
यह भूकंप मिंडानाओ क्षेत्र और मध्य फिलीपींस के पड़ोसी प्रांतों में भी महसूस किया गया। अभी तक किसी के हताहत होने या नुकसान की तत्काल कोई खबर नहीं है। फिलीपींस में आया यह भूकंप हाल के दिनों में आए शक्तिशाली भूकंपों में से एक है।
इससे पहले, 10 अक्टूबर को दक्षिणी फिलीपींस के दावाओ ओरिएंटल प्रांत में 7.4 और 6.8 तीव्रता के दो समुद्री भूकंपों ने आठ लोगों की जान ले ली। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, 13 अक्टूबर को मध्य फिलीपींस के सेबू के बोगो के पास 6.0 तीव्रता का एक और भूकंप आया। इन घटनाओं के बाद से पूरे द्वीपीय देश में 4 से 5 तीव्रता के कई झटके महसूस किए जा रहे हैं।
राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन परिषद ने बताया कि 30 सितंबर को मध्य फिलीपींस के सेबू प्रांत के बोगो शहर और आसपास के इलाकों में 6.9 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 76 लोग मारे गए थे।
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