दुनिया की खबरें: 'इमरान खान को जेल में काल कोठरी में रखा गया' और चीन के संसद में टैरिफ धमकी रहेंगे छाए
पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली अदियाला जेल में काल कोठरी में अलग-थलग रखा गया है। खान की पार्टी ने सोमवार को यह दावा किया।

इमरान खान को जेल में काल कोठरी में रखा गया है: पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ
पाकिस्तान की जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को रावलपिंडी की उच्च सुरक्षा वाली अदियाला जेल में काल कोठरी में अलग-थलग रखा गया है। खान की पार्टी ने सोमवार को यह दावा किया।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के केंद्रीय सूचना सचिव शेख वकास अकरम ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान यह दावा किया। उन्होंने दावा किया, ‘‘इमरान खान को काल कोठरी में रखा गया है; उन्हें एकांत कारावास में रखा गया है। खान को दोषी ठहराए जाने से पहले ही विचाराधीन कैदी के रूप में काल कोठरी में रखा गया है।’’
उन्होंने यह भी दावा किया कि जिस कोठरी में खान को रखा गया, वह आतंकवादियों के लिए है। अकरम ने कहा कि यह शर्मनाक है कि पूर्व प्रधानमंत्री के साथ इस तरह का व्यवहार केवल उनके मनोबल को तोड़ने की नीयत से किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि तमाम मुश्किलों के बावजूद खान का मनोबल मजबूत है।
अकरम ने कहा कि खान को राजनीतिक सहयोगियों और परिवार के सदस्यों सहित आगंतुकों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई जो कानून के विपरीत है। कानूनन उन्हें वकीलों और करीबी रिश्तेदारों से मिलने का अधिकार है। उन्होंने यह भी दावा किया कि छह लोगों को खान से मिलने की अनुमति देने वाले अदालत के फैसले के बावजूद, अधिकारियों ने मुलाकात की अनुमति नहीं दी।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेताओं ने इस बात पर निराशा व्यक्त की है कि जेल अधिकारी किताबें और समाचार पत्र भी इमरान खान तक नहीं पहुंचने दे रहे हैं । अकरम के दावों की पुष्टि नहीं हो सकी। पांच अगस्त, 2023 को गिरफ्तार किए जाने के बाद से खान जेल में हैं।
चीन के वार्षिक संसद सत्र में आर्थिक सुस्ती, ट्रंप की शुल्क धमकियों जैसे मुद्दे छाए रहेंगे
बीजिंग, तीन मार्च (भाषा) बीजिंग में मंगलवार से शुरू हो रहे चीनी संसद के वार्षिक सत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चीनी सामान पर शुल्क लगाने की धमकी, वाशिंगटन की बीजिंग विरोधी नीतियों और आर्थिक सुस्ती का मुद्दा छाया रहने की संभावना है।
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) और चायनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस (सीपीपीसीसी) के 5,000 से अधिक प्रतिनिधि लगभग दो हफ्ते तक चलने वाले सत्र के लिए मंगलवार को बीजिंग में जुटेंगे। सत्र में वर्ष 2025 में चीन को आगे ले जाने के लिए सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के एजेंडे और विभिन्न कानूनों पर चर्चा की जाएगी।
सीपीसी की नीतियों के नियमित समर्थन के कारण “रबर स्टांप विधायिका” के रूप में पहचानी जाने वाली एनपीसी चीन की मुख्य नीति निर्माता निकाय है। वहीं, सीपीपीसीसी देश का सलाहकार निकाय है, जिसमें चीनी समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल हैं। यह निकाय शासन में सुधार के लिए विचार-विमर्श करता है और सिफारिशें आगे बढ़ाता है।
एनपीसी का सत्र बुधवार को प्रधानमंत्री ली क्वींग के कार्य रिपोर्ट और बजट पेश करने के साथ शुरू होगा। कार्य रिपोर्ट में चीन द्वारा पिछले साल हासिल उपलब्धियों का जिक्र होगा, जिसमें संपत्ति बाजार में सुस्ती के कारण अरबों डॉलर के नुकसान और घरेलू मांग में भारी कमी के बावजूद सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पांच प्रतिशत के आधिकारिक लक्ष्य की प्राप्ति भी शामिल है।
विशाल तियानमेन चौक के सामने ग्रेट हॉल ऑफ पीपल में आयोजित होने वाले सत्र में चीन द्वारा अमेरिका भेजे जाने वाले 436 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात पर 10 फीसदी शुल्क लगाने की ट्रंप की धमकी का मुद्दा उठेगा।
ट्रंप ने कहा है कि चीन से आने वाले सामान पर 10 फीसदी का नया शुल्क मंगलवार से लागू होगा, जिस दिन एनपीसी सत्र शुरू होगा। ट्रंप ने इस साल जनवरी में बतौर राष्ट्रपति अपना दूसरा कार्यकाल शुरू होते ही चीनी सामान पर 10 प्रतिशत शुल्क लगा दिया था।
ली की कार्य रिपोर्ट का जोर चीन के रक्षा बजट में संभावित वृद्धि पर भी होगा जो अमेरिका के बाद रक्षा क्षेत्र पर सबसे ज्यादा खर्च करने वाला दूसरा देश है।
चीन ने पिछले साल अपनी सेना के आधुनिकीकरण की व्यापक कवायद जारी रखते हुए अपना रक्षा बजट 7.2 फीसदी बढ़ाकर लगभग 232 अरब अमेरिकी डॉलर कर दिया था जो भारत के बजट से तीन गुना अधिक है।
ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिकी सेना को और मजबूत करने के ट्रंप के प्रयासों के बीच चीन इस वर्ष भी अपने रक्षा बजट में वृद्धि कर सकता है।
ईरान : उपराष्ट्रपति जरीफ ने इस्तीफे के बाद जानें क्या कहा?
ईरान के उपराष्ट्रपति जावेद जरीफ ने सोमवार को कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के प्रशासन पर दबाव कम करने में मदद के लिए अपना पद छोड़ा। पिछले साल अगस्त में अपनी नियुक्ति के बाद से उन्होंने रविवार रात को दूसरी बार इस्तीफा दिया। उनका कहना है कि देश की न्यायपालिका के प्रमुख की सलाह पर उन्होंने यह कदम उठाया।
जरीफ ने सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि उन्होंने शनिवार को ईरानी न्यायपालिका प्रमुख गुलाम-होसैन मोहसेनी एजेई से मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि बातचीत के दौरान, एजेई ने सलाह दी कि 'देश की परिस्थितियों को देखते हुए, मैं प्रशासन को ज्यादा दबाव से बचाने के लिए विश्वविद्यालय में (अध्यापन) वापस लौट जाऊं।'
जरीफ ने कहा कि उन्होंने सलाह को तुरंत मान लिया क्योंकि वह हमेशा 'मदद करना चाहते थे, बोझ नहीं बनना चाहते थे।' उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रशासन छोड़ने से 'लोगों की इच्छा और प्रशासन की सफलता' को साकार करने में बाधा डालने वालों के बहाने खत्म हो जाएंगे।
आधिकारिक समाचार एजेंसी आईआरएनए के मुताबिक जरीफ ने कहा, "मुझे आदरणीय डॉ. पेजेशकियन का समर्थन करने पर गर्व है। मैं उन्हें और जनता के अन्य सच्चे सेवकों को शुभकामनाएं देता हूं।"
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन, जिन्हें जरीफ का इस्तीफा पत्र मिला है, ने अभी तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
आईआरएनए के अनुसार, "जब से जरीफ को उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया, वह संसद में सांसदों के एक समूह की कड़ी आलोचना का शिकार रहे, जिनका तर्क था एक संवेदनशील पद पर उनकी नियुक्ति अवैध है क्योंकि उनके कम से कम एक बच्चे के पास अमेरिकी नागरिकता है। ईरानी कानून के अनुसार, ऐसे व्यक्ति जिनके पास विदेशी नागरिकता है या जिनके निकटतम परिवार के सदस्यों के पास ऐसी नागरिकता है, उन्हें ईरानी सरकार में संवेदनशील पदों पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है।"
ईरान की फार्स समाचार एजेंसी ने बताया कि प्रशासन के कार्यकाल की शुरुआत से ही कई ईरानी सांसदों की इस पद के लिए उनकी 'अवैध' नियुक्ति पर नजर थी।
पेजेशकियन ने अगस्त 2024 में जरीफ, [जो पूर्व विदेश मंत्री थे], को रणनीतिक मामलों के लिए उपाध्यक्ष और सामरिक अध्ययन केंद्र का प्रमुख नियुक्त किया।
हालांकि, जरीफ ने अपनी नियुक्ति के 10 दिन बाद ही इस्तीफा दे दिया क्योंकि वह नए ईरानी प्रशासन के कैबिनेट सदस्यों का चयन करने वाली संचालन परिषद के प्रमुख के रूप में 'अपने काम के परिणाम से संतुष्ट नहीं थे।' बाद में उन्होंने पेजेशकियन के 'विवेकपूर्ण' परामर्श के बाद अपना इस्तीफ़ा वापस ले लिया।
पाक-अफगान सीमा पर झड़पें तेज, तोरखम क्रॉसिंग 10वें दिन भी बंद
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तोरखम सीमा पर हुई हिंसक झड़पों में एक ड्राइवर की मौत हो गई और कम से कम दो पाकिस्तानी सैनिक घायल हो गए। सोमवार को लगातार 10वें दिन भी बॉर्डर बंद रहा।
ताजा झड़पें ऐसे समय में हुईं जब दोनों पक्षों ने रविवार (2 मार्च) को बॉर्डर क्रॉसिंग फिर से खोलने के लिए एक समझौता किया था।
हालांकि, समझौते के बावजूद, प्रमुख तोरखम क्रॉसिंग बंद रही और सोमवार सुबह फिर से झड़पें हुईं।
पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों ने तोरखम सीमा क्रॉसिंग पर गोलीबारी की घटनाओं और झड़पों की पुष्टि करते हुए कहा कि तनाव बढ़ता जा रहा है।
क्षेत्र के सूत्रों ने भी दोनों पक्षों के बीच भारी गोलीबारी की पुष्टि की।
पाकिस्तान की ओर तोरखम के पास अंतिम इलाके लांडी कोटल के एक निवासी ने बताया, "रविवार रात को पाकिस्तानी और अफ़गान सीमा सुरक्षा बलों के बीच भारी गोलीबारी शुरू हो गई। इलाके के स्थानीय लोग भी बहुत डरे हुए हैं, क्योंकि कुछ गोले रिहायशी इलाकों में गिरे और सीमा के पास स्थित घरों को भी नुकसान पहुंचा है।"
पिछले 10 दिनों से तोरखम सीमा बंद है। पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि अफगान तालिबान ने नई सीमा चौकी का निर्माण किया है।
पाकिस्तान ने अफगान अधिकारियों से मौजूदा सीमा संरचना का सम्मान करने की अपील की और कहा कि मौजूदा सीमा में किसी भी बदलाव के बारे में पिछले प्रोटोकॉल को व्यवहार में लाया जाना चाहिए।
सीमा बंद रहने के बावजूद इस्लामाबाद को उम्मीद है कि इस सप्ताह मुद्दे का समाधान हो जाएगा।
तोरखम सीमा पर तैनात एक सुरक्षाकर्मी ने कहा, "हम सीमा को फिर से खोलने के लिए तैयार हैं। लेकिन अफगान अधिकारियों ने अपने उच्च अधिकारियों के साथ इस मामले पर चर्चा करने के लिए कुछ और समय मांगा है।"
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