दुनिया की खबरें: ताइवान पर हमले की तैयारी कर रहा चीन? और पाकिस्तानी सेना पर बढ़े बलूच हमले

ताइवान ने चीन के इस हरकत की आलोचना भी कर दी है। चीन ने आइलैंड के चारों ओर संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है, जिसे जस्टिस मिशन 2025 नाम दिया गया है।

फोटो: Getty Images
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नवजीवन डेस्क

ताइवान को लेकर चीन और जापान समेत इस क्षेत्र में तनाव फिर से बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची की टिप्पणी के बाद से चीन ने अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है।

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने 'जस्टिस मिशन 2025' अभ्यास शुरू किया है। इसके तहत ताइवान के आसपास के क्षेत्र में थल सेना, वायु सेना और तोपखाने की यूनिट को तैनात कर अभ्यास किया जा रहा है। इसके साथ ही लाइव फायर ड्रिल भी किया जाएगा। इसकी वजह से ताइवान समेत चीन और जापान के बीच भारी तनाव की स्थिति बन गई है।

इस बीच ताइवान ने चीन के इस हरकत की आलोचना भी कर दी है। चीन ने आइलैंड के चारों ओर संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया है, जिसे जस्टिस मिशन 2025 नाम दिया गया है। मिलिट्री ड्रिल करने के लिए चीन ने वायु, जल और तोपखाने सेना को तैनात किया है। इसके साथ ही लाइव फायर ड्रिल की तैयारी भी की जा रही है। बता दें, फिलहाल शुरुआती अभ्यास किए जा रहे हैं। चीनी सेना की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार असल मायने में अभ्यास स्थानीय समयानुसार मंगलवार को सुबह आठ बजे से लेकर शाम के छह बजे तक जारी रहेगा।

बता दें, 2022 के बाद चीन का यह बड़ा सैन्य अभ्यास है। चीन इस अभ्यास के साथ ही अपनी बौखलाहट दुनिया को दिखा रहा है। चीन ने ताइवान के चारों ओर फोर्स को तैनात किया है, जिसमें लाइव फायर ड्रिल और ब्लॉकेड शामिल हैं।

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि ताइवान और अमेरिका के बीच हाल ही में 11 बिलियन डॉलर के सबसे बड़े हथियार पैकेज की बिक्री पर मुहर लगी है। अमेरिका ने ताइवान को 11 बिलियन डॉलर के बड़े हथियार दिए हैं। इस ऐलान के बाद चीन ने अमेरिकी रक्षा फर्मों के ऊपर प्रतिबंध लगाया। इसके बाद अब ताइवान के इर्द-गिर्द चीन इस बड़े सैन्य अभ्यास को अंजाम दे रहा है।

वहीं, ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, "हम पीआरसी के बिना वजह उकसावे की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हैं और पीएलए की उन हरकतों का विरोध करते हैं जो इलाके की शांति को कमजोर करती हैं। रैपिड रिस्पॉन्स एक्सरसाइज चल रही है, जिसमें हमारे लोगों की सुरक्षा के लिए सेना हाई अलर्ट पर है।"

नेपाल: जेन-जी विरोध प्रदर्शन मामले में जांच आयोग के सामने पेश हुए पूर्व गृहमंत्री, बोले- नहीं दिया था गोली चलाने का आदेश

नेपाल के पूर्व गृहमंत्री रमेश लेखक ने 29 दिसंबर 2025 को जेन-जी विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा और अत्याचारों की जांच के लिए गठित उच्च स्तरीय जांच आयोग के समक्ष पेश होकर अपनी गवाही दर्ज कराई।

यह प्रदर्शन सितंबर में हुआ था, जिसमें कथित रूप से अत्यधिक बल प्रयोग के कारण 77 लोगों की मौत हुई थी।

लेखक ने आयोग से कहा कि उन्होंने प्रदर्शनों से एक दिन पहले सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिए थे कि कोई हताहत न हो और न्यूनतम बल प्रयोग किया जाए।

लेखक, जो उस समय पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की मिली-जुली सरकार में गृहमंत्री थे, पर जेन-जी विद्रोह के दौरान अत्यधिक बल इस्तेमाल करने की इजाजत देने के आरोप हैं।

जेन-जी आंदोलन के दौरान 8 और 9 सितंबर की घटनाओं की जांच के लिए मौजूदा सुशीला कार्की की अंतरिम सरकार द्वारा बनाया गया जांच कमीशन पहले ही सुरक्षा एजेंसियों के अध्यक्ष और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के बयान दर्ज कर चुका है।

जांच के हिस्से के तौर पर, आयोग ने पूर्व गृहमंत्री लेखक को तलब किया। आयोग के अधिकारियों ने कहा है कि वे पूर्व प्रधानमंत्री ओली को भी तलब करने की योजना बना रहे हैं।

घटनाओं की जांच के लिए बनाए गए जांच आयोग के सामने गवाही देते हुए, लेखक ने आयोग को दिए गए एक लिखित जवाब में दावा किया कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ बल इस्तेमाल करने का कोई लिखित या मौखिक आदेश जारी नहीं किया था।

उन्होंने कहा, "कोई भी कानून गृहमंत्री को बल इस्तेमाल के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं देता है।"

लेखक ने कहा कि उन्होंने जेन-जी विरोध प्रदर्शन से एक दिन पहले सुरक्षा एजेंसियों को यह पक्का करने का निर्देश दिया था कि कोई हताहत न हो और ऐसी कोई स्थिति न बने जिससे किसी व्यक्ति की मौत हो। उनके अनुसार, 7 सितंबर को हुई केंद्रीय सुरक्षा समिति की बैठक के दौरान, ज्यादा बल इस्तेमाल करने का कोई फैसला नहीं लिया गया था।

लेखक ने कहा, "मैंने सुरक्षा एजेंसियों को घुसपैठियों के खिलाफ चौकस रहने का भी निर्देश दिया था।"

उन्होंने शांतिपूर्ण जेन जी आंदोलन को हाईजैक करने और विरोध प्रदर्शनों को हिंसक बनाने के लिए कुछ खास गुटों को दोषी ठहराया, जिससे 8 सितंबर को कई युवाओं की मौत हो गई।

उन्होंने सोमवार को आयोग के सामने पेशी के बाद पत्रकारों से बात करते हुए अपने दावों को दोहराया।


पाकिस्तानी सेना पर बढ़े बलूच हमले: बीएलए-बीएलएफ-बीआरजी का दावा, 'हमने ढेर किए 15 सैनिक'

बलूचिस्तान के अलग-अलग इलाकों में पाकिस्तानी सेना के 15 सैनिक पिछले एक हफ्ते में मारे गए हैं। बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए), बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) और बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स (बीआरजी) ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली है। इसमें केच, पंजगुर, तुर्बत, सुराब और नसीराबाद जैसे इलाके शामिल हैं। स्थानीय मीडिया ने सोमवार को यह जानकारी दी।

एक बयान में, बीएलए के प्रवक्ता जीयंद बलूच ने कहा कि बीएलएफ के लड़ाकों ने 23 दिसंबर को केच जिले के तेजबन इलाके में एक पाकिस्तानी आर्मी पोस्ट पर स्वचालित हथियारों और ग्रेनेड-लॉन्चर राउंड का इस्तेमाल करके हमला किया, जिसमें दो सैनिक मारे गए और पोस्ट के भीतर लगे सर्विलांस कैमरे नष्ट हो गए।

बीएलए ने कहा कि 25 दिसंबर को दूसरे हमले में, उसने पंजगुर जिले के कटगरी इलाके में चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) रूट पर एक सैन्य वाहन को रिमोट-कंट्रोल्ड विस्फोटक उपकरण से निशाना बनाया। दावा किया कि विस्फोट में छह पाकिस्तानी जवान मारे गए और चार अन्य घायल हो गए।

द बलूचिस्तान पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, प्रवक्ता ने आगे कहा कि ग्रुप ने रविवार को विस्फोटक लगाकर एक और हमला किया, जिससे तुर्बत के डांक इलाके में पाकिस्तानी सेना द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक कम्युनिकेशन टावर नष्ट हो गया और ढांचे पर लगे “एक्टिव स्पाई कैमरे” खराब हो गए। इस बीच, बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) ने कहा कि उसने 27 दिसंबर को बलूचिस्तान के सुराब जिले में बाथगु क्रॉस पर आरसीडी हाईवे पर रोडब्लॉक ऑपरेशन शुरू किया था।

बीएलएफ प्रवक्ता मेजर ग्वाहरम बलूच के मुताबिक, ग्रुप ने चेकपॉइंट पर गाड़ियों को तब रोका जब सैंदक माइनिंग प्रोजेक्ट से जुड़े ट्रकों को एस्कॉर्ट कर रही चार पाकिस्तानी सिक्योरिटी गाड़ियां आईं। उन्होंने आगे कहा कि लड़ाकों ने एस्कॉर्ट गाड़ियों को “एक साथ निशाना बनाया,” जिसमें पांच लोग मारे गए और कई घायल हो गए। उन्होंने आगे कहा कि सिक्योरिटी काफिले और सैंदक प्रोजेक्ट दोनों की गाड़ियों को “भारी नुकसान” पहुंचा था।

इसके अलावा, बलूच रिपब्लिकन गार्ड्स (बीआरजी) ने दावा किया कि शनिवार रात को प्रांत के नसीराबाद जिले में नोटल और बख्तियाराबाद के बीच लड़ाकों ने पाकिस्तानी सेना के काफिले पर फायरिंग की।

ललित मोदी ने 'सबसे बड़े भगोड़े' वाली टिप्पणी के लिए माफी मांगी

वित्तीय फर्जीवाड़े में वांछित आईपीएल संस्थापक ललित मोदी ने सोमवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में खुद को और विजय माल्या को भारत के ‘‘दो सबसे बड़े भगोड़े’’ कहने के लिए माफी मांगी और कहा कि उनके बयान को ‘‘गलत समझा गया।"

लंदन में माल्या के 70वें जन्मदिन के समारोह के एक वीडियो में, जिसे अब हटा दिया गया है, ललित मोदी ने मजाक में दोनों को भारत के "दो सबसे बड़े भगोड़े" बताया था।

माफी मांगते हुए ललित मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, "अगर मैंने किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है, खासकर भारत सरकार की, जिसके प्रति मेरे मन में सर्वोच्च सम्मान और आदर है, तो मैं माफी मांगता हूं।"

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के संस्थापक कमिश्नर ललित मोदी ने कहा, "बयान को गलत समझा गया और ऐसा कोई इरादा नहीं था, जैसा कहा गया।"

भारत द्वारा ललित मोदी और माल्या सहित अन्य भगोड़ों को विदेश से वापस लाकर देश में कानून का सामना कराने की प्रतिबद्धता जताने के कुछ दिनों बाद यह माफी आई है।

ललित मोदी और माल्या दोनों भारत में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को लेकर कानूनी प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं।

ललित मोदी को भारतीय जांच एजेंसियों द्वारा धन शोधन में कथित संलिप्तता और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा), 1999 के उल्लंघन के आरोप में वांछित घोषित किया गया है।

माल्या भी भारत में किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए कर्ज के संबंध में धोखाधड़ी और धन शोधन के आरोपों में वांछित है।

माल्या ब्रिटेन में जमानत पर है। वह एक "गोपनीय" कानूनी मामले के निपटारे तक प्रत्यर्पण से इनकार कर रहा है, जिसके बारे में माना जा रहा है कि यह शरण को लेकर आवेदन से संबंधित है।

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