दुनिया की खबरें: परमाणु तनाव पर जानें रूस ने क्या कहा? और इस देश में भारी बारिश से बाढ़, 33 लोगों की मौत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की चेतावनी के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया। मॉस्को ने कई बार मध्यस्थता की पेशकश की है।

क्रेमलिन ने सोमवार को कहा कि रूस, तेहरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका और ईरान के बीच तनाव को कम करने के लिए हर संभव मदद करने को तैयार है। वाशिंगटन का कहना है कि तेहरान उसके साथ परमाणु समझौता करे या फिर बमबारी के तैयारी करे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की चेतावनी के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया। मॉस्को ने कई बार मध्यस्थता की पेशकश की है।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, "हम अपने ईरानी साझेदारों के साथ लगातार परामर्श कर रहे हैं, जिसमें परमाणु समझौते का विषय भी शामिल है।" उन्होंने कहा, "यह प्रक्रिया निकट भविष्य में भी जारी रहेगी। बेशक, रूस राजनीतिक और कूटनीतिक तरीकों से इस समस्या के समाधान में योगदान देने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए तैयार है।"
ईरान ने 2015 में विश्व शक्तियों के साथ परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे औपचारिक रूप से ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन (जेसीपीओए) के रूप में जाना जाता है। जेसीपीओए को ईरान परमाणु समझौता या ईरान डील के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत प्रतिबंधों में राहत और अन्य प्रावधानों के बदले में ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर राजी हुआ था।
ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका ने 2018 में समझौते से खुद को अलग कर लिया और 'अधिकतम दबाव' की नीति के तहत प्रतिबंध लगा दिए।
ईरान का कहना है कि उसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा की जरूरत है। उसने इस बात से इनकार किया है कि वह परमाणु हथियार हासिल करना चाहता है।
तेहरान ने ट्रंप की सीधी वार्ता की मांग को ठुकरा दिया। एक वरिष्ठ ईरानी अधिकारी ने वीकेंड में उन पड़ोसियों को चेतावनी जारी की है जिनके यहां अमेरिकी सैन्यकि वे निशाने पर आ सकते हैं।
रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने पिछले सप्ताह कहा कि ईरान पर बमबारी के बारे में ट्रंप की टिप्पणियों ने केवल 'स्थिति को जटिल' बनाया है। उन्होंने चेतावनी दीकि हमले व्यापक क्षेत्र के लिए 'विनाशकारी' हो सकते हैं।
यह बयान इसलिए भी अहम था क्योंकि रूस ने ट्रंप की ऐसी तीखी आलोचना से परहेज किया है।
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के साथ संबंधों को सुधारने के लिए तेजी से कदम उठाए हैं। वहीं ट्रंप का रवैया भी रूस को लेकर बेहद नरम रहा है। इससे यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगी चिंतित हैं।
यूक्रेन में पूर्ण पैमाने पर संघर्ष शुरू होने के बाद से मॉस्को ने तेहरान के साथ संबंधों को गहरा किया है। दोनों ने जनवरी में एक रणनीतिक साझेदारी संधि पर हस्ताक्षर किए थे।
कांगो की राजधानी में भारी बारिश लाई बाढ़, 33 लोगों की मौत
कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) की राजधानी किंशासा में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ में कम से कम 33 लोगों की जान चली गई। अधिकारियों ने सोमवार को इस बात की पुष्टि की।
उप प्रधानमंत्री और आंतरिक एवं सुरक्षा मंत्री जैकमैन शबानी ने बताया कि शुक्रवार से शनिवार की रात तक हुई तेज बारिश से राजधानी के कई इलाकों में भारी नुकसान हुआ है। इस दौरान कई लोग घायल हो गए हैं और कई घर भी तबाह हो गए हैं।
इसके जवाब में सरकार ने सशस्त्र बलों, विभिन्न मंत्रालयों और किंशासा प्रांतीय सरकार के साथ मिलकर एक संकट प्रबंधन टीम बनाई है, ताकि लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके और आपातकालीन टीमें भेजी जा सकें।
बाढ़ के कारण शहर का ज्यादातर ढांचा प्रभावित हो गया है। मुख्य सड़कें पानी में डूब गई हैं और पूरे शहर में बिजली और पानी की सप्लाई में बड़ी परेशानियां आ गई हैं।
परिवहन मंत्रालय ने बताया कि एन'जिली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से आने-जाने वाली सड़कें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं, जिसके कारण फंसे हुए यात्रियों की मदद के लिए आपातकालीन नाव सेवाएं शुरू की गई हैं।
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में भारी बारिश जारी रह सकती है, जिससे 17 मिलियन की आबादी वाले इस शहर में और ज्यादा नुकसान हो सकता है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, डीआरसी का बारिश का मौसम आमतौर पर नवंबर से मई तक रहता है।
6 अप्रैल को किंशासा के गवर्नर डैनियल बुम्बा ने कहा था कि मृतकों की संख्या अभी अस्थायी है और खोज व बचाव के काम जारी रहने पर यह बढ़ सकती है।
बुम्बा ने स्थानीय मीडिया को बताया, "हम अभी भी बचाव कार्य चला रहे हैं, खासकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों जैसे कमजोर लोगों के लिए।"
सैन्य की मदद से मोंट-अम्बा, सालोंगो और नदानु जैसे सबसे प्रभावित इलाकों में आपातकालीन निकासी का काम जारी है।
मुख्य सड़कें पानी में डूब गईं, जिसके कारण कई इलाकों में बिजली और पानी की सप्लाई बाधित हो गई।
बाढ़ ऐसे समय में आई है जब देश के पूर्वी हिस्से में संघर्ष बढ़ रहा है। रवांडा समर्थित एम23 विद्रोहियों ने साल की शुरुआत से वहां हमले तेज कर दिए हैं, जिसके कारण हाल के महीनों में 7,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और लाखों लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं।
पूर्वी डीआरसी अपनी खनिजों की संपत्ति के कारण संघर्ष का मुख्य केंद्र बन गया है, जहां कई सशस्त्र समूह कोल्टन, टिन, टैंटालम और सोने पर कब्जा करने के लिए लड़ाई कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, जनवरी के अंत से अब तक लगभग 10 लाख लोग अपने घरों से भागने को मजबूर हो चुके हैं, जिनमें लगभग 400,000 बच्चे भी शामिल हैं। उत्तर और दक्षिण किवु में संघर्ष जारी रहने के कारण यह संख्या और बढ़ने की संभावना है।
नेपाल सरकार को आंदोलनकारी शिक्षकों की चुनौती, देशभर में हड़ताल का ऐलान
नेपाल में शिक्षकों ने नेपाल शिक्षक संघ के बैनर तले सोमवार को नए स्कूल शिक्षा एक्ट की मांग को लेकर आम हड़ताल की घोषणा की।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, हड़ताल का उद्देश्य सरकार पर अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बढ़ाना है।
नेपाल के स्कूल शिक्षकों के प्रमुख संगठन फेडरेशन ने देशभर के शिक्षकों से अपने स्कूल बंद करने और काठमांडू में इक्ट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की।
महासंघ ने शिक्षकों को रिजल्ट तैयार करने सहित अन्य जिम्मेदारियों को पूरा करने से परहेज करने का निर्देश दिया।
महासंघ के बयान में कहा गया, "चल रहे आंदोलन को मजबूत करने के लिए 7 अप्रैल से स्कूलों में आम हड़ताल की घोषणा की गई है। हम सभी शिक्षकों और कर्मचारियों से अपील करते हैं कि वे देश भर के सभी स्कूलों को बंद करके काठमांडू में शैक्षिक आंदोलन में अनिवार्य रूप से भाग लें।"
महासंघ ने शिक्षकों से उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन और परिणाम प्रकाशन जैसी जिम्मेदारियां 'पूरा न करने' के साथ-साथ प्रशिक्षण कार्यशालाओं, सेमिनारों या शैक्षिक दौरों में भाग न लेने को कहा।
आंदोलनकारी शिक्षकों की ओर से हड़ताल की घोषणा ऐसे समय में की गई जब माध्यमिक शिक्षा परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन और नए शैक्षणिक सत्र के लिए नामांकन अभियान शुरू करने की तैयारियां चल रही हैं। नेपाल में नया शैक्षणिक सत्र 15 अप्रैल से शुरू हो रहा है।
नेपाल की शिक्षा मंत्री बिद्या भट्टाराई ने नेपाल के प्रमुख समाचार पत्र काठमांडू पोस्ट से कहा, "सरकार ने उन्हें कई बार बातचीत के लिए बुलाया। मैंने व्यक्तिगत रूप से महासंघ के अध्यक्ष को बातचीत के लिए बुलाया और विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों से मुलाकात भी की।"
मंत्री ने कहा, "उन्होंने बातचीत के लिए आन से इनकार कर दिया है, उनका तर्क है कि चर्चा करने के लिए कुछ भी नहीं है।"
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, स्कूल शिक्षा एक्ट को लागू करने की मांग को लेकर देशभर के शिक्षक 2 अप्रैल से काठमांडू में इक्ट्ठा हो रहे हैं। यह एक्ट सरकार की प्रतिबद्धताओं के बावजूद संसद में लंबित है।
नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सरकार की सिफारिश पर मंगलवार को संघीय संसद के सत्र को स्कूल शिक्षा विधेयक को मंजूरी दिए बिना स्थगित कर दिया। विधेयक डेढ़ साल से सदन की समिति में लंबित है।
इजराइल में हमास के रॉकेट हमलों में तीन घायल, सेंट्रल गाजा पर की गई जवाबी कार्रवाई
दक्षिणी इजरायल पर हमास के रॉकेट हमले में तीन लोग घायल हो गए। इसके जवाब में, इजरायली सेना ने मध्य गाजा पर कई हवाई हमले किए।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, रविवार को हमास की सैन्य शाखा अल-कस्साम ब्रिगेड ने एक बयान में कहा कि उसने फिलिस्तीनी नागरिकों के खिलाफ इजरायली "नरसंहार" का जवाब देते हुए दक्षिणी इजरायल के अशदोद पर रॉकेटों की बौछार की।
इजरायली सेना के प्रवक्ता अविचाय अद्राई ने एक बयान में कहा कि गाजा से 10 रॉकेट दागे गए, जिनमें से ज्यादातर को रोक लिया गया।
हमले के बाद, अशदोद, अश्कलोन, यावने शहरों और आसपास के अन्य इलाकों में भी सायरन एक्टिवेट हो गए।
इसके बाद इजरायल के सरकारी टीवी चैनल कान न्यूज ने बताया कि एक रॉकेट मध्य अश्कलोन में गिरा, जिससे तीन लोग घायल हो गए।
कान टीवी न्यूज ने यह भी बताया कि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आईडीएफ को हमास के खिलाफ "कड़ी" प्रतिक्रिया देने का आदेश दिया। इसके बाद, इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने मध्य गाजा के डेर अल-बलाह शहर पर हमला किया।
आईडीएफ ने एक बयान में हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि उसने गाजा में उन रॉकेट लॉन्चरों पर हमला किया, जिनसे इजरायली क्षेत्र की ओर रॉकेट दागे गए थे।
इस बीच, गाजा में स्थानीय प्रत्यक्षदर्शियों ने सिन्हुआ को बताया कि इजरायली सेना ने रविवार रात को डेर अल-बलाह में कई जगहों पर हवाई हमले किए और क्षेत्र में तेज धमाकों की आवाजें सुनाई दीं।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इजरायली युद्धक विमानों को गाजा के ऊपर लगातार कई हमलों के दौरान उड़ते देखा गया और टोही विमानों ने भी वहां पर काफी उड़ानें भरीं। गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने अब तक किसी के घायल होने की सूचना नहीं दी है।
इजरायल ने 18 मार्च को गाजा पर बड़े पैमाने पर हवाई और जमीनी हमले फिर से शुरू कर दिए। गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इन नए हमलों के बाद रविवार तक 1,335 फिलिस्तीनी मारे गए और 3,297 लोग घायल हुए।
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