दुनिया की खबरें: दुनिया का पहला सबसे प्रदूषित शहर है लाहौर और अमेरिका में ट्रंप को नहीं मिल रहा आम जनता का साथ!

स्विस एयर क्वालिटी मॉनिटर आईक्यूएयर के अनुसार, लाहौर का एक्यूआई 300 से ज्यादा है। इसके साथ ही यह वैश्विक प्रदूषण चार्ट में टॉप पर है। स्थानीय मीडिया ने बुधवार को बताया कि पाकिस्तान के कई शहरों में बहुत ज्यादा गंदगी और हवा बहुत ज्यादा प्रदूषित है।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

पाकिस्तान का लाहौर शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है। स्विस एयर क्वालिटी मॉनिटर आईक्यूएयर के अनुसार, लाहौर का एक्यूआई 300 से ज्यादा है। इसके साथ ही यह वैश्विक प्रदूषण चार्ट में टॉप पर है। स्थानीय मीडिया ने बुधवार को बताया कि पाकिस्तान के कई शहरों में बहुत ज्यादा गंदगी और हवा बहुत ज्यादा प्रदूषित है।

353 एक्यूआई के साथ लाहौर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में पहले नंबर पर है। क्वेटा सुबह पाकिस्तान का सबसे प्रदूषित शहर रहा। क्वेटा का एक्यूआई 517 है। पाकिस्तान की एआरवाई न्यूज के अनुसार, रहीम यार खान, गुजरांवाला और फैसलाबाद में भी हवा की गुणवत्ता खराब मापी गई। इसके अलावा, खैबर पख्तूनख्वा और दक्षिणी पंजाब के मैदानी इलाकों में बहुत ज्यादा कोहरा छाया रहा, जिससे हाईवे पर विजिबिलिटी कम हो गई।

खराब विजिबिलिटी के कारण मोटरवे के कई हिस्से बंद कर दिए गए। 2024 में कुछ दिनों के लिए, लाहौर कोहरे से ढका रहा। असल में यह कोहरे और प्रदूषण का मिश्रण था, जो घटिया क्वालिटी के डीजल के धुएं और मौसमी खेती से निकलने वाले धुएं की वजह से होता है।

लाहौर में हवा के प्रदूषण का स्तर एक बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मंजूर नॉर्मल साफ-सफाई वाले स्तर से 80 गुना ज्यादा हो गया था। नवंबर की शुरुआत में, एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान दुनिया भर में 168वीं रैंकिंग पर है और क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2026 में 15वीं रैंकिंग पर है। पाकिस्तान का ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स (एचडीआई) 0.544 कम है।

बढ़ते तापमान से गर्मी और पानी की कमी होती है, खासकर सूखे और कम सूखे इलाकों में, जिससे खेती की पैदावार पर असर पड़ता है। इसके साथ ही, परिवहन, उद्योग और खेती से होने वाले वायु प्रदूषण से कोहरा होता है जो एविएशन पर असर डालता है। इसकी वजह से विजिबिलिटी कम हो जाती है और यह सांस की बीमारियों का कारण बनता है।

अमेरिका में ट्रंप को नहीं मिल रहा आम जनता का साथ! बढ़ती महंगाई को लेकर लोगों में असंतोष

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से टैरिफ को लेकर दिए हालिया बयानों से हलचल मचा दी है। पूरी दुनिया में टैरिफ का दबाव बनाने वाले ट्रंप अब अपने ही देश में बढ़ती महंगाई को लेकर घिरते नजर आ रहे हैं।

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति घरेलू चुनाव को देखते हुए आम जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में लग गए हैं। ट्रंप भले ही टैरिफ के जरिए दूसरे देशों पर दबाव बनाने की कोशिशों में किसी हद तक कामयाब रहे हों, लेकिन अमेरिकी जमीन पर जनता में उनके फैसलों को लेकर असंतोष साफ जाहिर है।

मंगलवार को पेंसिलवेनिया के एक कसीनो रिजॉर्ट में ट्रंप एक रैली में शामिल हुए। इस दौरान वह एक बार फिर से अपने पुराने दावों को दोहराते नजर आए। रैली में मौजूद लोग उम्मीद कर रहे थे कि ट्रंप बढ़ती महंगाई से राहत के लिए कोई खास ऐलान कर सकते हैं। उन्होंने पेट्रोल की कम कीमतों, रिकॉर्ड निवेश और नौकरियां बढ़ाने के अपने पुराने दावों को ही दोहराया।

इस दौरान उन्होंने डेमोक्रेट्स और पूर्व की बाइडेन सरकार पर तंज कसा। इसके साथ ही ट्रंप ने ट्रांसजेंडर स्पोर्ट्स, अप्रवास और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे मुद्दों पर फिर से बयानबाजी करते नजर आए। उन्होंने कहा कि ताकत के जरिए शांति लाना उनका लक्ष्य है, और दावा किया कि टैरिफ को लेकर उनके फैसले सफल रहे। अप्रवासी के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि बाइडेन के नेतृत्व में कई खतरनाक अवैध प्रवासी देश में आ गए।

विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू मुद्दों की अनदेखी को लेकर रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भी चिंता बढ़ गई है। पार्टी सांसद टोनी गोंजालेस ने चेतावनी दी कि अगर रिपब्लिकन आर्थिक मुद्दों पर ध्यान नहीं देंगे, तो यह उनके लिए नुकसानदेह साबित होगा।

हालांकि, जनता के मुद्दों से जुड़ने के लिए ट्रंप ने बढ़ती महंगाई को लेकर ज्यादा कुछ तो नहीं कहा, लेकिन बिना किसी नीति के ‘अमेरिका को फिर से किफायती बनाने’ का नारा दिया।


ट्रंप की टैरिफ नीति ने किसानों को वैश्विक बाजार से किया बाहर, व्यापार नीति पर सीनेटर का बयान

अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित 12 अरब डॉलर के नए किसान सहायता पैकेज पर सियासत तेज हो गई है। शीर्ष डेमोक्रेटिक नेता और अमेरिकी सीनेटर मारिया कैंटवेल ने इस योजना को किसानों के लिए बेहद नाकाफी राहत बताया। उनका कहना है कि यह कदम उन नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता, जो ट्रंप की टैरिफ नीतियों की वजह से अमेरिकी कृषि क्षेत्र को पिछले कई वर्षों में झेलने पड़े हैं।

कैंटवेल ने कहा कि ट्रंप प्रशासन की व्यापारिक नीतियों ने वैश्विक बाजारों का संतुलन बिगाड़ दिया और कई प्रमुख अमेरिकी उत्पादों के निर्यात पर बड़ा असर पड़ा, खासतौर पर उन वस्तुओं पर जिन्हें भारत जैसे बड़े बाजार में पहले बड़ी मात्रा में भेजा जाता था।

ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह सोयाबीन, मक्का, गेहूं, मसूर, चना और जौ उत्पादकों के लिए नए किसान सेतु सहायता कार्यक्रम के तहत 11 अरब डॉलर तक देने का प्रस्ताव कर रहे हैं। इसके अलावा 1 अरब डॉलर विशेष फसलों के लिए निर्धारित किया जाएगा। हालांकि प्रशासन ने अभी तक इन राशियों के वितरण की समय-सीमा और प्रक्रिया स्पष्ट नहीं की है। माना जा रहा है कि भुगतान 28 फरवरी 2026 तक जारी कर दिए जाएंगे।

यह सहायता राशि कमोडिटी क्रेडिट कॉरपोरेशन के माध्यम से प्रदान की जाएगी और फार्म सर्विस एजेंसी इसका प्रबंधन करेगी। यह घोषणा उस पहली टैरिफ वॉर के लगभग एक वर्ष से भी अधिक समय बाद आई है, जिसके चलते कई देशों ने अमेरिकी उत्पादों पर कड़े जवाबी शुल्क लगाए थे।

सीनेटर कैंटवेल ने कहा कि यह राहत योजना बहुत कम और बहुत देर से आई है। उनके अनुसार, वाशिंगटन के किसान किसी छोटी-मोटी राहत नहीं चाहते। वे चाहते हैं कि उनके उत्पाद दुनिया भर में आसानी से भेजे जा सकें। ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने वर्षों की मेहनत से बनाए गए विदेशी बाजार और शेल्फ स्पेस को खराब कर दिया है।

मोरक्को के दूसरे सबसे बड़े शहर में इमारत ढहने से 19 लोगों की मौत

मोरक्को के फेज शहर में रात में दो बहुमंजिला इमारतों के ढहने से 19 लोगों की मौत हो गई। इस साल यहां इमारतों के ढहने की यह दूसरी घातक घटना है। प्राधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

मोरक्को की सरकारी समाचार एजेंसी के अनुसार, प्रभावित आवासीय इमारतों में आठ परिवार रहते थे। हादसे में 16 लोग घायल हो गए और उन्हें नजदीकी अस्पताल में उपचार के लिए भेजा गया।

अधिकारियों ने बताया कि पूरे इलाके को खाली करा लिया गया है और खोज एवं बचाव अभियान जारी है।

बुधवार सुबह तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया था कि इमारत के ढहने का कारण क्या था या कितने लोग लापता थे।

फेज मोरक्को का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और इस महीने होने वाले अफ्रीका कप ऑफ नेशंस तथा 2030 फीफा विश्व कप के आयोजक शहरों में शामिल है।

इसी साल मई में इमारत ढहने की एक घटना में 10 लोगों की मौत हो गयी थी जबकि सात अन्य घायल हो गये थे।

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