दुनिया की खबरें: अफगानिस्तान में भूकंप से अब तक 2 हजार से अधिक मौत और पाकिस्तान में स्वास्थ्य व्यवस्था खतरे में
रविवार रात आए 6.0 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने कई प्रांतों को हिला दिया, जिससे भारी तबाही हुई। भूकंप से कई गांव तबाह हो गए और लोग मिट्टी, कच्ची ईंटों और लकड़ी से बने मकानों के मलबे में दब गए, जो इस झटके को सहन नहीं कर पाए।

अफगानिस्तान में पिछले सप्ताह आए भूकंप में तबाह हुए घरों से सैकड़ों शव बरामद होने के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 2,200 से अधिक हो गई है। तालिबान सरकार के एक प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
रविवार रात आए 6.0 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने कई प्रांतों को हिला दिया, जिससे भारी तबाही हुई। भूकंप से कई गांव तबाह हो गए और लोग मिट्टी, कच्ची ईंटों और लकड़ी से बने मकानों के मलबे में दब गए, जो इस झटके को सहन नहीं कर पाए।
ज्यादातर जान-माल की हानि कुनार में हुई है, जहां लोग ऊंचे पहाड़ों से घिरी नदी की घाटियों में रहते हैं।
तालिबान के प्रवक्ता हमदुल्लाह फितरत ने बताया कि बचाव और खोज अभियान जारी हैं। उन्होंने कहा, “लोगों के लिए तंबू लगाए गए हैं और प्राथमिक चिकित्सा उपचार मुहैया कराया जा रहा है तथा जरूरी सामान की आपूर्ति की जा रही है।”
खराब रास्ते और धन की कमी बचाव एवं राहत कार्यों में बाधा बन रही है और सहायता संगठन देशों से अधिक मदद की अपील कर रहे हैं।
पाकिस्तान में नर्सों का बढ़ता पलायन, स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए खतरा
पाकिस्तान में नर्सों का बड़े पैमाने पर विदेशों की ओर पलायन देश की पहले से ही जर्जर स्वास्थ्य प्रणाली के लिए गंभीर खतरा बन गया है। अच्छी सैलरी, सुरक्षित वर्क कल्चर और पेशेवर अवसरों की तलाश में नर्सें लगातार देश छोड़ रही हैं।
ब्रिटिश दैनिक एशियन लाइट की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान, जिसकी आबादी 24 करोड़ से अधिक है, उसे मौजूदा स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए लगभग 7 लाख नर्सों की आवश्यकता है। लेकिन 2020 तक केवल 1,16,659 नर्सें ही देश में पंजीकृत थीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कमी “किसी भी मानक से चौंकाने वाली है और बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए बेहद विनाशकारी साबित हो सकती है।”
पाकिस्तान के ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन एंड ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में प्रवास करने वाले उच्च शिक्षित पेशेवरों में नर्सों की हिस्सेदारी 5.8 प्रतिशत रही। जहां विकासशील देशों से हर साल औसतन 15 प्रतिशत नर्सें अमीर देशों की ओर पलायन करती हैं, वहीं पाकिस्तान में यह दर कहीं अधिक है। 2019 से 2024 के बीच पाकिस्तानी नर्सों का विदेश पलायन 54.2 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दर से बढ़ा है।
सिर्फ 2024 में ही रिकॉर्ड 7,27,381 पेशेवरों ने पाकिस्तान छोड़ा। 2025 के मध्य तक यह संख्या 3,36,442 तक पहुंच गई, जिनमें बड़ी संख्या चिकित्सा और नर्सिंग क्षेत्र से जुड़ी है।
नर्सों की भारी कमी से डॉक्टरों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, मरीज अधिक असुरक्षित हो रहे हैं और अस्पतालों में अव्यवस्था बढ़ रही है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देश को कुल मिलाकर 10 लाख से अधिक नर्सों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
बांग्लादेश: अदालत ने 2004 ग्रेनेड हमले के आरोपियों की बरी होने की सजा बरकरार रखी
बांग्लादेश की सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को हाईकोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें 2004 के कुख्यात ग्रेनेड हमले के सभी 49 आरोपियों को बरी कर दिया गया था। इनमें बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारीक रहमान और पूर्व राज्य मंत्री लुत्फ़ुज्ज़मान बाबर भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट की इस छह सदस्यीय पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश सैयद रफ़ात अहमद ने की। पीठ ने सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। इससे पहले दिसंबर 2024 में हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।
21 अगस्त 2004 को ढाका के बंगबंधु एवेन्यू पर आयोजित अवामी लीग की रैली को निशाना बनाकर ग्रेनेड हमला किया गया था। उस समय रैली का नेतृत्व विपक्ष की नेता शेख हसीना कर रही थीं। हमले में 24 लोगों की मौत हुई थी और 500 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
ट्रायल कोर्ट ने 2018 में बाबर समेत 19 लोगों को मौत की सजा और तारीक रहमान व अन्य 18 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके अलावा पुलिस और सेना के 11 अधिकारियों को भी विभिन्न सजाएं दी गई थीं।
अवामी लीग ने आरोप लगाया कि यह हमला बीएनपी प्रमुख खालिदा जिया के पुत्र तारीक रहमान की साजिश के तहत किया गया था। पार्टी ने कहा कि इस हमले का उद्देश्य हसीना की हत्या करना और बांग्लादेश की स्वतंत्रता, लोकतंत्र और 1971 के मुक्ति संग्राम की भावना को खत्म करना था।
नेपाल ने फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया मंचों पर लगायी पाबंदी
नेपाल ने निर्धारित समय सीमा के भीतर संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय में पंजीकरण कराने में विफल रहने बृहस्पतिवार को फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसी सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगा दिया।
मंत्रालय द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि इन सोशल मीडिया कंपनियों को पंजीकरण के लिए 28 अगस्त से सात दिन का समय दिया गया था।
मंत्रालय ने कहा कि बुधवार रात को जब समय सीमा समाप्त हो गई, तब भी किसी भी बड़े सोशल मीडिया मंच ने आवेदन जमा नहीं किया। उनमें मेटा (फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप), ‘अल्फाबेट (यूट्यूब), एक्स (पूर्व में ट्विटर), ‘रेडिट’ और ‘लिंक्डइन’ शामिल हैं।
हालांकि, मंत्रालय के अनुसार, ‘टिकटॉक, ‘वाइबर’, ‘विटक’, ‘निंबज’ और ‘पोपो लाइव’ को सूचीबद्ध किया गया है, जबकि टेलीग्राम और ग्लोबल डायरी ने आवेदन किया है और वे अनुमोदन की प्रक्रिया में हैं।
फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों ने अभी तक नेपाल सरकार के फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
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