दुनिया की खबरें: माउंट लेवोटोबी में विस्फोट, 8,000 मीटर ऊंचाई तक राख और अमेरिका से 388 निर्वासित भारतीय देश लौटे
गुरुवार को आधी रात से पहले हुए विस्फोट से 8,000 मीटर तक की ऊंचाई तक राख फैल गई। काले बादल क्रेटर (ज्वालामुखी के शीर्ष पर एक गड्ढा) के दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम में फैल गए।

इंडोनेशिया के पूर्वी नुसा तेंगारा प्रांत में स्थित माउंट लेवोटोबी में विस्फोट हुआ। इसके बाद ज्वालामुखी विज्ञान और भूगर्भीय आपदा न्यूनीकरण केंद्र ने अलर्ट की स्थिति को उच्चतम स्तर तक बढ़ा दिया।
गुरुवार को आधी रात से पहले हुए विस्फोट से 8,000 मीटर तक की ऊंचाई तक राख फैल गई। काले बादल क्रेटर (ज्वालामुखी के शीर्ष पर एक गड्ढा) के दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम में फैल गए।
शुक्रवार की सुबह तक जोरदार विस्फोट जारी रहा और राख का एक स्तंभ 2,500 मीटर तक पहुंच गया। घने काले बादल ज्वालामुखी से पश्चिम की ओर बढ़ गए। गुरुवार से ज्वालामुखी का अलर्ट स्तर उच्चतम स्तर या स्तर चार तक बढ़ा दिया गया।
विमानन के लिए ज्वालामुखी वेधशाला नोटिस गुरुवार से लाल स्तर तक बढ़ा दिया गया। इसके तहत ज्वालामुखी के आसपास के क्षेत्र में विमानों को 6,000 मीटर से नीचे उड़ान भरने से रोक दिया गया।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार विमानों को ज्वालामुखी की राख की मौजूदगी के प्रति भी सतर्क रहने को कहा गया, जो उड़ानों को बाधित कर सकती है।
केंद्र ने सुरक्षा संबंधी सिफारिशें जारी की। इनमें माउंट लेवोटोबी के आस-पास के लोगों को भारी वर्षा के दौरान पहाड़ की ढलानों से निकलने वाली नदियों में संभावित वर्षा-प्रेरित लावा बाढ़ से सावधान रहने की सलाह दी गई। इसके अलावा ज्वालामुखीय राख से प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले निवासियों को श्वसन संबंधी खतरों से खुद को बचाने के लिए मास्क पहनने की सलाह दी गई।
इंडोनेशिया दक्षिण पूर्व एशिया और ओशिनिया में भारतीय और प्रशांत महासागरों के बीच स्थित एक देश है। इसमें 17,000 से ज्यादा द्वीप शामिल हैं। यहां अक्सर भूकंपीय गतिविधियां होती रहती हैं। इसमें 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखी जो पैसिफिक रिंग ऑफ फायर का हिस्सा हैं। 1,584 मीटर ऊंचा माउंट लेवोटोबी इन्हीं में से एक है।
इंडोनेशिया कई प्रमुख टेक्टोनिक प्लेटों की सीमा पर स्थित है जैसे की यूरेशियन, ऑस्ट्रेलियाई और प्रशांत प्लेटे।
इंडोनेशिया ने दुनिया के कुछ सबसे घातक और सबसे शक्तिशाली विस्फोटों का अनुभव किया है। इनमें 815 में माउंट टैम्बोरा का विस्फोट भी शामिल है। इसे दर्ज मानव इतिहास का सबसे शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट माना जाता है।
अमेरिका से 388 निर्वासित भारतीय देश लौटे, सरकार ने संसद में दी जानकारी
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बताया कि इस साल जनवरी से अब तक कुल 388 निर्वासित लोग अमेरिका से भारत पहुंचे हैं। इनमें से 333 लोग तीन निर्वासन उड़ानों के माध्यम से अमृतसर पहुंचे और 55 भारतीय नागरिक वाणिज्यिक उड़ानों से पनामा के रास्ते अमेरिका से नई दिल्ली पहुंचे।
आंकड़ों से पता चलता है कि तीन निर्वासन उड़ान जो 5 फरवरी, 15 फरवरी और 16 फरवरी को उतरीं, उनमें भारत पहुंचे 333 निर्वासितों में से 126 लोग (38 प्रतिशत) पंजाब के हैं।
इसके अलावा, 110 लोग (33 प्रतिशत) हरियाणा के हैं, जबकि 74 गुजरात के, आठ उत्तर प्रदेश के और अन्य महाराष्ट्र, चंडीगढ़, गोवा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के थे।
वाणिज्यिक उड़ानों से पनामा के रास्ते अमेरिका से नई दिल्ली पहुंचे 55 भारतीय निर्वासितों में से 27 पंजाब के और अन्य हरियाणा (22), उत्तर प्रदेश (तीन), गुजरात (दो) और राजस्थान (एक) के थे।
विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि विदेश मंत्रालय ने निर्वासितों पर प्रतिबंधों के उपयोग पर अपनी चिंताओं को 'दृढ़ता से दर्ज' किया है।
उन्होंने कहा, "भारत सरकार निर्वासन अभियान के दौरान भारतीय नागरिकों के साथ मानवीय व्यवहार की आवश्यकता के संबंध में अमेरिकी पक्ष के साथ बातचीत कर रही है। मंत्रालय ने 5 फरवरी को उतरने वाले विमान में निर्वासित लोगों के साथ किए गए व्यवहार, विशेषकर महिलाओं पर बेड़ियों के प्रयोग के संबंध में अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष अपनी चिंताएं दृढ़तापूर्वक दर्ज कराई हैं। निर्वासन को व्यवस्थित करने और निष्पादित करने के लिए नवंबर 2012 से प्रभावी अमेरिकी मानक संचालन प्रक्रिया में निर्वासित लोगों पर प्रतिबंधों के प्रयोग की बात कही गई है।"
उन्होंने कहा, "अमेरिकी अधिकारियों ने बताया है कि मिशन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं। हालांकि महिलाओं और नाबालिगों को आमतौर पर बेड़ियां नहीं लगाई जाती हैं, लेकिन निर्वासन उड़ान के प्रभारी फ्लाइट अधिकारी का इस मामले में अंतिम निर्णय होता है।"
निर्वासन उड़ानों के लिए अमृतसर को लैंडिंग स्थल के रूप में चुनने के बारे में पूछे गए प्रश्न पर मंत्री ने बताया कि निर्वासितों को ले जाने वाली किसी भी प्रत्यावर्तन उड़ान के लिए लैंडिंग स्थल का निर्णय परिचालन सुविधा, भारतीय वायु क्षेत्र में प्रवेश के लिए विशिष्ट मार्ग और विशेष रूप से आने वाले निर्वासितों के अंतिम गंतव्यों की निकटता के आधार पर किया जाता है।
सूडान गृहयुद्ध में बड़ा मोड़, सेना का राष्ट्रपति भवन पर फिर से कब्जा
सूडानी सेना ने शुक्रवार को खार्तूम के डाउनटाउन में राष्ट्रपति भवन पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया। हाल के हफ्तों में सेना ने शहर में प्रतिद्वंद्वी रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है।
खार्तूम पर फिर से कब्जा करना सेना के लिए एक बड़ी प्रतीकात्मक जीत है और संघर्ष में एक निर्णायक मोड़। राष्ट्रपति महल का ऐतिहासिक और राजनीतिक महत्व बहुत अधिक है।
राष्ट्रपति का महल खार्तूम के मध्य में है। यह वह क्षेत्र है जिसमें अधिकांश सरकारी मंत्रालय और वित्तीय संस्थान शामिल हैं। सेना हाल के दिनों में भीषण लड़ाई के बीच लगातार आगे बढ़ रही है। वहीं आरएसएफ शहर के कुछ हिस्सों में लड़ाई जारी रखे हुए है।
राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करना सेना के लिए बेशक एक बड़ी कामयाबी है लेकिन यह दो साल के संघर्ष का अंत नहीं है। आरएसएफ अर्धसैनिक बल अभी भी देश के बड़े हिस्से को नियंत्रित करता है, जिसमें पश्चिमी दारफूर क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा शामिल है, जिसने पिछले दो वर्षों में सबसे घातक हिंसा देखी है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सोशल मीडिया पर कई पोस्ट में सैनिकों को हवा में अपनी बंदूकें लहराते, नारे लगाते और राष्ट्रपति भवन के प्रवेश द्वार पर घुटने टेककर प्रार्थना करते हुए दिखाया गया।
सूडान की सेना ने कहा कि उसने महल के अलावा, खार्तूम के मध्य में मंत्रालयों और अन्य प्रमुख इमारतों पर भी नियंत्रण कर लिया है।
सेना के प्रवक्ता नबील अब्दुल्ला ने राज्य टेलीविजन पर प्रसारित एक कार्यक्रम में कहा, "हमारे बलों ने दुश्मन के लड़ाकू विमानों और उपकरणों को पूरी तरह नष्ट कर दिया। बड़ी मात्रा में उपकरण और हथियार जब्त कर लिए।"
सूडान में अप्रैल 2023 से सूडानी आर्म्ड फोर्सेज (एसएएफ) और आरएसएफ के बीच संघर्ष जारी है, जिसकी वजह से हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक इस संघर्ष के कारण दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट पैदा हुआ है। कई स्थानों पर अकाल और 50 मिलियन लोगों वाले देश में बीमारियां फैल गई है।
दक्षिण कोरिया में गहराया राजनीतिक संकट, अब कार्यवाहक राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश
दक्षिण कोरिया के पांच विपक्षी दलों ने शुक्रवार को कार्यवाहक राष्ट्रपति चोई सांग-मोक के खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव पेश किया। संवैधानिक न्यायालय में नौवें जज की नियुक्ति न करने को लेकर यह प्रस्ताव लाया गया।
मुख्य विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी (डीपी) और चार छोटी पार्टियों के सांसदों ने दोपहर 2 बजे नेशनल असेंबली में महाभियोग प्रस्ताव पेश किया।
डीपी के नीतिगत मामलों के डिप्टी फ्लोर लीडर किम योंग-मिन ने कहा, "संवैधानिक न्यायालय के जजों के सर्वसम्मत फैसले के बावजूद, चोई ने अभी तक आदेश का पालन नहीं किया, जबकि तीन सप्ताह पहले ही बीत चुके हैं।
दिसंबर के अंत में, चोई ने न्यायालय में दो जजों की नियुक्ति की, लेकिन विपक्ष के न्यायाधीश उम्मीदवार मा यून-ह्युक की नियुक्ति को द्विदलीय सर्वसम्मति का हवाला देते हुए रोक दिया।
योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, डी.पी. ने चोई की कड़ी आलोचना की और कहा कि उम्मीदवार की नियुक्ति न करना एक 'असंवैधानिक' कार्य है, जो राष्ट्रीय सभा के अधिकारों का उल्लंघन करता है।
विपक्ष ने महाभियोग के लिए चार अन्य कारण बताए, जिनमें राष्ट्रपति यून सुक योल के 3 दिसंबर के मार्शल लॉ प्रयास में चोई की कथित संलिप्तता और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश उम्मीदवार मा योंग-जू को नियुक्त करने में विफलता शामिल है।
कानून के अनुसार, महाभियोग प्रस्ताव को पूर्ण सत्र में रिपोर्ट किए जाने के 24 से 72 घंटों के भीतर मतदान होना चाहिए।
अगर नेशनल असेंबली के स्पीकर वू वोन-शिक, [जिनके पास पूर्ण अधिवेशन शुरू करने अधिकार है], समय सीमा से पहले अधिवेशन नहीं बुलाते हैं, तो प्रस्ताव को रद्द किया जा सकता है।
विपक्ष का यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है, जब संवैधानिक न्यायालय अगले सोमवार को मार्शल लॉ से संबंधित आरोपों पर प्रधानमंत्री हान डक-सू के महाभियोग पर अपना फैसला सुनाने वाला है। यून के महाभियोग पर फैसला सुनाने के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है।
बता दें राष्ट्रपति यून ने 03 दिसंबर की रात को दक्षिण कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की, लेकिन संसद द्वारा इसके खिलाफ मतदान किए जाने के बाद इसे निरस्त कर दिया गया। मार्शल लॉ कुछ घंटों के लिए ही लागू रहा। हालांकि चंद घटों के लिए लागू हुए मार्शल लॉ ने देश की राजनीति को हिला कर रख दिया।
नेशनल असेंबली राष्ट्रपति यून सुक-योल और उनकी जगह लेने वाले कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुकी है। उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री चोई सांग-मोक कार्यवाहक राष्ट्रपति और कार्यवाहक प्रधानमंत्री दोनों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
आग लगने से बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण लंदन का हीथ्रो हवाई अड्डा शुक्रवार को बंद रहा
ब्रिटेन का हीथ्रो हवाई अड्डा लंदन के एक विद्युत उपकेंद्र में आग लगने से बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण शुक्रवार को बंद रहा। इसके चलते यूरोप के व्यस्ततम हवाई अड्डे पर उड़ानें बाधित रहीं।
उड़ान सेवा पर नजर रखने वाली ‘फ्लाइटरडार 24’ ने कहा कि हीथ्रो से आने-जाने वाली कम से कम 1,350 उड़ानें प्रभावित हुईं तथा इसका असर कई दिनों तक रहने की संभावना है, क्योंकि यात्री अपनी यात्रा का कार्यक्रम फिर से तय करने का प्रयास करेंगे।
‘फ्लाइटरडार 24’ के अनुसार, जब हवाई अड्डे को बंद करने की घोषणा की गई, तब लगभग 120 उड़ानें आसमान में थीं, जिनमें से कुछ को वापस भेज दिया गया और अन्य को लंदन के बाहर गैटविक हवाई अड्डे, पेरिस के चार्ल्स डी गॉल हवाई अड्डे या आयरलैंड के शैनन हवाई अड्डे की ओर मोड़ दिया गया।
लंदन अग्निशमन विभाग ने बताया कि हवाई अड्डे से लगभग दो मील की दूरी पर एक विद्युत केंद्र में आग लग गयी, जिसपर लगभग सात घंटे बाद काबू पाया गया।
ऊर्जा मंत्री एड मिलिबैंड ने कहा, ‘‘हमें इस आग का कारण नहीं पता चल पाया है। यह स्पष्ट रूप से एक अभूतपूर्व घटना है।’’
मिलिबैंड ने कहा कि आग के कारण हवाई अड्डे को मिलने वाली बैकअप जनरेटर की आपूर्ति भी बाधित हो गई।
हीथ्रो ने एक बयान में कहा कि आग के कारण हवाई अड्डे को दिन भर के लिए बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
हवाई अड्डे ने कहा, ‘‘हमें आने वाले दिनों में बड़े व्यवधान की आशंका है। यात्रियों को हवाई अड्डे के पुनः खुलने तक किसी भी परिस्थिति में हवाई अड्डे पर आने से बचना चाहिए।’’
हीथ्रो अंतरराष्ट्रीय यात्रा की सुविधा देने वाले दुनिया के सबसे व्यस्त हवाई अड्डों में से एक है। इस साल जनवरी में यह सबसे व्यस्त रहा और 63 लाख से अधिक यात्री यहां आए। यह संख्या पिछले साल की इसी अवधि में आए यात्रियों की संख्या से पांच प्रतिशत अधिक है। जनवरी लगातार 11वां महीना रहा, जब औसतन प्रतिदिन 2,00,000 से अधिक यात्री यहां आए।
यह व्यवधान 2023 में ब्रिटेन के हवाई अड्डों पर हुई देरी की याद दिलाता है, जब ब्रिटेन की हवाई यातायात नियंत्रण प्रणाली में खराबी आ गई थी, फलस्वरूप वर्ष के सबसे व्यस्त यात्रा दिवसों में से एक पर देश भर में विमानों के आगमन एवं प्रस्थान धीमे हो गये थे।
लंदन अग्निशमन विभाग के अनुसार, उसकी 10 दमकल गाड़ियां और करीब 70 दमकलकर्मी आग पर काबू पाने के लिए घंटों लगे रहे।
बृहस्पतिवार देर रात पश्चिमी लंदन में एक बिजली उपकेंद्र के ट्रांसफॉर्मर में आग लगने से लपटें आसमान छू रही थीं। दिन निकलने के बाद भी आग सुलगती रही। हज़ारों घरों की बिजली भी चली गई और करीब 150 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया।
सोशल मीडिया पर पोस्ट किये गये फुटेज में आग की बड़ी लपटें और धुएं के बड़े गुबार निकलते हुए दिखाई दिए।
सहायक आयुक्त पैट गॉलबोर्न ने कहा, ‘‘आग के कारण बिजली आपूर्ति बाधित हुई है, जिससे बड़ी संख्या में घरों और स्थानीय व्यवसायों पर असर पड़ा है, और हम व्यवधान को कम करने के लिए अपने भागीदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।’’
‘स्कॉटिश और सदर्न इलेक्ट्रिसिटी नेटवर्क’ ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में बताया कि बिजली आपूर्ति बाधित होने से 16,300 से अधिक घर प्रभावित हुए हैं।
रात के समय उड़ान पर प्रतिबंधों के कारण हीथ्रो आमतौर पर सुबह छह बजे उड़ानों के लिए खुलता है। इसने कहा कि यह शुक्रवार रात 11:59 बजे तक बंद रहेगा।
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