दुनिया की खबरें: पाकिस्तान में बारिश और बाढ़ ने मचाई तबाही और गाजा में सहायता वितरण केंद्र पर 20 लोगों की मौत
पाकिस्तान में मानसून की भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ ने 26 जून से अब तक 116 लोगों की जान ले ली है। इसके अलावा, 253 लोग घायल हुए हैं।

पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने बताया कि देश में मानसून की भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ ने 26 जून से अब तक 116 लोगों की जान ले ली है। इसके अलावा, 253 लोग घायल हुए हैं।
एनडीएमए की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 24 घंटों में बारिश से संबंधित घटनाओं में 5 और लोगों की मौतें हुई हैं, जबकि 41 लोग घायल हुए हैं।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, सबसे ज्यादा 44 मौतें पूर्वी पंजाब प्रांत में हुई हैं। इसके बाद उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा में 37, दक्षिणी सिंध में 18 और दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान में 16 मौतें दर्ज की गई हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में 1 मौत हुई और 5 लोग घायल हुए, जबकि गिलगित-बाल्टिस्तान और इस्लामाबाद में कोई हताहत नहीं हुआ है।
एजेंसी ने पाकिस्तान के कई राज्यों के लिए मौसम संबंधी चेतावनी जारी की है। एनडीएमए के मुताबिक, पंजाब, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के कुछ हिस्सों में गुरुवार तक भारी बारिश और बाढ़ की आशंका जताई गई है।
पिछले सप्ताह प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (पीडीएमए) ने खैबर पख्तूनख्वा में 11 से 17 जुलाई तक भारी बारिश का अनुमान जताया था, जिससे बाढ़ का खतरा और भी बढ़ सकता है।
पाकिस्तान में मानसून जून से सितंबर तक रहता है और हर साल भारी बारिश से बाढ़, भूस्खलन और विस्थापन होता है। खासकर घनी आबादी और खराब जल निकासी वाले क्षेत्रों में ये समस्याएं बढ़ जाती हैं। सिंध के थारपारकर, मीरपुर खास, सांघर, सक्खर, लरकाना, दादू, जैकोबाबाद, खैरपुर और शहीद बेनजीराबाद में 14 से 16 जुलाई तक बारिश और तूफान के साथ भारी बारिश का पूर्वानुमान है।
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार 'डॉन' के अनुसार, मौसम विभाग ने इस्लामाबाद, रावलपिंडी, गुजरांवाला, लाहौर, सियालकोट, सरगोधा, फैसलाबाद, खानेवाल, मुल्तान, साहिवाल, ओकारा, बहावलपुर, बहावलनगर, वेहारी, नौशेरा और पेशावर के लिए बाढ़ की चेतावनी जारी की है।
26 जून से 14 जुलाई के बीच बिजली का करंट लगना बारिश से जुड़ी मौतों का प्रमुख कारण रहा है। इसके बाद अचानक आई बाढ़ ने तबाही मचाई है। जून के अंत में एक दुखद घटना में 13 पर्यटकों की नदी में बहने से मौत हो गई थी।
अधिकारियों ने निचले और जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वालों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। साथ ही बचाव और राहत कार्य प्रभावित क्षेत्रों में जारी हैं। हालांकि, सिंध सरकार ने नालों और सीवर लाइनों की सफाई के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए, जिससे कई इलाके जलमग्न हैं, जबकि 15 जुलाई से फिर से बारिश होने की संभावना है।
पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, सिंध के हैदराबाद में घनी आबादी वाले इलाकों में मुख्य नालियां कचरे से भरी हैं और नालियों के किनारे की टूटी या गायब दीवारें ठीक नहीं की गई हैं। इस वजह से स्थानीय जनता काफी चिंतित है।
मौसम विभाग ने सिंध सरकार को बारिश की चेतावनी दी थी, जिसके बाद उच्च-स्तरीय बैठकों में आयुक्तों, उपायुक्तों और स्थानीय नगर निकायों को शहरी बाढ़ की संभावना के लिए व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए।
इससे पहले, सिंध स्थानीय निकाय विभाग ने 10 जुलाई को हैदराबाद नगर निगम सहित विभिन्न नगर निगमों को जरूरी उपाय करने का निर्देश दिया था, लेकिन 48 घंटे बीतने के बाद भी कोई जमीन पर तैयारी शुरू नहीं हुई।
सरकार से हर महीने 12 लाख रुपए अनुदान मिलने के बावजूद संबंधित यूनियन समितियों ने इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया। वेतन और बिजली बिलों के भुगतान के बाद भी नाली रखरखाव जैसे जरूरी सामुदायिक कार्यों के लिए यह राशि उपयोग नहीं की गई।
विडंबना यह है कि हर साल सिंध सरकार और स्थानीय निकाय आपातकालीन बैठकें करते हैं और बारिश की तैयारी योजनाएं बनाते हैं, जिसके लिए बजट में लाखों रुपए आवंटित किए जाते हैं। हालांकि, वास्तव में एक भी नाले की पूरी तरह से सफाई नहीं की गई और हर साल नालों की सफाई के नाम पर फर्जी बिल भी बनाए जाते हैं।
गाजा में सहायता वितरण केंद्र पर 20 लोगों की मौत : इजराइल समर्थित संगठन
गाजा में इजराइल समर्थित अमेरिकी सहायता संगठन ने बुधवार को कहा कि वितरण केंद्र के निकट 20 फलस्तीनियों की मौत हुई है।
इससे पहले अस्पताल के अधिकारियों ने बताया था कि इजराइली हमलों में 11 बच्चों समेत 41 लोगों की मौत हुई है।
‘गाजा ह्यूमैनिटेरियन फंड’ ने कहा कि दक्षिण गाजा के खान यूनिस शहर में स्थित वितरण केंद्र पर 19 लोगों की मौत भगदड़ में कुचलने से हुई जबकि एक व्यक्ति की हिंसा के दौरान चाकू मारकर हत्या कर दी गई।
संगठन ने हमास पर गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि इसकी वजह से हिंसा हुई। हालांकि संगठन ने अपने इस दावे के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय और गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि मई से अब तक सहायता प्राप्त करने की प्रतीक्षा करते समय, जीएचएफ वितरण केन्द्रों या दूसरी जगहों पर लगभग 850 फलस्तीनी मारे जा चुके हैं।
इजराइली हमलों में उत्तरी गाजा में 11 बच्चों समेत 22 लोग मारे गए जबकि खान यूनिस शहर में 19 लोगों की मौत हुई है।
इज़राइली सेना ने कहा कि उसने पिछले 24 घंटे में गाजा में 120 से ज़्यादा ठिकानों पर हमले किए हैं, जिनमें हमास की सुरंग और हथियार भंडारण केंद्र भी शामिल हैं।
फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी अगस्त के बाद ईरान पर संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंध बहाल करेंगे
फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी ने इस बात पर सहमति जताई है कि अगर परमाणु समझौते पर कोई ठोस प्रगति नहीं होती है तो अगस्त के अंत तक ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के कड़े प्रतिबंध बहाल कर दिए जाएंगे। दो यूरोपीय राजनयिकों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
संयुक्त राष्ट्र में तीनों देशों के राजदूतों ने मंगलवार को जर्मनी स्थित संयुक्त राष्ट्र मिशन में ईरान के साथ संभावित समझौते और प्रतिबंधों को फिर से लागू करने पर चर्चा की। दो अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, सोमवार को अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो और तीनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच फोन पर हुई बातचीत में भी यह मुद्दा उठा।
अधिकारियों और राजनयिकों ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर यह जानकारी दी।
अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने रुबियो और तीनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बातचीत के बाद कहा कि सभी ने इस बात पर जोर दिया कि ईरान परमाणु हथियार विकसित या प्राप्त नहीं कर सके।
ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी 2015 में ईरान के साथ उसके परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाने के लिए हुए एक समझौते का हिस्सा हैं, जिससे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका को यह कहते हुए अलग कर लिया था कि यह पर्याप्त रूप से कठोर समझौता नहीं है।
फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां-नोएल बरो ने मंगलवार को ब्रसेल्स में संवाददाताओं से कहा कि तीनों यूरोपीय देशों का ईरान पर प्रतिबंध को पुनः लागू करना उचित है।
ईरान द्वारा परमाणु प्रसार पर रोक को लेकर ठोस और प्रतिबद्धता की पुष्टि करने से पहले हम अगस्त के अंत तक प्रतिबंध को बहाल कर देंगे।
राजनयिकों ने प्रस्तावित समझौते का विवरण नहीं दिया।
ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने हाल में कहा था कि अगर ईरान को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों पर इजराइल और अमेरिका के हमलों के बाद आगे कोई हमला नहीं होने का आश्वासन मिलता है तो वह अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता फिर से शुरू करने के प्रस्ताव को स्वीकार करेगा।
उन्होंने कहा कि ‘‘इस बात की पक्की गारंटी होनी चाहिए कि ऐसी कार्रवाई दोबारा नहीं होगी।’’ उन्होंने जोर देकर कहा कि ‘‘ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले ने समाधान तक पहुंचना और भी मुश्किल और जटिल बना दिया है।’’
इजराइल ने दमिश्क में रक्षा मंत्रालय के पास हमला किया
इजराइली सेना ने बुधवार को कहा कि उसने दमिश्क में सीरियाई रक्षा मंत्रालय के प्रवेश द्वार के पास हमला किया।
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब सीरिया के दक्षिणी शहर सुवेदा में सेना और दरोज़ सशस्त्र समूहों के बीच संघर्ष विराम टूट जाने के बाद झड़पें जारी हैं।
संघर्ष शुरू होने के बाद से इजराइल ने सेना के काफिले पर सिलसिलेवार हमले किये हैं। इजराइल ने कहा कि वह दरोज़ समुदाय की रक्षा के लिए ऐसा कर रहा है।
दरोज़ धार्मिक संप्रदाय की शुरुआत 10वीं शताब्दी में हुई थी और यह शिया संप्रदाय की शाखा, ‘इस्माइलवाद’ को मानते हैं। दुनिया भर में लगभग 10 लाख दरोज़ हैं जिनमें से आधे से ज़्यादा सीरिया में रहते हैं।
इसके बाद, ज्यादातर दरोज़ लेबनान और इजराइल में रहते हैं जिनमें गोलान हाइट्स भी शामिल है। इजराइल ने 1967 की पश्चिम एशिया की जंग में इस क्षेत्र को सीरिया से छीन लिया था और 1981 में अपने देश में मिला लिया था।
इस बीच इजराइल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज़ ने बुधवार को एक बयान में कहा कि इजराइली सेना "सरकारी बलों पर तब तक हमला करती रहेगी जब तक वे क्षेत्र से वापस नहीं चले जाते - और यदि संदेश नहीं समझा गया तो जल्द ही शासन के खिलाफ प्रतिक्रिया का स्तर भी बढ़ा दिया जाएगा।"
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने मंगलवार रात एक बयान में कहा कि इजराइल की उसकी सीमा से सटे सीरिया के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र को असैन्य क्षेत्र के रूप में संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है और “स्थानीय दरोज़ लोगों की सुरक्षा करना उसका दायित्व है।”
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