दुनिया की खबरें: रूस ने कीव पर किया हमला और पाकिस्तान के बच्चे अपने बुनियादी हक से भी महरूम
अधिकारियों ने कहा कि राजधानी पर हमला जारी है और निवासियों को ‘एयर रेड अलर्ट’ हटने तक आश्रयों में रहने की चेतावनी दी गई है। बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित होने की संभावना भी जताई गई।

रूस ने शुक्रवार तड़के कीव पर एक व्यापक संयुक्त हमला किया, जिससे राजधानी के कई जिलों में इमारतों में आग लग गई और मलबा बिखर गया। मेयर विताली क्लित्सको ने यह जानकारी देते हुए एक बयान में बताया कि हमले में कम से कम 11 लोग घायल हुए।
घायलों में पांच लोग अस्पताल में भर्ती हैं। इनमें एक गर्भवती महिला भी है। एक व्यक्ति की हालत गंभीर बताई जाती है। हमले के दौरान शहर में कई जोरदार विस्फोट हुए और वायु रक्षा प्रणाली सक्रिय की गई।
अधिकारियों ने कहा कि राजधानी पर हमला जारी है और निवासियों को ‘एयर रेड अलर्ट’ हटने तक आश्रयों में रहने की चेतावनी दी गई है। बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित होने की संभावना भी जताई गई।
डारनित्स्की जिले में हमले के बाद मलबा एक आवासीय इमारत और शैक्षणिक संस्थान के परिसर में गिरा। चिंगारी से एक कार में आग लग गई।
पाकिस्तान के बच्चे अपने बुनियादी हक से भी महरूम, 2.5 करोड़ नहीं जा पा रहे स्कूल
सामाजिक-आर्थिक स्तर पर पिछड़े पाकिस्तान में बच्चे अपने बुनियादी हक से भी महरूम रखे जा रहे हैं। ये ऐसे बच्चे हैं जो स्कूल नहीं जा पा रहे। इनकी संख्या 10-20 लाख नहीं बल्कि करोड़ों में है।
पाकिस्तान शिक्षा संस्थान (पीआईई) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 2.5 करोड़ से ज्यादा बच्चे वर्तमान में स्कूल से बाहर हैं, इनमें से 2 करोड़ बच्चे कभी स्कूल ही नहीं गए। सबसे ज्यादा दर्दनाक बात ये है कि स्कूलों में नामांकित न होने वालों में 1,084 ट्रांसजेंडर शामिल हैं।
प्रांत वार आंकड़े जुटाए गए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा बुरा हाल पंजाब का है। यहां 96 लाख बच्चे स्कूल से बाहर हैं, जिनमें 47 लाख लड़के और 48 लाख लड़कियां हैं। वहीं, सिंध में 78 लाख बच्चे शिक्षा से वंचित हैं, जिनमें लड़कों की संख्या 37 लाख और लड़कियों की 40 लाख है। खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में 49 लाख बच्चे नामांकित नहीं हैं, जिनमें 20 लाख लड़के और 29 लाख लड़कियां शामिल हैं। बलूचिस्तान में 29 लाख बच्चे स्कूल से बाहर हैं, जिनमें 14 लाख लड़के और 15 लाख लड़कियां शामिल हैं। आंकड़ों से स्पष्ट है कि लड़कों के मुकाबले लड़कियों को उनके हक से ज्यादा दूर रखा जा रहा है।
राजधानी इस्लामाबाद में भी, 6 से 16 वर्ष की आयु के 89,000 बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, जिनमें 47,849 लड़के और 41,275 लड़कियां शामिल हैं।
बात यहीं तक सीमित नहीं है। पीआईई रिपोर्ट चेताती है कि इसमें बढ़ोतरी जारी है यानि स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या में हर साल 20,000 की वृद्धि हो रही है।
पाकिस्तान में डिजिटल बैन चिंता का विषय, यूरोप की खामोशी ठीक नहीं : रिपोर्ट
पाकिस्तान में डिजिटल बैन ने आवाम की आवाज को दबाने का काम किया है। अब उसका यही रवैया विश्व बिरादरी और संस्थाओं को असमंजस की स्थिति में डाल रहा है। समझ नहीं पा रहे कि खामोश रहें या उसके खिलाफ खुलकर बोलें। इस उहापोह की स्थिति और खामोशी को लेकर शुक्रवार को एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।
यूके के मीडिया आउटलेट मिल्ली क्रोनिकल ने पाकिस्तान में डिजिटल नियंत्रण का मुद्दा उठाया है। विस्तृत रिपोर्ट छापी है जिसमें सवाल उसकी नीयत और यूरोपीय देशों के सैद्धांतिक अप्रोच को लेकर किया गया है।
विस्तृत रिपोर्ट में कहा है कि जब सरकारें इंटरनेट बंद कर दें, उनके आलोचना करने वाले चैनल्स को बैन कर दें, तो ये मान लेना चाहिए कि नुकसान तात्कालिक और संरचनात्मक दोनों है। इससे जीवन खतरे में पड़ जाता है और अपने हिसाब से नैरेटिव सेट किया जाने लगता है।
फिर आगे लिखा है कि पाकिस्तान ने ऐसा ही किया। वहां जिस तरह डिजिटल कंट्रोल किया, आबादी के एक बड़े हिस्से को समय-समय पर मोबाइल ब्रॉडबैंड से काट दिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ब्लॉक कर स्वतंत्र चैनलों को ऑफलाइन ही नहीं किया बल्कि पत्रकारों को धमकाया या अगवा किया गया, यह सब कुछ संरचनात्मक और तात्कालिक नुकसान की ओर ध्यान दिलाते हैं। ऐसे में जरूरत इस बात की थी कि यूरोपीय देश सैद्धांतिक कदम उठाएं और बेहतर कूटनीति के साथ आगे बढ़ें।
पाकिस्तानी डिजिटल कंट्रोल के बीच भी यूरोपीय देशों की खामोशी को कठघरे में खड़ा करते हुए आगे कहा है कि "इसके बजाय, हमने जो देखा है वह एक सोची-समझी खामोशी है जो इस असहज सच्चाई को उजागर करती है कि कैसे मानवाधिकारों की बात करने वाले भू राजनीतिक सुविधा को ध्यान में रख चुप्पी साधे बैठे रहते हैं। ये पैटर्न अब जाना पहचाना सा लग रहा है। पाकिस्तानी सरकार ने बार-बार किए जाने वाले इंटरनेट प्रतिबंध को राजनीतिक प्रबंधन का एक साधन बना दिया है: विरोध प्रदर्शनों के दौरान मोबाइल इंटरनेट सेवा हमेशा बंद रहती है, एक्स जैसे प्लेटफॉर्म ब्लॉक कर दिए जाते हैं, इसके साथ ही निगरानी करने वाली शक्तियों के अधिकार बढ़ाने के लिए कानून का सहारा लिया जाता है।"
चीन: अंतरिक्ष में फंसे तीन यात्री सुरक्षित पृथ्वी पर लौटे
अंतरिक्ष में मलबे से यान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद फंसे चीन के तीन यात्री शुक्रवार को सुरक्षित पृथ्वी पर लौट आए। ‘चाइना मैन्ड स्पेस एजेंसी’ ने बताया कि अंतरिक्ष यात्री चेन डोंग, चेन झोंग्रुई और वांग जी को लेकर ‘शेनझोउ-21’ अंतरिक्ष यान का रिटर्न ‘कैप्सूल’ उत्तरी चीन के मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र में डोंगफेंग में उतरा।
एजेंसी के अनुसार, अंतरिक्ष यात्रियों को पांच नवंबर को लौटना था लेकिन मलबे के छोटे टुकड़ों से यान के टकराने के बाद अंतिम समय में उनकी यात्रा स्थगित कर दी गई।
इससे पहले मीडिया ने बताया था कि ‘शेनझोउ-20’ के रिटर्न ‘कैप्सूल’ में छोटी दरारें पाए जाने के बाद चालक दल लौटने में असमर्थ था।
वर्ष 2011 में अंतरिक्ष स्टेशन के शुरू होने के बाद इस पहली घटना ने चिंता बढ़ा दी है क्योंकि स्टेशन में सिर्फ तीन अंतरिक्ष यात्रियों की ही जगह है। चीन हर छह महीने में स्टेशन पर नए सदस्यों को भेजता है।
एजेंसी ने बताया कि ‘शेनझोउ-21’ यान अंतरिक्ष स्टेशन से अलग हुआ और वापसी ‘कैप्सूल’ बीजिंग के समयानुसार शाम चार बजकर 40 मिनट पर मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र में डोंगफेंग में उतरा। सभी अंतरिक्ष यात्री स्वस्थ हैं।
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