दुनिया की खबरें: अमेरिका में चार्ली किर्क के हत्यारे का अब तक सुराग नहीं और इन एशियाई देशों में जाग चुकी है जेन-जी

अमेरिका के उटाह प्रांत में एक कॉलेज में बुधवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान किर्क की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जांच एजेंसी एफबीआई ने बताया कि जिस इलाके से किर्क पर हमले का संदिग्ध भागा था, वहां से एक अत्याधुनिक राइफल बरामद की गई है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

पुलिस राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी और रूढ़िवादी कार्यकर्ता चार्ली किर्क के हत्यारे की पहचान करने में जुटी है, जो गोली चलाने के बाद छत से कूदकर भाग गया था। उटाह के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अमेरिका के उटाह प्रांत में एक कॉलेज में बुधवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान किर्क की गोली मारकर हत्या कर दी गई। जांच एजेंसी एफबीआई ने बताया कि जिस इलाके से किर्क पर हमले का संदिग्ध भागा था, वहां से एक अत्याधुनिक राइफल बरामद की गई है।

अधिकारियों ने बताया कि हमलावर "कॉलेज जाने वाले छात्रों की उम्र का प्रतीत होता है।" उन्होंने बताया कि हमलावर चीख-पुकार और छात्रों में मची भगदड़ के बीच फरार हो गया। संघीय, राज्य और स्थानीय अधिकारी हमलावर की तलाश में जुटे हैं।

अधिकारियों को इस हत्या के मकसद का पता नहीं चल पाया है लेकिन इस घटना ने अमेरिका में बढ़ती राजनीतिक हिंसा को लेकर चिंता को फिर से बढ़ा दिया है, जो पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न विचारधाराओं के लोगों के बीच देखी गई है।

अमेरिका में ‘उटाह वैली यूनिवर्सिटी’ के परिसर में बुधवार को आयोजित कार्यक्रम के दौरान किर्क की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह घटना उस समय हुई जब किर्क एक बहस में हिस्सा ले रहे थे। तभी हमलावर ने कुछ दूरी से परिसर की एक छत से गोली चलाई।

नेपाल से पहले इन एशियाई देशों में जाग चुकी है जेन-जी

नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर बैन के बाद भड़की जेन-जी ने सड़कों पर उतरकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सत्ता की कुर्सी से उतरने पर मजबूर कर दिया। काठमांडू में हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन में युवाओं की मौत और सैकड़ों लोगों के घायल होने से भड़के भारी जनाक्रोश के बीच नेपाल के प्रधानमंत्री को पद से इस्तीफा देना पड़ा।

राजनीतिक उथल-पुथल के बाद नेपाल भारत के उन पड़ोसी देशों में शामिल हो गया है, जहां युवाओं ने सरकार के खिलाफ सीधे मोर्चा खोला है। इतना ही नहीं, 2025 में जेन-जी ने एशिया के कई देशों में आंदोलन किए हैं।

युवाओं को देश का भविष्य कहा जाता है। आज सोशल मीडिया पर अपना काफी समय देने वाली युवा पीढ़ी के विभिन्न देशों में हालिया आंदोलनों पर नजर डालें तो महसूस होता है कि जेन-जी अब सोशल मीडिया पर सिर्फ आलोचक की भूमिका नहीं, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने से पीछे नहीं हटती। लेकिन, कई देशों में आंदोलन ने हिंसक चेहरे भी देखे हैं, जिसमें संपत्ति और जानमाल का बड़े पैमाने पर नुकसान भी हुआ है।

युवा अपनी आवाज को देश और देश से बाहर पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल सीख चुके हैं। उनकी इंटरनेट सक्रियता, सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता और पारंपरिक राजनीतिक संरचनाओं के प्रति अविश्वास एक नई राजनीतिक संस्कृति को जन्म दे रहा है। भविष्य में, खांटी राजनीतिक दलों के बजाय यह जेन-जी पीढ़ी देश की राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

नेपाल से पहले श्रीलंका की जेन-जी ने सोशल मीडिया का उपयोग करके जलवायु परिवर्तन, शिक्षा सुधार और भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियानों को बढ़ावा दिया। सितंबर 2025 में श्रीलंका की संसद ने सर्वसम्मति से पूर्व राष्ट्रपति और उनके परिवारों को मिलने वाली सरकारी सुविधाओं को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया। यह कदम देश में 2022 के गंभीर आर्थिक संकट के बाद जनता के असंतोष को देखते हुए लिया गया, जिसमें महंगाई और आवश्यक वस्तुओं की कमी के कारण व्यापक विरोध-प्रदर्शन हुए थे।

भारी विरोध के बीच जुलाई 2022 को श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे पहले मालदीव और फिर सिंगापुर रवाना हो गए थे। राजपक्षे ने सिंगापुर से ही ईमेल के जरिए अपना त्यागपत्र भेज दिया था। देश से भागने के लगभग दो महीने बाद गोटाबाया राजपक्षे 2 सितंबर 2022 को श्रीलंका वापस आ गए।

इससे पहले जुलाई 2024 में जेन-जी पीढ़ी ने बांग्लादेश में भ्रष्टाचार और लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग को लेकर ढाका में प्रदर्शन किए। उन्होंने अपनी बात को व्यापक स्तर पर उठाने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया।

बात बढ़ी तो युवाओं के असंतोष ने तत्कालीन पीएम शेख हसीना को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हिंसक प्रदर्शनों के बाद उन्हें भारत में शरण लेनी पड़ी। इसके बाद 8 अगस्त को वहां अंतरिम सरकार बनी।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के अनुमान के मुताबिक, छात्रों के प्रदर्शनों पर और सुरक्षाबलों की कार्रवाई में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

इसी तरह मई 2025 में जेन-जी ने मंगोलिया के प्रधानमंत्री लुव्सन्नामस्रेन ओयुन-एर्डीन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर विरोध प्रदर्शन किए। प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के बेटे द्वारा किए गए अत्यधिक खर्चों के खिलाफ आवाज उठाई।


जापान के कई हिस्सों में भारी बारिश, भूस्खलन को लेकर चेतावनी जारी

जापान की मौसम एजेंसी ने गुरुवार को कहा कि देश के कई हिस्सों में वायुमंडलीय स्थितियां बहुत अस्थिर हैं, और पश्चिमी जापान के शकोकू क्षेत्र में सुबह ही मूसलाधार बारिश शुरू हो गई।

जापान मौसम विज्ञान एजेंसी (जेएमए) के अनुसार, बुधवार तड़के नागासाकी और कुमामोटो के दक्षिण-पश्चिमी प्रान्तों में भारी वर्षा हुई।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, जेएमए ने बताया कि गुरुवार सुबह शिकोकू, होकुरिकु और तोहोकू क्षेत्रों में काले घने बादल छा गए, इसके बाद झमाझम बरसात हुई। उन्होंने आगे कहा कि आने वाले घंटों में बरसात होती रहेगी।

मौसम अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि क्यूशू से तोहोकू तक के क्षेत्रों में देर शाम तक वायुमंडलीय परिस्थितियां अत्यधिक अस्थिर रहेंगी, और पश्चिमी और पूर्वी जापान में स्थानीय स्तर पर भारी बारिश हो सकती है।

ठंडी हवा के द्रव्यमान और लो प्रेशर ट्रफ के कारण देर शाम तक होक्काइडो के कुछ हिस्सों में भी मूसलाधार बारिश का पूर्वानुमान है।

जेएमए ने कहा कि शुक्रवार सुबह तक 24 घंटों की अवधि के दौरान दक्षिणी क्यूशू में 180 मिलीमीटर, कांटो-कोशिन क्षेत्र में 120 मिलीमीटर और टोकाई क्षेत्र में 100 मिलीमीटर तक बारिश हो सकती है।

एजेंसी ने भूस्खलन, निचले इलाकों में बाढ़, नदियों में उफान और बाढ़ के साथ-साथ बिजली गिरने, अचानक तेज हवाएं चलने और ओलावृष्टि की चेतावनी दी है।

इससे पहले, 6 सितंबर को, उष्णकटिबंधीय तूफान पीपा ने मध्य जापानी प्रान्त शिजुओका की चार नगर पालिकाओं में तबाही मचाई थी। इस तूफान में 24 लोग घायल हो गए थे और 40 घर क्षतिग्रस्त हो गए थे। सबसे ज्यादा नुकसान मकिनोहारा में हुआ, जहां तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए और 20 अन्य को हल्की चोट आई थी।

'किसी भी ऑफर से दूर रहें', भारत ने नागरिकों को रूसी सेना में शामिल न होने की सलाह दी

विदेश मंत्रालय ने रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती के संबंध में हालिया खबरों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि भारत सरकार ने पिछले एक साल में कई बार इस तरह की भर्तियों से जुड़े जोखिमों और खतरों को रेखांकित किया है और भारतीय नागरिकों को इसके प्रति सावधान रहने की सलाह दी है।

प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमें हाल ही में भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती किए जाने की खबरें मिली हैं। हमने दिल्ली और मॉस्को में रूसी अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाया है, जिसमें इस प्रथा को समाप्त करने और हमारे नागरिकों को रिहा करने की मांग की गई है।"

उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय प्रभावित भारतीय नागरिकों के परिवारों के संपर्क में है। प्रवक्ता ने भारतीय नागरिकों से रूसी सेना में शामिल होने के किसी भी प्रस्ताव से दूर रहने की जोरदार अपील की और इसे 'खतरों से भरा कदम' करार दिया।

यह बयान हाल की उन खबरों के बाद आया है, जिनमें दावा किया गया कि कुछ भारतीय नागरिकों को धोखे से रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में भेजा गया।

एक प्रमुख अखबार में दावा किया गया कि पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र में मौजूद दो भारतीय पुरुषों को निर्माण कार्य के बहाने रूस लाया गया, लेकिन उन्हें युद्ध के मोर्चे पर तैनात कर दिया गया। नवंबर 2024 में रूस की ओर से कब्जाए गए सेलिडोव शहर से फोन पर बात करते हुए, उन्होंने दावा किया कि कम से कम 13 अन्य भारतीय भी ऐसी ही परिस्थितियों में फंसे हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ये दोनों भारतीय पिछले 6महीनों में स्टूडेंट या विजिटर वीजा पर रूस गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि एक एजेंट ने उन्हें निर्माण क्षेत्र में रोजगार का वादा किया था, लेकिन धोखे से उन्हें युद्धक्षेत्र में भेज दिया गया।

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