दुनिया की खबरें: ट्रंप बोले- दवाओं के आयात पर शुल्क 250 प्रतिशत तक पहुंच सकता है और पाकिस्तान में प्रदर्शन
ट्रंप ने कहा, “हम शुरू में फार्मास्युटिकल्स पर छोटा शुल्क लगाएंगे, लेकिन एक साल, डेढ़ साल में यह 150 प्रतिशत तक जाएगा और फिर 250 प्रतिशत तक, क्योंकि हम चाहते हैं कि दवाएं हमारे देश में बनें।”

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका में दवाओं का निर्माण बढ़ावा देने के लिए आयातित दवाओं पर लगने वाला शुल्क (टैरिफ) धीरे-धीरे बढ़ाकर 250 प्रतिशत तक किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, “हम शुरू में फार्मास्युटिकल्स पर छोटा शुल्क लगाएंगे, लेकिन एक साल, डेढ़ साल में यह 150 प्रतिशत तक जाएगा और फिर 250 प्रतिशत तक, क्योंकि हम चाहते हैं कि दवाएं हमारे देश में बनें।”
ट्रंप ने यह भी खुलासा किया कि अमेरिका आने वाले सप्ताहों में विदेशी सेमीकंडक्टर्स और चिप्स पर भी टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है, हालांकि उन्होंने इसका कोई विस्तृत विवरण नहीं दिया।
यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब ट्रंप फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री पर दबाव बढ़ा रहे हैं ताकि कंपनियां अमेरिका में ही दवा निर्माण करें। उन्होंने हाल ही में प्रमुख दवा आपूर्तिकर्ताओं से कीमतों में भारी कटौती की मांग की है, अन्यथा और कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।
इससे पहले, ट्रंप ने भारत के खिलाफ भी अपने व्यापारिक रुख को सख्त किया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत पर अगले 24 घंटों के भीतर आयात शुल्क को पहले घोषित 25 प्रतिशत से काफी अधिक बढ़ाएगा।
ट्रंप ने भारत पर रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदकर उसे फिर से लाभ के लिए बेचने का आरोप लगाया।
भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति के इन आरोपों को "अनुचित और बेबुनियाद" बताते हुए खारिज किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
रूस ने भी ट्रंप की टिप्पणियों की आलोचना की है और अमेरिका की दबाव नीति को "अवैध" करार दिया है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि संप्रभु देशों को यह अधिकार है कि वे अपने व्यापारिक और आर्थिक सहयोग के भागीदार खुद तय करें।
पाकिस्तान: तहरीक-ए-इंसाफ ने किया विरोध प्रदर्शन, इमरान खान को रिहा करने की मांग
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी को दो साल हो गए हैं। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी ने मंगलवार को देशभर में अपने नेता की रिहाई की मांग को लेकर विरोध आंदोलन शुरू किया।
पीटीआई कार्यकर्ताओं का दावा है कि लाहौर में रातभर की गई छापेमारी में पार्टी के कम से कम 300 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।
पीटीआई के 'एक्स' अकाउंट पर पोस्ट किए गए एक संदेश में, इमरान खान ने अपने समर्थकों से देश में सच्चे लोकतंत्र के बहाल होने तक बाहर आकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का आग्रह किया।
पीटीआई संस्थापक ने किसी भी गलत काम से इनकार करते हुए अपने खिलाफ दर्ज मामलों को 'राजनीति से प्रेरित' बताया। इनमें आतंकवाद या आधिकारिक गोपनीयता का खुलासा करने के मामले शामिल हैं।
यह विरोध प्रदर्शन तहरीक तहफुज आईन-ए-पाकिस्तान (टीटीएपी) के बैनर तले हो रहा है, जिसकी देखरेख पीटीआई महासचिव सलमान अकरम राजा कर रहे हैं।
बैरिस्टर गौहर अली खान ने कहा कि वह खैबर पख्तूनख्वा के बुनेर में एक रैली का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा, "पीटीआई संस्थापक के आदेश पर रैलियां आयोजित की जा रही हैं।"
अली खान का कहना है कि जब तक इमरान खान रिहा नहीं हो जाते, वह चैन से नहीं बैठेंगे।
प्रांतीय विधानसभा सदस्यों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन करने के लिए कहा गया है, जबकि पीटीआई के केंद्रीय नेतृत्व ने सिंध, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब के नेताओं के साथ योजना साझा की।
पीटीआई की ओर से घोषित योजना के अनुसार, चार प्रांतों और पीओजेके में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन होंगे। निर्वाचित प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसी गतिविधियां आयोजित करेंगे। इमरान खान की बहन अलीमा खान के नेतृत्व में राष्ट्रीय सभा के सभी सदस्य (एमएनए) और सीनेटर अदियाला जेल के बाहर इकट्ठा होंगे।
इस बीच, अधिकारियों ने पीटीआई की ओर से घोषित विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर अदियाला जेल के चारों ओर सुरक्षा बढ़ा दी है। अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती के अनुरोध के बाद यह कदम उठाया गया है। इसके साथ ही, सुरक्षा कड़ी करते हुए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 भी लागू कर दी गई है। अवैध रूप से एकत्रित होने और बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई है। यह धारा इस्लामाबाद और रावलपिंडी, दोनों जगहों पर लागू की गई है।
इमरान खान ने 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था, लेकिन 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए उन्हें सत्ता से हटा दिया गया। 2023 में उनकी गिरफ्तारी के बाद पूरे पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन हुए, जिसके बाद पीटीआई पर कड़ी कार्रवाई शुरू हुई। जनवरी में इमरान खान को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया गया था।
बांग्लादेश : शेख हसीना ने देशवासियों के नाम खुले खत में लिखा- 'संघर्ष जारी है'
बांग्लादेश में मंगलवार को लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित अवामी लीग सरकार के पतन के एक वर्ष पूरे होने पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वर्तमान अंतरिम सरकार की आलोचना की। उन्होंने अन्याय और दमन के खिलाफ खड़े होने के देशवासियों की सराहना की।
देश की जनता के नाम एक खुले पत्र में, शेख हसीना ने लिखा, "आज से एक साल पहले, हमारे देश ने हमारे कठिन संघर्षों से हासिल लोकतंत्र में हिंसक व्यवधान देखा, जब एक गैर-निर्वाचित शासन ने असंवैधानिक तरीकों से सत्ता हथिया ली। यह हमारे इतिहास का एक काला क्षण था। यह जनता की इच्छा का अपमान और नागरिकों और राज्य के साथ विश्वासघात था।"
मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की आलोचना करते हुए, हसीना ने लिखा, "भले ही उन्होंने सत्ता हथिया ली हो, लेकिन वे हमारी भावना, हमारे संकल्प या हमारे भाग्य को कभी नहीं छीन पाएंगे। मैं आपको इसका आश्वासन दे सकती हूं।"
उन्होंने बांग्लादेश के लोगों के असाधारण साहस की प्रशंसा की, जिन्होंने 'अन्याय और दमन' के सामने चुप रहने से इनकार कर दिया है।
पत्र में उन्होंने लिखा, "आपने लोकतंत्र, स्वतंत्रता और उस भविष्य के लिए आवाज उठाई, जिसके हम सभी हकदार हैं। मैं आपके साहस और देश के प्रति आपके प्रेम से निरंतर प्रेरित हूं। हालांकि, इस बीते वर्ष ने हमारी परीक्षा ली है, लेकिन इसने हमारे लोगों और लोकतंत्र के मूल्यों के बीच के अटूट बंधन को भी उजागर किया है। हमने कठिनाइयां झेली हैं, लेकिन उन कठिनाइयों में भी हमने एकता और उद्देश्य पाया है।"
हसीना ने लिखा, "सत्ता जनता की होती है, कोई भी शासन किसी राष्ट्र की इच्छाशक्ति को हमेशा के लिए दबा नहीं सकता, और न्यायोचित उद्देश्यों के लिए उनका संघर्ष जारी है।"
पूर्व प्रधानमंत्री ने लोगों से न्याय, आर्थिक अवसर, शिक्षा, शांति और एक ऐसे राष्ट्र के लिए खड़े रहने का आग्रह किया जहां कोई भी भय में न रहे।
उन्होंने लिखा, "हम सब मिलकर जो टूट गया है उसे फिर से बनाएंगे। हम सब मिलकर उन संस्थानों को पुनः प्राप्त करेंगे जो हमसे छीन लिए गए थे। हम सब मिलकर एक नया अध्याय लिखेंगे, जो उत्पीड़न से नहीं, बल्कि आशा, प्रगति और स्वतंत्रता से परिभाषित होगा।"
पूर्व प्रधानमंत्री ने लिखा, "बांग्लादेश ने पहले भी विपरीत परिस्थितियों का सामना किया है। हम फिर से उठ खड़े होंगे, और भी मजबूत, और भी एकजुट, और एक ऐसे लोकतंत्र के निर्माण के लिए और भी दृढ़ संकल्प के साथ, जो वास्तव में अपने लोगों की सेवा करे। मुझे आप पर विश्वास है। मुझे बांग्लादेश पर विश्वास है। और मेरा मानना है कि हमारे सबसे अच्छे दिन अभी आने बाकी हैं।"
हसीना ने पत्र को ' उज्जवल कल के लिए एक आह्वान' के रूप में याद रखने की अपील की।
भूटान में भारत के नए राजदूत होंगे संदीप आर्य, सुधाकर दलेला की लेंगे जगह
केंद्र सरकार ने संदीप आर्य को भूटान के लिए भारत का अगला राजदूत नियुक्त किया है। वह वर्तमान में वियतनाम गणराज्य में भारत के राजदूत के रूप में कार्यरत हैं।
आर्य बहुत जल्द महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल सकते हैं। संदीप आर्य 1994 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। उनके पास अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और विदेश नीति के क्षेत्र में व्यापक अनुभव है। उन्होंने अपनी कूटनीतिक यात्रा की शुरुआत 1994 में की थी और इसके बाद उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया है।
वर्तमान में, आर्य वियतनाम गणराज्य में भारत के राजदूत के रूप में कार्यरत हैं, जहां उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और वियतनाम के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके कार्यकाल में वियतनाम और भारत के बीच व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और कूटनीतिक संबंधों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है।
उन्हें वर्ष 2022 में वियतनाम का राजदूत नियुक्त किया गया था। कूटनीतिक करियर में उन्होंने विभिन्न देशों में भारत के हितों की रक्षा की है और वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति को मजबूती से प्रस्तुत किया है। आर्य के नेतृत्व में, भारत और भूटान के संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की उम्मीद जताई जा रही है।
बता दें कि संदीप आर्य बतौर राजदूत सुधाकर दलेला की जगह लेंगे। दलेला 1993 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। उन्हें रॉयल किंगडम ऑफ भूटान में भारत के राजदूत के रूप में साल 2022 में नियुक्त किया गया। मंत्रालय के अनुसार संदीप आर्य जल्द ही कार्यभार संभालेंगे।
चीन में अलर्ट! अगस्त में दो से तीन तूफानों के टकराने की आशंका
चीन में अगस्त महीने के दौरान दो से तीन तूफानों के टकराने या उसके प्रभाव में आने की आशंका है। यह जानकारी राष्ट्रीय आपदा रोकथाम, न्यूनीकरण एवं राहत आयोग के कार्यालय और आपात प्रबंधन मंत्रालय ने मंगलवार को एक ब्रीफिंग में दी।
ब्रीफिंग में बताया गया कि इनमें से कम से कम एक तूफान यांग्त्जी नदी के उत्तर में स्थित क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है।
अधिकारियों के अनुसार, अगस्त में चीन के सभी सात प्रमुख नदी बेसिन वर्ष के मुख्य बाढ़ काल में प्रवेश कर चुके हैं। यह भी चेतावनी दी गई कि हैहे नदी, सोंगहुआ नदी और लियाओहे नदी के कुछ क्षेत्रों में भीषण बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
इस बीच, ग्रेटर खिंगान पर्वतमाला, उत्तरी शिनजियांग, मध्य और दक्षिणी चीन और कुछ दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों के कुछ हिस्सों में जंगल की आग का खतरा बना हुआ है।
इस ब्रीफिंग के अनुसार, पश्चिमी युन्नान में भूगर्भीय आपदाओं का खतरा बढ़ गया है, जबकि यांग्त्जी नदी के मध्य और निचले इलाकों, यांग्त्जी नदी और हुआई नदी के बीच के इलाकों, और शिनजियांग के मध्य और उत्तरी हिस्सों में भीषण गर्मी और सूखे का खतरा रहेगा।
इससे पहले, 30 जुलाई को साल के आठवें तूफान, 'को-मे' ने पूर्वी चीन के शंघाई नगर पालिका क्षेत्र में दस्तक दी थी, इसके बाद यह झेजियांग प्रांत में भी पहुंचा था।
तूफान 'को-मे' (ट्रॉपिकल स्टॉर्म लेवल) का केंद्र शंघाई के फेंगशियान जिले के तट पर दूसरी बार दस्तक दे चुका है। तूफान के टकराने के समय केंद्र के पास अधिकतम हवा की रफ्तार 23 मीटर प्रति सेकंड दर्ज की गई, जबकि केंद्र का न्यूनतम दबाव 978 हेक्टोपास्कल रहा।
तूफान से बचाव के लिए फेंगशियान जिले ने पहले से तैयारियां कर ली थीं। इसमें संभावित जोखिमों की पहचान और जोखिम से भरे इलाकों में रहने वालों को समय रहते स्थानांतरित और पुनर्वासित करने की प्रक्रिया शामिल थी।
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