दुनिया की खबरें: ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ बढ़ाने की दी धमकी और यूनुस सरकार में 471 राजनीतिक हिंसा की घटनाएं

ट्रंप ने कहा, "भारत न केवल भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि खरीदे गए अधिकांश तेल को खुले बाजार में भारी मुनाफे पर बेच भी रहा है। उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि रूसी युद्ध मशीन द्वारा यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं।"

फोटो: Getty Images
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नवजीवन डेस्क

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को फिर धमकी दी है। उन्होंने कहा कि वह रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत पर टैरिफ में भारी वृद्धि करेंगे।

ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में ट्रंप ने कहा, "भारत न केवल भारी मात्रा में रूसी तेल खरीद रहा है, बल्कि खरीदे गए अधिकांश तेल को खुले बाजार में भारी मुनाफे पर बेच भी रहा है। उन्हें इस बात की परवाह नहीं है कि रूसी युद्ध मशीन द्वारा यूक्रेन में कितने लोग मारे जा रहे हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "इस वजह से, मैं भारत की ओर से अमेरिका को दिए जाने वाले टैरिफ में भारी वृद्धि करूंगा।" दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने के चक्कर में ट्रंप ने भारत पर तीखा रुख अपना लिया है। वो आए दिन भारत को लेकर कोई न कोई टिप्पणी कर रहे हैं। 

ट्रंप ने फिर किया भारत पाक संघर्ष समेत कई हिंसक टकरावों को रुकवाने का दावा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष सहित दुनिया भर में हिंसक टकरावों को रुकवाने का श्रेय लिया।

ट्रंप ने 10 मई को सोशल मीडिया पर यह घोषणा की थी कि भारत और पाकिस्तान ने वाशिंगटन की मध्यस्थता में "रात में चली लंबी " वार्ता के बाद "पूर्ण और तत्काल" युद्धविराम पर सहमति जताई। इसके बाद से ट्रंप कई अवसरों पर इस दावे को दोहरा चुके हैं।

इससे कुछ दिन पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट कहा ने था कि ट्रंप को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रुकवाने सहित दुनिया भर में कई संघर्षों को समाप्त कराने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाना चाहिए।

ट्रंप ने रविवार को 'ट्रुथ सोशल' पर एक पोस्ट में रेडियो मेजबान और लेखक चार्लमेन था गॉड की आलोचना की और कहा कि उन्हें (गॉड को) उनके बारे में या उनके कार्यों के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है। ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने पांच युद्धों को समाप्त कराया, जिनमें कांगो गणराज्य और रवांडा के बीच 31 वर्षों से चला आ रहा खूनी संघर्ष भी शामिल है। इसमें करीब 70 लाख लोगों की मौत हुई और इसका कोई अंत नजर नहीं आ रहा था।

राष्ट्रपति ने कहा, "उन्हें (गॉड को) इस बारे में कुछ नहीं पता- न भारत और पाकिस्तान के मुद्दे के बारे में, न ईरान की परमाणु क्षमता को खत्म करने के बारे में, न ही अमेरिका की खुली सीमा को बंद करने और सबसे बेहतरीन अर्थव्यवस्था बनाने के बारे में।"

एक दिन पहले ही ट्रंप ने ‘न्यूज़मैक्स’ पर एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्होंने बहुत सारे युद्धों को खत्म कराया है।

ट्रंप ने कहा, "अगर आप हाल में हुई घटनाओं पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि हमने कई मामलों को सुलझाया है… कई बेहद गंभीर युद्ध खत्म कराए हैं… इनमें से एक युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच था, जिसमें परमाणु टकराव की आशंका थी।”

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने थाईलैंड और कंबोडिया के साथ-साथ कांगो और रवांडा के बीच संघर्ष को भी सुलझाया है।

ट्रंप ने कहा, “मैंने उस मामले को सुलझाया। और मैंने इसे व्यापार के जरिए सुलझाया। मैंने कई ऐसे मामलों को व्यापार की मदद से सुलझाया। मैंने कहा, ‘सुनो, आप लोग लड़ सकते हो, जितना चाहे लड़ो, लेकिन हम कोई व्यापार समझौता नहीं करेंगे।’’

उन्होंने कहा, “अचानक वे लोग युद्ध रोक देते हैं। मैंने कई युद्ध सुलझाए हैं। मुझे लगता है कि मैंने औसतन हर महीने लगभग एक युद्ध को समाप्त कराया है। और इस तरह हम लाखों जानें बचा रहे हैं।"

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सप्ताह संसद में कहा कि किसी भी देश के नेता ने भारत से 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को रोकने के लिए नहीं कहा था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को स्पष्ट रूप से कहा था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम कराने में किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप नहीं था। उन्होंने जोर देकर कहा कि सैन्य कार्रवाई को रोकने का संबंध व्यापार से भी जुड़ा नहीं था, जैसा कि ट्रंप ने दावा किया है।

राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर विशेष चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए जयशंकर ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप के बीच 22 अप्रैल (जब पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ था) से लेकर 16 जून तक फोन पर कोई बात नहीं हुई।


यूक्रेन से शांति समझौते के लिए रूस को ट्रंप से मिली समयसीमा नजदीक आई

रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से अधिक समय से जारी युद्ध में इस हफ्ते एक अहम मोड़ आ सकता है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से मॉस्को को कीव के साथ शांति समझौते के लिए दी गई समयसीमा खत्म होने वाली है।

ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के इस सप्ताह के मध्य में मॉस्को पहुंचने की उम्मीद है। विटकॉफ की यात्रा पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने रूस को यूक्रेन में युद्ध रोकने के लिए शुक्रवार तक की समयसीमा दी है और ऐसा न होने पर उन्होंने मॉस्को के खिलाफ कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात कही है।

हालांकि, ट्रंप के पिछले वादे, चेतावनियां और प्रलोभन युद्ध रोकने में विफल साबित हुए हैं, ऐसे में जानकारों को दोनों पक्षों में शांति समझौता होने की उम्मीदें काफी कम नजर आ रही हैं।

इस बीच, यूक्रेन अग्रिम मोर्चे पर अधिक क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण खोते जा रहा है। हालांकि, उसके सुरक्षा ढांचे के कमज़ोर होने का कोई संकेत नहीं दिख रहा है।

ट्रंप के अनुसार, इजराइल और गाजा पट्टी की यात्रा के बाद विटकॉफ के बुधवार या बृहस्पतिवार को मॉस्को पहुंचने की संभावना है।

ट्रंप ने रविवार को रूस के बारे में कहा, ‘‘वे (विटकॉफ) से मिलना चाहेंगे। उन्होंने विटकॉफ से मिलने का अनुरोध किया है, तो देखते हैं कि क्या होता है।’’

ट्रंप इस बात से नाराज हैं कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेनी शहरों पर बमबारी रोकने के उनके आह्वान पर ध्यान नहीं दिया है। उन्होंने एक सप्ताह पहले रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने के साथ ही उससे तेल खरीदने वाले चीन और भारत सहित अन्य देशों पर शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी।

अफगानिस्तान में बाल कुपोषण में अब तक की सबसे तेज वृद्धि हुई: संयुक्त राष्ट्र एजेंसी

अफगानिस्तान में बाल कुपोषण में अब तक की सबसे तीव्र वृद्धि हो रही है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व खाद्य कार्यक्रम ने सोमवार को यह जानकारी दी।

यूएन एजेंसी ने यह भी कहा कि देश के सबसे कमजोर परिवारों की मदद के लिए उसे 53.9 करोड़ अमेरिकी डॉलर की आवश्यकता है।

अफगानिस्तान में लगभग एक करोड़ लोग (देश की एक-चौथाई आबादी) गंभीर खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं और हर तीन में से एक बच्चा अविकसित है।

विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने कहा कि बाल कुपोषण में वृद्धि पिछले दो वर्षों में आपातकालीन खाद्य सहायता में कमी से जुड़ी है, क्योंकि दानदाताओं का समर्थन कम हो रहा है। अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक (अफगानिस्तान) को दी जाने वाली खाद्य सहायता बंद कर दी थी।

अमेरिका विश्व खाद्य कार्यक्रम का सबसे बड़ा वित्तपोषक रहा है, जिसने पिछले वर्ष मिले 9.8 अरब अमेरिकी डॉलर के दान में से 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर प्रदान किए थे।

अफगानिस्तान में खाद्य असुरक्षा पड़ोसी देशों से बड़े पैमाने पर वापसी के कारण और भी बदतर हो रही है। पड़ोसी देश विदेशियों को निर्वासित कर रहे हैं, क्योंकि वे उन देशों में अवैध रूप से रह रहे हैं।

डब्ल्यूएफपी ने कहा कि उसने पिछले दो महीनों में ईरान से लौटने वाले 60,000 अफगानों को सहायता प्रदान की है, जो सीमा पार करने वालों का एक अंश मात्र है।


स्कॉटलैंड में भीषण तूफान ‘फ्लोरिस’ के चलते ट्रेन रद्द, कार्यक्रम स्थगित

स्कॉटलैंड में दुर्लभ ग्रीष्मकालीन तूफान ‘फ्लोरिस’ के चलते प्रशासन ने ट्रेन सेवाएं रद्द कर दी हैं, पार्क बंद कर दिए गए हैं और लोगों को घरों में सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।

ब्रिटेन के मौसम विभाग ने स्कॉटलैंड के लिए ‘एम्बर’ स्तर की चेतावनी जारी की है, जिसका अर्थ है कि तेज हवाओं और भारी बारिश के चलते जीवन और संपत्ति को गंभीर खतरा हो सकता है, विशेषकर तटीय इलाकों में जहां बड़ी लहरें उठ सकती हैं। मौसम विभाग के अनुसार, तूफान की वजह से हवा की गति 137 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंच सकती है।

यह तूफान ऐसे समय आया है जब स्कॉटलैंड में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है। राजधानी एडिनबरा में जारी विश्व प्रसिद्ध ‘एडिनबरा फ्रिंज फेस्टिवल’ और अन्य सांस्कृतिक आयोजनों में हजारों लोग भाग ले रहे हैं। शहर के प्रमुख पर्यटन आकर्षणों में से एक ‘एडिनबरा मिलिट्री टैटू’ ने सोमवार को एडिनबरा कैसल में होने वाला बैगपाइपर और ड्रमवादकों की प्रस्तुति रद्द कर दी है।

स्कॉटलैंड में कई ट्रेन सेवाएं और कुछ नौका सेवाएं रद्द कर दी गई हैं। मौसम विभाग के अनुसार, यह तूफान उत्तरी आयरलैंड, वेल्स और उत्तरी इंग्लैंड के कुछ हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है।

स्कॉटलैंड सरकार की मंत्री एंजेला कॉन्स्टेंस ने लोगों से यात्रा के दौरान सावधानी बरतने की अपील करते हुए कहा, ‘‘इस स्थिति को गर्मियों की बजाय सर्दियों की स्थिति की तरह देखें। कृपया सुनिश्चित करें कि आपके पास गर्म कपड़े, खाना, पानी, पर्याप्त ईंधन और पूरी तरह से चार्ज मोबाइल फोन हो।’’

ट्रेन सेवा प्रदाता ‘स्कॉटरेल’ ने लोगों से अनुरोध किया है कि वे तंबू, तिरपाल या फर्नीचर जैसे सामान को अच्छी तरह से बांधकर रखें, ताकि वे तेज हवा में उड़कर रेल पटरियों या उपकरणों को नुकसान न पहुंचाएं।

बांग्लादेश: यूनुस सरकार में 471 राजनीतिक हिंसा की घटनाएं, 121 की मौत

बांग्लादेश में अगस्त 2024 से जून 2025 के बीच मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के कार्यकाल में राजनीतिक हिंसा की 471 घटनाओं में कम से कम 121 लोगों की मौत हो गई और 5,189 लोग घायल हुए।

यह जानकारी ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश (टीआईबी) की एक ताजा रिपोर्ट में सामने आई है।

टीआईबी के कार्यकारी निदेशक इफ्तेखारुज्जमां ने सोमवार को ढाका के धानमंडी स्थित कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह रिपोर्ट जारी की।

रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक हिंसा की 92 प्रतिशत घटनाओं में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की संलिप्तता पाई गई, जबकि कट्टरपंथी इस्लामी संगठन जमात-ए-इस्लामी पांच प्रतिशत घटनाओं में और नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) एक प्रतिशत मामलों में शामिल थी।

'द डेली स्टार' के अनुसार, टीआईबी ने कहा कि "हमने पाया है कि कई राजनीतिक दलों में कानून के प्रति सम्मान की भारी कमी है।"

टीआईबी ने कहा कि अंतरिम सरकार द्वारा शुरू किए गए कई सुधारों के कार्यान्वयन की कोई स्पष्ट रूपरेखा नहीं है, जिससे जनता और हितधारकों के बीच अविश्वास की स्थिति बनी है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया, "हाल ही में बने राजनीतिक दलों के कुछ सदस्य, अंतरिम सरकार और राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग भ्रष्टाचार और हितों के टकराव में लिप्त पाए गए हैं।"

टीआईबी ने यह चिंता जताई कि जुलाई चार्टर में उल्लेखित संवैधानिक और कानूनी सुधारों के कार्यान्वयन को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, भले ही कुछ प्रस्तावों पर राजनीतिक सहमति बनी हो।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि देश में सूचनात्मक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अब भी प्रतिबंध बने हुए हैं।

इसके अलावा, पिछले एक वर्ष में धर्म-आधारित राजनीतिक प्रभाव में भारी वृद्धि देखी गई है। रिपोर्ट के अनुसार, कई मामलों में महिलाओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और दबाव ने समावेशिता और गैर-भेदभाव के मूल्यों को ठेस पहुंचाई है।

यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश में पत्रकारों, पुलिसकर्मियों, अल्पसंख्यकों और अवामी लीग से जुड़े लोगों के खिलाफ कई हिंसक हमले हुए हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हत्या, झूठे आपराधिक मामलों में मनमानी गिरफ्तारी, भीड़ हिंसा, धार्मिक हिंसा भड़काने, हिंदू समुदाय और मंदिरों पर हमले जैसी घटनाएं सामने आई हैं।

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