दुनिया की खबरें: यूक्रेन को फिर लगा बड़ा झटका और पाकिस्तान में रमजान के दौरान 18 घंटे तक बिजली रही गुल

रूस ने दावा किया कि उसकी सेना ने कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन के कब्जे में आए सबसे बड़े शहर सुदजा को फिर से अपने नियंत्रण में ले लिया है।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

रूस ने दावा किया कि उसकी सेना ने कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन के कब्जे में आए सबसे बड़े शहर सुदजा को फिर से अपने नियंत्रण में ले लिया है। मॉस्को का यह दावा यूक्रेन के लिए बड़ा झटका है जो युद्धविराम वार्ताओं में इस शहर का इस्तेमाल 'मोलभाव चिप' के रूप में करना चाहता था।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक रूसी रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को कहा, "आक्रामक अभियानों के दौरान, उत्तरी सैन्य समूह की इकाइयों ने मेलोवॉय, पोडोल और सुदजा की बस्तियों को मुक्त करा लिया।"

अमेरिका स्थित संघर्ष निगरानी संस्थान युद्ध अध्ययन (आईएसडब्ल्यू) ने भी कहा कि जमीनी फुटेज से संकेत मिलता है कि रूसी सेना ने सुदजा पर कब्जा कर लिया है और शहर के उत्तर-पश्चिम में एक बस्ती दक्षिणी जोलेंश्कों की ओर बढ़ गई।

इस शहर पर दोबारा कब्जा रूस के लिए एक बड़ी प्रतीकात्मक जीत है। हालांकि सुदजा एक छोटी सी जगह है, जिसकी आबादी यूक्रेन के आक्रमण से पहले लगभग 5,000 लोगों की थी। यह एकमात्र आबादी वाला शहर है जो अभी भी यूक्रेन के नियंत्रण में था।

रूसी सरकारी समाचार एजेंसी तास की रिपोर्ट के अनुसार, यह घोषणा गुरुवार को अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के मॉस्को पहुंचने के बाद हुई।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने एक दिन पहले कहा था कि रूस को उम्मीद है कि अमेरिकी अधिकारी वाशिंगटन के 30 दिवसीय युद्धविराम प्रस्ताव के बारे में जानकारी देंगे। यूक्रेन इस प्रस्ताव को पहले ही स्वीकार कर चुका है।

गुरुवार को पत्रकारों के साथ नियमित बातचीत में पेस्कोव ने विश्वास व्यक्त किया कि यूक्रेन के कब्जे वाले कुर्स्क क्षेत्र के सभी हिस्से जल्द ही आजाद करा लिए जाएंगे।

इससे पहले रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने बुधवार को कुर्स्क क्षेत्र का अचानक दौरा किया। रूसी राज्य टेलीविजन द्वारा प्रसारित वीडियो में सैन्य वर्दी पहने हुए रूसी राष्ट्रपति ने अग्रिम पंक्ति के सैनिकों से कहा कि मॉस्को का लक्ष्य जल्द से जल्द कुर्स्क को 'पूरी तरह से मुक्त' करना है। पिछले साल यूक्रेन के अप्रत्याशित आक्रमण के बाद पश्चिमी क्षेत्र की यह उनकी पहली यात्रा थी।

पिछले साल अगस्त में हजारों यूक्रेनी सैनिकों ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र के लगभग 1,300 वर्ग (500 वर्ग मील) किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था। इस बारे में कीव का कहना था यह भविष्य की वार्ताओं में मोलभाव करने और रूस को पूर्वी यूक्रेन से हटने के लिए मजबूर करने का प्रयास था। हालांकि हाल के दिनों में रूसी सेना को इस इलाके में अहम कामयाबी हासिल हुई है।

रूसी सेना के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में तेज बढ़त की वजह से यूक्रेन के पास कुर्स्क में 200 वर्ग किमी (77 वर्ग मील) से भी कम क्षेत्र बचा है।

पाकिस्तान : रमजान के दौरान 18 घंटे तक बिजली गुल, सामान्य जनजीवन प्रभावित

पाकिस्तान के कराची में 18 घंटे से अधिक समय से बिजली कटौती के कारण रमजान के पवित्र महीने के दौरान लोगों को काफी असुविधा का समाना करना पड़ा। स्थानीय मीडिया ने गुरुवार को यह जानकारी दी।

पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के अनुसार, नागरिकों ने कहा कि लंबे समय से बिजली कटौती और बढ़ते तापमान के कारण उन्हें रमजान के दौरान उपवास रखना, नमाज अदा करने और यहां तक कि अन्य दैनिक कार्य करने में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रभावित नागरिक मुख्य रूप से शहर के अधिकांश क्षेत्रों में गरीब और मध्यम वर्ग से हैं, जो बिजली कटौती के कारण सबसे खराब स्थिति का सामना कर रहे हैं, जिससे नागरिकों का जीवन दयनीय हो गया है।

पिछले महीने कराची में बिजली कटौती और पानी की कमी के खिलाफ बड़े पैमाने पर सार्वजनिक प्रदर्शन हुए। लोगों ने लंबे समय तक पानी और बिजली के बिना रहने के कारण विरोध प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों ने टायरों में आग लगाई और सड़कों को अवरुद्ध कर दिया। उनका कहना था कि उनके क्षेत्र में लगातार चार दिनों से बिजली की आपूर्ति बाधित रही है।

पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स (पीआईडीई) ने कहा कि 2024 में देश का ऊर्जा क्षेत्र गहरे संकट में है।

कराची अकेला ऐसा शहर नहीं है जो बिजली की कमी के संकट से जूझ रहा है। पाकिस्तान के कई शहर लंबे समय से इस लगातार समस्या से जूझ रहे हैं।

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 2023 में पाकिस्तान में राष्ट्रव्यापी बिजली कटौती के कारण लगभग 220 मिलियन लोग बिना बिजली के रह जाएंगे और कई शहर अंधेरे में डूब जाएंगे।


जाफर एक्सप्रेस हाईजैक : नेशनल असेंबली में विपक्षी आलोचना पर पाकिस्तान सरकार ने साधी 'चुप्पी'

बलूचिस्तान में जाफर एक्सप्रेस अपहरण की घटना को पाकिस्तान की संघीय सरकार की तीखी आलोचना हो रही है लेकिन उसने इस मुद्दे पर खामोश रहने की रणनीती बनाई है। नेशनल असेंबली में विपक्ष के हमलों के बीच सरकार ने चुप्पी साधे रखी।

बुधवार को गठबंधन सरकार ने अपहरण की घटना का कोई भी उल्लेख करने से परहेज किया। हालांकि विपक्षी नेता उमर अयूब खान ने सरकार की प्रतिक्रिया की आलोचना की थी।

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ, गृह राज्य मंत्री तलाल चौधरी और कानून मंत्री आजम नजीर तरार सहित प्रमुख पाकिस्तानी मंत्री सदन में मौजूद थे, लेकिन उन्होंने कोई नीतिगत बयान देने से परहेज किया।

बोलन जिले में जाफर एक्सप्रेस पर बड़े पैमाने पर हमले के बाद बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) के मजीद ब्रिगेड के चरमपंथियों और पाकिस्तानी सेना के बीच टकराव आखिरकार 24 घंटे से अधिक समय बाद बुधवार शाम को खत्म हुआ।

सेना ने दावा किया कि हमलावरों को बेअसर करने और बंधकों को बचाने का अभियान सफलतापूर्वक समाप्त हो गया है।

एक विश्वसनीय सुरक्षा सूत्र ने बताया, "ऑपरेशन समाप्त हो गया है, घटनास्थल को खाली करा लिया गया है। सभी बंधकों को रिहा कर दिया गया है। कुल 346 लोगों को बचाया गया। 50 आतंकवादियों को मार गिराया गया।"

अधिकारियों ने यह भी खुलासा किया कि आतंकवादी हमले के दौरान महिलाओं और बच्चों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे।

क्वेटा से पेशावर जा रही इस ट्रेन को बीएलए के उग्रवादियों ने हाईजैक कर 400 से ज़्यादा यात्रियों को बंधक बना लिया था।

हालांकि, संकट की गंभीरता के बावजूद, संघीय सरकार ने इस मामले को सुलझाने में कोई तत्परता नहीं दिखाई।

नेशनल असेंबली सत्र के दौरान, उमर अयूब खान ने मांग की कि जाफर एक्सप्रेस अपहरण पर बहस के लिए नियमित कार्यवाही को निलंबित किया जाए।

हालांकि, पीपीपी के अब्दुल कादिर पटेल, जो अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे, ने अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया और इसके बजाय प्रश्नकाल को आगे बढ़ाया।

पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक 'डॉन' की रिपोर्ट के अनुसार, इस निर्णय का पीटीआई सांसदों ने जोरदार विरोध किया। उन्होंने विरोध में नारे लगाने के बाद सदन से वॉकआउट कर दिया।

प्रश्नकाल पूरा होने के बाद, पीटीआई सदस्य सदन में वापस आए, जहां उमर अयूब ने सरकार की निष्क्रियता की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा, "बलूचिस्तान जल रहा है और सरकार हमेशा की तरह काम कर रही है।"

अनौपचारिक बातचीत में लगे ट्रेजरी सदस्यों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी गंभीरता की कमी आतंकवाद के प्रति सरकार की उदासीनता को दर्शाती है।

जाफर एक्सप्रेस हमले को 'एक बड़ी खुफिया विफलता' बताते हुए खान ने सवाल उठाया कि कैसे दर्जनों आतंकवादी खुफिया एजेंसियों की नजर में आए बिना दिनदहाड़े इकट्ठा होकर ऑपरेशन को अंजाम देने में कामयाब हो गए।

खान ने आरोप लगाया कि देश में 13 खुफिया एजेंसियों का प्राथमिक ध्यान आतंकवादियों का पता लगाने के बजाय विपक्षी नेताओं को निशाना बनाना था।

यूक्रेन के साथ युद्धविराम समझौते को स्वीकार करना रूस पर निर्भर : ट्रंप

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यूक्रेन के साथ रूस 30 दिन के युद्धविराम पर सहमत हो जाएगा। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने बुधवार को इसे एक सकारात्मक कदम बताया और कहा कि मॉस्को को इसे स्वीकार करने के लिए राजी करना अमेरिका पर निर्भर है।

अमेरिका और यूक्रेन के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को सऊदी अरब के जेद्दा में वार्ता की। वार्ता के दौरान रूस और यूक्रेन के बीच तीन साल से अधिक समय से जारी युद्ध को समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें 30 दिन के युद्धविराम को स्वीकार करने का संकेत दिया गया।

जेद्दा में घोषणा के तुरंत बाद ट्रंप ने यहां कहा, ‘‘कुछ समय पहले यूक्रेन ने युद्धविराम पर सहमति जताई थी। अब हम रूस से संपर्क करने जा रहे हैं और उम्मीद है कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस पर सहमत होंगे।’’

उन्होंने अपने ‘ट्रुथसोशल’ अकाउंट पर पोस्ट किए गए वीडियो में कहा, ‘‘अगर हम रूस को राजी कर लेते हैं, तो यह बहुत बढ़िया होगा। अगर हम ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो हम लगातार इस संबंध में प्रयास करते रहेंगे क्योंकि युद्ध में लोग मारे जा रहे हैं।’’

ट्रंप ने रूस के साथ जल्द होने वाली बैठकों के बारे में भी बात की जो उनके विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के संदर्भ में था, जिनके रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के लिए मॉस्को जाने की संभावना है।

यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिकी पक्ष उनके देश के तर्कों को समझता है और उनके प्रस्तावों पर विचार करता है। उन्होंने कहा कि वे ‘‘दोनों देशों की टीम के बीच रचनात्मक बातचीत के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के आभारी हैं।’’

जेलेंस्की ने जेद्दा से घोषणा के कुछ घंटों बाद कहा, ‘‘यूक्रेन इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए तैयार है। हम इसे एक सकारात्मक कदम के रूप में देखते हैं और इसे करने के लिए तैयार हैं। अब, रूस को भी ऐसा करने के लिए राजी करना अमेरिका पर निर्भर है। अगर रूस सहमत होता है, तो युद्धविराम तुरंत प्रभावी हो जाएगा।’’

यूक्रेन के राष्ट्रपति ने इस बारे में एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसका लिखित विवरण उनके आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल पर भी पोस्ट किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘आज की वार्ता के दौरान अमेरिकी पक्ष ने एक और भी बड़ा पहला कदम उठाने का प्रस्ताव रखा - 30 दिन का पूर्ण अंतरिम युद्धविराम, जिससे न केवल काला सागर में, बल्कि समूचे अग्रिम मोर्चे पर मिसाइल, ड्रोन और बम हमले रुकेंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यूक्रेन की स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट है। यूक्रेन इस युद्ध की शुरुआत से ही शांति की बात करता रहा है और हम इसे जल्द से जल्द तथा विश्वसनीय तरीके से हासिल करने के लिए सबकुछ करना चाहते हैं ताकि युद्ध की वापसी न हो।’’

जेलेंस्की ने उन तीन प्रमुख बिंदुओं के बारे में भी बात की जो उनकी टीम ने जेद्दा में अमेरिकियों के साथ बैठक के दौरान प्रस्तावित किए थे। उन्होंने कहा, ‘‘ये तीन प्रमुख बिंदु हैं: आसमान में शांति यानी मिसाइल हमलों, बमों और लंबी दूरी के ड्रोन हमलों को रोकना; समुद्र में शांति तथा इस पूरी स्थिति में वास्तविक विश्वास-निर्माण के कदम, जिस बारे में कूटनीति जारी है और जिसका मुख्य रूप से आशय युद्धबंदियों एवं बंदियों (सैन्य और नागरिक दोनों) की रिहाई तथा यूक्रेनी बच्चों की वापसी से है, जिन्हें जबरन रूस स्थानांतरित कर दिया गया था।’’

रूस की ओर से इस बारे में अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। इस बीच, जेद्दा से घोषणा आने के तुरंत बाद ट्रंप सरकार ने यूक्रेन के साथ सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी साझा करने पर लगा अपना निलंबन हटा लिया। यह कदम एक सप्ताह पहले युद्ध को समाप्त करने के बारे में बातचीत के लिए जेलेंस्की को मजबूर करने के एक स्पष्ट प्रयास में उठाया गया था।

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