दुनिया की खबरें: 'अमेरिका फर्स्ट' नीति से अमेरिका-यूरोप संबंधों में तनाव और लंदन में जयशंकर की सुरक्षा में सेंध

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस के संयुक्त सत्र के दौरान शासन में अपनी 'उपलब्धियों' को आत्मविश्वास के साथ पेश किया। इस दौरान उन्होंने ग्रीनलैंड को हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्प, अमेरिका और यूक्रेन के बीच खनिज समझौते का इंतजार और अन्य देशों पर टैरिफ लगाना जारी रखने की बात कही।

फोटो: ians
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नवजीवन डेस्क

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस के संयुक्त सत्र के दौरान शासन में अपनी 'उपलब्धियों' को आत्मविश्वास के साथ पेश किया। इस दौरान उन्होंने ग्रीनलैंड को हासिल करने के लिए दृढ़ संकल्प, अमेरिका और यूक्रेन के बीच खनिज समझौते का इंतजार और अन्य देशों पर टैरिफ लगाना जारी रखने की बात कही।

हालांकि, वैश्विक उत्तरदाता इससे आश्वस्त नहीं हैं। सीजीटीएन द्वारा 38 देशों के 15,257 उत्तरदाताओं के बीच किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला कि 'अमेरिका फर्स्ट' की नीति अमेरिका-यूरोप संबंधों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है, जबकि इसके पारंपरिक सहयोगियों के उत्तरदाताओं के बीच अमेरिका पर भरोसा तेजी से कम हो रहा है।

सर्वेक्षण के अनुसार, 62.9 प्रतिशत वैश्विक उत्तरदाताओं ने 'अमेरिका फर्स्ट' नीति की निंदा की और अन्य देशों के वैध हितों के प्रति इसकी उपेक्षा की आलोचना की।

यूरोपीय उत्तरदाताओं में, यह अनुपात बढ़कर 67.7 प्रतिशत हो गया है।

इसके अलावा, 53.8 प्रतिशत यूरोपीय उत्तरदाताओं का मानना है कि अमेरिकी व्यापार बाधाओं ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाला है।

78.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अन्य देशों पर आर्थिक दबाव डालने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय संगठनों का उपयोग करने के लिए अमेरिका की आलोचना की।

60.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने दुनियाभर में भू-राजनीतिक संघर्षों को भड़काने के लिए अमेरिका की निंदा की। 70.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि 'अमेरिकी आधिपत्य' वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को कमजोर करना चाहता है।

लंदन में जयशंकर की सुरक्षा में सेंध : ब्रिटेन ने इसे पूरी तरह अस्वीकार्य बताया

ब्रिटेन ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर की सुरक्षा में सेंध लगाकर उनके काफिले की ओर खालिस्तान समर्थक चरमपंथी के बढ़ने की घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि सार्वजनिक कार्यक्रमों को ‘‘डराने, धमकाने या बाधित करने’’ के ऐसे प्रयास ‘‘पूरी तरह से अस्वीकार्य’’ हैं।

यह बयान विदेश मंत्रालय द्वारा ब्रिटेन से ‘‘अपने राजनयिक दायित्वों को पूरा करने’’ का आह्वान करने के बाद आया है, क्योंकि बुधवार शाम को लंदन में चैथम हाउस थिंक टैंक से जयशंकर के बाहर निकलते समय प्रदर्शनकारियों के एक छोटे समूह में शामिल एक व्यक्ति खालिस्तान समर्थक नारे लगाते हुए और अलगाववादी झंडे लहराते हुए सुरक्षा घेरा तोड़ने का प्रयास किया था।

मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी को तुरंत एक तरफ ले गई। पुलिस के मुताबिक अब तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है।

विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम विदेश मंत्री की ब्रिटेन यात्रा के दौरान कल (बुधवार) चैथम हाउस के बाहर हुई घटना की कड़ी निंदा करते हैं।’’

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ब्रिटेन शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का समर्थन करता है, लेकिन सार्वजनिक कार्यक्रमों में डराने, धमकाने या बाधित करने का कोई भी प्रयास पूरी तरह से अस्वीकार्य है। मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने स्थिति को संभालने के लिए तेजी से काम किया और हम अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप अपने सभी राजनयिक मेहमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।’’

लंदन महानगर पुलिस के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘जब मंत्री कार्यक्रम से बाहर निकले तो एक प्रदर्शनकारी झंडा लहराते हुए उनकी खड़ी कार के सामने दौड़ा।’’

उन्होंने बताया, ‘‘अधिकारियों ने उसे तुरंत रोक लिया और वहां से हटा दिया। वह मंत्री के करीब नहीं आया और मंत्री बिना किसी और घटना के इलाके से निकल गये। कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।’’

सुरक्षा में सेंध की यह घटना मंगलवार और बुधवार को चेवनिंग हाउस में ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी के साथ जयशंकर की वार्ता के हुई। चेवनिंग हाउस में दोनों नेताओं ने पुनः शुरू किए गए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) वार्ता, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों सहित ‘‘द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम’’ पर चर्चा की थी।

रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स, जिसे आमतौर पर चैथम हाउस के नाम से जाना जाता है, के सामने प्रदर्शनकारियों को रोक दिया गया था तथा आयोजन स्थल के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर उन पर निगरानी रखी जा रही थी।

अधिकारी उस व्यक्ति को रोकने के लिए दौड़े, क्योंकि वह भारतीय ध्वज खींचते हुए मंत्री की कार का रास्ता रोकने के लिए अवरोधक पार करने की कोशिश कर रहा था।

सामुदायिक संस्था ‘इनसाइट यूके’ ने घटना की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, ‘‘यह शर्मनाक है कि यह हमला उस समय हुआ है जब डॉ. एस. जयशंकर ब्रिटेन के दौरे पर हैं और उन्होंने ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी के साथ सफल बैठक पूरी की है, जहां उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।’’


दुनिया की सबसे बुजुर्ग हज्जाम 108 साल की जापानी महिला

दुनिया की सबसे बुजुर्ग हज्जाम भले ही 108 साल की है लेकिन दुबली-पतली एवं सफेद बालों वाली इस जापानी महिला की तत्काल अपने काम से सेवानिवृत होने की कोई योजना नहीं है।

शित्सुई हाकोइशी नामक इस बुजुर्ग महिला ने कहा कि इस सप्ताह ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ द्वारा औपचारिक मान्यता मिलने से उन्हें बहुत खुशी मिली है।

बुधवार को उन्हें इस अंतरराष्ट्रीय फ्रैंचाइज़ की ओर से आधिकारिक प्रमाणपत्र प्रदान किया गया। ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में पुरुष हज्जामों के लिए एक अलग श्रेणी है, लेकिन 2018 में 107 वर्ष की आयु में प्रमाणपत्र प्राप्त करने वाले अमेरिका के एंथनी मैनसिनेली की इस बीच मृत्यु हो गई, जिससे हाकोइशी इस रिकॉर्ड की एकमात्र धारक रह गईं।

हाकोइशी नौ दशक से इस पेशे में हैं तथा उनका कहना है कि इसका श्रेय उनके ग्राहकों को जाता है।

तोक्यो के उत्तर-पूर्व में तोचिगी प्रांत में अपने गृहनगर नाकागावा में एक व्यायामशाला में आयोजित प्रेस वार्ता में हाकोइशी ने कहा, ‘‘मैं केवल अपने ग्राहकों की वजह से ही इस स्तर पर पहुंच पाई हूँ। मैं अभिभूत हूं और खुशी से भर गई हूं।’’

यह प्रेस वार्ता बुधवार को टेलीविजन पर प्रसारित हुई।

नाकागावा के एक किसान परिवार में 10 नवंबर, 1916 को जन्मीं हाकोइशी ने 14 साल की उम्र में हज्जाम बनने का फैसला किया और तोक्यो चली गईं, जहां उन्होंने प्रशिक्षु के रूप में अपने हुनर ​​को निखारा।

उन्होंने 20 साल की उम्र में हज्जाम के रूप में लाइसेंस प्राप्त किया और अपने पति के साथ मिलकर एक सैलून खोला। हाकोइशी ने कहा कि वह अपनी कैंची छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।

2024 में दक्षिण कोरियाई लोगों में चिंता और अवसाद में हुई वृद्धि : सर्वे

दक्षिण कोरियाई लोगों पर किए गए एक हालिया सर्वे से यह पता चला है कि 2024 में दक्षिण कोरिया के लोगों में चिंता और अवसाद में वृद्धि हुई है।

योनहाप समाचार एजेंसी के अनुसार, कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के आंकड़ों के मुताबिक, जिन लोगों ने कहा कि उन्हें चिंता महसूस हुई, उनकी संख्या 2023 की तुलना में बढ़ी है। पिछले साल यह 10 में से 4.1 अंक थी, जबकि 2023 में यह 3.4 अंक थी। इसी तरह, अवसाद के मामले में भी यह संख्या 2.8 अंक से बढ़कर 3.5 अंक हो गई।

पिछले साल अगस्त से सितंबर तक 8,251 लोगों पर एक सर्वे किया गया था। इस सर्वे में यह पता लगाया गया कि लोग समाज में कितने घुले-मिले हैं और उनकी राय क्या है। लोगों ने अपनी खुशी का औसत 6.8 बताया, जो पिछले साल से 0.1 ज्यादा है।

जिनकी मासिक आय 1 मिलियन वॉन ($693) से कम थी, उन्होंने पिछले वर्ष के मुकाबले 0.1 अंक कम खुशी महसूस की, जो 6.0 अंक थी। वहीं, जिनकी आय 6 मिलियन वॉन से अधिक थी, उनके लिए खुशी का स्तर पिछले वर्ष के 6.8 अंक से बढ़कर 7.0 अंक हो गया।

सर्वे के परिणामों में यह भी पाया गया कि राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों के प्रति संतुष्टि दर पिछले वर्ष की तुलना में 0.7 अंक बढ़ी है, जो 5.3 अंक तक पहुंच गई।

इसके अलावा, जिन लोगों ने अपने विचारों को मध्यम (न पूरी तरह उदारवादी, न रूढ़िवादी) बताया, उनकी संख्या 45.2 प्रतिशत रही, जो लगभग आधी है। राजनीतिक रुझानों में यह सबसे बड़ी संख्या है। हालांकि पिछले साल से इसमें 1.5 प्रतिशत की कमी आई है। इसके अलावा, 30.2 प्रतिशत ने खुद को रूढ़िवादी और 24.6 प्रतिशत ने खुद को उदारवादी बताया।

अन्य 30.2 प्रतिशत लोगों ने खुद को रूढ़िवादी बताया, जबकि 24.6 प्रतिशत ने खुद को उदारवादी माना।

चिंता और अवसाद विकार दुनिया भर में सबसे आम मानसिक विकारों में से हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और द लैंसेट पत्रिका के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 284 मिलियन लोग चिंता संबंधी विकारों से और 264 मिलियन लोग अवसाद से पीड़ित हैं।

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