दुनिया की खबरें: अहमदाबाद विमान दुर्घटना पर दुनियाभर में शोक और नेतन्याहू की सरकार बची
एयर इंडिया की फ्लाइट एआई171 के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर से दुनियाभर में शोक की लहर दौड़ गई है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस दुर्घटना को "विनाशकारी दृश्य" बताते हुए गहरा दुख व्यक्त किया।

अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट एआई171 के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर से दुनियाभर में शोक की लहर दौड़ गई है। विमान में 240 से अधिक यात्री सवार थे। यह हादसा शहर के मेघानीनगर इलाके के पास हुआ।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने इस दुर्घटना को "विनाशकारी दृश्य" बताते हुए गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "अहमदाबाद में लंदन जा रहे विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर बेहद दुखद है। इस विमान में कई ब्रिटिश नागरिक सवार थे। मैं लगातार स्थिति की जानकारी ले रहा हूं। मेरी संवेदनाएं पीड़ितों और उनके परिजनों के साथ हैं।"
विमान में कम से कम 169 भारतीय और 53 ब्रिटिश नागरिक सवार थे और यह लंदन के गैटविक हवाई अड्डे की ओर जा रहा था।
ब्रिटेन के रक्षा मंत्री डेविड लैमी ने भी हादसे पर गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, "अहमदाबाद में हुए इस भीषण विमान हादसे की खबर से बेहद दुखी हूं। सभी प्रभावित लोगों के साथ मेरी संवेदनाएं हैं। यूके सरकार स्थानीय भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर तथ्य जुटाने और सहायता पहुंचाने में जुटी है।"
ब्रिटिश कंज़र्वेटिव पार्टी की सांसद प्रीति पटेल ने यूके सरकार से अपील की कि वह भारत सरकार के साथ मिलकर ब्रिटिश परिवारों को मदद पहुंचाए।
उन्होंने कहा, "अहमदाबाद में हुए विमान हादसे से प्रभावित सभी लोगों के लिए मेरी प्रार्थनाएं हैं। यह हादसा उन परिवारों के लिए अत्यंत चिंता का विषय है, जिनके प्रियजन विमान में सवार थे। सरकार को तत्काल भारतीय अधिकारियों के साथ मिलकर ब्रिटिश नागरिकों की मदद करनी चाहिए।"
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने भी इस दुखद हादसे पर गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, "भारत में हुए यात्री विमान हादसे की भयावह खबर मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की जनता के प्रति मेरी गहरी संवेदना। हम भारत, यूके, पुर्तगाल और कनाडा के पीड़ितों के साथ हैं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं।"
भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव ने भी हादसे को “भीषण त्रासदी” बताया और कहा, "अहमदाबाद से दिल दहला देने वाली खबर आ रही है। पीड़ितों के परिजनों, भारत की जनता और सरकार के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।"
‘पाकिस्तानी सेना ने जबरन गायब दो लोगों की हत्या की’, बलूच मानवाधिकार संस्था का दावा
बलूच नेशनल मूवमेंट के मानवाधिकार संगठन 'पांक' ने गुरुवार को बलूचिस्तान के अवारन जिले के मशकई में पाकिस्तानी सेना द्वारा जबरन गायब किए गए दो और लोगों की हत्या की कड़ी निंदा की।
मानवाधिकार संस्था की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "पाकिस्तानी सेना ने मशकई कैंटोनमेंट में अली मुहम्मद और निजार की हत्या कर दी। वे दोनों पहले भी जबरन गायब किए गए थे और उनके शवों को मशकई अस्पताल में भेज दिया गया। हकीम के बेटे अली मुहम्मद को 1 फरवरी 2025 को मशकाई खांदरी में सैन्य छापेमारी के दौरान अगवा किया गया और हिरासत में यातना दी गई। 11 जून को उनकी हत्या कर शव अस्पताल में फेंक दिया गया।"
मानवाधिकार संस्था ने कहा कि निजार 23 दिसंबर 2024 को मशकई मजाराबाद से जबरन गायब हो गया और 11 जून को उसी छावनी में उसकी हत्या कर दी गई थी। इस बीच, उसका भाई गुलदाद भी लापता है।
मानवाधिकार संस्था ने इन हत्याओं को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का उल्लंघन बताया और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से जांच और दोषियों को जवाबदेह बनाने की मांग की।
वहीं, बलूच यकजहती कमेटी (बीवाईसी) ने बलूच जेल में अपने नेताओं के उत्पीड़न की निंदा की और पाकिस्तानी अधिकारियों से इसे तुरंत रोकने की मांग की।
बीवाईसी के अनुसार, क्वेटा की हदा जेल के नए जेल अधीक्षक सैयद हमीदुल्लाह पेची उनके नेताओं को मानसिक और शारीरिक यातना दे रहे हैं और उनके परिवारों को भी परेशान कर रहे हैं, जिन्हें अपने प्रियजनों से मिलने के लिए जेल के बाहर तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ता है।
बीवाईसी ने कहा कि उसके नेताओं, बेबिगर बलूच और शाहजी बलूच को अलग-अलग कोठरियों में बंद कर दिया गया है, जहां उन्हें चिकित्सा उपचार, अपने परिवारों से मिलने और अन्य बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया है।
बयान में कहा गया है, "जब उन्होंने इन अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई तो अधीक्षक सैयद हमीदुल्लाह पेची ने उनके साथ बेहद अभद्र व्यवहार किया और यहां तक कि शारीरिक हिंसा का प्रयास भी किया।"
मानवाधिकार संगठन ने चिंता जताते हुए कहा कि बेबिगर बलूच शारीरिक रूप से अक्षम हैं और उन्हें लगातार चिकित्सा सुविधाओं और जांच की जरूरत है, लेकिन जेल प्रशासन इन सुविधाओं को देने से साफ मना कर रहा है।
बीवाईसी ने कहा, "इसी तरह बीवाईसी की मुख्य आयोजक माहरंग बलूच और उनकी साथी बेबो बलूच तथा गुलजादी बलूच को भी लगातार परेशान किया जा रहा है।"
अधीक्षक ने इन महिला नेताओं पर और सख्त पाबंदियां लगा दी हैं। जब उन्होंने अपने बुनियादी अधिकारों के लिए आवाज उठाई, तो उन्हें धमकाया गया और कई तरह से परेशान किया गया।
बीवाईसी ने जेल प्रशासन और अधीक्षक को चेतावनी दी कि वे नेताओं का उत्पीड़न तुरंत रोकें और उनके कानूनी, मानवीय और चिकित्सा अधिकारों को बहाल करें। उन्होंने कहा कि वे किसी भी हालत में इस उत्पीड़न के खिलाफ चुप नहीं बैठेंगे।
लॉस एंजेलिस में इमिग्रेशन नीति के खिलाफ प्रोटेस्ट के दौरान 400 से अधिक लोग गिरफ्तार
लॉस एंजेलिस में इमिग्रेशन नीतियों के खिलाफ प्रदर्शनों को लेकर लगभग 400 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने बीबीसी समाचार के हवाले से बताया कि गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए लोगों में 330 अवैध प्रवासी और 157 अन्य लोग शामिल हैं। इन लोगों को मारपीट और बाधा डालने के आरोप में पकड़ा गया है।
लॉस एंजेलिस पुलिस विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि शहर में कर्फ्यू के पहले ही दिन भीड़ जुटाने के मामले में 203 गिरफ्तारियां हुईं, जबकि कर्फ्यू का उल्लंघन करने के लिए 17 गिरफ्तारियां की गईं।
अमेरिका के दूसरे सबसे बड़े शहर में मंगलवार रात को कुछ घंटों का कर्फ्यू लगाया गया था। लॉस एंजेलिस की मेयर करेन बास ने मंगलवार शाम को लॉस एंजेलिस के डाउनटाउन के कुछ हिस्सों के लिए कर्फ्यू की घोषणा की, जो स्थानीय समयानुसार मंगलवार रात 8 बजे से शुरू होकर बुधवार सुबह 6 बजे तक रहा। उन्होंने बताया कि स्थानीय अधिकारियों ने दिन में बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के बाद सोमवार रात को शहर में हुई लूटपाट और तोड़फोड़ के जवाब में सीमित कर्फ्यू लगाया था।
लॉस एंजेलिस में जब शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बीच तनाव की स्थिति पैदा हुई थी, उस समय कुछ नकाबपोश लोगों ने कई दुकानों को निशाना बनाया था, जिनमें एक एप्पल स्टोर भी शामिल रहा। नकाबपोश लोगों ने खिड़कियां तोड़ दीं और इलेक्ट्रॉनिक सामान को चुरा ले गए। एडिडास के आउटलेट, फार्मेसियां, मारिजुआना डिस्पेंसरी और ज्वेलरी शॉप को भी निशाना बनाया गया था। कुछ वीडियोज में बड़े स्तर पर तोड़फोड़ देखी गई, जिसमें अलमारियां खाली कर दी गई और स्टोरफ्रंट को नुकसान पहुंचाया गया।
ऐसे में अराजकता बढ़ने पर गिरफ्तारियां की गईं। अशांति के कारण लॉस एंजेलिस पुलिस विभाग पर बहुत ज्यादा दबाव था। स्थिति को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 4 हजार से अधिक नेशनल गार्ड सैनिकों और लगभग 700 एक्टिव ड्यूटी मरीन को लॉस एंजेलिस भेजा। ट्रंप ने इसे "शांति और सार्वजनिक व्यवस्था पर हमला" बताते हुए चेतावनी दी कि प्रदर्शनकारियों पर नकेल कसने के लिए विद्रोह अधिनियम लागू कर सकते हैं, जिससे सेना को आंतरिक अशांति के दौरान सख्ती से कार्रवाई करने का अधिकार मिलता है।
हालांकि इमिग्रेशन नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन सिर्फ लॉस एंजेलिस तक सीमित नहीं रहे। कम से कम दो दर्जन शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतरे। लॉस एंजेलिस में कुछ समय के लिए 101 फ्रीवे को जाम कर दिया गया। शिकागो में भीड़ ने डाउनटाउन लूप में रैलियां निकालीं। न्यूयॉर्क में सैकड़ों प्रदर्शनकारी लोअर मैनहट्टन में मार्च करते नजर आए। अटलांटा में करीब एक हजार प्रदर्शनकारियों ने बुफोर्ड हाईवे पर रैली निकाली और फिर सैकड़ों लोग डोराविल शहर में घुस गए, जहां स्थानीय पुलिस से उनकी झड़प हुई। सैन फ्रांसिस्को, सिएटल, ह्यूस्टन, डलास, सैन एंटोनियो, और वाशिंगटन डीसी जैसे शहरों में भी अलग-अलग स्तर पर प्रदर्शन और पुलिस की उपस्थिति देखी गई।
ईरान के साथ तनाव के बीच मध्य पूर्व से अमेरिकी लोगों की वापसी, राष्ट्रपति ट्रंप कहा- क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है
अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ता के रुक जाने और बढ़ते क्षेत्रीय तनाव को देखते हुए व्हाइट हाउस ने कुछ मध्य पूर्वी देशों से अपने कुछ कर्मचारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यह फैसला एहतियात के तौर पर लिया गया है, क्योंकि यह इलाका अब संभावित रूप से "खतरनाक" बन गया है।
जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या अमेरिका अपने सैनिकों को मध्य पूर्व से हटाने की योजना बना रहा है, तो उन्होंने मीडिया से कहा, "हम अपने लोगों को वहां से हटा रहे हैं, क्योंकि वह इलाका खतरनाक हो सकता है। हम देखेंगे आगे क्या होता है। हमने वहां से हटने का नोटिस दे दिया है।"
जब उनसे पूछा गया कि क्या तनाव कम करने के लिए कोई कदम उठाए जा सकते हैं, तो राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अपना सख्त रुख दोहराया।
ट्रंप ने ईरान को लेकर कहा, "उनके पास परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए। यह बहुत सीधी बात है। हम उन्हें परमाणु हथियार बनाने की इजाजत नहीं देंगे।"
ट्रंप का यह बयान उन रिपोर्टों के बाद आया है, जिनमें कहा गया है कि अमेरिका इराक में अपने दूतावास को आंशिक रूप से खाली करने की तैयारी कर रहा है।
अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को एक बयान में कहा, "हमारे हालिया विश्लेषण के आधार पर हमने इराक में अपने मिशन की उपस्थिति को कम करने का फैसला किया है।"
बयान में कहा गया है, "हम अपने सभी दूतावासों में कर्मचारियों की स्थिति की लगातार समीक्षा कर रहे हैं।"
बुधवार को ही अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने मध्य पूर्व में तैनात अमेरिकी सैनिकों के परिवारों को वहां से स्वेच्छा से लौटने की मंजूरी दे दी। इराक से कर्मचारियों को हटाने के पीछे की सुरक्षा चिंताएं अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं।
तनाव को और बढ़ाते हुए अर्कांसस के अमेरिकी सीनेटर टॉम कॉटन ने गुरुवार को कहा कि रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने यह पुष्टि की है कि ईरान सक्रिय रूप से परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है। यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु समझौते को दोबारा शुरू करने की बातचीत लंबे समय से रुकी हुई है।
रूस द्वारा यूक्रेन पर किए गए ताजा हमले में तीन लोगों की मौत, कई घायल
रूसी सेना द्वारा ड्रोन एवं अन्य हथियारों से यूक्रेन पर किए गए हमले में तीन लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
यूक्रेन के साथ युद्ध विराम स्वीकार करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव के बावजूद भी रूस ने यह हमला किया।
यूक्रेन की वायुसेना के अनुसार, रूस ने रात भर में यूक्रेन पर 63 ड्रोन एवं अन्य हथियारों से हमला किया। इसने कहा कि वायु रक्षा प्रणाली ने 28 ड्रोन नष्ट कर दिए जबकि 21 अन्य को रोक लिया गया।
यूक्रेन की पुलिस ने बताया कि रूसी आक्रमण का केंद्र रहे पूर्वी डोनेट्स्क क्षेत्र में पिछले 24 घंटे के भीतर दो लोग मारे गए और छह अन्य घायल हो गए।
पुलिस ने बताया कि दक्षिणी खेरसॉन क्षेत्र में एक व्यक्ति की मौत हो गई तथा 14 अन्य घायल हो गए। यह क्षेत्र आंशिक रूप से रूसी सेना के कब्जे में है।
खारकीव क्षेत्र के प्रमुख ओलेह सिनीहुबोव ने कहा कि रात भर हुए रूसी ड्रोन हमलों में चार बच्चों सहित 15 लोग घायल हो गए।
खारकीव शहर के मेयर इहोर तेरेखोव ने कहा कि रूसी ड्रोन ने आवासीय जिलों, शैक्षिक सुविधाओं और अन्य नागरिक बुनियादी अवसंरचना को निशाना बनाया।
रूसी सेना ने हाल के दिनों में ड्रोन और मिसाइल से कई बार हमले किए हैं, सोमवार को लगभग 500 ड्रोन हमले और मंगलवार की रात भर में 315 ड्रोन तथा सात मिसाइल हमले हुए थे।
नेतन्याहू की सरकार बची, संसद में सैन्य सेवा अनिवार्य बनाने संबंधी विपक्ष का विधेयक गिरा
इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार बृहस्पतिवार को अति-रूढ़िवादी गठबंधन सहयोगियों के समर्थन से बच गई क्योंकि संसद में उन्होंने युद्ध के दौरान सैन्य सेवा में पंजीकरण अनिवार्य बनाने संबंधी विपक्ष के विधेयक के खिलाफ अपना मत दिया।
यह मतदान नेतन्याहू सरकार के लिए सात अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद सबसे गंभीर चुनौती थी। हमास के हमले को इजराइल के इतिहास में सबसे बड़ी सुरक्षा विफलता माना जाता है और इसके बाद से गाजा में युद्ध जारी है।
विधेयक के संसद में गिर जाने का अभिप्राय है कि नेसेट (इजराइली संसद) को भंग करने के लिए कोई अन्य विधेयक कम से कम छह महीने तक प्रस्तुत नहीं किया जा सकेगा, जिससे नेतन्याहू के संकटग्रस्त गठबंधन को मजबूती मिलेगी।
अति-रूढ़िवादी दल इस बात से नाराज़ हैं कि सरकार उनके समुदाय को अनिवार्य सैन्य सेवा से छूट देने वाला कानून पारित करने में विफल रही है। इस मुद्दे ने लंबे समय से यहूदी इज़राइली जनता को विभाजित किया है, खासकर गाजा पट्टी में 20 महीने के युद्ध के दौरान।
इज़राइली विपक्ष को उम्मीद थी कि छूट को लेकर जनता का गुस्सा सरकार को गिराने में मदद करेगा; लेकिन इज़राइली संसद नेसेट के 18 अति-रूढ़िवादी सदस्यों में से सिर्फ़ दो ने ही संसद को भंग करने के विधेयक का समर्थन किया।
विदेश मामलों और रक्षा समिति के अध्यक्ष यूली एडेलस्टीन ने कहा कि वे और अति-रूढ़िवादी पार्टियां एक नए मसौदा कानून के आधार पर एक समझौते पर पहुंच गई हैं, जिस पर वे आगामी सप्ताह में चर्चा जारी रखेंगे। इसके बाद अधिकांश सदस्यों ने विधेयक के खिलाफ मतदान करने पर सहमति व्यक्त की।
इजराइल में अधिकांश यहूदियों के लिए सैन्य सेवा अनिवार्य है, लेकिन राजनीतिक रूप से शक्तिशाली अति-रूढ़िवादियों को पारंपरिक रूप से इससे छूट प्राप्त है बशर्ते वे धार्मिक केंद्रों में पूर्णकालिक अध्ययन कर रहे हों। अति रूढ़िवादियों की इजराइली आबादी में करीब 13 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
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