दुनियाः रूस-युक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे, विदेशी नेता कीव पहुंचे और पाकिस्तान रवाना हुए 144 हिंदू तीर्थ यात्री

बांग्लादेश में ढाका विश्वविद्यालय के मधुर कैंटीन में आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा आमने-सामने आ गए। सूडानी सेना ने कहा है कि उसने उत्तरी कोर्डोफन राज्य की राजधानी एल ओबेद की घेराबंदी समाप्त कर दी है।

रूस-युक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे, विदेशी नेता कीव पहुंचे और पाकिस्तान रवाना हुए 144 हिंदू तीर्थ यात्री
रूस-युक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे, विदेशी नेता कीव पहुंचे और पाकिस्तान रवाना हुए 144 हिंदू तीर्थ यात्री
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नवजीवन डेस्क

रूस-युक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे होने पर विदेशी नेता कीव पहुंचे

रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे होने पर यूरोपीय नेता और कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो समर्थन जताने के लिए कीव पहुंचे हैं। नेतागण यूक्रेन के युद्ध प्रयासों पर चर्चा करेंगे। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप युद्ध को खत्म करने का दबाव बना रहे हैं और उनका रुख यूक्रेन को लेकर खासा तल्ख है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूरोपीय संघ की उर्सुला वॉन डेर लेयेन और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, डेनमार्क, एस्टोनिया, फिनलैंड, आइसलैंड, लातविया, लिथुआनिया, नॉर्वे, स्पेन और स्वीडन के नेताओं के साथ यूक्रेनी राजधानी में मौजूद हैं।

सोमवार को युद्ध की तीसरी वर्षगांठ पर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने ट्वीट किया, "प्रतिरोध के तीन साल। कृतज्ञता के तीन साल। यूक्रेन के लोगों की पूर्ण वीरता के तीन साल। मुझे यूक्रेन पर गर्व है! मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करता हूं जो इसका बचाव और समर्थन करते हैं। हर कोई जो यूक्रेन के लिए काम करता है। और उन सभी की स्मृति अमर रहे जिन्होंने हमारे राज्य और लोगों के लिए अपना जीवन दिया।" 24 फरवरी, 2022 को रूस ने यूक्रेन पर पूर्ण पैमान का सैन्य आक्रमण किया था। तब से हजारों यूक्रेनी नागरिक मारे गए हैं और छह मिलियन से अधिक लोग विदेशों में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं। यह यूरोप में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे खूनी संघर्ष है। सैन्य नुकसान विनाशकारी रहे हैं, हालांकि वे अभी भी गुप्त रखे गए हैं।

क्या कहते हैं जर्मनी के चुनाव परिणाम, कब तक बनेगी सरकार?

जर्मनी के राष्ट्रीय चुनाव में रूढ़िवादी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) ने सफलता हासिल कर ली है, जिससे वे अगली गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने की राह पर हैं। नतीजे के बाद पार्टी के नेता फ्रेडरिक मर्ज संभवतः जर्मनी के अगले चांसलर होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक मुख्यधारा की रूढ़िवादी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) ने अपनी सहयोगी क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) के साथ 28.6 प्रतिशत वोट के साथ पहला स्थान हासिल किया। अति दक्षिणपंथी, अप्रवासी विरोधी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) 20.8 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गई।

सतातरूढ़ सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) केवल 16.4 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर रही। निवर्तमान चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने 'कड़वी' हार को स्वीकार करते हुए कहा, 'चुनाव परिणाम खराब रहे और मैं इसकी जिम्मेदारी लेता हूं।' जर्मनी की ग्रीन्स और अति वामपंथी डाई लिंके या द लेफ्ट पार्टी ने संसद में सीटें सुरक्षित करने के लिए 5 प्रतिशत की सीमा को पार कर लिया। ग्रीन्स को 11.6 प्रतिशत और डाई लिंके को 8.8 प्रतिशत वोट मिले। सीडीयू/सीएसयू को जर्मन संसद बुंडेसटाग में 208 सीटें, एएफडी को 152, एसपीडी को 120, ग्रीन्स को 85 और लेफ्ट को 64 सीटें मिलने का अनुमान है।

जर्मनी के संभावित अगले चांसलर फ्रेडरिक मर्ज एक 69 वर्षीय करोड़पति वकील हैं। वे पहली बार 1989 में यूरोपीय संसद के लिए चुने गए थे और 2000 तक सीडीयू के संसदीय गठबंधन के अध्यक्ष बन गए। साथी पार्टी सदस्य एंजेला मर्केल ने अंततः मर्ज को किनारे कर दिया। उन्होंने 2009 में संसद छोड़ दी और निजी क्षेत्र में चले गए। उन्होंने मेयर ब्राउन और ब्लैकरॉक जर्मनी जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए काम किया। मर्केल के देश की चांसलर के रूप में अपने 16 साल के लंबे कार्यकाल के बाद राजनीति से रिटायर होने पर 2022 में मर्ज को फिर से सीडीयू का नेता चुना गया।


ढाका विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक कैंटीन में कार्यक्रम पर विवाद, छात्र संगठन आमने-सामने

बांग्लादेश में छात्र शाखाओं के बीच बढ़ता तनाव एक बार फिर सामने आया है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के बांग्लादेश जातीयोतावादी छात्रदल और जमात-ए-इस्लामी के बांग्लादेश इस्लामी छात्र शिबिर, ढाका विश्वविद्यालय के मधुर कैंटीन में आयोजित एक कार्यक्रम को लेकर आमने-सामने आ गए। बीएनपी के छात्र दल ने रविवार को मधुर कैंटीन में इस्लामी छात्र शिविर द्वारा बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। ढाका विश्वविद्यालय में मधुर कैंटीन की स्थापना मधुसूदन डे ने की थी, जो 25 मार्च, 1971 को पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए क्रूर सशस्त्र अभियान ऑपरेशन सर्चलाइट के दौरान शहीद हो गए थे।

बीएनपी के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी और इस्लामी छात्र शिबिर ने अविभाजित पाकिस्तान का पुरजोर समर्थन किया और बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान स्वतंत्रता विरोधी भूमिका निभाई। बांग्लादेश के प्रमुख दैनिक 'ढाका ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के अनुसार, छात्र दल ने कहा कि शिबिर को मधुर कैंटीन के परिसर से दूर रहना चाहिए और मधुसूदन डे की हत्या के लिए नैतिक जवाबदेही लेनी चाहिए। छात्र दल ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का अनादर करने, स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों का अपमान करने के लिए शिबिर की आलोचना की।

हाल ही में, दोनों छात्र विंग खुलना यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (केयूईटी) में हुई हिंसक झड़पों में भी शामिल थे, जिसमें 100 से अधिक छात्र घायल हो गए थे। दोनों पक्षों ने हिंसा शुरू करने के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया था। अगस्त 2024 में अपने पद से हटने से ठीक पहले, तत्कालीन पीएम शेख हसीना ने आरोप लगाया था कि जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी छात्र शिबिर और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने कोटा सुधार के लिए छात्र आंदोलन को अपनी ढाल के रूप में इस्तेमाल करके पूरे देश में आतंक का राज फैलाया।

पाकिस्तान रवाना हुए 144 हिंदू तीर्थ यात्री, कटास राज मंदिर के करेंगे दर्शन

पंजाब के अमृतसर से हिंदू तीर्थ यात्रियों का एक जत्था अटारी-बाघा बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान के लिए रवाना हो गया है। हिंदू तीर्थ यात्रियों का यह जत्था पाकिस्तान के श्री कटास राज मंदिर में दर्शन करेगा। दरअसल, 160 हिंदू तीर्थ यात्रियों ने पाकिस्तान जाने के लिए वीजा का आवेदन किया था, जिसमें से 144 तीर्थ यात्रियों को पाकिस्तान में कटास राज की यात्रा के लिए वीजा मिले हैं। इसके बाद सभी तीर्थ यात्री अमृतसर के दुर्गियाना तीर्थ क्षेत्र में इकट्ठा हुए, जहां उन्हें सम्मानित भी किया गया।

दुर्गियाना तीर्थ समिति के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत चावला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि महाशिवरात्रि के मौके पर पाकिस्तान जाने वाले तीर्थ यात्रियों को कटास राज की यात्रा के लिए रवाना किया गया है। भारत के विभिन्न राज्यों से आए लगभग 144 हिंदू तीर्थ यात्री पाकिस्तान में अपने गुरुधामों के दर्शन के लिए जा रहे हैं। मुझे लगता है कि अधिक से अधिक हिंदू तीर्थ यात्रियों को वीजा मिलना चाहिए, ताकि वे अपने गुरुओं के निवासों के दर्शन कर सकें।

पाकिस्तान रवाना होने से पहले तीर्थ यात्री संजीव कुमार ने बताया कि आज हम कटास राज की यात्रा के लिए रवाना हो रहे हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर हम महादेव के मंदिर के दर्शन कर पाएंगे। ऐसी मान्यता है कि महाभारत के दौरान पांडवों ने कटास राज में मंदिर की स्थापना की थी। मैं दोनों देशों की सरकारों का आभार व्यक्त करता हूं। श्रद्धालु सीमा कालरा ने कहा कि मैं भगवान महादेव के दर्शन के लिए पाकिस्तान स्थित कटास राज के लिए रवाना हो रही हूं। मुझे बहुत खुशी है कि वहां पुराने प्राचीन मंदिर देखने को मिलेंगे। मैं दोनों देशों की सरकारों से यही अपील करूंगी कि मिल-जुलकर रहें, ताकि एक-दूसरे को जानने का मौका मिले। हिंदू तीर्थ यात्रियों का यह जत्था 2 मार्च को अपने गुरुधामों के दर्शन के बाद अटारी-बाघा सीमा के रास्ते भारत पहुंचेगा। इस यात्रा में पंजाब, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और तेलंगाना के श्रद्धालु शामिल हैं।


सूडानी सेना ने एल ओबेद की घेराबंदी समाप्त की, अल-गिटैना पर किया नियंत्रण

सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) ने घोषणा की है कि उन्होंने उत्तरी कोर्डोफन राज्य की राजधानी एल ओबेद की घेराबंदी समाप्त कर दी है और व्हाइट नाइल राज्य के अल-गिटैना शहर पर फिर से नियंत्रण हासिल कर लिया है। एसएएफ के प्रवक्ता नबील अब्दुल्ला ने कहा, “एसएएफ के अल-सैय्यद (मोबाइल फोर्स) ने सफलतापूर्वक एल ओबेद का मार्ग खोल दिया है और शहर में अल-हजाना फोर्स के साथ शामिल हो गए हैं।” उन्होंने आगे कहा, “व्हाइट नाइल राज्य के सैन्य बलों ने मिलिशिया फोर्स को नष्ट कर दिया और अल-गिटैना शहर को पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लिया है।”

सिन्हुआ समाचार एजेंसी के अनुसार, सेना की इकाइयां उत्तरी कोर्डोफन राज्य के अल-राहद शहर से आगे बढ़कर एल ओबेद पहुंची हैं। यह शहर गृहयुद्ध शुरू होने के बाद से अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के कब्जे में था। एल ओबेद सूडान के व्यापार और कृषि के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यह शहर दक्षिण सूडान से पूर्वी सूडान के पोर्ट सूडान तक जाने वाली तेल पाइपलाइन के रास्ते में पड़ता है। इसके अलावा, यह क्षेत्र रणनीतिक रूप से भी काफी अहम माना जाता है।

हाल ही में सेना ने घोषणा की थी कि उसने विभिन्न मोर्चों पर आरएसएफ के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। 17 फरवरी को सेना ने कहा, “हमने बहरी शहर में काफ़ौरी क्षेत्र पर पूरा नियंत्रण हासिल कर लिया है, जो शहर में आरएसएफ का आखिरी गढ़ था।” सूडान में पिछले साल अप्रैल से एसएएफ और आरएसएफ के बीच भीषण संघर्ष जारी है। अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के अनुसार, इस युद्ध में अब तक कम से कम 29,683 लोगों की जान जा चुकी है और बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं। इस संघर्ष के कारण सूडान की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हजारों लोग पड़ोसी देशों में शरण लेने को मजबूर हुए हैं। हालात को देखते हुए कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने संघर्ष विराम की अपील की है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है।

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