दुनियाः इस देश में शून्य से 44.4 डिग्री नीचे पहुंचा तापमान और बेलारूस में लुकाशेंको सातवीं बार राष्ट्रपति चुने गए
दक्षिणी लेबनान में अपने घर लौटने की कोशिश कर रहे लोगों पर इजरायली सेना की गोलीबारी में 22 लोगों की मौत हो गई और 124 लोग घायल हो गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ टेलीफोन पर बातचीत की है।

इस देश में शून्य से 44.4 डिग्री नीचे गया तापमान
पश्चिमी मंगोलिया के जावखान प्रांत के प्रशासनिक उपखंड ओटगोन सोम में शनिवार से रविवार की रात के दौरान तापमान शून्य से 44.4 डिग्री सेल्सियस नीचे चला गया। देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान और पर्यावरण निगरानी एजेंसी ने सोमवार को यह जानकारी दी। एजेंसी ने एक बयान में कहा कि इस शीत ऋतु में मंगोलिया में यह अब तक का सबसे ठंडा तापमान है। एजेंसी ने पूर्वानुमान लगाया है कि मंगोलिया के अधिकांश हिस्सों में सर्दियों के दौरान दीर्घकालिक औसत से अधिक ठंड पड़ेगी।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, वीकेंड में देश के मौसम अधिकारियों ने लोगों को आने वाले दिनों में अत्यधिक ठंड के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी थी। चेतावनी में कहा गया कि शनिवार से रूस के साइबेरिया से आने वाली ठंडी हवा मंगोलिया के बड़े हिस्से में फैल जाएगी, जिससे रात का तापमान शून्य से 40 डिग्री सेल्सियस नीचे जा सकता है। एजेंसी ने कहा, "पिछले वर्ष हमारे देश में सबसे कम तापमान 23 जनवरी को पश्चिमी प्रांत जावखान में शून्य से 48.8 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया था।" इसने भविष्यवाणी की कि इस वीकेंड में पश्चिमी क्षेत्रों में भी ऐसी ही स्थिति रहेगी।
देश के अन्य भागों, विशेषकर राष्ट्रीय राजधानी उलान बाटोर में, हाल के दिनों की तुलना में तापमान 10-15 डिग्री कम रहने की संभावना है औक पूरे वीकेंड भारी बर्फबारी की संभावना है। अपनी सख्त महाद्वीपीय जलवायु के साथ, एशियाई देश में लंबी और कड़ाके की ठंड पड़ती है। तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस नीचे होता है। पिछली सर्दियों में, देश के लगभग सभी 21 प्रांतों में चरम ठंड की स्थिति थी, साथ ही रिकॉर्ड बर्फबारी भी हुई, जो 1975 के बाद सबसे अधिक थी। देश का लगभग 90 प्रतिशत क्षेत्र 100 सेंटीमीटर मोटी बर्फ से ढका हुआ था, जिसके कारण लगभग आठ मिलियन पशुधन की मृत्यु हो गई।
बेलारूस में लुकाशेंको ने लगातार सातवीं बार राष्ट्रपति चुनाव जीता
साल 1994 से बेलारूस का नेतृत्व कर रहे राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको ने सातवीं बार देश का राष्ट्रपति चुनाव भारी मतों से जीत लिया है। केंद्रीय चुनाव आयोग की तरफ से सोमवार को जारी चुनाव के प्रारंभिक परिणामों में यह नतीजा सामने आया। शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक लुकाशेंको को 86.82 फीसदी वोट मिले। सर्गेई सिरानकोव को 3.21 फीसदी, ओलेग गेदुकेविच को 2.02 %, अन्ना कनोपात्स्काया को 1.86 % और अलेक्जेंडर खिज्न्या को 1.74 % वोट मिले। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले बेलारूसी युवा संगठनों की समिति की तरफ से किए गए एक एग्जिट पोल में भी लुकाशेंको को 87.6 प्रतिशत वोट के साथ आगे दिखाया गया था।
बेलारूस में राष्ट्रपति चुनाव रविवार को हुआ। देश के केंद्रीय चुनाव आयोग के अनुसार, मतदाताओं ने देश भर में 5,325 मतदान केंद्रों पर अपने वोट डाले और मतदाताओं की संख्या लगभग 6.9 मिलियन है। देश के राष्ट्रपति चुनाव के लिए शुरुआती मतदान 21 से 25 जनवरी तक हुआ। पांच दिवसीय शुरुआती मतदान सत्र के दौरान 41.81 फीसदी पात्र मतदाताओं ने अपने वोट डाले। यह सत्र चुनाव के दिन वोट डालने में असमर्थ लोगों के लिए आयोजित किया जाता है। इससे पहले, केंद्रीय चुनाव आयोग ने देश में राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान केंद्रों के गठन की पुष्टि की थी।
राष्ट्रपति का चुनाव पांच साल के कार्यकाल के लिए होता है। संविधान में 2022 के संशोधनों के तहत फिर से लागू की गई दो-कार्यकाल की सीमा चुनाव के बाद लागू की जाएगी। कानून के अनुसार, बेलारूस के राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्यक्ष चुनावों के जरिए होता है। 50 फीसदी से अधिक वोट जीतने वाले उम्मीदवार को विजेता घोषित किया जाता है। अगर कोई भी उम्मीदवार बहुमत हासिल नहीं करता है, तो दो प्रमुख उम्मीदवार दूसरे दौर में प्रवेश करते हैं, जिसमें साधारण बहुमत प्राप्त करने वाला उम्मीदवार जीत जाता है। राष्ट्रपति चुनाव हर पांच साल में होते हैं। 9 अगस्त, 2020 को हुए पिछले चुनाव में लुकाशेंको 80.1 प्रतिशत वोट के साथ छठी बार राष्ट्रपति चुने गए थे।
युद्धविराम के बावजूद लेबनान पर इजरायली हमले में 22 की मौत, 124 घायल
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि दक्षिणी लेबनान में अपने घर लौटने की कोशिश कर रहे लोगों पर इजरायली हमले हुए, जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई, जिनमें छह महिलाएं भी शामिल हैं। इसके अलावा, 124 लोग घायल हो गए हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि घायलों में 12 महिलाएं और इस्लामिक स्काउट एसोसिएशन का एक सदस्य भी था जो मानवीय बचाव मिशन का काम कर रहा था। एक लेबनानी सैन्य सूत्र ने सिन्हुआ को बताया कि इजरायली सेना, मर्कवा टैंक और बुलडोजर के साथ मेस अल-जबल गांव में नागरिकों की भीड़ की ओर बढ़ी और निवासियों को डराने और वहां से भगाने के लिए भारी गोलीबारी की।
सूत्र ने कहा कि इजरायली सेना ने दक्षिणी लेबनान के नकौरा में स्थित संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल के मुख्यालय के प्रवेश द्वार पर मुख्य सड़क को भी बंद कर दिया। उन्होंने बताया कि सेना ने मेस अल-जबल और अरकोब हाइट्स पर कई बार फायरिंग की। सिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक, पूर्वी लेबनान और दक्षिण-पूर्वी लेबनान के शेबा क्षेत्र के पश्चिम में माउंट सदानेह की ओर भी मशीन-गन से गोलियां दागी गईं।
रविवार को 60 दिनी युद्धविराम की समय सीमा खत्म हो गई। इजरायल और लेबनानी सशस्त्र समूह हिजबुल्लाह के बीच महीनों के संघर्ष के बाद नवंबर के अंत में युद्धविराम समझौता हुआ था। इसके तहत लेबनानी सेना को लितानी नदी के दक्षिण क्षेत्रों में रहने, वहां सुरक्षा सुनिश्चित करने और हथियारों या आतंकवादियों की मौजूदगी को रोकने की जिम्मेदारी थी। युद्धविराम समझौते के बावजूद, इजरायली सेना ने लेबनान में हमले जारी रखे, जिनमें से कुछ हमलों में सीमावर्ती क्षेत्रों में लोग मारे गए और घायल हुए। रविवार को दक्षिणी लेबनान में अपने घर लौटने की कोशिश कर रहे लोगों की भीड़ पर इजरायल ने गोलीबारी की, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 83 लोग घायल हो गए।
हमास ने गाजावासियों की घर वापसी को 'जीत' बताया
करीब 15 महीने की जंग के बाद, इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम समझौते के तहत सोमवार सुबह से हजारों गाजावासियों ने अपने घर लौटना शुरू कर दिया। हमास ने इस वापसी को फिलिस्तीनियों की 'एक जीत' बताया। हमास के सहयोगी, फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद ने कहा कि यह “उन सभी लोगों के लिए एक जवाब है जो हमारे लोगों को विस्थापित करने का सपना देखते हैं।” सोमवार की सुबह, फिलिस्तीनी अपने सामान को बोरियों और प्लास्टिक की थैलियों में पकड़े हुए - नेत्जारिम कॉरिडोर के माध्यम से पैदल ही उत्तर की ओर बढ़ने लगे।
रिपोर्ट के मुताबिक एक बयान में, हमास ने कहा कि जिन क्षेत्रों से फिलिस्तीनियों को जबरन विस्थापित किया गया था, वहां वापस लौटना उनकी अपनी भूमि से उनके जुड़ाव को दर्शाता है। एक बार फिर 'लोगों को विस्थापित करने और उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति को तोड़ने का मकसद हासिर करने में इजरायल नाकाम रहा।" युद्ध के शुरुआती दिनों में, इजरायली हमलों की वजह से उत्तरी गाजा से लगभग 1.1 मिलियन लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा था।
पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बातचीत की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ टेलीफोन पर बातचीत की है। ट्रंप के अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यभार संभालने के बाद यह दोनों नेताओं के बीच पहली बातचीत है। पीएम मोदी ने सोमवार शाम को एक्स पर लिखा, 'अपने प्रिय मित्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात कर के बहुत खुशी हुई। उन्हें उनके ऐतिहासिक दूसरे कार्यकाल के लिए बधाई दी। हम पारस्परिक रूप से लाभकारी और भरोसेमंद साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम अपने लोगों के कल्याण और वैश्विक शांति, समृद्धि और सुरक्षा के लिए मिलकर काम करेंगे।'
प्रधानमंत्री ने इससे पहले पिछले साल 7 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव जीतने के तुरंत बाद ट्रंप से बात की थी। इस दौरान ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें एक शानदार व्यक्ति बताया और कहा कि पूरी दुनिया उनसे प्यार करती है। 20 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति बनने पर बधाई दी थी। उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों को मजबूत करने और दुनिया के बेहतर भविष्य को आकार देने में सहयोग करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मिलकर काम करने की अपनी उत्सुकता व्यक्त की।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia