विश्व पुस्तक दिवस: सफदर हाशमी की कविता ‘किताबें’
12 अप्रैल 1954 को दिल्ली में पैदा हुए सफदर हाशमी नाटककार, निर्देशक, लेखक और गीतकार थे। 1 जनवरी 1989 को गाजियाबाद में उनकी हत्या कर दी गई, जब वे अपने नुक्कड़ नाटक ‘हल्ला बोल’ की प्रस्तुति कर रहे थे।
![फोटो: सोशल मीडिया](https://media.assettype.com/navjivanindia%2F2018-04%2Ff1b755ce-1daa-4837-b662-3bed7a95dfac%2F176c08e8_2ebd_4b07_97b4_5016e6865978.jpg?rect=0%2C0%2C1024%2C576&auto=format%2Ccompress&fmt=webp)
किताबें करती हैं बातें
बीते जमानों की
दुनिया की, इंसानों की
आज की कल की
एक-एक पल की।
खुशियों की, गमों की
फूलों की, बमों की
जीत की, हार की
प्यार की, मार की।
सुनोगे नहीं क्या
किताबों की बातें?
किताबें, कुछ तो कहना चाहती हैं
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं।
किताबों में चिड़िया दीखे चहचहाती,
कि इनमें मिलें खेतियां लहलहाती।
किताबों में झरने मिलें गुनगुनाते,
बड़े खूब परियों के किस्से सुनाते।
किताबों में साईंस की आवाज़ है,
किताबों में रॉकेट का राज़ है।
हर इक इल्म की इनमें भरमार है,
किताबों का अपना ही संसार है।
क्या तुम इसमें जाना नहीं चाहोगे?
जो इनमें है, पाना नहीं चाहोगे?
किताबें कुछ तो कहना चाहती हैं,
तुम्हारे पास रहना चाहती हैं!
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Published: 23 Apr 2018, 2:54 PM