भोपाल से दिग्विजय की उम्मीदवारी के बाद पसोपेश में बीजेपी, नहीं तय कर पा रही किसे लड़ाए चुनाव

मध्य प्रदेश में बीजेपी का गढ़ कहे जाने वाली भोपाल सीट से कांग्रेस के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद यहां से उम्मीदवार को लेकर बीजेपी भारी पसोपेश में है। अपने ही गढ़ में दिग्विजय के मुकाबले उम्मीदवार को लेकर बीजेपी में मंथन जारी है।

फोटोः सोशल मीडिया
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संदीप पौराणिक, IANS

साल 1989 से बीजेपी का मजबूत किला कहे जाने वाले भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस से दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाए जाने के ऐलान के साथ ही बीजेपी का ये किला हिल गया है। भोपाल को अपना गढ़ बताने वाली बीजेपी में इस बात को लेकर पसोपेश है कि आखिर दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज नेता के खिलाफ मैदान में किसे उतारा जाए। अपने वर्तमान लोकसभा सांसद को बदला जाए या उन्हें ही फिर मौका दिया जाए, इसको लेकर बीजेपी में गहन मंथन जारी है।

बीजेपी सूत्रों के अनुसार दिग्विजय सिंह की उम्मीदवारी के ऐलान के बाद बीजेपी में इस बात को लेकर मंथन चल रहा है कि भोपाल सीट से किसे उम्मीदवार बनाया जाए। सूत्रों के अनुसार बीजेपी में भोपाल सीट से उम्मीदवारी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पार्टी के प्रदेश महामंत्री वी डी शर्मा, वर्तमान सांसद आलोक संजर, महापौर आलोक शर्मा के नाम की चर्चा है।

सूत्रों के अनुसार, बीजेपी का एक धड़ा शिवराज सिंह को दिग्विजय के खिलाफ चुनाव लड़ाना चाहता है। शिवराज को भोपाल से चुनाव लड़ाने के समर्थक नेताओं का तर्क है कि शिवराज की छवि कट्टरवादी नेता की नहीं है और कर्मचारियों में उनकी छवि अच्छी है। उनका मानना है कि ऐसी स्थिति में अल्पसंख्यकों के साथ कर्मचारियों के वोट भी बीजेपी को आसानी से मिल सकेंगे।

अगर बीजेपी शिवराज सिंह को भोपाल में उतारती है तो एक बार फिर 16 साल बाद उनका और दिग्विजय सिंह का मुकाबला होगा। इससे पहले 2003 के विधानसभा चुनाव में राघोगढ़ से शिवराज को दिग्विजय के खिलाफ बीजेपी ने उतारा था। लेकिन शिवराज को हार का सामना करना पड़ा था।

राज्य की भोपाल, विदिशा, दमोह और इंदौर संसदीय सीटों पर 1989 से बीजेपी का कब्जा है। वहीं जबलपुर और सागर संसदीय सीटों पर कांग्रेस को 1996 के बाद से जीत नहीं मिली है। राज्य की 29 में से ये 6 सीटें सबसे कठिन मानी जाती हैं। कांग्रेस ने इन सीटों पर असर डालने के लिए ही दिग्विजय सिंह को भोपाल से उम्मीदवार बनाया है, जहां 1989 के बाद कांग्रेस को जीत नहीं मिली है।

वहीं, भोपाल संसदीय क्षेत्र में साढ़े चार लाख से ज्यादा अल्पसंख्यक वोटर हैं। इसके साथ ही इस संसदीय क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस और पांच पर बीजेपी का कब्जा है। हालांकि, बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह का दावा है कि भोपाल में बीजेपी की जीत होगी, उम्मीदवार चाहे कोई भी हो।

दरअसल, भोपाल ऐसी संसदीय सीट है, जिसका आसपास की तीन अन्य सीटों- विदिशा, होशंगाबाद और राजगढ़ पर भी असर पड़ता है। फिलहाल ये चारों सीटें बीजेपी के कब्जे में है। ऐसे में माना जा रहा है कि भोपाल से दिग्विजय के लड़ने की स्थिति में इन सभी सीटों पर भी कांग्रेस का प्रभाव बढ़ेगा।

हालांकि, राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भोपाल में कांग्रेस का मुकाबला बीजेपी से नहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से होने वाला है। क्योंकि दिग्विजय सिंह लगातार संघ पर हमला करते रहे हैं। लिहाजा सिंह के भोपाल से चुनाव लड़ने की स्थिति में संघ पूरा जोर लगाएगा और दिग्विजय को हराने की कोशिश करेगा।

वहीं वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक शिव अनुराग पटैरिया का कहना है कि बीजेपी इस संसदीय सीट के चुनाव को हाईप्रोफाइल बनाने से बचने की कोशिश करेगी, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दिग्विजय सिंह को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। इन परिस्थितियों में वही व्यक्ति बीजेपी का उम्मीदवार होगा, जिसे संघ का समर्थन हासिल होगा।

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