लोकतंत्र के पन्ने: जानिए कानपुर लोकसभा क्षेत्र का इतिहास और वर्तमान परिस्थितियों के बारे में

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी को मैदान में उतारा था। जोशी ने कांग्रेस की ओर से जीत की हैट्रिक लगा चुके श्रीप्रकाश जायसवाल को हराया था।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उत्तर प्रदेश में गंगा के किनारे बसा औद्योगिक शहर कानपुर देश की हाई प्रोफाइल लोकसभा सीटों मे से एक है। यहां चौथे चरण में 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इस बार बीजेपी ने मुरली मनोहर जोशी का टिकट काट करके सत्यदेव पचौरी को मैदान में उतारा है। एसपी-बीएसपी गठबंधन में यह सीट एसपी के खाते में है। एसपी ने यहां से पूर्व सांसद मनोहर लाल के पुत्र रामकुमार को प्रत्याशी बनाया है, जो पिछड़े समाज से आते हैं।

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने अपने दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी को मैदान में उतारा था। जोशी ने कांग्रेस की ओर से जीत की हैट्रिक लगा चुके श्रीप्रकाश जायसवाल को हराया था।

कानपुर लोकसभा क्षेत्र का इतिहास

आजादी के बाद से अब तक कानपुर लोकसभा सीट पर 17 बार चुनाव हो चुके हैं। कांग्रेस इस सीट पर अब तक 6 बार जीत मिली है। जबकि 11 बार निर्दलीय और बीजेपी सहित अन्य पार्टियों ने जीत हासिल की है। पहली बार 1952 में हुए चुनाव में कांग्रेस के हरिहरनाथ शास्त्री ने जीत दर्ज की थी। 1957 में दूसरी बार हुए चुनाव में यह सीट कांग्रेस के हाथों से निकल गई।

1957 से 1971 तक एसएम बनर्जी ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में कानपुर सीट का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद 1977 में भारतीय लोकदल से मनोहर लाल ने जीत हासिल की। इसके बाद 1980 में आरिफ मो. अहमद ने जीत हासिल करते हुए कांग्रेस की वापसी कराई, लेकिन 9 साल बाद 1989 में कांग्रेस के हाथ से यह सीट फिर से निकल गई और सीपीएम से सुभाषनी अली ने जीत दर्ज कराई।

तो वहीं 1991 में जगतवीर सिंह ने पहली बार यहां से बीजेपी को जीत का स्वाद चखने का मौका दिया। इसके बाद बीजेपी 1996 और 1998 में भी यहां से जीतने में कामयाब रही। 1999 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां से श्रीप्रकाश जायसवाल को उतारा। श्रीप्रकाश जायसवाल यहां से लगातार तीन बार चुनाव जीतने में सफल रहे। लेकिन 2014 के चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी का इस सीट पर फिर से कब्जा हो गया।

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