लोकतंत्र के पन्ने: नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर दो दिग्गजों में है मुकाबला, जानिए क्या है इतिहास

इस चुनाव में कड़ा मुकबाला देखने को मिल सकता है। कांग्रेस महासचिव एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तथा भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अशोक भट्ट के मैदान में उतरने से उत्तराखंड की नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट सबसे खास हो गयी है और यहां का चुनाव काफी दिलचस्प भी हो गया है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट कई वजहों से प्रसिद्ध है। इस लोकसभा क्षेत्र में नैनीताल और कॉर्बेट पार्क जैसे विश्‍वप्रसि‍द्ध पर्यटक स्थल हैं। इस लोकसभा सीट पर पहले चरण में 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। दो जिले, 15 विधानसभा क्षेत्र वाली नैनीताल सीट के करीब 19 लाख वोटर इस बार उम्‍मीदवारों के भाग्‍य का फैसला करेंगे। इसमें से 995281 पुरुष और 894546 महिला वोटर हैं। थर्ड जेंडर की संख्या 28 है।

नैनीताल-ऊधम सिंह नगर से वर्तमान में बीजेपी के सांसद भगत सिंह कोश्यारी हैं। उन्होंने 2014 के चुनाव में कांग्रेस केसी सिंह बाबा को हराया था। लेकिन इस चुनाव में कड़ा मुकबाला देखने को मिल सकता है। कांग्रेस महासचिव एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत तथा भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अशोक भट्ट के मैदान में उतरने से उत्तराखंड की नैनीताल-ऊधमसिंह नगर सीट सबसे खास हो गयी है और यहां का चुनाव काफी दिलचस्प भी हो गया है।

2014 में हारने वाले केसी सिंह बाबा दो बार इस सीट से सांसद रह चुके थे। वर्ष 1952 से 2008 तक नैनीताल लोकसभा क्षेत्र था। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद इसे नैनीताल-ऊधमसिंह नगर के नाम से जाना गया। आजादी के बाद से ही नैनीताल लोकसभा सीट कुछ खास रही है। यहां से दिग्‍गज भी चुनाव हारे हैं तो नए चेहरों ने अपना झंडा गाड़ा है। भारत रत्‍न पंडित गोविंद बल्‍लभ पंत की यह कर्मस्‍थली इस सीट पर आजादी के बाद तीन दशक तक उनके परिवार का ही कब्जा रहा। वर्ष 1951 व 1957 में लगातार दो बाद उनके दामाद सीडी पंत नैनीताल सीट से सांसद रहे। 1962, 67 और 71 में पंत के पुत्र केसी पंत ने यहां से लगातार तीन बार जीत दर्ज की। तो वहीं 1977 में भारतीय लोक दल के भारत भूषण चुनाव जीतने में कामयाब रहे। इसके बाद 1980 में एनडी तिवारी ने भारत भूषण को हराया। 1984 में सत्‍येंद्र चंद्र गुडि़या यहां से जीतकर संसद पहुंचे। 1989 में जनता दल के डाॅ महेंद्र पाल जीते। हालांकि 1991 के चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता एनडी तिवारी हार गए। उन्हें बीजेपी के बलराज पासी ने हराया था। 1998 में एकबार फिर से एनडी तिवारी को यहां से हार का समाना करना पड़ा। तिवारी को बीजेपी की इला पंत ने शिक्सत दी थी। 2002 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर डॉ महेंद्र पाल जीतने में कामयाब रहे।

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