लोकतंत्र के पन्ने: जानिए बिहार के गया लोकसभा क्षेत्र का इतिहास, क्या मांझी लगाएंगे महागठबंधन की नैया पार 

जेडीयू ने यहां से विजय मांझी को मैदान में उतारा है। वहीं, महागठबंधन ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी पर दांव खेला है। इस बार का मुख्य मुकबला इन्हीं के बीच है। इस समय इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

2019 लोकसभा चुनाव के लिए बिहार की गया सीट पर पहले चरण में 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। जेडीयू ने यहां से विजय मांझी को मैदान में उतारा है। वहीं, महागठबंधन ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी पर दांव खेला है। इस बार का मुख्य मुकबला इन्हीं के बीच है। इस समय इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस सीट के चुनावी इतिहास के बारे में।

गया लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास

गया पहले तीन लोकसभा क्षेत्रों में विभाजित था। गया पूर्व, गया उत्तर और गया पश्चिम। 1952 के लोकसभा चुनाव में गया पूर्व से कांग्रेस के बृजेश्वर प्रसाद ने जीत हासिल की। वहीं गया उत्तर से बिगेश्वर मिस्सिर जीते थे। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार जगन्नाथ प्रसाद सिन्हा को हराया था। गया पश्चिम से कांग्रेस प्रत्याशी सत्येंद्र नारायण सिंह ने जीत हासिल की थी। 1957 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार बृजेश्वर प्रसाद जीते। उन्होंने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रामेश्वर प्रसाद जाधव को हराया। इसके अगले 1962 में भी कांग्रेस के उम्मीदवार बृजेश्वर प्रसाद यादव यहां से जीते। बृजेश्वर यादव ने स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार बृजकिशोर पीडी सिंह को हराया था। 1967 के चुनाव में भी कांग्रेस ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा। इस बार आर दास कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते भी। उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के एस प्रसाद को भारी मतों से हराया था।

हालांकि 1971 के चुनाव में कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में अखिल भारतीय जनसंघ ने यहां से पहली बार जीत दर्ज की। जनसंघ के उम्मीदवार ईश्वर चौधरी ने कांग्रेस के उम्मीदवार सुरेश कुमार को हराया था। तो वहीं अगले चुनाव में भी नई पार्टी को जीत मिली। 1971 के चुनाव में जनसंघ पार्टी के उम्मीदवार रहे ईश्वर चौधरी ने 1977 में लोकदल के टिकट पर चुनाव जीते। 1980 में कांग्रेस की वापसी हुई। कांग्रेस ने राम स्वरूप राम को टिकट दिया। राम स्वरूप राम ने जनता पार्टी के ईश्वर चौधरी को हराया। 1984 में भी कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया। राम स्वरूप राम एकबार फिर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े। उन्होंन एक बार फिर ईश्वर चौधरी को हराया। ईश्वर चौधरी इस बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे।

1989 के चुनाव में ईश्वर चौधरी एक बार फिर एक नई पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में थे। जनता दल के उम्मीदवार ईश्वर चौधरी तीसरी बार में चुनाव जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी उम्मीदवार जानकी पासवान को लगभग 2 लाख 52 हजार वोटों के अंतर से हराया। 1991 के चुनाव में भी जनता दल को जीत मिली। जनता दल की तरफ से राजेश कुमार उम्मीदवार बनाए गए, वहीं कांग्रेस की तरफ से जीतन राम मांझी चुनावी मैदान में थे। राजेश कुमार जीतन राम मांझी को हराकर लोकसभा पहुंचे।

1989 और 1991 की तरह 1996 के चुनाव में भी जनता दल को यहां से जीत हासिल हुई। इस बार जनता दल ने भगवती देवी को अपना उम्मीदवार बनाया था। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कृष्ण कुमार चौधरी को हराया। 1998 के चुनाव में गया लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी का खाता खुला। बीजेपी के कृष्ण कुमार चौधरी पिछली हार का बदला लेने में कामयाब रहे। उन्होंने जनता दल के भगवती देवी को हराया। 1999 लोकसभा चुनाव में बीजेपी एक फिर से विजयी हुई। पार्टी ने एक नए उम्मीदवार रामजी मांझी को मैदान में उतारा था। रामजी मांझी ने राष्ट्रीय जनता दल उम्मीदवार राजेश कुमार को 20 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हराया। 2004 में आरजेडी ने यहां से जीत हासिल की। पार्टी के उम्मीदवार राजेश कुमार मांझी ने इस सीट को जीता। अगले दो चुनाव में फिर से बीजेपी की बारी आई। 2009 और 2014 के चुनाव में यहां से हरी मांझी जीते। 2014 के चुनाव में हरी मांझी को 326230 वोट मिले थे, वहीं दूसरे नंबर पर रहे रामजी मांझी को 210726 वोट मिले थे।

इस बार एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी लड़ाई है। महागठबंधन की तरफ से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी चुनावी मैदान में हैं, तो वहीं एनडीए ने जेडीयू की ओर से विजय कुमार को मैदान उतारा है।

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