लोकतंत्र के पन्ने: जानिए यूपी के मेरठ लोकसभा क्षेत्र और उसके इतिहास के बारे में

1952 में देश में पहली बार लोकसभा चुनाव कराए गए। तब मरेठ को तीन लोकसभा क्षेत्रों में बांटा गया था। मेरठ (पश्चिम), मेरठ (दक्षिण), मेरठ (उत्तर-पूर्व)। मेरठ पश्चिम सीट से पहली बार खुशी राम शर्मा कांग्रेस की ओर से सांसद बने।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

मेरठ को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का केंद्र माना जाता है। इस क्षेत्र से कई क्रांति की शुरुआत हुई है। पिछले दो दशकों से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है। बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल यहां से लगातार दो बार सांसद चुने जा चुके हैं। बीजेपी ने राजेंद्र अग्रवाल को एक बार फिर से अपना प्रत्याशी बनाया है तो वहीं बीएसपी की तरफ से याकूब कुरैशी चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट पर पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होना है।

मेरठ लोकसभा क्षेत्र का इतिहास

1952 में देश में पहली बार लोकसभा चुनाव कराए गए। तब मरेठ को तीन लोकसभा क्षेत्रों में बांटा गया था। मेरठ (पश्चिम), मेरठ (दक्षिण), मेरठ (उत्तर-पूर्व)। मेरठ पश्चिम सीट से पहली बार खुशी राम शर्मा कांग्रेस की ओर से सांसद बने। तो वहीं मेरठ दक्षिण से कांग्रेस के टिकट पर कृष्णचंद्र शर्मा ने चुनाव जीता। मेरठ उत्तर-पूर्व से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े शाहनवाज खान यहां से सांसद बने। पांच साल बाद 1957 में दूसरी बार लोकसभा के लिए चुनाव कराए गए। इस बार तीनों लोकसभा सीटों को समाहित कर मेरठ लोकसभा सीट का गठन किया गया। कांग्रेस ने इस चुनाव में शाहनवाज खान को फिर से चुनाव मैदान में उतारा। शाहनवाज यहां से लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए। तीसरी लोकसभा चुनाव में भी यहां से कांग्रेस ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा। 1962 में कांग्रेस के टिकट पर शाहनवाज खान लगातार तीसरी बार चुनाव जीते। उन्होंने क्रांतिकारी सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार महाराज सिंह भारती को हराया।

1967 जब पहली बार कांग्रेस यहां से हारी

लगातार तीन जीत के बाद चौथी बार में कांग्रेस को यहां से हार का सामना करना पड़ा। 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के एम एस भारती ने कांग्रेस के उम्मीदवार शाहनवाज खान को मात दी। यह पहली बार था जब कांग्रेस मेरठ सीट से हारी थी। 1971 के लोकसभा चुनाव में शाहनवाज खान ने अपने हार का बदला लिया। पांचवीं लोकसभा में शाहनवाज ने फिर से जीत अपने नाम लिख दी और कांग्रेस की वापसी करवाई। 1977 में कांग्रेस को एक बार फिर से हार का सामना करना पड़ा। भारतीय लोकदल के कैलाश प्रकाश ने शाहनवाज खान को 124732 वोटों के अंतर से हराया। 1980 में कांग्रेस ने मोहसिना किदवई को मेरठ से चुनावी मैदान में उतारा। मोहसिना कांग्रेस को जीत दिलाने में कामयाब रहीं। वो यहां से लगतार दो बार (1980 और 1984) सांसद चुनी गईं। 1989 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस ने फिर से मोहसिना किदवई को खड़ा किया, लेकिन वह हार गईं। 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने मेरठ सीट पर जीत दर्ज की। पार्टी के उम्मीदवार अमर पाल सिंह यहं से सांसद चुने गए। इसके अगले दो चुनाव 1996 और 1998 में लगातार तीन बार सांसद चुने गए।

1999 में मेरठ सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मार ली। 1999 में कांग्रेस उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना ने कांग्रेस को फिर से जीत दिलाई। लेकिन इसके अगले चुनाव 2004 में बहुजन समाज पार्टी ने बाजी मार ली। बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार मोहम्मद शाहिद ने जीत दर्ज की और

2009 से इस सीट पर बीजेपी का है कब्जा

2009 औरप 2014 में बीजेपी के टिकट पर राजेंद्र अग्रवाल यहां से लगातार दो बार सांसद चुने गए। 2009 में उन्होंने बीएसपी के मालूक नागर को हराया और 2014 में उन्होंने बीएसपी उम्मीदवार मोहम्मद शाहिद अखलाक को हराया।

मेरठ लोकसभा सीट का समीकरण

2011 के आंकड़ों के अनुसार मेरठ की आबादी करीब 35 लाख है, इनमें 65 फीसदी हिंदू, 36 फीसदी मुस्लिम आबादी हैं। मेरठ में कुल वोटरों की संख्या 1964388, इसमें 55.09 फीसदी पुरुष और 44.91 फीसदी महिला वोटर हैं। 2014 में यहां मतदान का प्रतिशत 63.12 फीसदी रहा।

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