मंडी ग्राउंड रिपोर्ट: मंडी में मोदी के जुमलों और वादों को खरीदने के मूड में नहीं मतदाता

नोटबंदी और जीएसटी जैसे मोदी सरकार के फैसले से भी नाराज हैं। मिठाई की दुकान चलाने वाले राकेश और पुष्‍पनाथ का कहना था कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से उनका कारोबार ठप हो गया। कितनों की रोजगार छिन गई। उनका कहना था कि बावजूद इसके लोग मोदी का नाम लेते हैं, इससे उन्‍हें हैरानी होती है।

गांव कोटली में बात करते हुए ग्रामीण
गांव कोटली में बात करते हुए ग्रामीण
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धीरेन्द्र अवस्थी

द्रंग की नमक खान से लेकर हिमाचल में 69 नेशनल हाईवे बनाने तक बीजेपी के सभी वादे जुमले ही साबित हुए। अब पांच साल बाद मंडी की जनता मोदी सरकार से वादों का हिसाब मांग रही है। हिमाच प्रदेश का सबसे हॉट लोकसभा सीट मंडी में बीजेपी इस बार अपने वादों और जुमलों को बेच पाने में असमर्थ लग रही है। यहां कांग्रेस का दांव मजबूत लग रहा है।

कांग्रेस प्रत्‍याशी आश्रय शर्मा का युवा चेहरा और स्‍वच्‍छ छवि यहां के लोगों को पसंद आ रही है। उनका मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार और वर्तमान सांसद राम स्वरूप शर्मा से है। मंडी की जनता अपने सांसद से नाराज है। उनका कहना है कि चुनाव जीतने के बाद एमपी साहब एक बार भी मंडी दर्शन देने नहीं आए। वहीं रही सही कसर मोदी सरकार की नाकामी ने पूरी कर दी है। राज्‍य की बीजेपी सरकार के मुखिया सीएम जयराम ठाकुर का मंडी गृहक्षेत्र होने के कारण प्रदेश सरकार के लिए भी यह सीट नाक का सवाल बनी हुई है।

मंडी शहर के हर गली-कूचे में चुनाव की तपिश महसूस की जा सकती है। ‘सुखा पंडित फकीर है, हिमाचल की तकदीर है’ का नारा कभी मंडी की फिजाओं में गूंजा करता था। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी चर्चा का केंद्र सुखराम ही हैं। मंडी का दिल कहे जाने वाले इंद्रा मार्केट में शाम को वरिष्‍ठ नागरिकों की लगी चुनावी चौपाल में शामिल नरेश चंद्र कहते हैं, ‘आज मंडी जो कुछ भी है वह सुखराम की वजह से है। सुखराम ने मंडी को सब कुछ दिया है। रक्षा मंत्रालय का यहां दफ्तर बनवाया, यहां सेना का भर्ती केंद्र है। सब्सिडी का राशन शुरू करवाया और हिमाचल में टेलीफोन क्रांति लाए। जहां हम बैठे हैं इस इंद्रा मार्केट को भी सुखराम ने ही बनवाया। यह शहर का दिल है। इसे हम शिमला के मालरोड की तरह मानते हैं।’

मंडी के इंद्रा मार्केट में बात करते हुए लोग
मंडी के इंद्रा मार्केट में बात करते हुए लोग
फोटो: धीरेन्द्र अवस्थी

प्रधानमंत्री की राजीव गांधी पर की गई टिप्‍पणी को भी यहां के लोग गलत मानते हैं। सुभाष चंद्र बोस के साथी रहे स्‍वतंत्रता सेनानी शेर सिंह चौहान के पोते का कहना है कि प्रधानमंत्री जैसे पद पर बैठे व्यक्ति को इस तरही की बातें नहीं करनी चाहिए। उनका मानना है कि ऐसा करके मोदी ने पीएम पद की गरिमा गिराई है। वहीं नोटबंदी और जीएसटी जैसे मोदी सरकार के फैसले से भी नाराज हैं।मिठाई की दुकान चलाने वाले राकेश और पुष्‍पनाथ का कहना था कि नोटबंदी और जीएसटी की वजह से उनका कारोबार ठप हो गया। कितनों की रोजगार छिन गई। उनका कहना था कि बावजूद इसके लोग मोदी का नाम लेते हैं, इससे उन्‍हें हैरानी होती है। राकेश राज्‍य में अपराध को लेकर प्रदेश सरकार को भी घेरते हैं। वह कहते हैं कि हिमाचल में चार रेप की घटनाएं हुई हैं। इस शांत प्रदेश में आज तक ऐसा अपराध कभी नहीं हुआ।

पंडित सुखराम के गांव कोटली में बात करते हुए ग्रामीण
पंडित सुखराम के गांव कोटली में बात करते हुए ग्रामीण
फोटो: धीरेन्द्र अवस्थी

वहीं इस लोकसभा क्षेत्र के मतदाता शशिकांत और टेक सिंह का कहना था कि मोदी की तरह मुख्‍यमंत्री का भी एक भी वादा पूरा नहीं हुआ। मंडी में चार जगह हवाई अड्डा बनाने की बात अब तक सीएम कर चुके हैं। बल्‍ह, द्रंग, जाहू और जंजैहली इन जगहों में शामिल हैं। कहीं तो बन जाता। वहीं सीएम के गृह क्षेत्र सिराज के रहने वाले वेद प्रकाश शर्मा और सुंदर नगर के चमनलाल शर्मा प्रदेश की जर्जर सडकों की बात करते हैं। वो कहते हैं कि बदहाल सडकों के कारण प्रदेश के पर्यटन की कमर टूट रही है। हिमाचल में 69 नेशनल हाईवे बनवाने का वादा भी जुमला साबित हो गया। हर साल दो करोड़ रोजगार और 15 लाख देने का वादा भी यहां चुनावी मुद्दा है।

देश की अकेली मंडी के द्रंग में स्थित सेंधा नमक की खान पाकिस्‍तान पर निर्भरता को खत्‍म कर सकती थी। पूरे हिमाचल में यह एक बड़ा मुद्दा है। वर्ष 2014 में द्रंग के नमक की अमेरिका तक में मार्केंटिंग का वादा बीजेपी ने किया था। द्रंग में नमक खान के ठीक सामने दुकान करने वाले सुरेश कुमार, रोशन लाल और नेत्रलाल शर्मा ने कहा कि सब जुमला साबित हो गया। नमक खान की स्थिति मौके पर देखने से भी इसी बात की तस्‍दीक हुई।

द्रंग में नमक खान की पहाड़ियां
द्रंग में नमक खान की पहाड़ियां
फोटो: धीरेन्द्र अवस्थी

नाम न छापने की शर्त पर नमक खान के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया कि अभी चीजें प्रोसेस में ही हैं। सुंदर नगर चौक के पास रेस्‍टोरेंट चलाने वाली अनीता खान ने कहा कि प्रधानमंत्री इतना ज्‍यादा बोलते हैं कि सच और झूठ में फर्क करना मुश्किल हो गया है।

सुंदर नगर में बात करती हुई रेस्‍टोरेंट मालिक अनीता खान
सुंदर नगर में बात करती हुई रेस्‍टोरेंट मालिक अनीता खान
फोटो: धीरेन्द्र अवस्थी

मंडी से कांग्रेस प्रत्‍याशी आश्रय शर्मा का कहना है कि वर्तमान बीजेपी सांसद रामस्‍वरूप शर्मा एक भी वादा पूरा नहीं कर पाए। न मंडी तक ट्रेन आ पाई, न द्रंग की नमक खान में कुछ हुआ और न मंडी के 10 हजार युवाओं को रोजगार मिला।

कांग्रेस का रहा है दबदबा

क्षेत्रफल के हिसाब से हिमाचल की सबसे बड़ी सीट मानी जाने वाले मंडी संसदीय क्षेत्र में अब तक उपचुनाव को मिलाकर हुए 17 लोकसभा चुनाव में से 12 में कांग्रेस ने जीत हासिल की है। 2013 के उपचुनाव में यहां से वर्तमान मुख्‍यमंत्री जयराम ठाकुर भी पूर्व मुख्‍यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्‍नी प्रतिभा सिंह से करीब सवा लाख मतों से हार चुके हैं। तब यहीं से सांसद वीरभद्र सिंह लोकसभा से इस्‍तीफा देकर विधायक का चुनाव लड़कर छठी बार मुख्‍यमंत्री बने थे। मंडी संसदीय क्षेत्र में 17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं।

जातीय समीकरण

मंडी संसदीय क्षेत्र में जातीय कार्ड कभी ज्‍यादा प्रभावी नहीं रहा। पांच विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। सवर्णों में यहां सबसे ज्‍यादा संख्‍या राजपूतों की है, जिनका कुछ प्रभाव तो रहता है। यहां सबसे ज्‍यादा 55-60 फीसदी सामान्‍य वर्ग के मतदाता हैं, जिनमें करीब 45 फीसदी राजपूत और 15-18 फीसदी ब्राम्‍हण हैं। अनुसूचित जातियों की संख्‍या यहां करीब 25-30 फीसदी है।

रोचक संयोग : हमेशा सत्‍ता के साथ रहा है मंडी का सांसद

हिमाचल के राजनीतिक दिग्‍गजों का अखाड़ा रहे मंडी संसदीय क्षेत्र से चुने गए सासंदों के साथ एक अजीब संयोग रहा है। वह हमेशा सत्‍ता के साथ रहा है। पिछले 67 साल से चला आ रहा यह संयोग इस बार के चुनाव में देखने वाला होगा। 1952 से लेकर अब तक जो भी यहां से सांसद रहा वह या तो केंद्र में सत्‍तारूढ़ दल का रहा या समर्थक पार्टी का रहा। 1952 से 72 तक यहां से कांग्रेस जीतती रही और केंद्र में भी उसी की सरकार रही। 1977 में जनता पार्टी का उम्‍मीदवार यहां से जीता। 1980 और 84 में फिर कांग्रेस जीती। 1989 में बीजेपी जीती और केंद्र में उसने वीपी सिंह को समर्थन दिया। 1996 में कांग्रेस जीती तो देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल को उसका समर्थन रहा। 1998-99 में फिर बीजेपी जीती। तो वहीं 2004-09 में फिर कांग्रेस जीत हुई।

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