नवादा में जातीय समीकरण है जीत का आधार, जानिए कौन जीतेगा इस बार ! 

नवादा लोकसभा सीट के तहत आने वाली हिसुआ, वारसलीगंज विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि रजौली और नवादा पर आरजेडी और गोविंदपुर और बरबीघा विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बिहार में नवादा लोकसभा सीट अबकी बार चर्चा में है। चर्चा की बड़ी वजह केंद्रीय मंत्री और इस सीट से मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह को यहां से टिकट न मिलना है। बहरहाल, इस सीट पर मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और विपक्षी महागठबंधन के बीच माना जा रहा है।

नवादा सीट इस बार राजग के घटक दल लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के हिस्से चली गई है। इसी कारण मौजूदा सांसद गिरिराज सिंह को बीजेपी यहां से उम्मीदवार नहीं बना पाई। सिंह ने इसे लेकर काफी नाराजगी भी जताई थी।

एलजेपी ने इस सीट से चंदन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है, वहीं महागठबंधन की ओर से आरजेडी ने विभा देवी पर दांव लगाया है। नवादा लोकसभा सीट के परिणाम यहां के जातीय समीकरण से तय होते रहे हैं। इसी कारण पार्टियां भी उम्मीदवार तय करने में जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखती हैं। पिछले 10 वर्षो से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है। यह क्षेत्र किसी समय में मगध साम्राज्य का हिस्सा था।

पिछले लोकसभा चुनाव 2014 में भूमिहार बहुल इस सीट से बीजेपी के गिरिराज सिंह विजयी हुए थे। उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राजबल्लभ यादव को हराया था। गिरिराज सिंह को जहां 3,90,248 मत मिले थे, वहीं राजबल्लभ यादव को 2,50,091 मतों से संतोष करना पड़ा था। जेडी (यू) के कौशल यादव 1,68,217 मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे।

इस बार नवादा संसदीय से कुल 13 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला दोनों गठबंधनों के बीच है। नवादा की राजनीति को नजदीक से देखने वाले बीबीसी में स्तम्भकार वरिष्ठ पत्रकार और प्रोफेसर अशोक कुमार प्रियदर्शी का कहना है कि इस लोकसभा सीट के परिणाम हमेशा जातीय समीकरण के आधार पर तय होते रहे हैं।

उन्होंने आईएएनएस से कहा, "इस चुनाव में भी कमोबेश यही स्थिति होगी। यहां सबसे अधिक मतदाता भूमिहार जाति के हैं और उसके बाद यादवों की संख्या है। यादव और मुस्लिमों का एकमुश्त मत आरजेडी उम्मीदवार को मिलना तय है, जबकि भूमिहार और वैश्य मतों की उम्मीद एनडीए लगाए बैठा है। ऐसे में पिछड़ा और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का महत्व बढ़ गया है। दोनों गठबंधनों में मुकाबला कड़ा है।"

नवादा लोकसभा सीट के तहत आने वाली हिसुआ, वारसलीगंज विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, जबकि रजौली और नवादा पर आरजेडी और गोविंदपुर और बरबीघा विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है।

दैनिक जागरण में लम्बे समय तक काम कर चुके नवादा के वरिष्ठ पत्रकार रमेश कुमार कहते हैं, "दोनों गठबंधनों के बीच मुकाबला फिलहाल बराबरी का है। भूमिहार और यादव का मत परिणाम को दिशा देने वाले तो है ही, पिछड़ों और अति पिछड़ों के मिश्रित वोट को जो गठबंधन अपनी ओर करने में सफल हुआ, परिणाम उसके पक्ष में होगा।"

लेकिन नवादा के लोग क्षेत्र की समस्याओं को लेकर भी जागरूक नजर आ रहे हैं। गोविंदपुर के हेमंत कुमार कहते हैं, "आज भी यहां किसानों के खेतों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाई है।"

वह कहते हैं, "अपर सकरी जलाशय योजना को लेकर प्रत्येक चुनाव में मतदाताओं को दिवास्वप्न दिखाए जाते हैं, लेकिन अब तक यह योजना वास्तविकता के धरातल पर नहीं उतर सकी है। इस योजना से न केवल नवादा को, बल्कि लखीसराय, जमुई, शेखपुरा सहित अन्य जिलों को भी लाभ मिलता।"

बहरहाल, दोनों गठबंधनों के उम्मीदवार मतदाताओं को रिझाने में जुटे हुए हैं। लेकिन, मतदाता किसका साथ देगा यह भविष्य की गर्त में है।

बिहार में लोकसभा के सभी सात चरणों में मतदान होना है। नवादा में पहले चरण के तहत 11 अप्रैल को मतदान होगा।

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