लोकतंत्र के पन्ने: जानिए महाराष्ट्र के सोलापुर लोकसभा सीट का इतिहास और वर्तमान परिदृश्य 

महाराष्ट्र की सोलापुर लोकसभा सीट की 4 विधानसभाओं में एनसीपी और कांग्रेस के विधायक हैं। बीजेपी के शरद बनसोडे यहा से सांसद हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बनसोडे ने कांग्रेस के नेता और पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को हराया था।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 18 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। इस दौर में महाराष्ट्र के 10 लोकसभा क्षेत्रों में मतदान कराए जाएंगे। सोलापुर सीट पर भी इसी चरण में मतदान होना है। इस बार यहां त्रिकोणीय मुकाबले के पूरे आसार नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को यहां से एक बार फिर टिकट दिया है। जबकि बीजेपी ने लिंगायत समुदाय के धार्मिक गुरु जय सिद्धेश्वर शिवआचार्य को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं दलित नेता और वंचित बहुजन अघाड़ी पार्टी से प्रकाश आंबेडकर के मैदान में आने से यहां मुकाबला काफी रोचक हो गया है।

महाराष्ट्र की सोलापुर लोकसभा सीट की 4 विधानसभाओं में एनसीपी और कांग्रेस के विधायक हैं लेकिन केंद्र में बीजेपी के शरद बनसोडे सांसद हैं। इस सीट से दिग्गज नेता और देश के पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे 3 बार सांसद बने लेकिन चौथी बार इन्हें हार का सामना करना पड़ा। सोलापुर सीट कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के खाते में जाती है।

लोकसभा सीट का इत‍िहास

1951 में इस सोलापुर लोकसभा सीट का मिजाज यूनियन लीडर के पक्ष में रहा। 1951 में पीजेंट एंड वर्कर्स पार्टी ऑफ इंडिया के शंकर शांताराम मोर यहां के पहले सांसद बने। तो वहीं 1957 में कांग्रेस के जयवंत घनश्यामद मोरे इस सीट से चुनकर संसद पहुंचे। इसके बाद 1996 से पहले हुए सभी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों को ही यहां से जीत मिली। 1996 में सोलापुर से पहली बार बीजेपी के किसी उम्मीदवार को जीत मिली। बीजेपी के टिकट पर लिंगराज वालयाल चुनाव जीतने में कामयाब रहे। हालांकि इसके अगले चुनाव में कांग्रेस ने फिर से इस सीट पर अपना कब्जा जमाया। 1998 में इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे जीते जो 1999 में भी दोबारा चुने गए। 2003 में शिंदे ने महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने के लिए इस्तीफा दिया तो यहां उपचुनाव हुआ। उपचुनाव में बीजेपी के प्रतापसिंह मोहिते पाटील विजयी हुए। 2004 में भी ये सीट बीजेपी के पास रही। 2009 के 15वें लोक सभा चुनावों में कांग्रेस के सुशील कुमार शिंदे फिर से सांसद बने। हालांकि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के शरद बनसोडे ने कांग्रेस से यह सीट छीन ली।

वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य

बीजेपी नेता शरद बनसोडे ने 2014 के चुनाव में सुशील कुमार शिंदे को करीब 1.5 लाख वोटों से हराया था। लेकिन इस बार भीमराव आंबेडकर के पौत्र प्रकाश के मैदान में आने से बीजेपी ने बनसोडे की जगह सिद्धेश्वर को मैदान में उतारा है। सोलापुर कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे का गढ़ रहा है। वह अब तक तीन बार यहां से सांसद रह चुके हैं। लेकिन 2014 में मोदी लहर के दौरान वह अपने गढ़ को नहीं बचा पाए। शिंदे को इस बार भी सोलापुर दोहरी चुनौती मिल रही है। शिंदे अभी तक यहां से दलित और मुस्लिम वोटों के गठजोड़ और अन्य जातियों के वोटों की वजह से जीतते रहे हैं। लेकिन प्रकाश आंबेडकर के आने से शिंदे को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। क्योंकि आंबेडकर ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के साथ मिलकर वंचित बहुजन अघाड़ी का गठन किया है। माना जा रहा है कि इससे बीजेपी के उम्मीदवार जय सिद्धेश्वर शिवआचार्य को फायदा हो सकता है। क्योंकि यहां पर लगभग 2.5 लाख लिंगायत मतदाता हैं। वहीं मुस्लिम मतदाताओं की संख्या दो लाख के करीब है।

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