लोकतंत्र के पन्ने: जानिए श्रीनगर लोकसभा सीट क्यों है खास, क्या है यहां का चुनावी इतिहास

2014 में फारूख अब्दुल्लाह को पीडीपी के तारिक हामिद कारा ने यहां से हराया था। 2017 को हुए उपचुनावों में फारूख अब्दुल्लाह ने श्रीनगर सीट से जीत हासिल की थी। इस बार श्रीनगर सीट से सात उम्मीदवार मैदान में हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर कश्मीर घाटी के मध्य में बसी है और यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक माना जात है। श्रीनगर लोकसभा सीट, जम्मू और कश्मीर की सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक है। यहां से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री फारूख अब्दुल्लाह चुनाव लड़ रहे हैं। पीडीपी ने फारूख अब्दुल्लाह के सामने एक शिया नेता आगा मोहसिन अली को और सज्जाद लोन की पीपुल्स कांफ्रेंस (पीसी) ने एक युवा शिया कारोबारी इरफान अंसारी को उतारा है। अंसारी हाल ही में पीपुल्स कांफ्रेंस से जुड़े हैं। 2014 में फारूख अब्दुल्लाह को पीडीपी के तारिक हामिद कारा ने यहां से हराया था। 2017 को हुए उपचुनावों में फारूख अब्दुल्लाह ने श्रीनगर सीट से जीत हासिल की थी। इस बार श्रीनगर सीट से सात उम्मीदवार मैदान में हैं।

यह सीट पहली बार 1967 में अस्तित्व में आई। 1967 लोकसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के बख्शी गुलाम मोहम्मद जीते थे। 1971 में इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी एस.ए शमीम ने जीत हासिल की थी। उसके बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जबरदस्त वापसी करते हुए लगातार 4 लोकसभा चुनाव जीते। 1997 में इस सीट से बेगम अकबर जहां अब्दुल्लाह सांसद बनीं, इसके बाद इस सीट से 1980 में उनके बेटे फारुख अब्दुल्लाह ने अपनी जीत दर्ज की। 1984,1989 में यह सीट नेशल कॉन्फ्रेंस के पास ही रही। इसके बाद 1996 में इस सीट पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया। 1998, 1999 और 2004 में यह सीट फिर से नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास आ गई और तीनों बार उमर अब्दुल्लाह सांसद बनें। फिर 2009 में इस सीट से फारुख अब्दुल्लाह उतरे और जीत गए लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में पीडीपी नेता तारिक कारा से हार गए थे।

जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर लोकसभा सीट से इस वक्त नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूख अब्दुल्लाह सांसद हैं, जिन्होंने साल 2017 के उपचुनाव में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार नजीर अहमद को 10,000 से अधिक वोटों से हराया था। फारूख अब्दुल्लाह इसी सीट पर साल 2014 के आम चुनाव में पीडीपी नेता तारिक कर्रा से हार गए थे। तारिक कारा के पीडीपी से इस्तीफा देने के बाद श्रीनगर लोकसभा सीट खाली हो गई थी। साल 2017 के उपचुनाव में केवल 7.12 फीसदी वोटिंग हुई थी जबकि साल 2014 में इस सीट पर 25.86 फीसदी वोटिंग हुई थी। इस सीट पर नोटा के पक्ष में 931 वोट मिले थे। फारूख अब्दुल्लाह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं, उन्होंने तीन बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता संभाली।

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