'हम अडानी के हैं कौन' सीरीज की 15वीं किस्त: सवालों में अडानी, SEBI, NSE, निफ्टी को समीक्षा से कौन रोक रहा?

कांग्रेस ने पूछा कि ईएसजी वैश्विक निवेश का बड़ा थीम है और इलेक्ट्रिक वाहन, बैट्री और हरित ईंधन जैसे सेक्टर ईएसजी फंड फ्लो पर निर्भर हैं। अडानी के कारनामे भारत में समूचे ईएसजी निवेश की थीम को कैसे बर्बाद कर सकते हैं, इसकी जांच के लिए सेबी को कौन रोक रहा है?

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

प्रिय प्रधानमंत्री मोदी जी,

जैसा वादा है, आपके लिए तीन सवालों वाली ‘हम अडानी के हैं कौन’ श्रृंखला की 15वीं कड़ी प्रस्तुत है। हमने 9 फ़रवरी 2023 को पूछा था कि संदिग्ध आधार, अत्यधिक कीमत-कमाई अनुपात और एक बहुत छोटे फ़्री फ़्लोट के बावजूद सितंबर 2022 में व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) निफ़्टी 50 सूचकांक में अडानी एंटरप्राइज़ेज़ को क्यों जोड़ा गया था। इस फ़ैसले ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) समेत निफ़्टी सूचकांक के फ़ंड्स को अडानी शेयरों की ख़रीद 15,000 करोड़ रुपए तक बढ़ाने को मजबूर करके भारतीय ख़ुदरा निवेशकों को गंभीर जोख़िम में डाल दिया था। 

सवाल नंबर-1

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद विश्व के सबसे बड़े स्टॉक सूचकांक प्रदाता एमएससीआई ने घोषाणा की है कि वह आने वाले महीनों में अपने सूचकांकों में अडानी समूह के शेयरों का वेटेज कम करेगा। दूसरे सबसे बड़े स्टॉक सूचकांक प्रदाता एसएंडपी डाउ जोंस ने कहा कि वह अपने निरंतरता सूचकांकों (सस्टेनेबिलिटी इंडेक्स) से अडानी एंटरप्राइज़ेज़ को हटा देगा। तीसरे सबसे बड़े स्टॉक सूचकांक प्रदाता एफ़टीएसई रसेल ने एलान किया कि वह 20 मार्च 2023 से अपने सूचकांकों में अडानी समूह की कंपनियों के वेटेज में बदलाव करेगा। 

इस बीच नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने धनशोधन और राउंड ट्रिपिंग के आरोपों के मद्देनज़र अडानी एंटरप्राइज़ेज़ के शेयरों की कीमत में आकस्मिक गिरावट और सही ‘फ़्री फ़्लोट’ को लेकर वैश्विक चिंताओं के बावजूद उसकी स्थिति की समीक्षा की कोई घोषणा नहीं की है। क्या भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को कम से कम मुख्य सूचकांकों में संदिग्ध कंपनियों की स्थितियों की समीक्षा को सुनिश्चित कर ख़ुदरा निवेशकों का संरक्षण नहीं करना चाहिए?

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सवाल नंबर-2

निफ़्टी 50 में अडानी एंटरप्राइज़ेज़ को शामिल किए जाने की समीक्षा तो दूर, एनएसई ने 17 फ़रवरी 2023 को एलान किया कि अडानी समूह की चार और कंपनियों को एनएसई सूचकांकों में शामिल किया जाएगा: 

a. अडानी विल्मर: निफ़्टी नेक्स्ट 50, निफ़्टी 100

b. अडानी पावर: निफ़्टी 200, निफ़्टी 500, निफ़्टी लार्जमिडकैप 250, निफ़्टी मिडकैप 150, निफ़्टी मिडस्मॉलकैप 400, निफ़्टी टोटल मार्केट, निफ़्टी कमॉडिटीज़, निफ़्टी हाउसिंग

c. अडानी टोटल गैस: निफ़्टी शरिया 25

d. अडानी एंटरप्राइज़ेज़: निफ़्टी 100 लिक्विड 15

एनएसई अडानी समूह की कंपनियों में पैसा गंवाने वाले लाखों निवेशकों के घावों पर नमक क्यों छिड़क रही है? उसे जोख़िम भरे अडानी शेयरों में और निवेशकों को खींचने की अनुमति क्यों दी जा रही है? क्या आप अपने मित्रों की मदद के लिए एनएसई सूचकांक सलाहकार समिति के सदस्य, जो आपके आर्थिक सलाहकार परिषद में भी हैं, के माध्यम से एनएसई पर कोई दबाव डाल रहे हैं?

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सवाल नंबर- 3

अडानी समूह के कारनामे भारतीय कंपनियों के पर्यावरण-संबंधी, सामाजिक और संचालन (ईएसजी) के मानकों को लेकर वैश्विक संशय को बढ़ावा दे रहे हैं। अडानी ग्रीन एनर्जी द्वारा अडानी की ऑस्ट्रेलिया की कोयला परियोजना को ऋणों के लिए गारंटी देने की ख़बरों ने नॉर्वे के सबसे बड़े पेंशन फ़ंड को कंपनी में से अपनी हिस्सेदारी छोड़ने के लिए उकसाया है क्योंकि अब पर्यावरण को लेकर उसकी साख पर अब गंभीर सवाल हैं। ईएसजी वैश्विक निवेश का एक बड़ा थीम है और इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरियां और हरित ईंधन जैसे तमाम सेक्टर ईएसजी फ़ंड फ़्लो पर निर्भर करते हैं। अडानी के कारनामे भारत में समूचे ईएसजी निवेश की थीम को कैसे बर्बाद कर सकते हैं, इसकी जांच के लिए सेबी को कौन रोक रहा है?

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