उत्तराखंड में हिमस्खलन में फंसे 57 मजूदरों में से 32 को बचाया गया, 25 लोगों को बचाने का अभियान जारी
माणा और बद्रीनाथ के बीच में स्थित बीआरओ के मजदूरों के कैंप पर करीब सवा सात बजे हिमस्खलन हुआ था जिससे 57 मजदूर बर्फ में दब गए थे। खराब मौसम और लगातार बर्फबारी के कारण बचाव और राहत कार्य में मुश्किलें आ रही हैं। घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।

उत्तराखंड के उंचाई वाले क्षेत्रों में हो रही भारी बर्फबारी के बीच चमोली जिले में बद्रीनाथ के पास सीमांत माणा गांव में शुक्रवार सुबह हिमस्खलन होने से वहां फंसे सीमा सड़क संगठन के 57 मजदूरों में से 32 को सुरक्षित निकाल लिया गया है। आपदा प्रबंधन विभाग ने कहा कि बाकी बचे 25 मजदूरों को बचाने का अभियान जारी है। बद्रीनाथ से करीब तीन किलोमीटर दूर माणा भारत तिब्बत सीमा पर बसा आखिरी गांव है जो 3200 मीटर की उंचाई पर स्थित है।
प्रदेश के आपदा प्रबंधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, शाम पांच बजे तक बदरीनाथ धाम से छह किलोमीटर आगे हिमस्खलन में फंसे 32 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है जबकि शेष बचे 25 अन्य को निकालने की कार्रवाई चल रही है। माणा और बद्रीनाथ के बीच में स्थित बीआरओ के मजदूरों के कैंप पर करीब सवा सात बजे हिमस्खलन हुआ था जिससे मजदूर बर्फ में दब गए थे ।
घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस, सेना, सीमा सड़क संगठन, भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस, राज्य आपदा प्रतिवादन बल और आपदा प्रबंधन विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे और बचाव व राहत कार्य शुरू किया। खराब मौसम और लगातार बर्फबारी के कारण मौके पर बचाव एवं राहत कार्य चलाने में मुश्किलें आ रही हैं। हांलांकि, घटना में अभी किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
हादसा स्थल हिमस्खलन की दृष्टि से शीतकाल में खतरनाक माना जाता रहा है। इसलिए पूर्व में इस कैंप से लोगों को हटाकर बद्रीनाथ में रखा जाता था। माणा के गांव प्रधान पिताम्बर सिंह ने बताया कि इस बार बर्फ नही गिरने से कैंप बंद नहीं किया गया था और आज मजदूर हादसे की चपेट में आ गए। बद्रीनाथधाम, नर और नारायण पर्वत की तलहटी पर बसा है जिसके बीचोंबीच अलकनंदा नदी प्रवाहित होती है। हादसा नर पर्वत से आए हिमस्खलन के कारण हुआ।
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