वीआईपी सुरक्षा प्राप्त बृजभूषण सिंह के खिलाफ 4 आपराधिक केस लंबित, बिगड़े बोल और विवादों से है पुराना नाता

बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह का रसूख इतना है कि केंद्र सरकार ने उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा दी है। गृह मंत्रालय ने पिछले साल उन्हें वाई कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की थी। एक बार तो वह जान को खतरा बताते हुए जेड श्रेणी की सुरक्षा मांगने कोर्ट भी जा चुके हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख और यूपी के कैसरगंज से बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह 1990 में राजनीति में आने के बाद से हमेशा विवादों में घिरे रहे हैं। वह अभी भी चार लंबित मामलों का सामना कर रहे हैं, जिनमें लोक सेवक को स्वैच्छिक नुकसान पहुंचाने, डकैती, हत्या के प्रयास और चुनाव के संबंध में अवैध भुगतान सहित गंभीर आरोप हैं। वहीं 30 से ज्यादा आपराधिक मामलों में वह बरी हो चुके हैं।

लेकिन इन सबके बावजूद बृजभूषण शरण सिंह का रसूख इतना है कि केंद्र सरकार ने उन्हें वाई श्रेणी की सुरक्षा भी दी हुई है। बीजेपी सांसद बृज भूषण शरण सिंह को पिछले साल केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वाई कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की थी। ये सुरक्षा कैसरगंज के सांसद को मिर्च पाउडर और धमकी भरा पत्र मिलने के बाद दी गई थी। यही नहीं सांसद एक बार अपनी जान को खतरा बताते हुए जेड श्रेणी की सुरक्षा मांगने कोर्ट भी गए थे, जिसके बाद उत्तरप्रदेश पुलिस ने भी उनकी सुरक्षा बढ़ाई थी।

दरअसल बृज भूषण सिंह की गिनती दबंग नेताओं में होती है। वे उत्तर प्रदेश के गोंडा के रहने वाले हैं और कैसरगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं। छात्र जीवन से ही राजनीतिक तौर पर बेहद सक्रिय रहे बृज भूषण शरण सिंह का युवा जीवन अयोध्या के अखाड़ों में गुजरा। 1988 में वे बीजेपी से जुड़े और फिर पहली बार 1991 में रिकॉर्ड मतों से सांसद बने। वे 1999 के बाद से अब तक एक भी चुनाव नहीं हारे हैं। साल 2009 में सपा की टिकिट से भी वो चुनाव जीत चुके हैं। फिर भाजपा में उनकी वापसी हो गई।

बृज भूषण सिंह सिंह के चुनावी हलफनामे के अनुसार, उनके खिलाफ वर्तमान में तीन मामले इलाहाबाद की अदालत में और एक लखनऊ की अदालत में लंबित हैं। रिकॉर्ड के अनुसार, चार लंबित मामलों में से दो मामलों में उनके खिलाफ आरोप तय किए गए थे और एक मामले में हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के आरोप शामिल हैं।


हालांकि, डब्ल्यूएफआई प्रमुख के रूप में यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे सिंह को 30 से अधिक आपराधिक मामलों में बरी कर दिया गया है, जिनमें से कुछ तो उनकी राजनीतिक यात्रा शुरू होने से पहले ही पंजीकृत हो गए थे। 65 वर्षीय सिंह की हिस्ट्रीशीट के अनुसार, उनके खिलाफ अयोध्या, नवाबगंज, फैजाबाद और दिल्ली में कुल 38 आपराधिक मामले दर्ज थे। अयोध्या में कुल 17, फैजाबाद में 12, नवाबगंज में 8 और दिल्ली में एक मामला था। आईपीसी की कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए थे, जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास और यूपी गैंगस्टर्स एक्ट, आर्म्स एक्ट सहित अन्य शामिल थे।

बृजभूषण सिंह पर 1993 तक यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत चार बार मामला दर्ज किया गया था। 1993 में समाजवादी पार्टी की सरकार में पूर्व मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह पर हमले से जुड़े 29 साल पुराने मामले में गोंडा जिले की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 20 दिसंबर 2022 को उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया था।

गोंडा, कैसरगंज और बलरामपुर निर्वाचन क्षेत्रों से छह बार के सांसद पर एक बार आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत भी आरोप लगा था। उन्हें बीजेपी के वरिष्ठ नेता एल.के. सिंह के साथ भी गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह और अन्य के साथ भी गिरफ्तार किया गया था। उन्हें इस मामले में अदालत ने 2020 में बरी कर दिया था। 2012 में डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष के चुनाव में भी विवाद हुए थे। बृजभूषण ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा को फिर से चुनाव में हराया था।

गौरतलब है कि विनेश फोगट द्वारा सिंह पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाने के बाद ओलंपियन पहलवान बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगट और अन्य शीर्ष भारतीय पहलवान राजधानी दिल्ली में जंतर मंतर पर भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष और कोचों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विनेश ने आरोप लगाया था कि सिंह ने उन्हें मानसिक प्रताड़ना दी थी। इसके अलावा खिलाड़ियों ने उन पर और कुछ कोच पर यौन उत्पीड़न के भी आरोप लगाए हैं। फिलहाल इस मामले को सरकार खिलाड़ियों से बातचीत के जरिये सुलझाने की कोशिश कर रही है।

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