हरियाणा के 8 पूर्व विधायकों और मंत्रियों ने थामा कांग्रेस का दामन, AAP के अंबाला प्रभारी भी हुए शामिल

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एक साथ इतनी बड़ी तादाद में दिग्गज नेताओं की ज्‍वाइनिंग जनता की भावनाओं को प्रतिबिंबित कर रही है। इससे साफ है कि जन भावनाएं कांग्रेस के साथ हैं। कांग्रेस को जनता का भारी रिस्पॉन्स मिल रहा है, क्योंकि आने वाला समय कांग्रेस का है।

फोटोः धीरेंद्र अवस्थी
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धीरेंद्र अवस्थी

हरियाणा के 8 पूर्व विधायकों ने आज चंडीगढ़ में कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस में शामिल हुए इन नेताओं में कई बीजेपी छोड़कर आए हैं। इनमें आम आदमी पार्टी के अंबाला प्रभारी राजकुमार वाल्‍मीकि और बीजेपी से बागी होकर अपनी पार्टी बनाने वाले कुरुक्षेत्र से पूर्व सासंद राज कुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष किशन लाल पांचाल भी शामिल हैं। इन नेताओं की ज्वाइनिंग के लिए राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा कई दिनों से प्रयासरत थे।

इस मौके पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्‍यक्ष चौधरी उदयभान ने सभी नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं का कांग्रेस में स्वागत किया। साथ ही उन्हें पूरे मान-सम्मान का भरोसा दिलाया। हुड्डा ने कहा कि एक साथ इतनी बड़ी तादाद में दिग्गज नेताओं की ज्‍वाइनिंग जनता की भावनाओं को प्रतिबिंबित कर रही है। इससे स्पष्ट है कि अब जन भावनाएं कांग्रेस के साथ हैं। कांग्रेस को जनता का तगड़ा रिस्पॉन्स मिल रहा है, क्योंकि भविष्य के लिए यही एकमात्र विकल्प है। आने वाला समय कांग्रेस का है।

चौधरी उदयभान ने कहा कि कांग्रेस में शामिल होने वाले सभी नेता अलग-अलग वर्गों और जातियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें दो कंबोज, एक ब्राह्मण, एक जाट, दो अनुसूचित जाति वर्ग, एक राजपूत, एक पांचाल और एक प्रजापति समाज से संबंध रखते हैं। यह ज्वाइनिंग स्पष्ट संकेत दे रही है कि सभी वर्ग कांग्रेस के साथ हैं। इनके आने से पार्टी को और मजबूती मिलेगी। इस मौके पर राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, कई विधायक, पूर्व विधायक, पूर्व मंत्री समेत कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।


कांग्रेस में शामिल होने वाले नेताओं में शामिल शारदा राठौर फरीदाबाद जिले की बल्लभगढ़ सीट से 2005 से 2009 तक विधायक रही हैं। 2005 के चुनाव में वह 34,076 मतों के अंतर से चुनाव जीती थीं। इसके बाद 2009 में इनकी जीत का अंतर 23,844 वोटों का था। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अगस्त 2019 में वह कांग्रेस पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई थीं। वहीं, राम निवास घोड़ेला 2009 विधानसभा चुनाव में बरवाला विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। 2019 में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़ा था।

नरेश सेलवाल हिसार जिले की उकलाना (सुरक्षित) से 2009 में विधायक चुने गए थे। क्षेत्र की वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए नरेश सेलवाल के वापस पार्टी में आने से कांग्रेस को अनुसूचित जाति वर्ग में और मजबूती मिलेगी और समाज में पार्टी का विस्तार होगा। परमिंदर सिंह ढुल 2009 और 2014 में जींद जिले की जुलाना सीट से इनेलो की टिकट पर विधायक चुने गए थे और दोनों चुनाव में जीत का अंतर 10,000 मतों से अधिक था। 2019 में ढुल ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और 37,749 वोट प्राप्त कर दूसरे स्थान पर रहे थे।


पंडित जिले राम शर्मा 2009 में करनाल जिले की असंध सीट से विधायक रहे हैं। पं. जिले राम शर्मा की क्षेत्र और ब्राह्मण समाज में मजबूत पकड़ मानी जाती है। राकेश कंबोज 2005 में करनाल जिले की इंद्री सीट से विधायक रह चुके हैं। हजकां के प्रत्याशी के रुप में उन्‍होंने 2009 में 26,153 और 2014 में 18,892 वोट लेकर इसी सीट से तीसरे स्थान पर रहे। 2019 में निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए 46,659 वोट लिए और दूसरे स्थान पर रहे।

राजकुमार वाल्मीकि 1985 से 1991 तक यूथ कांग्रेस में सेक्रेटरी पद पर रहे हैं। इसके बाद जुंडला विधानसभा क्षेत्र से 1991 से 1996 तक विधायक रहे और मुख्य संसदीय सचिव के पद पर आसीन रहे। 1998 में वह लोकसभा अंबाला से चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें करीब 1,75000 वोट मिले। 2014 में फिर लोकसभा क्षेत्र अंबाला से चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें करीब 3 लाख वोट प्राप्त हुए। फिलहाल, राजकुमार वाल्मिकि आम आदमी पार्टी के अंबाला प्रभारी थे। सुभाष चौधरी विधानसभा क्षेत्र जगाधरी से 1996 से 2000 तक विधायक और मंत्री रहे। 2005 से 2009 तक भी विधायक रहे। लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष किशन लाल पांचाल ने रोहतक से 2019 में लोकसभा और बहादुरगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ा था।

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