भारत में बीजेपी नेताओं की वजह से अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले, मानवाधिकार विशेषज्ञ ने यूएन को सौंपी रिपोर्ट

यूएन के एक स्वतंत्र रिपोर्टर द्वारा पेश इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारत में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता लगातार अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ और विवादित बयान दे रहे हैं, जिसकी वजह से देश में अल्पसंख्यकों और दलितों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

आने वाले दिनों में कई राज्यों और अगले साल देश के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगी बीजेपी के लिए संयुक्त राष्ट्र (यूएन) को सौंपी गई एक रिपोर्ट परेशानी खड़ी कर सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बीजेपी नेताओं की वजह से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमले हो रहे हैं। यूएन के एक स्वतंत्र रिपोर्टर द्वारा पेश इस रिपोर्ट से ‘सबका साथ सबका विकास’ का दावा करने वाली बीजेपी को किरकिरी का सामना करना पड़ सकता है। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि भारत में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता लगातार अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ और विवादित बयान दे रहे हैं, जिसकी वजह से देश में अलपसंख्यकों खासकर मुसलमानों और दलितों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं।

यह रिपोर्ट यूएन की स्पेशल रिपोर्टर तेंदायी एच्यूमी ने तैयार की है। अपनी रिपोर्ट में एच्यूमी ने कहा है कि भारत में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ बीजेपी नेताओं की ओर से लगातार भड़काऊ बयान दिए जाते रहे हैं, जिसकी वजह से मुस्लिमों और दलितों को निशाना बनाया गया। राष्ट्रवाद की लोकप्रियता से मानवाधिकारों की चुनौती के सिद्धांत पर तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि असहिष्णुता को बढ़ावा देने, भेदभाव को जारी रखने और बढ़ाने से नस्लीय भेदभाव फैलता है और लोगों का बहिष्कार होता है।

इस रिपोर्ट में असम के विवादित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) का भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई देशों में राष्ट्रवादी दल अवैध अप्रवासन मामले में प्रशासनिक सुधार के बहाने ऐसे हथकंडे लेकर आए जिसमें नागरिक रजिस्टर से अल्पसंख्यक समूहों को बाहर कर दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव आयोग की मतदाता सूची में जिनके नाम शामिल हैं, उनमें से कई लोगों के नाम एनआरसी से गायब हैं, यह निराशाजनक है।

तेंदायी एच्यूमी ने असम में रहने वाले बंगाली मुस्लिम अल्पसंख्यकों की समस्याओं का भी जिक्र किया है, जिन्हें ऐतिहासिक रूप से 'विदेशी' करार दिया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि 1997 में भी इस प्रक्रिया को अपनाया गया था, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में असम में बंगाली मुसलमानों के अधिकार चले गए थे। एच्यूमी ने रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया है कि इस साल मई में उन्होंने भारत सरकार को एक पत्र लिखकर एनआरसी मामले को उठाया था।

तेंदायी एच्यूमी ने बताया कि यह रिपोर्ट 2017 में यूएन आमसभा के रिजोल्यूशन में तमाम देशों द्वारा जातिवाद, नस्लीय भेदभाव, विदेशी लोगों को नापसंद करने और असहिष्णुता पर दी गई रिपोर्ट के आधार पर बनायी गयी है। तेंदायी एच्यूमी कन्टेमपररी फॉर्म्स ऑफ रेसिज्म, रेसियल डिसक्रिमिनेशन, जेनोफोबिया एंड रिलेटेड इनटोलरेंस विषय पर यूएन के स्पेशल रिपोर्टर हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार समिति (यूएनएचआर) की ओर से इस पद पर किसी स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ की ही नियुक्ति की जाती है।

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