अडानी ने रणनीतिक महत्व के प्रोजेक्ट में चीनी कंपनी को किया शामिल, इसीलिए दोनों को बचा रहे हैं पीएम मोदीः कांग्रेस

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि अडानी-चीन संबंध पर सरकार को चिंता ही नहीं है, सरकार पता ही नहीं करना चाहती है, कोई जांच नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा कि जो सवाल राहुल गांधी नेता पूछते हैं, वो सवाल तो लगातार दोहराया जाएगा- ये 20 हजार करोड़ किसके हैं।

फोटोः @INCIndia
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस ने आज अडानी समूह पर देश विरोधी गतिविधि में शामिल होने का आरोप लगाया है। पार्टी नेता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि अडानी ने कई रणनीतिक रूप से अहम प्रोजेक्ट में एक संदिग्ध चीनी फर्म को शामिल किया, जो एक देश विरोधी गतिविधि है। उन्होंने अडानी मामले पर खामोशी के लिए पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि एक अमर प्रेमकथा है जिसके मुख्य किरदार मोदी-चीन और अडानी हैं। यही वजह है कि पीएम मोदी, अडानी के साथ चीन को भी बचाना चाहते हैं, लेकिन अब परत-दर-परत भेद खुल रहा है।

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया है कि अभी तक पता था कि केवल मोदी जी के ही चीन से मधुर संबंध हैं, लेकिन अब उनके दोस्त अडानी जी के बारे में भी खुलासा हुआ है। सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि एक चीनी फर्म अडानी के कई प्रोजेक्ट्स में शामिल है और इनमें से कई प्रोजेक्ट देश के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने दावा किया कि अडानी ग्रुप इस तरह एक चीनी फर्म के साथ मिलकर देश के इंफ्रास्ट्रक्चर में जो हस्तक्षेप कर रहा है, वह देश विरोधी गतिविधि है।

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि अडानी ने जिस चीनी फर्म को देश के रणनीतिक रूप से अहम प्रोजेक्ट्स में शामिल किया है, उसका नाम ‘पीएमसी प्रोजेक्ट्स’ है और यह कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के परिसर से ही चलती है। कांग्रेस के मुताबिक इस चीनी फर्म का मालिकाना हक एक चीनी नागरिक मॉरिस चांग के पास है। मॉरिस चांग के पिता चांग चुंग-लिंग गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी के करीबी मित्र और बिजनेस पार्टनर हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुप्रिया श्रीनेत के साथ मौजूद पार्टी के रिसर्च एंड मॉनिटरिंग इंचार्ज अमिताभ दुबे ने बताया कि 2005 में चीनी नागरिक चांग चुंग-लिंग और गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी के सिंगापुर के घर का पता एक ही था। चांग चुंग-लिंग, अडानी वर्जीनिया के पूर्व चेयरमैन हैं और ये कंपनी (अडानी वर्जीनिया) विनोद अडानी की एक कंपनी की सब्सिडरी भी रही है।


कांग्रेस ने दावा किया कि चीनी कंपनी पीएमसी देश में गुजरात के मुंद्रा, दाहेज, हजीरा और कांडला पोर्ट, गोवा में मोरमुगाओ पोर्ट, आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम पोर्ट, महाराष्ट्र में पॉवर ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट के साथ गुजरात में रोड-रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से जुड़ी हुई है। कांग्रेस ने इन प्रोजेक्ट्स में चीनी कंपनी और चीनी नागरिक के हस्तक्षेप पर सवाल उठाते हुए इसे देश विरोधी गतिविधि करार दिया है।

सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि ये जो कंपनी अडानी जी के परिसर पर चलती है, उनका लीज एग्रीमेंट हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं। अडानी जी के परिसर से ये कंपनी चलती है। साथ ही साथ ये जो पीएमसी कंपनी है, इसका रजिस्टर्ड ईमेल 2006 से 2012 के बीच जो कंपनी ने एनुअल रिटर्न भरा, क्योंकि सब कॉन्ट्रैक्टर थे, तो एनुअल रिटर्न भी भरना था। 2006 से 2012 के बीच एनुअल रिटर्न में अडानी ग्रुप का डोमेन नाम info@adanigroup.com इस्तेमाल किया गया। तो संबंध इतने गहरे हैं। ये सारे डॉक्यूमेंट हैं रिटर्न फाइलिंग के, जिसमें पीएमसी चीनी कंपनी में info@adanigroup.com इस्तेमाल किया गया।

सुप्रिया श्रिनेत ने कहा कि परत दर परत पर्दा उठता जा रहा है और भेद खुलता जा रहा है। अब समझ में आया कि 19 जून को प्रधानमंत्री ने क्लीन चिट क्यों दी थी, बिना पलक झपकाए इस देश से झूठ क्यों बोला था कि ‘कोई घुसा हुआ नहीं है’, क्योंकि अगर क्लीन चिट नहीं देते, तो ये टिंग साहब अडानी जी के साथ मिलकर व्यापार कैसे करते। इनकी कंपनी अडानी जी के परिसर से कैसे चलती। इनका हर इन्फ्रास्ट्रक्चर में हस्तक्षेप कैसे होता और इसलिए प्रधानमंत्री ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी है, ना चीन पर, ना अडानी पर, क्योंकि अब परत दर परत खुलती जा रही हैं।


सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि आप बचाना चीन को भी चाहते थे, आप बचाना अडानी को भी चाहते थे। असलियत ये है कि आपका मुखौटा, आपका मास्क उतर चुका है। 18-18 बार आप चीन से मिलते हैं, बताइए क्या बातें होती हैं आपकी? चीन अतिक्रमण क्यों कर रहा है? चीन जगहों का नाम क्यों बदल रहा है? चीन के साथ आप व्यापार क्यों बढ़ा रहे हैं? चीन को आप सबसे बड़ा व्यापार पार्टनर बनाते हैं और यहां पर लोगों की आंख में धूल झोंकने के लिए दो-चार ऐप बैन कर देते हैं। सरकार को चिंता ही नहीं है, सरकार पता ही नहीं करना चाहती है, कोई जांच नहीं करना चाहती और जो सवाल मेरे नेता पूछते हैं, वो सवाल तो लगातार दोहराया जाएगा- ये 20 हजार करोड़ किसके हैं।

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