अधीर रंजन ने BJP पर सोशल मीडिया के दुरुपयोग का लगाया आरोप, INDIA गठबंधन Meta-Alphabet को लिख चुका है पत्र

विपक्ष ने दोनों कंपनियों को चेतावनी दी है कि 2024 के चुनावों को देखते हुए उसे सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत में मेटा और अल्फाबेट का संचालन तटस्थ रहे, और इनका उपयोग सामाजिक अशांति पैदा करने या भारत के लोकतांत्रिक आदर्शों को विकृत करने के लिए न किया जाए।

अधीर रंजन ने BJP सरकार पर सोशल मीडिया के दुरुपयोग का लगाया आरोप
अधीर रंजन ने BJP सरकार पर सोशल मीडिया के दुरुपयोग का लगाया आरोप
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नवजीवन डेस्क

विपक्षी इंडिया गठबंधन द्वारा मेटा और अल्फाबेट को पत्र लिखकर भारत में सामाजिक वैमनस्यता फैलाने का दोषी ठहराने के एक दिन बाद शुक्रवार को कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया कि यह एक दिव्य सत्य है कि सत्तारूढ़ सरकार सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रही है।

अधीर रंजन चौधरी ने कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए कहा, ''यह सत्य है कि सत्तारूढ़ शासन सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर रहा है। निश्चित रूप से जो लोग उस मीडिया के प्रभारी हैं, उन्हें सूचित किया जाना चाहिए और इसी दिशा में मेटा और अल्फाबेट प्रमुख को पत्र लिखकर हमारे विचार उन तक पहुंचाए गए हैं।''

अधीर रंजन चौधरी की यह टिप्पणी इंडिया गठबंधन के दलों के गुरुवार को मेटा के मार्क जुकरबर्ग और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई को लिखे पत्र के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे भारत में सामाजिक असामंजस्य को बढ़ावा देने और सांप्रदायिक नफरत भड़काने के दोषी हैं। इसने सत्तारूढ़ पार्टी के कंटेंट को बढ़ावा देने के दौरान अपने मंच पर विपक्षी नेताओं की कंटेंट को एल्गोरिथम मॉडरेशन और दबाने का भी आरोप लगाया।


इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने दोनों कंपनियों को चेतावनी भी दी कि 2024 में आगामी राष्ट्रीय चुनावों को देखते हुए उसे इन तथ्यों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और तुरंत सुनिश्चित करना चाहिए कि भारत में मेटा और अल्फाबेट का संचालन तटस्थ रहे, और इनका उपयोग जानबूझकर या अनजाने में सामाजिक अशांति पैदा करने या भारत के बहुप्रतीक्षित लोकतांत्रिक आदर्शों को विकृत करने के लिए न किया जाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ''निश्चित तौर पर भारत पर हमला हुआ। हमारी संसद पर ही आतंकवादियों ने हमला किया था और देश सत्ता के साथ खड़ा था और हमने उसका मुकाबला किया। यह तो हर कोई जानता है। मुद्दा यह है कि संसद और संसदीय लोकतंत्र, शिष्टाचार प्रोटोकॉल और प्रथाओं को अक्षरश बनाए रखा जाना चाहिए। यही हमारा विचार है।"

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