दिल्ली में सरकारी डॉक्टरों को वेतन के लाले, हिंदू राव के बाद कस्तूरबा अस्पताल के कोरोना वॉरियर्स हड़ताल पर

कस्तूरबा अस्पताल के डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें पिछले 4 साल से समय पर वेतन नहीं मिल रहा, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान स्थिति और गंभीर हो गई। उन्होंने कहा कि कोरोना योद्धाओं के सम्मान में करोड़ों खर्च करने के बजाय उस पैसे से योद्धाओं को वेतन देना चाहिए था।

फोटोः IANS
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आसिफ एस खान

देश की राजधानी दिल्ली में उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित कस्तूरबा अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने कई महीने से वेतन नहीं मिलने के विरोध में बुधवार से एक हफ्ते की हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया है। साथ ही वेतन न मिलने पर इस्तीफा देने की धमकी भी दी है। इससे पहले निगम संचालित हिंदू राव अस्पताल के डॉक्टर भी वेतन नहीं मिलने के कारण काम बंद कर चुके हैं। यहां के 200 से अधिक रेजिडेंट डॉक्टर और 300 नर्सिग स्टाफ 5 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।

कस्तूरबा अस्पताल के आरडीए अध्यक्ष सुनील कुमार प्रसाद ने अधीक्षक को पत्र लिखकर कहा है, "जुलाई, 2020 से रेजिडेंट डॉक्टरों के वेतन का भुगतान न होने के कारण सभी रेजिडेंट डॉक्टर कल से हड़ताल पर जा रहे हैं। हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि हम अगले 7 दिनों तक हड़ताल पर रहेंगे या तब तक हड़ताल पर रहेंगे जब तक कि हमारा पूरा वेतन नहीं दिया जाता। वेतन नहीं मिलने पर सभी रेजिडेंट डॉक्टर सामूहिक इस्तीफा दे देंगे। कल से सभी आपातकालीन सेवाओं को रोक दिया जाएगा।"

ये दोनों अस्पताल केंद्र की सत्ता में आसीन बीजेपी के नेतृत्व वाले उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। ये वही बीजेपी है, जिसके नेता और देश के पीएम नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट में डॉक्टरों और हेल्थ वर्कर्स को कोरोना वॉरियर्स का खिताब देते हुए इन्हें सम्मान देने की लोगों से अपील की थी। पीएम मोदी की पहल पर संकट की शुरुआत में लाखों खर्च कर डॉक्टरों के सम्मान में अस्पतालों पर फूल बरसाए गए थे। लेकिन उन्हीं डॉक्टरों को वेतन देने के लिए बीजेपी शासित एमसीडी के पास पैसे नहीं हैं।

दूसरी ओर वेतन के भुगतान में हो रही देरी की एक वजह नॉर्थ एमसीडी के मेयर जय प्रकाश और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के बीच सियासी जंग भी है। हाल ही में दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने अस्पताल के कर्मचारियों को वेतन न दिए जाने को लेकर जब बीजेपी पर निशाना साधा था, तब मेयर ने उन पर जनता को अंधेरे में रखकर इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया था।

वहीं इस मामले पर कस्तूरबा अस्पताल के आरडीए अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें पिछले 4 साल से समय पर वेतन नहीं मिल रहा है, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के दौरान स्थिति और गंभीर हो गई।
डॉ. सुनील कुमार प्रसाद ने कहा, "यह मामला अब राजनीतिक फुटबॉल बन गया है। अगर एमसीडी के पास पैसा नहीं है, तो उन्हें केंद्र या दिल्ली सरकार की मदद से इसकी व्यवस्था करनी चाहिए। नहीं तो यह अस्पताल दिल्ली सरकार को सौंप देना चाहिए।"

कस्तूरबा अस्पताल के आरडीए अध्यक्ष डॉ. प्रसाद ने आगे कहा कि कोरोना योद्धाओं को सम्मान देने के लिए करोड़ों खर्च किए जाने के बजाय उस पैसे से योद्धाओं को वेतन देना चाहिए था। उन्होंने कहा, "वेतन पाना हमारा मूल अधिकार है। मैं सरकार से वेतन सुरक्षा अधिनियम लाने का भी अनुरोध करता हूं।"

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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