कई बैठकों के बाद भारत-चीन में बनी सहमति, तनाव वाले क्षेत्रों से दोनों हटाएंगे अपने सैनिक

इससे पहले 15 जून की रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद पैदा हुए तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच लगातार तीन दिनों तक मेजर जनरल स्तर की बातचीत हुई थी, जिसका मकसद चार अधिकारियों सहित 10 जवानों को रिहा कराना था।

फोटोः सोशल मीडिया
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आईएएनएस

भारत और चीन के बीच सोमवार को 11 घंटे तक चली कोर कमांडर स्तर की वार्ता के बाद सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि बातचीत सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हुई और इसमें दोनों पक्षों के बीच सैनिकों को हटाने पर सहमति बन गई है। सरकारी सूत्रों ने कहा, "बैठक में पूर्वी लद्दाख में सभी संघर्ष वाले क्षेत्रों से सैनिकों को हटाने को लेकर तौर-तरीकों पर चर्चा की गई।"

सीमा मुद्दे को सुलझाने और पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए भारतीय सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और दक्षिण शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख मेजर जनरल लियू लिन के बीच सोमवार को यह बैठक पूर्वी लद्दाख में 6 जून को हुई चुशुल-मोल्डो बॉर्डर पर्सनल मीटिंग (बीपीएम) की तर्ज पर इस बार मोल्डो में हुई। पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच इस स्तर की यह दूसरी बैठक थी।

इससे पहले, 15 जून की रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पेट्रोलिंग (गश्त) पॉइंट 14 पर भारतीय सेना के जवानों पर बर्बर हमले में 20 जवानों की शहादत के बाद दोनों देशों के बीच लगातार तीन दिनों तक मेजर जनरल स्तर की बातचीत हुई थी। तीनों वार्ताओं का मकसद तनावपूर्ण स्थिति को कम करना और चार अधिकारियों सहित 10 भारतीय जवानों को रिहा कराना था, जो चीनी सेना की कैद में थे। इस वार्ता के बाद सभी भारतीय जवानों को छोड़ दिया गया था।

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